ऑटिज्म विकास संबंधी एक ऐसा विकार है जो जिंदगीभर समस्या पैदा करता है। यूं तो इस बीमारी का इलाज कोई खास नहीं है। लेकिन, ऑटिज्म के लक्षणों को कम करके रोगी में कुछ हद तक सुधार लाए जा सकते हैं। ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) समय से उचित तरीके से किया जाए तो रोगी की स्थिति धीरे-धीरे बेहतर होने लगती है। सही ट्रीटमेंट मिलने से ऑटिज्म के रोगी अपनी जिंदगी बेहतर तरीके से जी सकते हैं।
ऑटिज्म के इलाज के लिए थेरिपी (Therapy treatment for Autism)
ऑटिज्म एक तरह की विकास संबंधी बीमारी है, जो पूरी तरह से तो ठीक नहीं हो सकती है। लेकिन, सही ट्रेनिंग की मदद से रोगी को बहुत कुछ सिखाया जा सकता है। इससे ऑटिज्म के रोगी की दैनिक कार्य आसान होते हैं। ऑटिज्म के इलाज (Treatment for Autism) के तौर पर दी जाने वाली थेरिपी-
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व्यवहार संबंधी थेरिपी (Behavioural management)
व्यवहार प्रबंधन थेरिपी या (Behavioral management therapy) थेरिपी मुख्य रूप से रोगी के व्यवहार को सकारात्मक दिशा देती है। इसमें रोगी को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ अच्छे और बुरे व्यवहार में फर्क सिखाया जाता है, जिसके बाद वो खुद इसे समझ सके। ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) करने में अप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस यानी ABA की मदद ली जाती है। इसके कई प्रकार होते हैं, जैसे-
1- पॉजिटिव बियेवियरल (PBS) Positive behavioural and support
पीबीएस यानी पॉजिटिव बियेवियरल एक ऐसी तकनीक है जिसके अतंर्गत ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) किया जाता है। इसमें व्यक्ति के व्यवहार को उसके आसपास के वातावरण में बदलाव कर उसे सकारात्मक बनाने के प्रयास किए जाते हैं। पहले देखा जाता है कि किस वजह से रोगी के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। इसके बाद रोगी को नई चीजें सिखाई जाती हैं और अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
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2- अर्ली बियेवियरल इंटरवेंशन (EIBI) Early intensive behavioural intervention
इसे अर्ली बियेवियरल इंटरवेंशन कहते हैं, जो 5 साल से कम के बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बच्चों को छोटे-छोटे इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं। बच्चों में ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) करने के लिए अर्ली बियेवियरल इंटरवेंशन किया जाता है।
3- ऑटिज्म का इलाज: पाइटल रिस्पॉन्स ट्रेनिंग (PRT) Pivotal response training
इसे पाइटल रिस्पॉन्स ट्रेनिंग कहते हैं। इस तकनीक में रोगी को रोज एक तरह की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसमें उसे अपने व्यवहार को कंट्रोल करने, नई चीजें सीखने के लिए और दूसरे लोगों से घुल-मिलने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जाता है। इस तरह से ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) किया जाता है।
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4- डिस्क्रीट ट्राइल ट्रेनिंग (DTT) Discrete trial training
डिस्क्रीट ट्राइल ट्रेनिंग के अंतर्गत ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) करने के लिए एक टीचर रोगी को एक के बाद एक लेसन देता है। इसके बाद रोगी से इसके जवाब और सही व्यवहार के बारे में पूछा जाता है। सही जवाब देने और उचित व्यवहार करने पर उसे गिफ्ट देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
5- संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (Cognitive behavior therapy)
कॉग्निटिव बिहेवियर थेरिपी में सोच, भावनाओं और व्यवहार के बीच संबंध के आधार पर ऑटिज्म रोगी की मदद की जाती है। इसके मदद से रोगी को चिंता, भावनात्मक समस्याएं और दूसरी सामाजिक परेशानियों से निपटने में मदद मिलते है। इस चिकित्सा में डॉक्टर, ऑटिज्म रोगी और उसके परिवार के लोग साथ मिलकर बीमारी से लड़ने की दिशा में काम करते हैं। कॉग्निटिव बिहेवियर थेरिपी ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुख्य थेरिपी है।
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6-शिक्षात्मक चिकित्सा (Educational therapy)
इस चिकित्सा में ऑटिज्म रोगी (Autism patients) के कौशल विकास और संचार कौशल को विकसित करने की दिशा में काम किया जाता है। इसमें एक्सपर्ट्स की टीम खासतौर पर रोगी के लिए केंद्रित प्रोग्राम तैयार करते हैं।
7- ऑटिज्म का इलाज: आहार चिकित्सा (Dietary approaches)
कई वजहों से ऑटिज्म के रोगियों में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है और कई कुपोषित होते हैं। इसकी वजह से भी उनके विकास में परेशानी आती है। कुछ रोगी किसी एक ही प्रकार का खाना खाते हैं, तो कुछ खाना खाने से डर लगता है। डर की वजह डाइनिंग टेबल, तेज लाइट या वातावरण हो सकता है। कुछ इसलिए भी नहीं खाते क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी बीमारी की वजह उनका खाना है। ऐसी स्थिति में बच्चे के माता-पिता या केयरटेकर किसी डाइटीशियन की मदद लेकर उसके खाने का प्लान बना सकते हैं। डाइटीशियन बच्चे का चेकअप कर उसके लिए पौष्टिक खाने का चार्ट बनाते हैं, जिससे बच्चा कुपोषण और उससे संबंधित बीमारियों से बच सकता है।
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8- ऑटिज्म का इलाज ऑक्यूपेशनल थेरिपी (Occupational therapy) से
इस थेरिपी में ऑटिज्म रोगी को दैनिक जीवन से जुड़े काम पूरे करने के लिए दिए जाते हैं। इसकी मदद से वे भविष्य में इन चीजों को करने में सक्षम हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर शुरुआती अवस्था में बच्चों को कपड़े पहनना या चमच्च का इस्तेमाल जैसी चीजें सिखाई जाती हैं।
9- ऑटिज्म का इलाज: फैमिली थेरिपी (Family therapy)
फैमिली थेरिपी में ऑटिज्म रोगी के परिवार, उसके दोस्त और देखभाल करने वाले लोगों को सिखाया जाता है कि कैसे रोगी के साथ व्यवहार, बातचीत और खेलकूद करें। इसकी मदद से वो तेजी से चीजें सीखता है और ऑटिज्म की वजह से होने वाले नकारात्म व्यवहार से बचता है।
10-दवाईयां (Medications)
ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) दवाईओं के द्वारा पूरी तरह से ठीक नहीं होता है पर ये इसके लक्षणों जैसे डिप्रेशन, सोने के परेशानी, चिंता, मिरगी और व्यवहार संबंधी परेशानियों से निपटने में मदद करती हैं।
11- ऑटिज्म का इलाज: फिजिकल थेरिपी (Physical therapy)
कुछ ऑटिज्म रोगियों को चलने फिरने में भी परेशानी आती है। ऐसी स्थिति में फिजिकल थेरिपी का सहारा लिया जाता है। इसमें रोगी को कुछ एक्सरसाइज (Workout) सिखाई जाती हैं, जिससे उसके स्वास्थ, ताकत, बॉडी बैलेंस (Balance body) आदि में सुधार आए।
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12-सामाजिक कौशल चिकित्सा (Social skills training)
इस तरह की ट्रेनिंग में ऑटिज्म रोगी को समाज में लोगों से बातचीत का तरीका और दैनिक जीवन की समस्याओं से निपटना सिखाया जाता है।
13-स्पीच थेरिपी (Speech therapy)
कई ऑटिज्म रोगी बोलचाल में बेहद कमजोरी होते हैं और उन्हें भाषा संबंधी परेशानी आती हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें छोटे बच्चों की तरह शुरुआत से बोलचाल का तरीका सिखाया जाता है।
अगर शुरुआत में ही मिल जाए ऑटिज्म का इलाज: (Treatment for Autism)
ऑटिज्म का इलाज (Treatment for Autism) जितनी शुरुआत में होगा रोगी के भविष्य के लिए ये उतना बेहतर होगा। शुरुआत में बच्चे को कई उपरोक्त में से कई ट्रेनिंग दी जा सकती हैं जो कि बाद में कठिन हो जाती हैं। ये सभी थेरिपी ऑटिज्म रोगी के विकास में बेहद लाभकारी हैं। ऐसे में कोई भी ऑटिज्म रोगी है तो डॉक्टरी सलाह लेकर ऑटिज्म का इलाज इन थेरिपी के साथ किया जा सकता है।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
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