नेशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी इनफाॅर्मेशन (NCBI) के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेस का बुरा प्रभाव गर्भवती महिला पर पड़ने के साथ-साथ गर्भ में पल रहे भ्रूण पर भी पड़ता है। प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस कम से कम लें या कोशिश करें कि चिंता न ही करें क्योंकि इसका भ्रूण (Embryo) के शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। तनाव को लेकर आपको सबसे पहले इसके कारण का पता लगाना चाहिए। कारण का पता चल जाए तो डॉक्टर, पार्टनर, दोस्त और परिवार मिलकर इसका हल निकाल सकते हैं। जितना जल्दी आप इसका हल निकाल लेंगे आपके होने वाले बच्चे के लिए उतना ही ज्यादा अच्छा होगा।
प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस किन-किन कारणों से हो सकता है?
ज्यादातर महिलाएं अपनी गर्भावस्था के दौरान कई तरह की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी चिंता करती हैं। गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को प्रेग्नेंसी का डर सताता है, लेकिन प्रेग्रेंसी की चिंता में लगातार डूबे रहने से कई परेशानियां हो सकती हैं।
निम्नलिखित सवाल जो हर गर्भवती महिला के मन होते हैं, जो स्ट्रेस का कारण भी बन जाते हैं:
- किस तरह के आहार का सेवन करें जिससे बच्चे को संपूर्ण पोषण मिल सके।
- गर्भवती महिला एक्सरसाइज करें या न करें ?
- नवजात के जन्म के बाद उसकी परवरिश कैसे होगी?
- प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली शारीरिक परेशानी
- फाइनेंशियल कंडीशन ठीक नहीं होना
- परिवार में हुई कोई नकारात्मक घटना जैसे किसी की मौत
- गर्भवती महिला का डायवोर्स होना
- सिंगल पेरेंट होना
- कभी किसी प्रकार की घटना से सदमा पहुंचा हो
- पूर्व में अवसाद/डिप्रेशन का उपचार चला हो
- मानसिक विकार का परिवार में हिस्ट्री रही हो
- पिछली गर्भावस्था के दौरान चिंता
- पिछली प्रेग्नेंसी में बच्चे की डेथ
- प्रजनन के लिए लंबा संघर्ष
- घर या नौकरी में तनाव
- जीवन की घटनाएं, जैसे किसी अपने की मृत्यु या बीमारी से जुड़ी बातों का दिमाग में आते रहना
- प्रेग्नेंसी के दौरान पार्टनर की कमी या इस दौरान सोशल सपोर्ट की कमी
- घरेलू हिंसा
- गर्भवती महिला अगर वर्किंग है, तो ऐसे में उसे यह चिंता सताती रहती है कि वह अपने, गर्भ में पल रहे बच्चे और ऑफिस वर्क पर कितना ध्यान दे पाएगी।
- परिवार के सदस्यों का ठीक से साथ नहीं मिलना।
इन सवालों के साथ-साथ और भी कई सवाल हो सकते हैं जो प्रेग्नेंट लेडी को चिंता में डालने के लिए काफी है, लेकिन प्रेग्नेंसी में चिंता कम कर गर्भवती महिला खुद का और गर्भ में पल रहे शिशु का भी ख्याल रख सकती हैं।
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प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस से भ्रूण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव क्या-क्या हैं ?
- शिशु का विकास ठीक से नहीं हो पाना।
- शिशु के मस्तिष्क का विकास नहीं होना।
- वक्त से पहले नवजात का जन्म होना।
- मिसकैरिज होना।
- नवजात का ठीक से नहीं सोना।
ऊपर दी गई परेशानियों के साथ-साथ शिशु में अन्य परेशानी भी हो सकती है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान मां और शिशु दोनों के लिए चिंता किसी बड़ी परेशानी में डालने के लिए काफी है। इन परेशानियों के साथ-साथ गर्भवती महिला में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर होने पर भी इसका बुरा प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है। मार्च ऑफ डाइम्स संस्था (marchofdimes.org) की रिसर्च के अनुसार 100 गर्भवती महिलाओं में 8 महिला पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से पीड़ित होती हैं।
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गर्भवती महिला में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर को कैसे समझें?
निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर को समझा जा सकता है:
- महिला का किसी से भी बातचीत करना या मिलना-जुलना पसंद नहीं करना।
- नकारात्मक विचार होना।
- एंजायटी या डिप्रेशन की समस्या होना।
- पूरी नींद नहीं लेना।
इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं, जिसका असर भ्रूण पर पड़ना तय माना जाता है। इसलिए पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से बचने के लिए गर्भवती महिला हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें। अपना पसंदीदा म्यूजिक सुनें, एक्टिव रहें, अपनी परेशानी अपने लाइफ पार्टनर या किसी करीबी के साथ साझा करें और पौष्टिक आहार का सेवन करें।
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प्रेग्नेंसी के दौरान अत्यधिक चिंता जन्म लेने वाले नवजात पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है ?
रिसर्च के अनुसार अत्यधिक चिंता या तनाव शिशु के ब्रेन डेवलपमेंट और इम्यून सिस्टम दोनों पर बुरा प्रभाव डालती है। इसलिए गर्भावस्था में चिंता कम करें या तनाव से दूर ही रहें।
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प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस कम कैसे करें ?
प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस करना तब तक सही है जब तक इससे आपको नुकसान न पहुंचे, लेकिन अगर चिंता से शरीर को नुकसान पहुंच रहा है, तो ऐसी स्थिति से जितना हो सके बचने की कोशिश करें।
- चिंता का कारण क्या है इसे समझें और अपने पार्टनर से बात करें।
- आराम करना न केवल आपके लिए अच्छा है, बल्कि आपके बच्चे के लिए भी फायदेमंद है। इसलिए, अगर अतिरिक्त काम-काज करने के लिए आपके पास पर्याप्त ऊर्जा नहीं है, तो ऐसे में काम के लिए मना कर देना ठीक है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली परेशानी सामान्य है। इससे परेशान न हों।
- पौष्टिक आहार का सेवन करें और फिट रहें। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, क्योंकि डिहाइड्रेशन आपके मनोभाव को प्रभावित कर सकता है। डीहाइड्रेशन से आपको सिरदर्द की संभावना रहती है।
- ऐसे काम न करें जो प्रेग्नेंसी के दौरान नहीं करने की सलाह दी गई हो।
- प्रेग्नेंसी के दौरान पार्टनर और परिवार के लोगों को भी गर्भवती महिला का पूरा-पूरा ख्याल रखना चाहिए।
- रिलैक्स करें और प्रेग्नेंसी के दौरान किए जाने वाले योगा करें। गर्भावस्था के दौरान योग न केवल आपके शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि विश्रामदायक तकनीक और श्वसन व्यायाम प्रसव में भी आपकी मदद करते हैं।
- ध्यान भी लगा सकती हैं मेडिटेशन करने से तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोन कॉर्टिसोल का स्तर घटाने में मदद करता है। आप घर पर भी शांत स्थान पर अपनी आंखें बंद करके ध्यान लगा सकती हैं।
- अगर आप वर्किंग वीमेन हैं, तो काम छोड़े नहीं आराम से काम करें इससे आपका मन भी लगा रहेगा और आप अच्छा महसूस भी करेंगी।
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प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस फिर भी महसूस हो तो क्या करें?
अगर, आपके तनाव का स्तर इतना बढ़ गया है कि आप इससे पूरी तरह घिरा हुआ महसूस करें, तो अपने डॉक्टर से बात करें। अगर आप पहले से ही डिप्रेशन ग्रस्त हैं, तो गर्भावस्था की अतिरिक्त चिंताओं से निपटना मुश्किल हो सकता है। अगर, आप अवसाद के लिए कोई दवा ले रही हैं, तो जरूरी है कि इसे अचानक बंद न किया जाए। इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली कोई भी परेशानी अगर बढ़ती जाए तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। खुद से इलाज न करें।
अगर आप प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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