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बदबूदार जूता सूंघाने या CPR देने से पहले, जरूर जानें मिर्गी से जुड़े मिथक

बदबूदार जूता सूंघाने या CPR देने से पहले, जरूर जानें मिर्गी से जुड़े मिथक

एपिलेप्सी (Epilepsy), यानी मिर्गी से जुड़े मिथक कई हैं, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है। अक्सर आपने अपने आस-पास या कभी किसी को कहते हुए सुना ही होगा कि, फलाने शख्स को मिर्गी के दौरे आते रहते हैं। जिससे आपको दूर रहने की भी हिदायत दे दी जाती है। ग्रामीण इलाकों में आज भी मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को एक अलग नजरिए से देखा जााता है। गांव के लोग ऐसे घरों के लोगों में आने-जाने और कुछ खाने-पीने की वस्तुएं साझा करने से भी कतराते हैं।

आखिर ये सारी बातें मिर्गी से जुड़े मिथक (Epilepsy Myths) की वजह से फैली हुई हैं या फिर इसके पीछे किसी गंभीर समस्या का कारण छिपा हो सकता है? बता दें कि, हर साल फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह के सोमवार का दिन अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (International Epilepsy Day) के तौर पर मनाया जाता है। इसी तरह भारत में हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों के बीच मिर्गी से जुड़े मिथक को दूर करने और मिर्गी का उपचार करने के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में हम आपको मिर्गी से जुड़े मिथक के बारे में बता रहे हैं।

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मिर्गी से जुड़े मिथक (Epilepsy Myths) जानने से पहले क्या है मिर्गी का रोग?

मिर्गी को अपस्मार भी कहा जाता है। इसके अलावा मिर्गी को अंग्रेजी में एपिलेप्सी (Epilepsy) के नाम से जाना जाता है। मिर्गी मस्तिष्क (ब्रेन) से जुड़ा एक क्रोनिक रोग है, जिससे पीड़ित व्यक्तियों को दौरे की स्थिति से गुजरना पड़ता है। ‘एबनॉर्मल इलेक्ट्रिकल एक्टीविटी’ यानी विद्युत प्रवाह की गड़बड़ी के कारण जब ब्रेन के न्यूरॉन्स (मस्तिष्क की कोशिकाओं) में अचानक, असामान्य और अत्यधिक तेज से विद्युत प्रवाह बढ़ जाता है, तो इसके कारण व्यक्ति बेहोश हो जाता है या उसे दौरे आने लगते हैं और मुंह से झाग निकलने लगता है। कुछ लोग मिर्गी का दौरा आने पर एक दिशा की तरफ चलना शुरू कर देते हैं। मिर्गी की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति, महिला, पुरुष और छोटे बच्चों में हो सकता है। हालांकि, मिर्गी की समस्या का विकास और जोखिम अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं।

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हमारे बीच मिर्गी से जुड़े मिथक किस प्रकार फैले हुए हैं?

जानकर हैरानी होगी कि मिर्गी के रोगियों की 90 फीसदी संख्या ग्रामीण इलाकों से ही है, लेकिन इसके बाद भी ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग मिर्गी की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का इलाज कराने की बजाय उसे बाबाओं के पास झाड़-फूंक जैसे तंत्र-मंत्र के लिए ले जाते हैं। वहां पर आज भी लोग मिर्गी की बीमारी को भूत-प्रेत का साया मानते हैं और यही वजह से उचित समय पर उपचार के अभाव के कारण कई बार मृत्यु भी हो जाती है।

मिर्गी से जुड़े मिथक कई हैं जिनके बारे में हम आपको बता रहे हैं, जिनमें शामिल हैंः

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1. मिर्गी की बीमारी आनुवांशिक है, लेकिन कितनी यह जानना जरूरी है

सबसे पहले तो, मिर्गी से जुड़े मिथक में यही बताएंगे कि, बहुत से लोगों को लगता है कि मिर्गी की बीमारी एक आनुवांशिक स्थिति है। यानी अगर किसी बच्चे के परिवार में उसके माता, पिता या पिता के परिवार में किसी सदस्य को मिर्गी की बीमारी थी, तो उस बच्चे में भी मिर्गी के दौरे पड़ने के जोखिम हो सकते हैं। हालांकि, इस बात में सच्चाई तो है लेकिन लोगों के पास इसकी सिर्फ आधी ही जानकारी है। मिर्गी की बीमारी आनुवांशिक स्तर पर बहुत ही कम मामलों में देखी जाती है। सामान्य तौर पर, मिर्गी के दौरे का कारण ब्रेन की नसों और कोशिकाओं को क्षति यानि किसी तरह के नुकसान पहुंचने के कारण हो सकता है। नर्व सेल्स को प्रभावित करने वाले तमाम कारण जैसे, असामान्य मस्तिष्क विकास, कोई बीमारी या सिर के अंदरूनी लगी कोई गहरी चोट मिर्गी के बीमारी और मिर्गी के दौरे का कारण बन सकती है। यहां तक कि, ब्रेन ट्यूमर, दिमागी बुखार, सामान्य बुखार, अल्जाइमर रोग, शराब के कारण किसी तरह का संक्रमण होना भी मिर्गी के रोग का कारण बन सकता है। तो अब से याद रखें कि मिर्गी की बीमारी हमेशा आनुवांशिक नहीं हो सकती है, बल्कि यह तथ्य मिर्गी से जुड़े मिथक में शामिल है।

2.मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी एक संक्रामक बीमारी है

आंकड़ों पर गौर करें तो, विश्व भर में मिर्गी की समस्या पांच करोड़ से भी ज्यादा लोगों को प्रभावित किए हुए है, जिनमें से लगभग 80 फीसदी मरीजों की संख्या कम और मध्य आय वाले देशों में रहते हैं। इनमें ग्रामीण तबके ज्यादा शामिल हैं। अधिकांश लोग मिर्गी की समस्या को एक संक्रामक बीमारी मानते हैं और यही वजह है कि इससे पीड़ितों से अन्य लोग दूरी बना कर रखते हैं। मिर्गी से जुड़े मिथक की यह समस्या न सिर्फ भारत बल्कि ब्रिटेन, फ्रांस और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में भी फैली हुई है।

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3. मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी आने पर व्यक्ति के मुंह में जबरन चीजें डालनी चाहिए

मिर्गी से जुड़े मिथक में यह सबसे खतरनाक भी हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा आता है, तो उसके साथ किसी भी तरह की जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। बल्कि, उसे धीरे-धीरे एक समतल स्थान पर लेटाना चाहिए और किसी तरह के सहारे से सिर के हिस्से को थोड़ा ऊंचा रखना चाहिए। अक्सर ऐसा सुना जाता है और देखा भी गया है कि मिर्गी आने पर व्यक्ति के मुंह में जबरन स्टील का चम्मच या गंदे और बदबूदार मोजे डालने की कोशिश की जाती है। ऐसा करना पूरी तरह गलत होता है। बल्कि अगर व्यक्ति के मुंह में कुछ फंसा हुआ हो, तो उसे मुंह से बाहर निकालना चाहिए, ताकि उसे सांस लेने में किसी तरह की परेशानी न हो।

4.मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी का दौरा पड़ते समय रोगी को जोर से पकड़ना चाहिए

ध्यान रखें कि, मिर्गी के दौरे आने पर व्यक्ति को जोर से पकड़े या दबाएं नहीं। लोगों में मिर्गी से जुड़े मिथक इसलिए फैला हुआ है, क्योंकि उन्हें लगता है कि मिर्गी का दौरा आने पर व्यक्ति पागलों की तरह हरकत कर सकता है या इधर-उधर भागने की कोशिश कर सकता है या आस-पास मौजूद लोगों को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, जो कि सिर्फ मिर्गी के जुड़े मिथक ही हैं। जबकि, मिर्गी का दौरा आने पर व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर लिटाना चाहिए। उसके आस-पास मौजूद किसी भी तरह की खतरनाक वस्‍तु को हटा देना चाहिए। अगर उसने बहुत ज्यादा कसे हुए कपड़े पहने हैं, तो उसके कपड़े ढ़ीले करें। साथ ही, अगर गले में कोई टाई या स्कार्फ है, तो उसे भी हटा दें और आंखों पर लगा हुआ चश्मा भी उतार दें। आमतौर पर मिर्गी का दौरा 5 मिनट तक रहता है। जिसके बाद व्यक्ति अपने आप होश में आ जाता है और फिर से साधारण हो जाता है, लेकिन अगर मिर्गी का दौरा इससे अधिक समय तक रहता है तो उसे तुरंत अस्‍पताल ले जाना चाहिए।

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5. मिर्गी आने पर व्यक्ति का शरीर ऐंठ जाता है

ऐसा नहीं है। यह सिर्फ मिर्गी से जुड़े मिथक हैं। दरअसल, मिर्गी का प्रभाव और प्रकार अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा, मिर्गी के दौरे के कई प्रकार के होते हैं। कुछ मामलों में रोगी की संवेदनाएं बदल जाती हैं, तो कुछ मामलों में रोगी की संवेदनाएं दोगुनी बढ़ भी सकती हैं। हालांकि मिर्गी के कई मामलों में रोगी के शरीर में ऐंठन की समस्या होनी भी काफी सामान्य स्थिति होती है। इसके अलावा, कुछ रोगियों में मिर्गी के दौरे आने के दौरान मुंह से झाग निकलता है, तो कुछ के मुंह से कोई झाग नहीं निकलता है।

6. मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी के मरीज मानसिक रूप से कमजोर होते हैं

यह भी मिर्गी से जुड़े मिथक ही हैं। मिर्गी की स्थिति किसी में भी दिमाग में असंतुलन के कारण होती है। इसकी स्थिति में ब्रेन की तंत्रिका कोशिकाएं कुछ समय के लिए प्रभावित हो जाती हैं जिससे मरीज की भावना, उत्‍तेजना और व्‍यवहार में बदलाव आ सकता है। इसी के ही कारण कुछ मरीज अपने दिमाग का संतुलन भी खो सकते हैं। हालांकि, उनके दिमाग पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा यह ब्रेन की तंत्रिकाओं को पहुंचने वाले नुकसान पर निर्भर कर सकता है। यह भी ध्यान रखें कि मेंटल रीटार्डेशन की समस्या से पीड़ित लोगों में भी मिर्गी के दौरे की समस्या हो सकती है, लेकिन मिर्गी की समस्या कभी भी मानसिक रूप से कमजोरी आने का कारण नहीं बन सकता है।

7. मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी का दौरा ऊपरी हवा या जादू टोने के कारण आता है

मिर्गी से जुड़े मिथक की ये बातें न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि, शहरी इलाकों में भी फैली हुई हैं। सबसे पहले तो यह समझ लें कि मिर्गी की समस्या एक मेडिकल समस्या है। इसे एक तरह से मानसिक रोग का प्रकार समझ सकते हैं जो दिमाग के शॉर्ट सर्किट होने के कारण होता है।

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8. मिर्गी से जुड़े मिथक- मिर्गी से पीड़ित रोगी सामान्य जीवन नहीं जी सकते

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति, बच्चे या महिला के साथ सामान्य व्यवहार करने से कतराते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि मिर्गी के कारण अब वे सामान्य लोगों की तरह जीवन नहीं जी सकते हैं। जिसकी वजह से कई लोग अपने बच्चे को स्कूल भेजने या दूसरे सामान्य बच्चों के साथ खेलने-कूदने से भी मना करते हैं। यहां तक कई मामलों में मिर्गी से पीड़ित महिलाओं और पुरुषों की शादी तक भी नहीं कराई जाती है।

मिर्गी से जुड़े मिथक ऐसे हैं जो एक बार आपको कई तरह की बातों पर विचार करने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इन मिथकों पर भरोसा न करें।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको मिर्गी से जुड़े मिथक से किसी भी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Epilepsy. https://www.cdc.gov/healthyschools/bam/diseases/epilepsy.html. Accessed on 08 February, 2020.

Current Version

17/05/2021

Ankita mishra द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/05/2021

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