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स्ट्रेस का बॉडी पर असर होने पर दिखाई देने लगते हैं ये लक्षण

स्ट्रेस का बॉडी पर असर होने पर दिखाई देने लगते हैं ये लक्षण

एक पुरानी कहावत है ‘चिंता की लकीरें माथे पर आ जाती हैं’। ये कहावत कई मायनों में सही बैठती हैं क्योंकि स्ट्रेस कई तरह से हमारी बॉडी इफेक्ट करता है। तनाव का त्वचा पर भी असर दिखाई देने लगता है। आपने नोटिस किया होगा कि आप जब भी स्ट्रेस लेते हैं तो आपको सिर दर्द या मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है।

तो इससे स्पष्ट है कि स्ट्रेस का हमारे बॉडी से सीधा संबंध है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि स्ट्रेस का बॉडी पर कैसे असर होता है। क्या लक्षण सामने आते हैं और उनके उपाय क्या हैं?

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स्ट्रेस क्या है?

तनाव या स्ट्रेस एक ऐसा एहसास है जो हमें भावनात्मक या शारीरिक रूप से प्रभावित करता है। ये किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकता है और किसी भी समय हो सकता है।

इसकी वजह से आपके व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ सकता है या आप छोटी-छोटी बातों पर भी गुस्सा करने लग सकते हैं या फिर आप नर्वस हो सकते हैं। स्ट्रेस का आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।

आप मानेंगे नहीं लेकिन, स्ट्रेस का असर पेट की सेहत को खराब कर सकता है। इससे दस्त, कब्ज, पेट-दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा पाचन-क्रिया भी प्रभावित हो सकती है। किसी-किसी को बार-बार यूरिन आने की समस्या भी देखी जाती है।

प्रत्येक व्यक्ति का शरीर स्ट्रेस के प्रति अलग तरह से रिस्पॉन्स करता है और ज्यादा स्ट्रेस लेने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। स्ट्रेस को रोकने के लिए शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली काम करती है। यह शरीर में हाॅर्मोन प्रवाहित करती है ताकि बॉडी को खतरे से बाहर निकालने या उसका सामना करने के लिए तैयार किया जा सके।

इसे फाइट तंत्र के रूप में जाना जाता है। किसी चुनौती का सामना करने पर शरीर में स्ट्रेस होना सामान्य बात है। किसी भी समस्या या चुनौती से हमें बचाने के लिए या उससे दूर जाने के लिए शरीर कुछ नाड़ियों को सक्रिय करता है।

स्ट्रेस होने पर शरीर में अधिक मात्रा में कोर्टिसोल, एड्रीनलीन और नॉर एड्रीनलीन नामक हार्मोन बनने लगता है। ये हार्ट रेट को बढ़ाते हैं, मांसपेशियों में ऐंठन, पसीना आने और सतर्कता को बढ़ाते हैं। ये सभी कारक खतरनाक या चुनौतीपूर्ण स्थिति में स्ट्रेस को बढ़ाते हैं।

पर्यावरण से जुड़े कारक जो इस प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं जिनमें शोर, आक्रामक व्यवहार, तेजी से कार का गुजरना, फिल्मों में डरावने सीन शामिल हैं। इन चीजों से हम जितना ज्यादा डर महसूस करते हैं, उतना ही ज्यादा हमें स्ट्रेस महसूस होता है।

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स्ट्रेस का बॉडी से क्या संबंध है?

स्ट्रेस जो है वो पूरी तरह से दिमाग का खेल होता है और यह किस तरह आपकी बॉडी को प्रभावित करेगा, यह भी काफी हद तक आपके दिमाग पर निर्भर करता है। जैसा कि आपको पता है कि मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर को नियंत्रित करता है और इसलिए जब दिमाग पर स्ट्रेस हावी होता है तो शरीर पर भी उसका असर साफ दिखाई देता है।

स्ट्रेस का असर ना सिर्फ शरीर पर पड़ता है बल्कि तनाव त्वचा को भी प्रभावित करता है। किसी भी मानसिक स्थिति या समस्या का असर त्वचा पर पड़ता है जिसे साइकोडर्मा कहते हैं।

जब स्ट्रेस ज्यादा होता है तो ब्रेन में कोर्टिसोल नामक हार्मोन रिलीज होता है। कोर्टिसोल हमारी नर्व्स को एक मैसेज भेजता है, जिससे त्वचा प्रभावित होती है और टिश्यू थोड़े डल हो जाते हैं। 

इससे त्वचा पर बारीक रेखाएं बनने लगती हैं और फिर त्वचा पर एजिंग, मुंहासे, इंफ्लामेशन आदि समस्याएं होने लगती हैं।

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स्ट्रेस का त्वचा पर असर कैसे दिखता है?

स्ट्रेस शरीर के साथ-साथ स्किन को भी निम्न तरह से प्रभावित करता है :

स्ट्रेस का बॉडी पर असर : त्वचा अपना बचाव नहीं कर पाती

स्ट्रेस का त्वचा पर असर इतना गहरा होता है कि वह सूर्य की किरणों से अपना बचाव नहीं कर पाती है जिससे अल्ट्रावायलेट तरंगें त्वचा को डैमेज कर सकती हैं। इससे त्वचा पर टैनिंग, सनबर्न और ब्लड सेल द्वारा अल्ट्रावायलेट किरणों को अवशोषित कर लिया जाता है जिससे स्किन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

अल्ट्रावायलेट किरणों से बचने का एक ही तरीका है, सुबह उठने के बाद धूप में जाने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इससे स्ट्रेस का त्वचा पर असर कम हो जाएगा। इसके लिए आपको स्ट्रेस को कम करना होगा।

सनस्क्रीन के अलावा आप नैचुरल ऑयल लगा सकते हैं, जो धूप से आपकी त्वचा का बचाव करेंगे जैसे- ऑलिव ऑयल, नारियल तेल, तुलसी का तेल और लेमन ग्रास ऑयल। इनमें हाई एसपीएफ वैल्यू होती है।

इसके अलावा आप विटामिन सी से युक्त फल खाएं। इनकी मदद से त्वचा को एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं। स्ट्रॉबेरी, अनार या संतरा आदि खाने से कोशिकाएं धूप में जाने के बाद सन एक्सपोजर से बची रहती हैं।

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स्ट्रेस का बॉडी पर असर : फाइन लाइन और झुर्रियां पड़ने लगती हैं

जैसा कि हमने पहले ही बता दिया है कि तनाव लेने से ब्रेन द्वारा कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज होता है। कोर्टिसोल नसों को एक मैसेज भेजता है, जिससे त्वचा प्रभावित होती है और टिश्यू डल हो जाते हैं। इस प्रभाव से त्वचा पर फाइन लाइनें यानि बारीक रेखाएं बनने लगती हैं।

इस तरह से स्ट्रेस का बॉडी पर असर होता है और उम्र के पहले ही त्वचा फाइन लाइन्स और झुर्रियों का शिकार हो जाती है। फिर आपको अपनी त्वचा को देखकर ही तनाव हो जाता है।

चेहरे पर माथे, आईब्रो और जॉ लाइन पर झुर्रियां और फाइन लाइन साफ दिखने लगती हैं। इन्हें छिपाने के लिए बोटोक्स ट्रीटमेंट का सहारा लेना पड़ता है जोकि बहुत महंगा होता है। इसलिए स्ट्रेस ना लीजिए और स्ट्रेस को दूर करने के तरीकों पर ध्यान दीजिए।

स्ट्रेस का त्वचा पर असर : कई तरह की स्किन प्रॉब्लम्स

स्ट्रेस का बॉडी पर असर इतना तेज होता है कि वो कई त्वचा संबंधी बीमारियों का कारण बन जाता है जैसे – हाइव्स, सोरायासिस, एग्जिमा, डर्माटाइटिस, रोजिएसी आदि। अगर इनमें से कोई समस्या आपको पहले से ही है और आप तनाव भी लेते हैं तो आपकी स्थिति बद से बदतर हो सकती है।

त्वचा संबंधी परेशानियों की वजह से कई बार रातो की नींद भी उड़ जाती है और आपको तकलीफ से गुजरना पड़ सकता है। इसके लिए आप संतुलित आहार, एक्सरसाइज या थेरेपी की मदद ले सकते हैं।

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स्ट्रेस का बॉडी पर असर : हेयर फॉल होता है

स्ट्रेस त्वचा के अलावा बालों को भी प्रभावित करता है। कई मामलों में देखा गया है कि तनाव में कुछ लोग अपने बाल खींचने या नोचने लगते हैं। इससे बालों के झड़ने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा हार्मोन कोर्टिसोल आदि भी हेयर फॉल के लिए जिम्मेदार होते हैं।

स्ट्रेस की वजह से हमारे सिर की त्वचा मोम की तरह चिपचिपी हो जाती है जिससे एग्जिमा हो सकता है। इसके लिए आपको अच्छी डायट के साथ रोजाना एक्सरसाइज करने की जरूरत होती है। इससे आपका स्ट्रेस लेवल कम होगा।

स्ट्रेस का बॉडी पर असर: प्रतिरक्षा प्रणाली हो जाती है कमजोर

अगर शरीर लंबे समय से स्ट्रेस में है, तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। जो लोग लगातार तनाव में रहते हैं, वे सर्दी और फ्लू से अधिक प्रभावित होते हैं। स्ट्रेस हार्मोन इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देते हैं और जल्दी प्रतिक्रिया देने की क्षमता को भी कम करते हैं।

तनाव का प्रभाव यह होता है कि छोटी बीमारियों को भी ठीक करने के लिए शरीर को ज्यादा समय और एनर्जी लगती है।

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स्ट्रेस का बॉडी पर असर : प्रजनन प्रणाली का कार्य होता है प्रभावित

जब पुरुष स्ट्रेस में होते हैं तो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन ज्यादा बनने लगता है, लेकिन यह प्रभाव अधिक समय तक नहीं रहता है। इससे पुरुषों में सेक्स की इच्छा कम होती है तनावग्रस्त शरीर हमेशा थकान महसूस करता है और ऊर्जा की कमी रहती है।

अधिक गंभीर परिस्थितियों में, इरेक्टाइल डिसफंक्शन का भी खतरा रहता है। वहीं बात की जाए महिलाओं की तो स्ट्रेस की वजह से पीरियड के दौरान सामान्य से ज्यादा दर्द और अनियमितता की शिकायत रहती है।

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स्ट्रेस का बॉडी पर असर : कार्डियोवस्कुलर सिस्टम होता है प्रभावित

स्ट्रेस के दौरान जब आपकी हृदय गति बढ़ जाती है तो कोशिकाओं को सक्रिय बनाए रखने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए शरीर के माध्यम से ज्यादा ब्लड पंप किया जाता है।

मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जिससे उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है।

तनाव का प्रभाव श्वसन प्रणाली पर

स्ट्रेस हार्मोन आपके श्वसन तंत्र को भी प्रभावित करते हैं। स्ट्रेस होने पर शरीर में अधिक ऑक्सीजन युक्त ब्लड पम्प होता है जिससे तेजी से सांस आने लगती है। यदि आपको पहले से ही सांस लेने में दिक्कत होती थी तो लक्षण और भी बिगड़ सकते हैं।

केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) पर स्ट्रेस का प्रभाव पड़ता है

शरीर के लिए केंद्रीय तंत्रिका तंत्र काफी अहम होता है। तनाव की स्थिति में आपका शरीर जिस तरह से काम करता है या रिस्पॉन्स करता है उसके लिए यही सेंट्रल नर्वस सिस्टम जिम्मेदार है। क्रोनिक स्ट्रेस के चलते अंगों की कार्य क्षमता कभी-कभी बाधित हो जाती है और यह पूरे शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है।

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स्ट्रेस को कैसे करें दूर?

हैलो स्वास्थ्य ने इस बारे में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के सर सुंदरलाल हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ. जयसिंह यादव से बात की। डॉ. जयसिंह ने बताया कि, ‘तनाव किसी भी घटना के कारण होने वाला मानसिक बदलाव है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने लगता है।

ऐसे में व्यक्ति को अपने खानपान पर ध्यान देना चाहिए। कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन्हें खाने पर चिंता और तनाव में कमी आ सकती है। इसलिए चिंता और तनाव की स्थिति में ऐसे फूड्स का सेवन करना सही रहता जो स्ट्रेस को कम करने की शक्ति रखते हैं। इसके साथ ही मेडिटेशन और योगा करने से भी स्ट्रेस से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है।”

स्ट्रेस से जुड़े कुछ तथ्य

  • तनाव का प्रभाव शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों स्तर पर हो सकता है।
  • कुछ समय के लिए लिया गया स्ट्रेस फिर भी शरीर को इतना नुकसान नही पहुंचता है लेकिन लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने पर विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
  • हम कुछ सेल्फ-मैनेजमेंट टिप्स सीखकर स्ट्रेस से लड़ने की तैयारी कर सकते हैं।
  • दुनिया की 80% आबादी ने अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कभी ना कभी तनाव का अनुभव किया ही होता है।
  • 15 से 25 साल की उम्र के कई लोगों ने स्ट्रेस मैनेजमेंट को सीख लिया है लेकिन अगर आप इस उम्र तक स्ट्रेस मैनेजमेंट नहीं सीख पाते हैं, तो बाद में आपके लिए तनाव को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है।
  • अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) द्वारा किए गए वार्षिक स्ट्रेस सर्वेक्षण के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.) में औसत स्ट्रेस का स्तर 2015 में 1 से 10 के पैमाने पर 4.9 से 5.1 तक बढ़ गया था। इस बढ़े हुए स्तर का मुख्य कारण बेरोजगारी और आर्थिक तंगी था।
  • महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं (mental health problems) होने की अधिक संभावना होती है। इनमें तनाव (stress), अवसाद, चिंता का भी खतरा रहता है।
  • 2017 में हुई एक स्टडी के अनुसार भारत में लगभग 89 प्रतिशत लोग स्ट्रेस की समस्या से जूझ रहे हैं जिसका सबसे बड़ा कारण उनकी आर्थिक स्थिति और काम का प्रेशर है।
  • वहीं, तनाव के मामले में विश्व में दिल्ली 142वें, बेंगलुरु 130वें और कोलकाता 131वें स्थान पर हैं।

उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्ट्रेस के बॉडी पर असर से संबंधित जानकारी आपको मिल गई होगी। अधिक जानकारी के लिए आप हमारे एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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https://www.mentalhealth.org.uk/publications/how-manage-and-reduce-stress/Accessed on 11th May 2o2o

Current Version

05/11/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Shivam Rohatgi


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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/11/2020

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