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6) इम्यून सिस्टम बिगड़ जाता है
जो लोग ज्यादा टेंशन लेते हैं वे अक्सर बीमार रहने लगते हैं । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कोर्टिसोल हार्मोन इम्युनिटी को कमजोर कर देता है जिससे आप जल्दी इंफेक्शन का शिकार हो जाते हैं।
क्या ओवर थिंकिंग कोई बीमारी है? (Is over thinking a disease?)
ऐसे कई अध्ययन हुए हैं, जो यह दावा करते हैं कि, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ओवर थिंकिंग की आदत अधिक देखी जा सकती है। हालांकि, इसके मुख्य कारक क्या हो सकते हैं, यह पर्सन टू पर्सन निर्भर करता है। सामान्य तौर पर ओवर थिंकिंग को कोई बीमारी नहीं माना जा सकता है, लेकिन मेडिकली तौर पर इसे अवसाद और चिंता से जुड़ा हुआ माना जा सकता है जो कि मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं होती है।
अध्ययन में यह भी पाया गया है कि, ओवर थिंकिंग की आदत वाले लोगों में भूख न लगने की सबसे बड़ी समस्या भी देखी गई। जो उनके स्वास्थ्य को खराब करने का सबसे बड़ा कारक भी हो सकता है। इसके अलावा, बहुत ज्यादा सोचने वाले लोग अपने फैसले को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट भी नहीं पाए गए। उनमें आत्मविश्वास की भी कमी देखी गई। ऐसे लोग जल्दी किसी अन्य व्यक्ति से अपने विचारों या भावनाओं को व्यक्त भी नहीं करते हैं और किसी भी तरह की गलती का जिम्मेदार अक्सर खुद को ही मानने लगते हैं। और धीरे-धीरे खुद को सकारात्मक चीजों से दूर करने लगते हैं।
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कैसे पता लगाएं कि आप ओवरथिंकर हैं या नहीं? (How to know if you are an overthinker?)
ओवर थिंकिंग की समस्या का समाधान करने के लिए सबसे पहले आपको पता होना चाहिए कि आप ओवरथिंकर हैं या नहीं। अब आपके सामने यह सवाला आता है कि यह बात कैसे पता लगाई जा सकती है। इसके लिए आप कुछ संकेतों के बारे में ध्यान दे सकते हैं, जो कि एक ओवर थिंकर व्यक्ति में हमेशा दिखते हैं। आइए इन संकेतों के बारे में जान लेते हैं।
- शर्मिंदगी भरे पलों को कोई व्यक्ति दोबारा याद नहीं करना चाहेगा, लेकिन एक ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति इससे अलग कार्य करता है। वह उन पलों के बारे में बार-बार सोचता है और उसे बार-बार जी कर शर्मिंदा होता है।
- ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति जल्दी नहीं सो पाता। जैसे ही वह सोने के लिए बेड पर लेटता है, तो उसके बाद भी काफी देर तक दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है। ओवर थिंकिंग वाला व्यक्ति का दिमाग कभी शांत नहीं रह पाता।
- ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति हमेशा नकारात्मक स्थितियों की कल्पना करता रहता है, जैसे कि ‘अगर ऐसा हो गया तो’, ‘अगर वैसा हो गया तो’?
- ओवर थिंकर की एक पहचान और होती है कि वह दूसरे लोगों की बातों में छिपा हुआ मतलब ढूंढता है। उसे हमेशा लगता है कि सामने वाले व्यक्ति ने जो कुछ कहा है, उसके पीछे एक दूसरा मतलब छिपा हुआ है। जो कि उसकी इमेज को प्रभावित कर सकता है और वह पूरा दिन उसी के बारे में सोच-सोचकर समय निकाल देता है।
- ज्यादा सोचने वाला व्यक्ति पुरानी बातों को याद करके उन बातों के बारे में सोचता है, जो उसे कह देना चाहिए था या नहीं कहना चाहिए था। इसके विपरीत ज्यादा न सोचने वाला व्यक्ति उन बातों से आगे निकल जाता है और उनके बारे में ज्यादा परेशान नहीं होता।
- ओवर थिंकर व्यक्ति उन बातों के बारे में ज्यादा सोचता है, जिसपर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। इन बातों को सोच-सोचकर वह परेशान होता रहता है और गंभीर डिप्रेशन में जा सकता है।
आप भी खुद में या किसी और व्यक्ति में ये लक्षण पहचानकर पता कर सकते हैं कि वह ओवर थिंकर है या नहीं?