जन्म के दौरान किडनी छोटी होना या शरीर के अन्य अंगों के साथ किडनी का विकास न होना भी किडनी छोटी होना का सबसे बड़ा कारण है। अक्सर इसका पता बचपन में चलता है। जन्म से किडनी छोटी होना को जन्मजात डिस्प्लेसिया (Congenital dysplasia) कहा जाता है। कुछ लोगों के मामले में किडनी छोटी होना में दोनों ही किडनी छोटी पाई जाती हैं। ऐसे मामलों में किडनी फेलियर की संभावना रहती है।
छोटी किडनी अपर बैक में सामान्य अवस्था में हो सकती है या जन्म से पहले पेट के निचले हिस्से से ऊपर जा नहीं पाती है। इस स्थिति को पेल्विक किडनी (Pelvic Kidney) कहा जाता है। कई पेल्विक किडनी सामान्य रूप से कार्य करती हैं, लेकिन कुछ लोगों के मामले में पेल्विक किडनी छोटी या ड्रेनेज सिस्टम में विसंगतियां पाई जा सकती हैं, जिससे संक्रमण दोबारा होने की संभावना होती है।
ड्रेनेज सिस्टम में खराबी आने से किडनी डैमेज हो जाती है। आमतौर पर इस स्थिति को रिफ्लक्स नेफ्रोपेथी (reflux nephropathy) कहा जाता है। बचपन के दौरान या युवाओं में किडनी छोटी होना यह एक बड़ा कारण है। रिफ्लक्स नेफ्रोपेथी दोनों ही किडनी को प्रभावित कर सकती है।
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संक्रमण और किडनी छोटी होना (Infection)
संक्रमण होने से गुर्दे की (किडनी छोटी होना) की समस्या होती है। सामान्य किडनी संक्रमण से किडनी को स्थाई रूप से नुकसान नहीं पहुंचता है या यह किडनी में एक छोटा निशान छोड़ देता है। अक्सर एक गंभीर किडनी संक्रमण (एक्यूट पायलोनेफ्रिटिस (acute pyelonephritis) ) किडनी को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे किडनी की समस्या (किडनी छोटी होना) पैदा होती है। रिफ्लक्स नेफ्रोपेथी से पीढ़ित लोगों में एक संक्रमण ही इस समस्या को पैदा करने के लिए काफी होता है।