अक्सर लोग जोड़ों में होने वाले दर्द को अर्थराइटिस की समस्या समझते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि जोड़ों में दर्द की समस्या केवल अर्थराइटिस हो, आपको उसका एडवांस स्टेज भी हो सकता है। हम बात कर रहे हैं यहां आज माइग्रेटरी अर्थराइटिस (Migratory arthritis) की, जाे अर्थराइटिस होने के कारण होता है। आर्थराइिटस में केवल शरीर के किसी एक जाेड़ में दर्द होता है,लेकिन जब वो धीरे-धीरे शरीर की दूसरी जगाहों मे फैलने लगे तो, वो माइग्रेरी अर्थराइटिस का संकेत हो सकता है। जानें इसके बारे में कि यह है क्या और किन कारणों से लाेगों में होता है। लेकिन इसी के साथ यह भी जान लें कि जरूरी नहीं है कि शरीर में होने वाल हर दर्द अर्थराइटिस से जुड़ा हो। आइए जानते हैं इसके बारे में:
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माइग्रेटरी अर्थराइटिस क्या है (What is migratory arthritis)?
माइग्रेटरी अर्थराइटिस (Migratory arthritis) शरीर में होने वाली वो स्थिति होती है, जिसमें गठिया के कारण होने वाला दर्द और सूजन एक जोड़ से दूसरे जोड़ में फैलने लगता है। इस प्रकार के अर्थराइटिस में, हो सकता है कि दूसरे जोड़ों में दर्द शुरू होने से पहले आपको जिस जोड़ में दिक्कत थी, उसमें आराम महसूस हो। लेकिन अंदरूनी रूप से दर्द फैल रहा हो। माइग्रेटरी अर्थराइटिस (Migratory arthritis) उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है, जिन्हें पहले से किसी प्रकार का अर्थराइटिस हो रखा हो। यह उनमें किसी गंभीर बीमारी का कारण भी बन सकता है।
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अर्थराइटिस के रूप (Forms of arthritis)
गठिया सूजन के साथ होने वाले दर्द का एक रूप है। इसमें हड्डियों के बीच के हिस्से में सूजन आ जाती है। कुछ स्थितियों में माइग्रेटरी अर्थराइटिस (Migratory arthritis) का रिस्क और भी बढ़ जाता है, जैसे कि:
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)
जॉइंट्स को कवर करने वाले कार्टिलेज cartilage के क्षति पहुचने पर, यह समस्या हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जोड़ों में इन्फ्लमैशन बढ़ जाता है। फिर जिससे हड्डियों के सिरों पर मौजूद सुरक्षा कवच जो कुशनिंग का काम करते हैं, वो डैमेज हो जाते हैं। इसका एक कारण है, लोगों कि बढ़ती उम्र। अधिक उम्र वालों को ऐसा होता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण
- रैशेज
- सूजन होना
- जोड़ों में दर्द होना
- बुखार होना
- ठंड लगना
- प्रभावित हिस्से में जलन महसूस होना
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सेप्टिक अर्थराइटिस (Septic Arthritis)
सेप्टिक अर्थराइटिस, अर्थराइटिस जीवाणु, वायरस या कवक के कारण होता है। इसे इनफेक्शियस अर्थराइटिस भी कहते हैं। इसमें जोड़ों में फंगल इंफेक्शन हो जाता है। जोकि शरीर में यात्रा के दौरान प्रवेश करने वाले इंफेक्शन का सबसे ज्यादा खतरा होता है। कुछ जर्म त्वचा, कान और गले के माध्यम के शरीर में प्रेवश कर जाते हैं। जो पहले से रही चुकी अर्थराइटिस की समस्या को और बढ़ा देती है।
सेप्टिक अर्थराइटिस के लक्षण
सेप्टिक अर्थराइटिस के लक्षण कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि:
- ठंड लगना
- थकान और कमजोरी महसूस होना
- बुखार आना
- चलने में दिक्कत महसूस होना
- सूजन होना
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गोनोकोकल गठिया (Gonococcal Arthritis)
गोनोकोकल अर्थराइटिस जोड़ों में इफेक्शन के कारण होता है। इस प्रकार का गठिया उन लोगों में विकसित होने का खतरा ज्यादा होता है, जिन्हें गोनोरिया होता है, जो एक विशिष्ट बैक्टीरिया, नीसेरिया गोनोरिया के कारण होता है।
गोनोकोकल गठिया के लक्षण इस प्रकार हैं, जैसे कि:
- जोड़ों में लालपन और सूजन होना
- जोड़ों में दर्द होना
- बुखार होना
- ठंड लगना
- प्रभावित हिस्से में जलन महसूस होना
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रुमैटिक अर्थराइटिस (Rheumatic Fever )
रुमैटिक फीवर एक इंफ्लामेटरी डिजीज है। इसका असर हार्ट, मस्तिष्क के अलावा जोड़ों पर भी पड़ता है। इसमें होने वाले इंफेक्शन से आपकी रूमैटिक की समस्या माइग्रेटरी अर्थराइटिस (Migratory arthritis) में बदल जाती है।
रुमैटिक फीवर के लक्षण
रुमैटिक फीवर के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- बुखार
- घुटनों, टखनों, कोहनी और कलाई में दर्द होना
- सूजन
- थकान
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रिएक्टिव अर्थराइटिस (Reactive Arthritis)
रिएक्टिव अर्थराइटिस, स्पोंडिलारोपैथी, गठिया का एक प्रकार है। जो शरीर में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है। इसमें प्रभावित हिस्से में सूजन और लालीमा आ जाती है। यह भी बैक्टेरियल इंफेक्शन होने के कारण होता है।
- जोड़ों में लालपन
- सूजन आ जाना
- जोड़ों में दर्द होना
- बुखार होना
- ठंड लगना
- प्रभावित हिस्से में जलन महसूस होना
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ये डिजीज माइग्रेटरी अर्थराइटिस का कारण बन सकती हैं (Illness Causes Arthritis)
गठिया होने पर निश्चित रूप से जोड़ों में फैलने वाला दर्द माइग्रेटरी अर्थराइटिस का कारण हो सकता है। पर यह जरूरी है नहीं है कि यही इसका एकमात्र कारण हो। आमतौर पर रूमाइिटस फीवर भी इसके माइग्रेटेरी अर्थराइटिस का कारण हो सकता है। इसमें जॉइंट पेन और सूजन बढ़ जाती है।
इसके अलावा, माइग्रेटरी अर्थराइटिस(Migratory arthritis) के और भी बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जैसे कि:
- इंफ्लेमेटरी बाउल सिंड्रोम inflammatory bowel disease (IBD)
- हेपाटाइटिस बी एंड सी hepatitis B and C
- किसी प्रकार का बेक्टेरियल इंफेक्शन
- कोई क्रॉनिक हेल्थ कंडिशन
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माइग्रेटरी अर्थराइटिस (Migratory arthritis) का पता कैसे लगाएं
इसका सबसे पहला दिखने वाला लक्षण जोड़ों में दर्द है। पर यह जरूरी नहीं है कि दर्द का अर्थ केवल अर्थराइटिस का ही नहीं है, बल्कि किसी और डिजीज के कारण भी हो सकता है। इसमें दर्द एक से दूसरे हड्डी तक पहुंच जाता है। माइग्रेटरी अर्थराइिट में कुछ और भी लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे कि:
- सूजन की समस्या
- चकत्ते की समस्या
- बुखार की समस्या
- वजन का बढ़ना
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उपचार (Treatment)
सबसे पहले इसमें दर्द का उपचार करें ताकि आपको कुछ आराम मिल सकें। जिसके लिए आप पेन किलर ले सकते हैं। पर यह इसका इलाज नहीं है। आप इसके लिए डाॅक्टर से मिलें। डॉक्टर आपको मेडिसन दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैं- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी), जैसे कि इबुप्रोफेन, दर्द और सूजन दोनों के इलाज में प्रभावी हो सकता है। नेप्रोक्सन गठिया के सूजन का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक आम नुस्खे की दवा है। तत्काल दर्द से राहत के लिए, आपका डॉक्टर सामयिक क्रीम भी लिख सकते हैं।
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लाइफस्टाइल में बदलाव (Lifestyle Changes)
माइग्रेटरी अर्थराइटिस का कारण जानने के बाद ट्रीटमेंट किया जा सकता है। माइग्रेटरी अर्थराइटिस(Migratory arthritis) के उपचार में दवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लेकिन उसके साथ आपकी जीवनशैली में सुधार भी बहुत जरूरी है। आप अच्छी नींद लें और अपने खानपान का ध्यान रखें। अपने डायट में ओमेगा -3 फैटी एसिड शामिल करें। यह अच्छे बोन हेल्थ के आलावा सूजन की समस्या को भी दूर करता है। इसके अलावा अपने वर्कआउट पर भी ध्यान दें। आप योगा करें। इससे आपको जोड़ों के दर्द की समस्या में बहुत आराम मिलेगा। इसके अलावा आप भरपूर नींद लें।
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बढ़ती उम्र के साथ लोगों में यह समस्या काफी बढ़ती जा रही है। हम यह नहीं है सकते हैं कि यह प्रॉब्लम केवल बढ़ती उम्र के लोगों में ही होती है। आजकल यह किसी भी उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है। अगर समस्या ज्यादा है, तो आपको समय रहते डॉक्टर से मिलना चाहिए। ताकि प्रॉब्लम आगे न बढ़ें। आपको अर्थराइटिस का इलाज करना है या अधिक जानकारी चाहिए, तो अपने डॉक्टर से बात करें और अपने लाइफस्टाइल में भी सुधार लाएं।