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दांत टेढ़ें हैं, पीले हैं या फिर है उनमें सड़न हर समस्या का इलाज है यहां

दांत टेढ़ें हैं, पीले हैं या फिर है उनमें सड़न हर समस्या का इलाज है यहां

दांतों में कैविटी, सड़न दर्द बहुत ही आम बात हो गई है। इनके कारण दांतों का टूटना, टेढ़ा-मेढ़ा होना या उनमें पीलापन भी हो सकता है। दांत चूंकि आपकी पर्सनैलिटी के अभिन्न अंग है, इसलिए हर कोई इन्हें ठीक करने के लिए भरसक प्रयास भी केरता है। इसके साथ ही खाना चबाने और बोलने में भी दांत मददगार होते हैं। दांत ठीक करने के तरीके यदि आप भी जानना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा।

दांत ठीक करने के तरीके

खोखले दांतों को ठीक करने का तरीका

दांतों की फिलिंग्स (Fillings)

दांत ठीक करने के तरीके की बात की जाए तो फिलिंग का नाम हर कोई जानता है। फिलिंग में दांतों को कम्पोजिट और सोने व चांदी आदि से भरा जा सकता है। दांतों की सतह तक दांतों को अच्छे से भरा जाता है ताकि खाना चबाने में आसानी हो सके। जिन लोगों के दांतों की उपरी सतह यानी इनेमल खराब हो जाती है या सेंसिटिविटी बढ़ जाती है उन्हें फिलिंग के बाद बेहतर महसूस होता है। बता दें कि ​सस्ती फिलिंग आपको बाद में जाकर महंगी पड़ सकती है। मर्क्यूरी और सीसा आदि एक खतरनाक पदार्थ हैं, यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकते हैं।

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खराब आकार वाले दांतों के लिए क्या किया जाता है?

दांतों में गैप या दांत एक आकार में ना हो या एक पंक्ति में ना हो तो ऐसे दांत ठीक करने के तरीके हैं बॉन्डिंग, क्राउन, कैप या ब्रेसेस का इस्तेमाल किया जाता है।

बॉन्डिंग (Bonding)

आजकल सभी डेंटल प्रोसिजर में बॉन्डिंग का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक आसान तरीका होता है। बॉन्डिंग से दांतों में गैप, स्टेनिंग (staining), स्पलोचेस (splotches), चिप्स (chips), क्रूकडनेस (crookedness) आदि की समस्या को दूर किया जा सकता है। बॉन्डिंग में कंपोजिट फिलिंग को सीधे दांत के ऊपर लगाया जाता है। यह पॉलिश और फिनिशिंग के बाद दांत का हिस्सा लगने लगता है।

क्राउन या कैप

दांत यदि टूट जाए या खराब हो जाए उसे रिस्टोर करने के लिए क्राउन का उपयोग किया जाता है। रूट कैनाल वाले दांतों के साथ ही टेढ़े-मेढ़े दांतों पर क्राउन या कैप लगाया जाता है। मेटल के अलावा क्राउन पोर्सलिन, सिरेमिक, अक्रेलिक या कंपोजिट मटीरियल से बनाया जा सकता है। अच्छी देखभाल की जाने पर क्राउन पांच-छह साल चल जाता है। बता दें कि उम्र के बढ़ने या अन्य वजहों से जब दांत खराब हो जाते हैं तो क्राउन का इस्तेमाल किया जाता है। इसका उद्देश्य दांतों को रिपेयर करना और सुरक्षित रखना होता है।

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ब्रेसेस

दांत ठीक करने के तरीके में यह तरीका ज्यादातर लोगों की मुस्कुराहट में देखा जा सकता है। ब्रेसेस में नेचुरल दांतों को नुकसान नहीं पहुंचता है। ब्रेसेस की मदद से टेढ़े-मेढ़े दांतों को आकार दिया जाता है या यूं कहें इन्हें एक ही पंक्ति में लाया जाता है। ब्रेसेस मैटलिक, सिरेमिक, कलर्ड और लिंगुअल किसी भी प्रकार के आप चूज कर सकते हैं। वहीं यदि लिंगुअल ब्रेसेस की बात की जाए तो यह बाहर की तरफ से दिखाई नहीं देते क्योंकि यह अंदर की तरफ लगाए जाते हैं। दांतों में ब्रेसेस हटने के बाद रिटेनर्स लगाए जाते हैं। ब्रेसेस लगने और दांतों के एकरूप होने की इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगता है। जानकारी के लिए बता दें कि यदि आपको मेटल ब्रेसेस से शर्म आती है या आपको लगता है कि यह आपकी पर्सनैलिटी को खराब कर रहा है तो आप अलाइनर्स का उपयोग कर सकते हैं। अलाइनर्स को इनविजिबल ब्रेसेस भी कहते हैं यह दांतों के रंग के ही होते हैं। इसलिए यह अलग से नजर नहीं आते हैं। यदि लगात की बात की जाए तो लगात हजारों से लाखों में आ सकती है।

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नया दांत लगवाने के लिए क्या करें?

नया दांत लगाने के लिए ब्रिजेस, इम्प्लांट्स, डेंचर का इस्तेमाल किय जाता है।

ब्रिजेस

डेंटल ब्रिज, डेंटल इंप्लांट, पार्शियल डेंचर्स का उपयोग दांत बदलने के लिए किया जाता है। दांत ना होने के कारण आप अच्छे नहीं दिखती यह तो है। इसके साथ ही खाना चबाने और बोलने में भी दिक्कत होती है। यदि एक या उससे ज्यादा दांत मुंह में नहीं होते तो दूसरे दांत उनकी जगह लेने की कोशिश करते हैं। इससे दांतों की बनावट में भी फर्क पड़ता है। दांत दर्द, दांतों में सड़न, खाने में दिक्कत होना इनके कारण हो सकते हैं। यदि दांत निकलवा दिया है या निकल गया है चाहे जो भी कारण हो, आप नया दांत लगाना चाहते हैं तो ब्रिजेस का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जो दांत ना हो उसके आसपास के दांतों पर क्राउन लगा दिया जाता है। इसके बाद निकले हुए दांत को लगा दिया जाता है। यही ब्रिजेस की तकनीक है।

इम्प्लांट

इम्प्लांट में आसपास के दांतों के सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें टाइटेनियम से बनी स्क्रू शेप की डिवाइस मसूढ़े में फिट कर दी जाती है। इसी पर नया दांत लगाया जाता है। यह एक स्थायी और सुरक्षित उपचार है।

डेंचर्स

एक-दो दांतों का या बहुत सारे दांतों के लिए डेंचर्स का उपयोग किया जा सकता है। डेंचर में हिलते रहने और बाहर निकलने का डर रहता है। इस वजह से ये सुविधाजनक नहीं माने जाते।

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दांत के अंदर की तरफ के दागों के लिए

दांत के अंदर की तरफ के दागों को निकलाने के लिए विनीयर का उपयोग किया जाता है।

विनीयर

दांतों के पीलेपन, टेढ़े-मेढ़े दांत, टूटे-फूटे दांतों से आप परेशान हैं तो विनीर्स से आप इनसे निजाद पा सकते हैं। दांतों के अंदर के दागों को हटाने के लिए विनीयर (veneer) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक लेमिनेशन तकनीक है। दांतों के आकार-प्रकार के लिए भी विनीयर का उपयोग किया जाता है। विनियर पोर्सलिन की पानी जैसी पतली परत को कहते हैं। यह परत दांतों के ऊपर लगा दी जाती है। इसे लगाने के लिए इनेमल की एक परत हटा दी जाती है। बता दें कि कंपोजिट के मुकाबले सिरेमिक या पोर्सलिन विनियर ज्यादा अच्छे माने जाते हैं। इनेमल की एक परत हटाने के कारण विनीयर को जिंदगी भर लगान पड़ता है। एक विनीयर पांच-छह साल चल जाता है। दांत ठीक करने के तरीके में विनीयर पर काफी लोगों को भरोसा है।

खराब दांत यदि आपकी पर्सनैलिटी को भी प्रभावित कर रहे हैं तो दांत ठीक करने के ​तरीके अपनाकर आप उसे दुरुस्त कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले अपने डेंटिस्ट से जानकारी हासिल करने की इस तकनीक के नफे-नुकसान क्या हैं? और इस इलाज में आपको कितनी जेब ढीली करनी पड़ेगी?

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Current Version

08/07/2020

Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Mona narang


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/07/2020

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