25 साल की रुची वोरा ने हाल ही में बेटी को जन्म दिया है और वह अपनी नन्हीं बेटी की देखभाल करना सीख रही हैं। रुची के लिए हर दिन नया और कुछ सीखने वाला होता है। उनकी बेटी कायरा नियमित रूप से दूध पीती है, मगर एक दिन अचानक से वह रोने लगी और लगातार रोए जा रही थी। सामान्य तौर पर नवजात शिशु का रोना देखकर हर कोई डर जाता है और बेटी को इस तरह से रोता देखकर रुची भी घबरा गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें इसलिए वह डॉक्टर के पास गई। रुची ने डॉक्टर से पूछा कि आखिर उसकी बेटी इतना क्यों रो रही है? क्या उसने कुछ गलत किया है? क्या उसने अपनी ही बच्ची को चोट पहुंचाई है? वह अपनी बेटी को इस तरह दर्द से रोता नहीं देख सकती थी।
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नवजात शिशु का रोना कोलिक बेबी का लक्षण हो सकता है
बच्ची की पूरी जांच के बाद डॉक्टर ने कहा कि कायरा एक कोलिक बेबी है। डॉक्टर ने रुची को कायरा के डायट में बदलाव के साथ ही कुछ और तरीके भी सुझाए जिससे वह बच्ची को सहज महसूस करा सकती है। डॉक्टर की सलाह पर अमल के बाद रुची की बेटी का रोना धीरे-धीरे कम हो गया। करीब 25 प्रतिशत नवजात शिशु कोलिक बेबी होते हैं, जो दिन में 3 घंटे से भी ज्यादा समय तक रोते रहते हैं। बच्चे के लगातार रोने से नए पैरेंट्स भी परेशान होकर घबरा जाते हैं।
कोलिक क्या है?
कोलिक यानी बच्चों के पेट में दर्द होना जो कुछ ही देर के लिए रहता है, लेकिन इसकी वजह से नवजात शिशु का रोना हमेशा जारी रह सकता है। वह दिन में 3 घंटे से भी ज्यादा और हफ्ते में 3 दिन से भी ज्यादा रोते हैं। अन्य कारको के आधार पर कोलिक का निदान किया जाता है। कोलिक बेबी बहुत रोते हैं, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।
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कोलिक के कारण
कोलिक के सही कारणों का पता नहीं चल सकता है, लेकिन कुछ ऐसे कारण हैं जो बच्चों में कालिक के विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- पाचन तंत्र का बढ़ना जिससे मांसपेशियों मे ऐंठन होती है
- गैस और ब्लोटिंग
- अतिसंवेदनशील बच्चा
- मूडी और नखरेबाज बच्चा
- विकसित होता नर्वस सिस्टम
- मां के खानपान की अनियमित आदत
- मां की अनियमित डायट और दाल, फलियां, मीट जैसे कोलिक फूड्स का सेवन
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कोलिक के लक्षण
बहुत अधिक रोना, नियमति स्तनपान की आदतों में बदलाव, पेट फूलना और सूजन, नींद की कमी आदि। इसके अलावा भी अन्य लक्षण दिख सकते हैं।
कोलिक बेबी को कैसे शांत करें?
गर्भ के वातावरण से बाहर एकदम बदले माहौल में आने और लगातार स्तनपान कराने की वजह से शिशु कोलिकी हो जाते हैं। बच्चे को शांत करने के लिए उन्हें वैसा ही माहौल प्रदान करें जैसा की गर्भ के अंदर रहता है। इन पांच तरीकों को आजमाकर आप ऐसा आसानी से कर सकती हैं।
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लपेटना
बच्चे के हाथ को नीचे करें और उसे कपड़े से अच्छी तरह लपेटकर रखें, जिससे नवजात को वैसे ही स्पर्श और सपोर्ट का एहसास होगा जैसा गर्भ में होता है।
करवट या पेट के बल सुलाना
जब आपका शिशु रोने लगे तो धीरे से उसे एक तरफ या पेट के बल लिटाएं। इससे पाचन में मदद मिलती है और शिशु शांत होता है। जब वह सो जाए तो उसे सीधा करके सुलाएं।
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सरसराहट की आवाज करें
दरअसल, गर्भ की धमनियों में रक्त प्रवाह के दौरान सरसराहट की आवाज आती है, ऐसे में जब आप ऐसी आवाज निकालती हैं तो बच्चे को वही फीलिंग आएगी जो गर्भ में आती है और वह शांत हो जाएगा। शुरू में आप तेज आवाज निकालें, लेकिन शिशु के शांत हो जाने पर आप आवाज धीमी कर सकते हैं। अचानक से आई शांति शिशु को आराम देती है।
सक्लिंग (चूसना)
ब्रेस्टफीड के दौरान जब बच्चा दूध पीता है तो उसकी आवाज बहुत सुकून और शांति प्रदान करती है और इसका शिशु के नर्वस सिस्टम पर गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए शिशु तुरंत शांत हो जाता है। इसलिए यदि कभी आपको लगे कि शिशु पेट दर्द की वजह से रोने वाला है तो उसे उठाकर अपने ब्रेस्ट के पास ले आएं।
झुलाना
बहुत से शिशु को रॉकिंग मोशन पंसद आता है यानी उन्हें झूला झुलाना, उछालना आदि। बच्चे को शांत करने के लिए उन्हें गोद में लेकर थोड़ा उछल-कूद कराते रहें या हाथों का झूला बनाकर झुलाएं।
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नवजात शिशु का रोना कब सामान्य होता है?
सामान्य तौर पर देखा जाए, तो नवजात शिशु का रोना काफी सामान्य हो सकता है। एक नवजात बच्चा औसतन एक दिन में कम से कम दो से तीन घंटे रोता है। जिसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे- नवजात शिशु को भूख लगना, प्यास लगना, नींद से जागना, डर जाना या फिर किसी प्रकार का शरीर में अंदरूनी या बाहरी तौर पर कोई दर्द होना। आपने गौर भी किया होगा कि जन्म के पहले हफ्ते नवजात शिशु बहुत ज्यादा रोते हैं, लेकिन, धीरे-धीरे नवजात शिशु का रोना अपने आप ही कम होने लगता है। जोकि एकदम सामान्य है। हालांकि, इन सबसे अलग अगर किसी दिन आपका नवजात बच्चा बहुत ज्यादा रोता है या उसके रोने के तरीके में कुछ बदलाव होता है, तो उसे किसी अन्य तरह की समस्या हो सकती है जिसके लिए आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
निम्न स्थितियों में नवजात शिशु का रोना सामान्य हो सकता है, जिसमें शामिल हैंः
- सोकर उठने के बाद बच्चे का रोना
- सोने से पहले नवजात शिशु का रोना
- भूखा होने पर नवजात शिशु का रोना
- दूध पीने के पहले या बाद में बच्चे का रोना। कई बार अगर दूध पीने के बाद बच्चा रोता है, तो उसे डकार दिलाएं।
- जब बच्चा गोद में आना चाहता हो तब भी बच्चे रोते हैं।
- इसके अलावा डायपर गीला करने के बाद भी नवजात शिशु का रोना जारी हो सकता है
- बहुत ज्यादा थकने पर भी बच्चे रोते हैं
- ज्यादा गर्मी या ठंडी महसूस करने पर भी नवजात बच्चा रो सकता है
- कई बार छींक आने पर भी बच्चा रो सकता है।
आप अपने रोते शिशु को कैसे शांत कराती हैं? अपने आइडिया और ट्रिक्स हमारे साथ शेयर करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकली सलाह या उपचार की सिफारिश नहीं करता है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो कृपया इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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