अन्य लक्षण
- एसिडोसिस (acidosis)
- अरुचि की समस्या
- क्रेटिनाइन बढ़ना
- इलेक्ट्रॉलायज में असमान्यताएं
- कुपोषण (malnutrition)
एक किडनी छोटी होना
कुछ लोगों में एक किडनी छोटी होने की समस्या होती है। कैंसर, गंभीर किडनी स्टोन या दुर्घटना की वजह से कई लोगों की एक किडनी सर्जरी के माध्यम से निकाल दी जाती है। चूंकि उनकी दूसरी किडनी सामान्य अवस्था में होती है, जिससे वह एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
जन्म से पहले गर्भावस्था में ही भ्रूण की दोनों किडनी पेट के निचले हिस्से से ऊपर की तरफ जाती हैं। इस दौरान अपरिपक्व दोनों किडनी पेट के ऊपरी हिस्से में नहीं पहुंच पाती हैं और सामान्य अवस्था के मुकाबले पेट के मध्य हिस्से में फंस जाती हैं। ऐसे में दोनों किडनी आपस में जुड़ जाती हैं और एक किडनी बड़ी हो जाती है। बड़ी किडनी के विशाल आकार की वजह से उसे हॉर्सशू किडनी (horseshoe kidney) कहा जाता है।
हालांकि, बड़ी किडनी की किसी समस्या के बिना सामान्य रूप से कार्य करती है। यदि इस बड़ी किडनी में गांठ या स्टोन जैसी बीमारी हो जाती है तो इसका इलाज करना काफी कठिन हो जाता है। हॉर्सशू किडनी में ड्रेनेज सिस्टम से जुड़ी समस्याएं होना एक सामान्य बात है और इससे संक्रमण होने की संभावना रहती है।
किडनी छोटी होना : इलाज (Treatment)
किडनी छोटी होने का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है। किडनी छोटी होना खतरनाक है और इसके इलाज करने से किडनी को होने वाले अन्य नुकसान को कम किया जाता सकता है। जैसा कि ऊपर पहले ही बता दिया गया है कि किडनी छोटी होने की स्थिति में गुर्दे उचित रूप से अपना कार्य करते हैं। यदि आपकी किडनी 10-15% से कम कार्य कर रही है तो किडनी फेलियर होने की संभावना रहती है। ऐसे में किडनी को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए इलाज की जरूरत होती है।
छोटी किडनी (किडनी छोटी होना) का इलाज डायलेसिस
हेमोडायलेसिस
इस इलाज में एक आर्टिफिशियल किडनी (हेमोडायलेजर (hemodialyzer)) से ब्लड को दौड़ाया जाता है। यह ब्लड में से वेस्ट पदार्थ को निकालता है।
और पढ़ें: विटामिन-ई की कमी को न करें नजरअंदाज, डायट में शामिल करें ये चीजें
पेरिटोनियल डायलेसिस (peritoneal dialysis)
- डायलाइसेट (dialysate) कहा जाने वाला एक फ्लूड आपके पेट में भरा जाता है, जो पेरिटोनियल डायलेसिस केथेटर (peritoneal dialysis catheter) के जरिए बॉडी में से वेस्ट पदार्थ को छानकर निकाला जाता है।
- डायलेसिस किडनी की उन कार्यों को करने में मदद करता है, जो वह खुद से नहीं कर सकती हैं। उदाहरण के लिए ब्लड में से वेस्ट पदार्थ को निकालना। हालांकि यह कोई इलाज नहीं है। इस स्थिति में आपकी अपनी बाकी की जिंदगी में जीवित रहने के लिए हफ्ते में कई बार डायलेसिस की जरूरत पड़ सकती है या जब तक आपका किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो जाता।
- किडनी छोटी होना एक गंभीर स्थिति है। स्थाई रूप से इसका इलाज किया जाना बेहद ही जरूरी है। इसके इलाज के लिए आप दान में में मिली किडनी या किसी मृत व्यक्ति की किडनी ट्रांसप्लांट करा सकते हैं। हालांकि, दोनों ही स्थितियां थोड़ी जटिल हैं। आपकी बॉडी के लिहाज से एक सही किडनी प्राप्त करने के लिए आपको वर्षों तक इंतजार करना पड़ सकता है। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद आपको एक एंटीरिजेक्शन दवाइयों की जरूरत पड़ सकती है, जिससे आपकी किडनी को प्रभावी रखा जा सके।
- किडनी एट्रोफी को हमेशा रोका नहीं जा सकता है। लेकिन किडनी को स्वस्थ रखने के कुछ उपाय हैं, जिन्हें जल्द से जल्द अपनाया जा सकता है। पहला, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याओं से बचना चाहिए, जो किडनी डैमेज करती हैं। यदि आपको पहले ही यह समस्याए हैं तो इन्हें नियंत्रण में रखें। इसके लिए डायट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, कम फैट या फैट फ्री डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें। ज्यादा प्रोसेस्ड या तले भुने फूड्स और सोडियम वाले भोज्य पदार्थों को सीमित करें। इसके साथ ही आप प्रतिदिन 30 मिनट एक्सरसाइज कर सकते हैं। साथ ही एक हेल्दी वेट को मेंटेन करें।
अंत में हम यही कहेंगे कि किडनी छोटी होना एक सामान्य समस्या भी हो सकती है। हालांकि, इस स्थिति में जरूरी चिकित्सा जांच कराना अनिवार्य है। इससे भविष्य में गंभीर खतरों को कम किया जा सकता है।