साल 2018 में किये गए एक सर्वे के अनुसार 22 प्रतिशत भारतीय व्यस्क कॉन्स्टिपेशन यानी कब्ज की समस्या से पीड़ित हैं। अब अगर पेट ही ठीक ना हो, तो पूरा दिन बर्वाद और किसी काम में मन भी नहीं लगता है। अगर इस परेशानी को इग्नोर किया गया, तो कई अन्य शारीरिक परेशानियां बिन बुलाये मेहमान की तरह शरीर में प्रवेश कर लेती हैं। वैसे पेट से जुड़ी किसी भी परेशानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि कहते हैं ‘हाजमा ठीक तो सब ठीक’… आज इस आर्टिकल में इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) क्या हैं और इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का यूनानी इलाज (Unani treatment for Irritable bowel syndrome) कैसे किया जाता है यह समझने के साथ-साथ इससे जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण बातों को समझेंगे, जीसे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) को अपने जीवन से दूर किया जा सकता है।
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या है? (What is Irritable bowel syndrome)
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Irritable bowel syndrome)
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के कारण क्या हैं? (Cause of Irritable bowel syndrome)
- इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का यूनानी इलाज क्या है? (Unani treatment for Irritable bowel syndrome)
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) क्या है?
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) आंतों से जुड़ी एक तकलीफ है, जिसमें पेट में दर्द , ऐंठन, सूजन, डायरिया और कब्ज की शिकायत होती है। इसे स्पैस्टिक कोलन (Spastic Colon), इरिटेबल कोलन (Irritable Colon), म्यूकस कोइलटिस (mucus colitis) जैसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम अलग-अलग तरह के होते हैं।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) के लक्षण क्या हैं?
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण (Irritable bowel syndrome) निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- पेट दर्द होना
- पेट में ऐंठन (Cramping) महसूस होना
- बार-बार गैस (Excess gas) बनना
- दस्त होना
- तनाव में रहना
- कब्ज की समस्या
- नींद नहीं आना
- ऐनिमक (खून की कमी) होना
- शरीर में पानी की मात्रा कम होना
- अपच की समस्या रहना
- जी मिचलाना
- पेट का ठीक तरह से साफ न होना
- बार-बार मल त्याग की इच्छा होना
ज्यादातर ऊपर बताये लक्षण इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के ही होते हैं, लेकिन कभी-कभी इन लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (ISB) के कारण क्या हैं?
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के कारण (Cause of Irritable bowel syndrome) निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
1. आंत के मांसपेशियों का आपस में सिकुड़ना (Muscle contractions in the intestine): आंतों की दीवार मांसपेशियों की परतों से जुड़ी होती हैं, जो खाने को आंतों की मदद से डायजेस्टिव ट्रैक्ट तक पहुंचाने का काम करती है। अगर कोई व्यक्ति इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से पीड़ित है, तो संकुचन के समय में सामान्य से ज्यादा वक्त लग सकता है। इसी कारण पेट दर्द, गैस, दस्त और सूजन की समस्या शुरू होने लगती है।
2. नर्वस सिस्टम (Nervous System): अगर आप सोच रहें कि नर्वस सिस्टम और डायजेशन का क्या तालमेल है? दरअसल जब पेट में गैस या किसी अन्य कारणों से खिंचाव होने लगता है, तो नर्वस सिस्टम और डायजेस्टिव सिस्टम आपस में ठीक तरह से तालमेल नहीं बैठा पाते हैं और जब स्थिति शुरू होती है, तो धीरे-धीरे पेट दर्द, कब्ज या दस्त की तकलीफ शुरू होने लगती है।
3. इंटेस्टाइन में सूजन (Inflammation in the intestines): कई बार पेट दर्द या डायरिया की शिकायत इंटेस्टाइन में मौजूद इम्यून सिस्टम सेल्स के बढ़ जाने के कारण होता है, जिससे इंटेस्टाइन में सूजन की परेशानी शुरू हो जाती है।
4. गंभीर संक्रमण (Severe Infection): बैक्टीरिया या वायरस के कारण दस्त की गंभीर परेशानी होने के बाद इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या शुरू हो सकता है। आईबीएस आंतों में मौजूद ओवरग्रोथ बैक्टीरियल के साथ भी जुड़ा हो सकता है।
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के ऊपर बताये ये खास कारण हो सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस बीमारी से निजात नहीं पाया जा सकता। इस आर्टिकल में आगे समझेंगे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का यूनानी इलाज कैसे किया जाता है।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का यूनानी इलाज (Unani treatment for Irritable bowel syndrome) क्या है?
एलोपैथ में इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं हैं, लेकिन यूनानी जैसी प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों में प्रभावी उपचार मौजूद हैं। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का यूनानी इलाज निम्नलिखित जड़ी बूटियों से किया जाता है। इन यूनानी दवाओं में शामिल है:
बेल (Aegle marmelos)
बेल और इसके पत्ते दोनों से इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome) का यूनानी विधि से इलाज किया जाता है। यह डायजेशन के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। क्रोनिक डायरिया हो या टायफॉइड हो, इन दोनों बीमरियों में इसका सेवन रामबाण माना जाता है।
कैसे करें बेल का सेवन?
बेल के जूस का सेवन किया जा सकता है या पके बेल का सेवन भी किया जा सकता है। इसके अलावा बेल के पत्ते को पानी में उबाल कर और इस पानी को छान कर सेवन किया जा सकता है।
जीरा (Cumin seeds)
जीरे को यूनानी मेडिसिन की तरह इस्तेमाल किया जाता है, जो पेट के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। जीरे के सेवन से पेट संबंधित परेशानियों को दूर किया जाता है।
कैसे करें जीरे का सेवन?
जीरे को पानी में सबसे पहले उबालें और फिर इस पानी को छानकर पिएं। इससे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की तकलीफ दूर हो सकती है।
आंवला (Gooseberry)
आंवला यूनानी दवाओं की लिस्ट में शामिल है। इसके सेवन से दस्त की समस्या दूर होती है और पेट ठंडा रहता है।
कैसे करें आंवले का सेवन?
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) की तकलीफ से बचने के लिए कच्चे आंवले या आंवले के जूस का सेवन किया जा सकता है।
आंवला, जीरा और बेल की मदद से इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का यूनानी इलाज (Unani treatment for Irritable bowel syndrome) किया जाता है। लेकिन आसानी से उपलब्ध होने वाले इन खाने-पीने की चीजों का सेवन संतुलित करने से ही लाभ मिल सकता है। बेहतर होगा इससे जुड़े एक्सपर्ट से कंसल्ट करने के बाद इनका सेवन करें।
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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से बचने के लिए हेल्दी टिप्स (Healthy tips for Irritable bowel syndrome) :-
- नियमित एक्सरसाइज करने की आदत डालें।
- कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सेवन ना करें।
- डायट में प्रोबायोटिक्स चीजों को जरूर शामिल करें।
- डायट से फ्राइड और स्पाइसी फूड को शामिल ना करें।
- तनाव से दूर रहें।
- 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें।
- दो से ढ़ाई लीटर पानी रोजाना पीएं।
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