3. प्रेग्नेंसी में बच्चे की हेल्थ के लिए चिंतित रहना
नवजात के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहना। दरअसल ज्यादातर गर्भवती महिलाएं बच्चे के जन्म के पहले उसकी सेहत को लेकर चिंतित रहती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो प्रेग्नेंसी के दौरान की जाने वाली जांच से बच्चे (भ्रूण) की सेहत की जानकारी मिल जाती है। जन्म के बाद अगर नवजात में कोई शारीरिक परेशानी होती है, तो उसे आसानी से दूर किया जा सकता है।
4. प्रेग्नेंसी में डर: फीटस (बच्चे) को नुकसान पहुंचना
प्रेग्नेंसी के दौरान सही पुजिशन में नहीं सोने से बच्चे को नुकसान पहुंचने का डर बना रहता है। दरअसल गर्भ में पल रहा भ्रूण एमनीऑटिक फ्लूइड (amniotic fluid) में सुरक्षित होता है। एमनीऑटिक फ्लूइड भ्रूण को पोषण प्रदान करने के साथ-साथ शॉक ऐब्सॉर्बर की तरह भी काम करता है। प्रेगनेंसी के दौरान सोने का सही तरीका अपनाएं। यह गर्भवती महिला और भ्रूण दोनों के लिए ही बेहतर होता है।
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5. प्रेग्नेंसी में डर: अच्छी मां बनना
प्रेग्नेंसी के पहले या प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर गर्भवती महिला इस बात से परेशान और चिंतित रहती हैं कि वो अच्छी मां बन पाएंगी या नहीं ? ऐसी चिंताओं या डर से दूर रहें क्योंकि मां बनने वाली हर महिला को इस दौर से गुजरना पड़ता है। ऐसे में डरने की बजाए अच्छी किताबे पढ़ें और मां बन चुकी महिला या अपनी मां से बच्चे के परवरिश से जुड़ी बातें समझें।
वैसे ऊपर बताये गये कारणों की वजह से प्रेग्नेंसी में डर की स्थिति को टोकोफोबिया यानी प्रग्नेंसी का डर (पैथोलॉजिकल) भी कहते हैं। प्रेग्नेंसी का डर इसे मेडिकल की भाषा में टोकोफोबिया कहा जाता है। कुछ महिलाएं डिलिवरी का नाम सुनकर डर जाती हैं, उन्हें अक्सर इस फोबिया से गुजरना पड़ता है। प्रेग्नेंसी का डर उन महिलाओं में हो सकता है जिन्होंने किसी महिला के प्रेग्नेंसी के दौरान का दर्दनाक किस्सा सुना हो या देख लिया हो। वैसे भी सोशल मीडिया के समय में लोग अक्सर अपनी डिलिवरी के किस्से शेयर करते हैं। कुछ दर्दनाक वीडियो देखकर भी महिलाओं को डर का अनुभव हो सकता है। प्रेग्नेंसी का डर किसी भी महिला को हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक 22 प्रतिशत से अधिक महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं और वो इसी वजह से प्रेग्नेंसी प्लानिंग में भी देर कर देती हैं।
इन 5 टिप्स को अपना कर आप प्रेग्नेंसी में महसूस होने वाले डर को कम कर सकती हैं। अगर आप डर की वजह से बेबी प्लानिंग नहीं कर रहीं हैं तो आप अपने लाइफ पार्टनर से खुलकर इस बारे में विचार कर सकती हैं। किसी भी तरह की परेशानी महसूस होने पर अपने पार्टनर से बात करें और सेहत से जुड़ी अगर कोई परेशानी है, तो डॉक्टर को जरूर बताएं। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।