एजुकेशन के साथ आने वाला तनाव (फाइनेंशियल एंग्जायटी, अच्छे ग्रेड लाने का दबाव, कॉलेज के बाद एक अच्छी नौकरी पाने का प्रेशर और असफल रिश्ते) ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स में डिप्रेशन का कारण बनता है। अफोर्डेबल कॉलेज ऑनलाइन ऑर्गेनाइजेशन की मानें, तो आज कॉलेज के छात्रों में अवसाद और चिंता तेजी से बढ़ रही है। यह उनके शैक्षणिक प्रदर्शन (academic performance) पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। साथ ही लाइफ में अन्य समस्याओं को भी जन्म देता है। 15 अक्टूबर को मनाया जाने वाले वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे पर आइए जानते हैं कि यह कॉलेज डिप्रेशन क्या है? इसके क्या कारण और लक्षण हैं?
कॉलेज डिप्रेशन (College depression) क्या है?
कॉलेज डिप्रेशन कोई स्पेसिफिक टर्म नहीं है। यह सामान्य अवसाद ही है, जो कॉलेज के दिनों में स्टूडेंट्स में होता है। अवसाद एक मूड डिसऑर्डर (mood disorder) है, जो कम से कम दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक उदासी का कारण बन सकता है। कॉलेज लाइफ के कई फैक्टर्स स्टूडेंट्स में अवसाद के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। लोन चुकाने की चिंता से लेकर कॉलेज खत्म होने के बाद नौकरी पाने की टेंशन के कारण कॉलेज के छात्रों में डिप्रेसिव एपिसोड (depressive episodes) हो सकते हैं।
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कॉलेज डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं?
कॉलेज के कई छात्र कभी-कभी दुखी या चिंतित महसूस करते हैं। ये भावनाएं आमतौर पर कुछ दिनों में दूर हो जाती हैं। लेकिन अवसाद के लक्षण कई दिनों तक रह सकते हैं और इससे कई तरह की भावनात्मक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। कॉलेज स्टूडेंट्स में डिप्रेशन के निम्न लक्षण हो सकते हैं –
- उदासी, अशांति, खालीपन या निराशा की भावना,
- चिड़चिड़ापन, हताशा और गुस्से की अधिकता,
- अधिकांश या सभी सामान्य गतिविधियों (जैसे-खेल) में रुचि न लेना,
- नींद की गड़बड़ी; अनिद्रा या बहुत अधिक नींद आना,
- थकान और ऊर्जा की कमी,
- भूख में बदलाव; भूख और वजन कम हो जाना या बढ़ जाना,
- शैक्षणिक प्रदर्शन में नकारात्मक परिवर्तन,
- अस्पष्टीकृत शारीरिक समस्याएं, जैसे पीठ दर्द या सिरदर्द,
- चिंता या बेचैनी,
- अपराधबोध की भावनाएं,
- हर गलत चीज के लिए खुद को दोष देना,
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी,
- निर्णय लेने या चीजों को याद रखने में समस्या,
- आत्महत्या के विचार आना,
- सुसाइड अटेम्प्ट करना आदि।
कॉलेज डिप्रेशन के बारे में जब हैलो स्वास्थ्य की टीम ने फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड की कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉ. पारुल तनक से बात की तो उनका कहना है कि “डिप्रेशन विश्वभर में होने वाली सबसे आम बीमारी है। कई बार तो डिप्रेशन की समस्या 18 वर्ष की एज से भी शुरुआत हो सकती है। जरूरत से ज्यादा गुस्सा होना, अकेले रहना पसंद करना, नेगेटिव थिंकिंग होना, अपने आपको हार्म करना या अपनी मर्जी से दवाओं का सेवन करना युवाओं में ज्यादातर ऐसे लक्षण देखे जाते हैं, जो डिप्रेशन के लक्षण होते हैं। ऐसी स्थिति होने पर करियर पर भी इसका नेगेटिव इम्पैक्ट देखा जाता है। अगर ऐसे लक्षण देखे जा रहें हैं या आप महसूस करते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए शारीरिक या मानसिक परेशानियों से बचने के लिए किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।”
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कॉलेज स्टूडेंट्स में डिप्रेशन के कारण क्या हैं?
कॉलेज टाइम के दौरान कम समय-सीमा में लाइफ में बहुत सारे चेंजेस एक साथ आते हैं। इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कई छात्र अपनी जिंदगी के इस चैप्टर के दौरान अवसाद की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे कई कारण हैं जिनसे एक छात्र उदास महसूस कर सकता है। हालांकि डिप्रेशन का हमेशा एक स्पष्ट कारण नहीं होता है। यहां कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं, जो कभी-कभी अवसाद के लक्षणों में योगदान कर सकते हैं:
कॉलेज स्टूडेंट्स में डिप्रेशन का कारण होमसिकनेस और अकेलापन
कई छात्र हायर स्टडीज के लिए अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं। घर से दूर रहना कुछ स्टूडेंट्स के लिए एक्ससाइटमेंट से भरा होता है, तो कुछ स्टूडेंट्स को होमसिकनेस (homesickness) और अकेलापन (loneliness) परेशान कर सकता है। अमेरिकन कॉलेज हेल्थ एसोसिएशन (ACHA) द्वारा 2017 के सर्वे में पाया कि कॉलेज के 62% से अधिक स्टूडेंट्स ने खुद को बहुत अकेला महसूस करते हैं।
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वित्तीय तनाव
कॉलेज के लगातार बढ़ते खर्चे और एजुकेशन लोन को चुकाने की टेंशन पेरेंट्स के साथ-साथ बच्चे भी फाइनेंसियल स्ट्रेस लेते हैं। 2015 के नेशनल स्टूडेंट फाइनेंसियल वेलनेस स्टडीज के अनुसार, कॉलेज के 70 प्रतिशत छात्रों को फाइनेंस के बारे में चिंता होती है। वहीं सर्वे में शामिल 32 प्रतिशत छात्रों को पैसों की तंगी की वजह से कॉलेज को छोड़ना पड़ा। नतीजन, उन्हें डिप्रेशन का सामना करना पड़ा।
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अकैडमिक स्ट्रेस (Academic Stress)
सफल होने का दबाव कॉलेज स्टूडेंट्स में डिप्रेशन का कारण बनता है। कॉलेज में अच्छा प्रदर्शन और अच्छे स्कोर लाने का प्रेशर जैसे कई ऐसे कारण हैं को कॉलेज के छात्रों पर अकैडमिक स्ट्रेस (academic stress) को बढ़ाने में योगदान देते हैं। ऐसे में जब स्टूडेंट्स अपने पेरेंट्स और खुद की एक्सपेक्टेशन पर खरे नहीं उतरते हैं, तो डिप्रेशन उनको घेर लेता है। कभी-कभी यह अवसाद की स्थिति इतनी खतरनाक हो जाती है कि वे आत्महत्या तक के विचार को भी अंजाम दे देते हैं।
खराब बॉडी इमेज और सेल्फ एस्टीम
लगभग 90 प्रतिशत स्टूडेंट्स (मेल और फीमेल दोनों) कहते हैं कि वे अपनी पुअर बॉडी इमेज को लेकर चिंता महसूस करते हैं। नेशनल ईटिंग डिसऑर्डर्स एसोसिएशन के अनुसार नेगेटिव बॉडी इमेज वाले लोगों में डिप्रेशन, आइसोलेशन, कम आत्मसम्मान और ईटिंग डिसऑर्डर की अधिक संभावना होती हैं।
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ड्रग और एल्कोहॉल का उपयोग
मेंटल हेल्थ अमेरिका (एमएचए) के अनुसार, कॉलेज स्टूडेंट्स में डिप्रेशन और एल्कोहॉल का इस्तेमाल एक साथ चलते हैं। जो स्टूडेंट्स अवसाद से पीड़ित होते हैं, वे अक्सर अधिक एल्कोहॉल का सेवन करते हैं और स्टूडेंट्स जो ज्यादा शारब पीते हैं वे अवसाद से अधिक पीड़ित होते हैं। ज्यादा शराब पीना कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर सकता है।
लाइफ के इस फेज में ऐसे माहौल (पार्टी, यारी-दोस्ती) से दूर रहना आपके लिए असंभव हो सकता है। लेकिन ड्रग और एल्कोहॉल का उपयोग तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
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सोशल मीडिया का उपयोग
आज के समय में ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स सोशल मीडिया पर बहुत समय बिताते हैं। 2014 के एक अध्ययन में पाया गया कि कॉलेज के छात्र अपने सेलफोन पर प्रति दिन 8 से दस घंटे के बीच समय बिताते हैं। कई अध्ययनों में सामने आया है कि सोशल मीडिया का उपयोग आत्म-सम्मान में कमी, तनाव, चिंता और अवसाद को बढ़ाता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि तनाव, चिंता और अवसाद में वृद्धि के लिए सोशल मीडिया किस तरह से जिम्मेदार है? लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि दूसरों से खुद की तुलना करना या निरंतर स्क्रीन पर लगातार देखने के कारण नींद की समस्याएं हो सकती हैं। यह सब मिलकर मेंटल हेल्थ को बुरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं।
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रिलेशनशिप में असफलता
कॉलेज स्टूडेंट्स में डिप्रेशन की बड़ी वजह रिलेशनशिप का फेल होना भी है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो ब्रेकअप के बाद के महीनों में 43 प्रतिशत छात्र अनिद्रा का अनुभव करते हैं। हालांकि समय रहते डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानकर संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive behavioral therapy) और इंटरपर्सनल थेरेपी से एक ब्रोकन हार्ट को ठीक किया जा सकता है।
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जरूरी है निदान और उपचार
अधिकांश युवाओं के लिए कॉलेज एक तनावपूर्ण वातावरण हो सकता है। इसलिए, माता-पिता, दोस्तों, फैकल्टी और काउंसलर के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि यदि कोई कॉलेज स्टूडेंट्स डिप्रेशन से पीड़ित है, तो उसकी हेल्प करें। अवसाद ग्रस्त स्टूडेंट दूसरों से सहायता मांगने में अक्सर हिचकिचाते हैं। इसलिए स्टूडेंट्स का मेंटल हेल्थ इवैल्यूएशन करना जरूरी है।
कॉलेज स्टूडेंट्स में डिप्रेशन का सबसे अच्छा उपचार आमतौर पर एंटी-डिप्रेसेंट्स मेडिसिन, कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, इंटरपर्सनल मनोचिकित्सा जैसे-टॉक थेरेपी आदि है। इसके साथ ही नींद की कमी, खराब खानपान और पर्याप्त व्यायाम न करना कॉलेज के छात्रों में डिप्रेशन को बढ़ावा देते हैं। इसलिए उन्हें एक अच्छी लाइफस्टाइल के लिए प्रेरित करें और कॉलेज स्टूडेंट्स में बढ़ते डिप्रेशन के ग्राफ को नीचे लाने में हर कोई सहयोग करें।
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