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अगर दिखाई दे रहे हैं ये लक्षण तो हायपोगोनाडिज्म (Hypogonadism) की हो सकती है आशंका

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/02/2021

    अगर दिखाई दे रहे हैं ये लक्षण तो हायपोगोनाडिज्म (Hypogonadism) की हो सकती है आशंका

    हायपोगोनाडिज्म उस स्थिति को कहते हैं जब सेक्स ग्लांड्स सेक्स हॉर्मोन्स को प्रोड्यूस नहीं करती या बहुत कम मात्रा में करती हैं। सेक्स ग्लांड्स को गोनाड (gonads) भी कहा जाता है। पुरुषों में टेस्टीज (Testes) और महिलाओं में ओवरीज (ovaries) सेक्स ग्लांड्स हैं। बता दें कि सेक्स हॉर्मोन महिलाओं में ब्रेस्ट डेवलपमेंट वहीं पुरुषों में टेस्टिकुलर डेवलमेंट, प्यूबिक हेयर ग्रोथ के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही सेक्स हॉर्मोन्स मासिक धर्म और स्पर्म प्रोडक्शन के लिए भी जरूरी हैं। सेक्स हॉर्मोन्स की कमी को गोनाड डेफिसिएंशी (gonad deficiency) भी कहा जाता है। पुरुषों में ये समस्या होने पर इसे लो सीरम टेस्टोस्टेरोन (low serum testosterone) भी कहते हैं। ज्यादातर केसेज में मेडिकल ट्रीटमेंट के जरिए इस कंडिशन का इलाज हो जाता है, लेकिन समय पर इलाज ना कराने पर इसके परिणाम घातक भी हो सकते हैं।  इस आर्टिकल में इस कंडिशन के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। सबसे पहले जानते हैं इसके प्रकार के बारे में।

    हायपोगोनाडिज्म के प्रकार (types of hypogonadism)

    हायपोगोनाडिज्म दो प्रकार का होता है प्राइमरी और सेंट्रल। आइए जानते हैं दोनों के बारे में।्र

    और पढ़ें: Growth Hormone Test: ग्रोथ हॉर्मोन टेस्ट क्या है?

    प्राइमरी हायपोगोनाडिज्म (Primary hypogonadism)

    हायपोगोनाडिज्म

    प्राइमरी हायपोगोनाडिज्म का मतलब है कि गोनाड में किसी परेशानी के चलते बॉडी में सेक्स हॉर्मोन्स में कमी। गोनाड को ब्रेन से हॉर्मोन प्रोड्यूस करने के लिए मैसेज रिसीव हो रहा है, लेकिन वे हॉर्मोन को प्रोड्यूस करेन में सक्षम नहीं हैं।

    सेंट्रल या सेकेंड्री हायपोगोनाडिज्म (Central or secondary hypogonadism)

    सेंट्रल हायपोगोनाडिज्म का मतलब है कि परेशानी मतिष्क से शुरू हो रही है। यानी पिट्यूटरी ग्रंथि (pituitary gland) और हायपोथैलेमस ( hypothalamus) जो गोनाड (gonads) को नियंत्रित करती हें वे ठीक से काम नहीं कर रही हैं।

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    हायपोगोनाडिज्म के कारण क्या हैं? What are the causes of hypogonadism?

    प्राइमरी हायपोगोनाडिज्म के कारण निम्न हैं।

  • ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (autoimmune disorders) जिनमें एडिसन डिजीज (Addison’s disease) और हायपोपैराथायरॉइडिज्म (hypoparathyroidism) शामिल है।
  • जेनेटिक डिसऑडर्स जिसमें टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome) और क्लिनेफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter syndrome) शामिल है।
  • टेस्टिकल्स में होने वाला सीवियर इंफेक्शन
  • लिवर और किडनी डिजीज (Liver and kidney disease)
  • रेडिएशन एक्सपोजर (radiation exposure)
  • सेक्शुअल ऑर्गन की सर्जरी
  • हेमोक्रोमैटोसिस (hemochomatosis), ये तब होता है जब बॉडी बहुत अधिक आयरन को एब्जॉर्ब करती है
  • और पढ़ें: BHRT: बायो-आइडेंटिकल हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी क्या होता है? क्या यह सेफ है?

    सेंट्रल हायपोगोनाडिज्म (Central hypogonadism) के कारणों में निम्न शामिल हैं।

    • जेनेटिक डिसऑर्डर जैसे कि कल्मन सिंड्रोम (Kallmann syndrome)
    • सीवियर इंफेक्शन जैसे कि एचआईवी (HIV)
    • पिट्यूटरी डिसऑर्डर
    • इंफ्लामेट्री डिजीज जिसमें ट्यूबरक्लोसिस (tuberculosis), हिस्टिओसाइटोसिस (histiocytosis) शामिल है।
    • मोटापा (obesity)
    • अचानक से वजन कम होना
    • पोषक तत्वों की कमी
    • स्टेरॉइड्स और ऑपिऑइड्स का उपयोग (Use of steroids and opioids)
    • ब्रेन सर्जरी
    • रेडिएशन एक्सपोजर
    • पिट्यूटरी ग्रंथि के पास ट्यूमर
    • पिट्यूटरी ग्रंथि और हायपोथैलामस के पास इंजरी

    और पढ़ें: हार्मोनल ग्लैंड के फंक्शन में है प्रॉबल्म, एंडोक्राइन डिसऑर्डर का हो सकता है खतरा

    हायपोगोनाडिज्म के लक्षण क्या हैं? symptoms of hypogonadism

    महिलाओं में हायपोगोनाडिज्म के लक्षण निम्न हैं।

    पुरुषों में दिखाई देने वाले लक्षण निम्न हैं।

    • बॉडी पर बाल कम होना
    • मसल्स लॉस
    • असामान्य स्तनों का विकास
    • पीनस और टेस्टिकल्स के विकास में कमी
    • इरेक्टाइल डिसफंक्शन (erectile dysfunction)
    • ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis)
    • सेक्स ड्राइव में कमी (Low sex drive)
    • इनफर्टिलिटी (infertility)
    • थकान (fatigue)
    • हॉट फ्लैशेज
    • ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी

    और पढ़ें: एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट क्या होता है, क्यों पड़ती है इसकी जरूरत?

    हायपोगोनाडिज्म का निदान कैसे किया जाता है? (how is hypogonadism diagnosed)

    आपका डॉक्टर एक फिजिकल एग्जाम के जरिए यह कंफर्म करेगा कि उम्र के अनुसार आपका सेक्शुअल डेवलपमेंट हुआ है या नहीं। डॉक्टर मसल्स मास, बॉडी हेयर और सेक्शुअल ऑर्गन्स को भी एक्जामिन कर सकते हैं। इसके अलावा भी कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं।

    हॉर्मोन टेस्ट (Hormone test)

    हायपोगोनाडिज्म

    अगर डॉक्टर को लगता है कि हायपोगोनाडिज्म हो सकता है तो वे सबसे पहले सेक्स हॉर्मोन के लेवल को चेक करेंगे। आपको इसके लिए ब्लड टेस्ट करने की जरूरत होगी जिसमें फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (follicle-stimulating hormone) (FSH) और ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन (luteinizing hormone) के लेवल को चेक किया जाएगा। हमारी पिट्यूटरी ग्लांड इन हॉर्मोन्स का निर्माण करती है।

    महिलाओं में एस्ट्रोजन (estrogen level) के लेवल को चेक किया जाता है। वहीं पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का लेवल। ये टेस्ट सुबह के समय किए जाते हैं क्योंकि इस समय ये हॉर्मोन उच्च स्तर पर होते हैं। पुरुषों के लिए डॉक्टर सीमेन एनालिसिस के लिए भी कह सकते हैं क्योंकि हायपोगोनाडिज्म स्पर्म काउंट को कम कर सकता है।

    इनके अलावा दूसरे कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट करने के लिए भी कह सकता है। आयरन लेवल भी सेक्स हॉर्मोन्स को प्रभावित करता है। इस कारण आयरन लेवल को टेस्ट किया जा सकता है। इसके अलावा प्रोलेक्टिन के लेवल की भी जांच की जा सकती है। यह मेल और फीमेल दोनों में प्रेजेंट होता है। थायरॉइड हॉर्मोन के लेवल की भी जांच करवाई जा सकती है। थायरॉइड की बीमारी हायपोगोनाडिज्म के समान लक्षण पैदा कर सकती है।

    इमेजिंग टेस्ट्स (imaging tests)

    डायग्नोसिस के लिए इमेजिंग टेस्ट भी मददगार हो सकते हैं। अल्ट्रासाउंड के द्वारा ओवरी में होने वाली किसी भी प्रॉब्लम जैसे कि ओवेरियन सिस्ट (ovarian cysts) और पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome) का पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर एमआरआई या सीटी स्कैन के लिए भी कह सकते हैं। इससे पिट्यूटरी ग्रंथि में होने वाले ट्यूमर के बारे में पता चल जाएगा।

    हायपोगोनाडिज्म का उपचार क्या है? (treatments for hypogonadism?)

    महिलाओं में हायपोगोनाडिज्म का उपचार (Treatment for female hypogonadism)

    महिलाओं में ट्रीटमेंट सेक्स हॉर्मोन को बढ़ाने के लिए दिया जाता है। यदि आपको हिस्टरेक्टमी (hysterectomy) है तो आपका पहला ट्रीटमेंट एस्ट्रोजन थेरिपी हो सकती है। जिसमें पैचेज या एस्ट्रोजन सप्लिमेंट्स दिए जा सकते हैं। अगर महिला को हिस्टेक्टॉमी नहीं है तो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का संयोजन दिया जा सकता है।

    विशेष लक्षणों के लिए दूसरे ट्रीटमेंट्स दिए जा सकते हैं। अगर आपकी सेक्स ड्राइव कम है तो टेस्टोस्टेरॉन का लो डोज दिया जा सकता है, पीरियड अनियमित होने, कंसीव करने में परेशानी होने पर ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन  (human choriogonadotropin) के इंजेक्शन या ऑव्युलेशन को ट्रिगर करने के लिए पिल्स दी जा सकती हैं।

    और पढ़ें: Hormonal Imbalance: हार्मोन असंतुलन क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

    पुरुषों में हायपोगोनाडिज्म का उपचार (Treatment for male hypogonadism)

    टेस्टोस्टोरॉन प्रमुख सेक्स हॉर्मोन है।पुरुषों में हायपोगोनाडिज्म के उपचार के लिए टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट थेरिपी को ट्रीटमेंट के तौर पर यूज किया जाता है। टेस्टोस्टेरॉन रिप्लेसमेंट थेरिपी इंजेक्शन, पैच, जेल और चूसने वाली दवाओं (lozenge) के रूप में दी जा सकती है। अगर महिला और पुरुष दोनों में से किसी के भी हायपोगोनाडिज्म का कारण पिट्यूटरी ग्रंथि में ट्यूमर है तो दोनों को निम्न ट्रीटमेंट रिकमंड किए जाते हैं।

    • रेडिएशन
    • मेडिकेशन
    • सर्जरी

    हायपोगोनाडिज्म एक ऐसी कंडिशन है जिसका इलाज संभव है, लेकिन इसको लंबे ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अगर बीच में ट्रीटमेंट बंद कर दिया जाए तो सेक्स हॉर्मोन का लेवल कम हो सकता है।उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और हायपोगोनाडिज्म से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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