निम्नलिखित तरह से प्रेग्नेंसी में होने वाले डर से बचा जा सकता है-
1. प्रेग्नेंसी में मिसकैरिज के डर से कैसे बचें?
एक्सपर्ट्स के अनुसार 4 प्रेग्नेंट महिला में से एक महिला का किसी न किसी कारण मिसकैरिज हो जाता है। यही डर प्रायः सभी गर्भवती महिला में प्रेग्नेंसी के दौरान बना रहता है। अगर आप भी मिसकैरिज होने के डर से परेशान हैं, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। गर्भवती महिला को नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए। साथ ही ऐसी एक्टिविटी जरूर करें जो आपको पसंद हो। मिसकैरिज के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है। इसलिए गर्भावस्था के शुरुआत से ही डॉक्टर जो सलाह दें उसका पालन करें। अपने ऊपर विशेष ध्यान रखें, साथ ही यह भी ध्यान रखें की प्रेग्नेंसी के दौरान आप बीमार नहीं है। इस वक्त को अच्छे तरह से एंजॉय करें।
2.प्रेग्नेंसी में डर (Fear of pregnancy) : गर्भ में पल रहे बच्चे को सही पोषण नहीं मिल पाना
कई बार मॉर्निंग सिकनेस होने की वजह से यह धारणा बन जाती है कि इस कारण गर्भ में पल रहे बच्चे तक सही पोषण नहीं पहुंच रहा होगा। हालांकि यह धारणा गलत है। प्रेग्नेंसी के दौरान हो रहे जांच से आसानी से पता चल जाता है कि बच्चे की सेहत कैसी है? इसलिए ऐसी चिंता न करें और सिर्फ समय-समय पर पौष्टिक आहार का सेवन करें। अगर परेशानी बढ़ती जा रही हो, तो इसकी जानकारी अपने एक्सपर्ट को दें। प्रेग्नेंसी में कुछ खाद्य पदार्थ जैसे मछली, कच्चे मांस, कच्चे स्प्राउट्स और पे पदार्थों में शामिल एनर्जी ड्रिंक का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान अगर आप कॉफी, चाय या ग्रीन टी का सेवन करती हैं तो दो या तीन कप से ज्यादा न पीएं। यह भी कोशिश करें की 4 या 5 बजे शाम के बाद कैफीन युक्त पे पदार्थ न पीएं। दरअसल ऐसा करने से रात को नींद आने में परेशानी हो सकती है।
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3. प्रेग्नेंसी में बच्चे की हेल्थ के लिए चिंतित रहना
नवजात के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहना। दरअसल ज्यादातर गर्भवती महिलाएं बच्चे के जन्म के पहले उसकी सेहत को लेकर चिंतित रहती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो प्रेग्नेंसी के दौरान की जाने वाली जांच से बच्चे (भ्रूण) की सेहत की जानकारी मिल जाती है। जन्म के बाद अगर नवजात में कोई शारीरिक परेशानी होती है, तो उसे आसानी से दूर किया जा सकता है।