मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। मां के दूध की तुलना किसी भी अन्य दूध से नहीं की जा सकती है। अगर पोषण और अच्छी प्रतिरोधक क्षमता की बात करें तो वो भी बच्चों को मां के दूध से ही मिलता है। किन्हीं कारणों से अगर बच्चे मां का दूध नहीं पी पाते हैं, तो अन्य विकल्प अपनाना पड़ सकता है। अन्य विकल्प के रूप में फॉर्मुला मिल्क भी दिया जाता है। कुछ लोग शिशुओं को फॉर्मुला मिल्क के स्थान में गाय का दूध देते हैं, जो पूरी तरह से गलत है। शिशुओं को गाय का दूध नहीं देना चाहिए। एक साल से पहले शिशु को गाय का दूध देना हानिकार साबित हो सकता है। शिशु में गाय के दूध की शुरुआत (Introduction of cow’s milk in infant) के बारे में अगर आप सोच रहे हैं, तो आपको कुछ बातों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। गाय का दूध बच्चों के लिए तो ठीक है लेकिन शिशुओं के मामले में ये नुकसान पहुंचा सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशु में गाय के दूध की शुरुआत (Introduction of cow’s milk in infant) के बारे में अहम जानकारी देंगे।
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शिशु में गाय के दूध की शुरुआत (Introduction of cow’s milk in infant)
आपका बच्चा जब तक एक साल का न हो जाए, तब तक उसे न तो गाय और न ही अन्य जानवर का दूध पिलाएं। एक साल से कम उम्र के बच्चे को मां का दूध पहले विकल्प के तौर पर देना चाहिए। अगर मां को दूध नहीं बन रहा है या फिर कोई अन्य समस्या है, तो ऐसे में फॉर्मुला मिल्क (Formula milk) विकल्प के तौर पर चुना जा सकता है क्योंकि इसमें जरूरी पोषण की मात्रा होती है। फॉर्मुला मिल्क (Formula milk) गाय के दूध की अपेक्षा सस्ता होता है, इसलिए लोग उसे चुनते हैं, जो कि सही नहीं है। गाय के दूध का सेवन आपके बच्चे को पूर्ण पोषण नहीं दे पाता है। एक साल के कम उम्र के बच्चे के लिए गाय के दूध का पाचन भी कठिन होता है। अगर आप छह माह के बच्चे को गाय का दूध पिलाएंगे, तो हो सकता है कि उसे दूध न पचे और पेट संबंधी समस्या शुरू हो जाए। गाय के दूध में अधिक मात्रा में पोटैशियम (Potassium), सोडियम और क्लोराइड होता है, जो बच्चे की किडनी के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होता है। अगर आप बच्चे को गाय का दूध पिलाना ही चाहते हैं, तो आप एक साल के बाद इसकी शुरुआत कर सकते हैं।बच्चे के लिए दूध का चुनाव करते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
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छह माह के बाद कर सकते हैं गाय के दूध का इस्तेमाल
अगर आपके परिवार में किसी को भी मिल्क इंटॉलरेंस या फिर एलर्जी की समस्या नहीं है, तो आपको बच्चे को गाय का दूध छह माह बाद दे सकते हैं। छह माह बाद बच्चे हल्के ठोस आहार खाना शुरू कर देते हैं। आप उनके फूड में भी गाय का दूध मिलाकर दे सकते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि एक साल तक बच्चे को मां का दूध या फॉर्मुला मिल्क ही देना चाहिए। गाय का दूध आप कुछ फूड्स में मिक्स करके दे सकती हैं। आप गाय के दूध की दलिया या फिर गाय के दूध से बनी खीर छह माह के बाद शिशु को खिला सकती हैं। शिशु में गाय के दूध की शुरुआत (Introduction of cow’s milk in infant) का ये बेहतर विकल्प है। अगर आपके मन में फिर भी शिशु में गाय के दूध की शुरुआत को लेकर प्रश्न हो, तो डॉक्टर से जरूर पूछें।
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शिशु में गाय के दूध की शुरुआत करने से पहले जान ले इसके फायदे
भले ही शिशुओं के लिए गाय का दूध पचाना कठिन होता हो लेकिन छह माह के बाद आप धीरे-धीरे गाय के दूध का इस्तेमाल शुरू कर सकते हैं। गाय के दूध में कैल्शियम (Calcium) प्रोटीन और विटामिन K के साथ-साथ विटामिन बी12 (Vitamin b12) और आयोडीन भी होती है। ये दूध पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसमें मैग्नीशियम भी होता है, जो बोंस डेवलपमेंट और मसल्स वर्क के लिए जरूरी होता है,। गाय के दूध में पाई जाने वाली व्हे और कैसीन (Casein) हाय बीपी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यूके नेशनल हेल्थ सर्विस रिकमेंड करती है कि एक से तीन साल तक के बच्चों को 350 मिलीग्राम गाय का दूध रोजाना पीना चाहिए। बोंस डेवलपमेंट में ये अहम भूमिका निभाता है। वहीं एडल्ट में गाय के दूध का सेवन कितना लाभकारी है, इसको लेकर अभी भी विवाद की स्थिति है।
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ध्यान दें कहीं गाय से दूध एलर्जी तो नहीं!
बच्चों को दूध से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है। गाय के दूध से एलर्जी भी सामान्य है। 0.3% से 7.5% शिशुओं को गाय के दूध से एलर्जी हो सकती है। अगर आप छह माह के बाद शिशु के फूड में गाय का दूध मिलाकर दे रही हैं और बच्चों को रेशैज या फिर एलर्जी के लक्षण दिखने लगे, तो आपको तुरंत दूध का सेवन बंद कर देना चाहिए। ये कह पाना मुश्किल है कि शिशुओं को गाय के दूध से एलर्जी (Milk allergy) के लक्षण दिख रहे हैं फिर गाय की दूध की प्रोटीन से बने फॉर्मुला के कारण ऐसा हो रहा है। आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। अगर आप छह माह के पहले ही बच्चे को गाय का दूध पिला देते हैं, तो बच्चों को मिल्क प्रोटीन की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा कि आप शिशु के लिए अन्य दूध की जगह मां के दूध को ही प्राथमिकता दें।
गाय के दूध से एलर्जी के कारण पेट दर्द या ऐंठन, उल्टी, दस्त (Diarrhea) आदि का सामना करना पड़ सकता है। गंभीर एलर्जी की समस्या होने पर इंटेस्टाइन में ब्लीडिंग भी हो सकती है, जो एनीमिया का कारण (Cause of anemia) बन सकता है। एक से तीन साल तक के केवल एक से तीन प्रतिशत लोगों को गाय के दूध से एलर्जी की समस्या हो सकती है। आपको बच्चों में होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए।
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शिशुओं को पूर्ण पोषण मिलना बहुत जरूरी होता है। अगर उन्हें पोषण नहीं मिल पाएगा, तो उनके शरीर की ग्रोथ में रुकावट पैदा हो सकती है या फिर कोई शारीरिक समस्या भी पैदा हो सकती है। किसी और की बातों पर विश्वास न करें। आपको किसी भी तरह की दुविधा होने पर डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। आप अगर बच्चे को बाहरी दूध दे रहे हैं, तो उसे पहले उबाल जरूर लें। कच्चे दूध में जर्म्स हो सकते हैं, जो बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको शिशु में गाय के दूध की शुरुआत (Introduction of cow’s milk in infant) के संबंध में जानकारी मिल गई होगी। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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