प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के लिए खुशी के साथ ही ढेर सारी चुनौतियां और हेल्थ प्रॉब्लम्स भी लेकर आता है। उसमें से एक है ब्लैडर और बॉवेल मूवमेंट से जुड़ी समस्या। अधिकांश महिलाएं गर्भावस्था में इनसे परेशान रहती हैं, हालांकि सही डायट और एक्सरसाइज के जरिए इन्हें काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। आइए, जानते हैं प्रेग्नेंसी में ब्लैडर और बॉवेल प्रॉब्लम (bladder and bowel problems in pregnancy) से निजात पाने के कुछ उपाय। यदि आप भी प्रेग्नेंसी में ब्लैडर और बॉवेल प्रॉब्लम से परेशान हैं तो इस आर्टिकल से आपको मदद मिल सकती है।
प्रेग्नेंसी में ब्लैडर और बॉवेल प्रॉब्लम क्या होती हैं? (What is bladder and bowel problems in pregnancy)
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को मूत्राशय यानी यूरिन और पेट से जुड़ी बहुत तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे बार-बार पेशाब के लिए जाना, पेशाब लीक होना (urine leakage), कब्ज या पाइल्स की समस्या। इसे ही ब्लैडर और बॉवेल प्रॉब्लम (bladder and bowl problem) कहा जाता है। इस दौरान पेट साफ न रहने से कई तरह की अन्य समस्या हो सकती हैं। इसलिए इन समस्याओं को नजरअंदाज करने की बजाय जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करने और हेल्दी डायट (healthy diet) फॉलो करने की जरूरत है।
प्रेग्नेंसी में होने वाली आम ब्लैडर और बॉवेल की समस्याएं (Commmon bladder and bowel problems in pregnancy)
प्रेग्नेंसी में ब्लैडर की तकलीफ (bladder problem in pregnancy) या प्रेग्नेंसी में डाइजेशन की प्रॉब्लम (digestion problem in pregnancy) होना आम है। आइए, जानते हैं प्रेग्नेंसी होने वाली कुछ आम ब्लैडर और बॉवेल की समस्याओं के बारे में।
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कब्ज (Constipation)
गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाओं के कारण कब्ज की समस्या (constipation problem) होना आम है। इसकी वजह से मोशन पास करने में दिक्कत होती, मोशन सख्त हो जाता है, पेट साफ नहीं रहता या मल त्याग के लिए ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। कब्ज की समस्या होने पर चूकी पेट साफ नहीं रहता, इसलिए महिलाएं ठीक से कुछ खा नहीं पाती है, इससे गर्भावस्था में डाइजेशन की समस्या (digestion problem)हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि हेल्दी लाइफस्टाइल (healthy lifestyle) अपनाकर या डॉक्टर से परामर्श करके इस समस्या का समाधान किया जाए।
प्रेग्नेंसी में कब्ज के कारण ( Causes of Constipation during pregnancy)
गर्भावस्था में कब्ज (constipation during pregnancy) की समस्या कई कारणों से हो सकती है इसमें शामिल है-
- शरीर में पानी की कमी या पर्याप्त भोजन न करना भी इसका एक कारण है। प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में अक्सर महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) की समस्या होती है जिसकी वजह से वह ठीक से कुछ खा-पी नहीं पाती हैं।
- हार्मोनल बदलाव भी कब्ज के लिए जिम्मेदार है। प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन (progesterone hormone) के अधिक स्राव से पाचन क्रिया धीमी हो जाती है।
- गर्भवती महिलाओं को भ्रूण के विकास को देखते हुए अपनी डायट में कुछ बदलाव करने होते हैं और यह भी कब्ज की वजह हो सकता है।
- शरीर में आयरन (iron) की मात्रा बढ़ने पर भी कब्ज की समस्या हो सकती है। प्रेग्नेंसी (pregnancy) में डॉक्टर आयरन सप्लीमेंट (iron supplement) देते हैं, जिससे महिलाओं को कब्ज हो सकता है।
प्रेग्नेंसी में कब्ज से बचने के उपाय (Tips to prevent constipation during pregnancy)
कब्ज (constipation) की समस्या किसी के लिए भी बहुत असहज करने वाली है, लेकिन आप अपनी जीवनशैली में थोड़ा बदलाव करके और कुछ घरेलू तरीके आजमाकर इससे बचाव कर सकती हैं।
- डायट में फाइबर से भरपूर (high fibre) चीजें शामिल करें जैसे होलमील ब्रेड, होलग्रेन सीरियल, फल, सब्जियां, दालें, बीन्स आदि।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज (regular exercise) या सैर करें।
- पर्याप्त पानी पीएं।
कुछ घरेलू उपाय
इन घरेलू उपायों को अपनाकर भी कब्ज से राहत पाई जा सकती है।
- गुनगुने पानी में नींबू डालकर पीएं। इससे मोशन सख्त नहीं होता है और सुबह आसानी से पेट साफ हो जाता है। सुबह उठने के बाद सबसे पहले नींबू पानी पीएं।
- विटामिन सी से भरपूर फल जैसे संतरा, अंगूर का अधिक सेवन करें, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है।
- रात को सोते समय इस्बगोल (Isabgol) को गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने से भी कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
- फ्लैक्स सीड यानी अलसी में डायट्री फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, इसलिए इसे भी थोड़ी मात्रा में जरूर खाएं।
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बवासीर (Hemorrhoid)
प्रेग्नेंसी में ब्लैडर और बॉवेल प्रॉब्लम (bladder and bowel problems in pregnancy) होना आम है और इसमें से एक समस्या है बवासीर (Haemorrhoids) की, जिसे पाइल्स (piles) भी कहते हैं, निचले मलाशय (lower rectum) और गुदा (anus ) में या उसके चारों नसों के बढ़ने या सूजन से होने वाली स्थिति है, जिसमें मल के साथ ही खून भी आता है और मल त्याग के समय दर्द होता है। यह समस्या किसी को भी हो सकती है। प्रेग्नेंसी में पाइल्स होने की वजह है कब्ज (constipation) और भ्रूण के बढ़ने के कारण गर्भाशय (uterus) पर दबाव। बवासीर में खुजली, दर्द महसूस हो सकता है और मल त्याग के समय खून भी निकल सकता है। इसके अलावा गुदा के आस-पास की गांठ जैसा महसूस होता है। मल त्याग के समय दर्द होने के साथ ही उसके बाद बलगम जैसा स्राव होता है। इसकी वजह से मरीज बहुत असहज महसूस करता है। गर्भावस्था में यदि पाइल्स की समस्या हुई है तो बच्चे की डिलीवरी के बाद यह अपने आप ठीक हो जाता है और यदि ऐसा नहीं होता है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है।
बवासीर की समस्या से बचाव के उपाय (Tips to prevent haemorrhoids)
बवासीर की समस्या कब्ज से जुड़ी हुई है, इसलिए डायट में बदलाव करके कुछ हद तक इससे बचा जा सकता है। पाइल्स की समस्या से बचने के लिए आप डायट और जीवनशैली में निम्न बदलाव कर सकते हैं-
- फाइबर (fiber) से भरपूर अनाज, दालें, फल और सब्जियां खाएं। यह समस्या होने पर उसे और गंभीर बनाने से बचाता है।
- खूब पानी पीएं, यह कब्ज (constipation) से बचाता है और जब कब्ज की समस्या नहीं होगी तो पाइल्स का खतरा भी कम हो जाता है।
- बहुत देर तक एक ही जगह पर खड़े न रहे। ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) ठीक रखने के लिए चलना जरूरी है।
- दर्द कम करने के लिए बर्फ के पानी में कपड़ा डुबोकर इसे बवासीर वाली जगह पर रखें।
- मल त्याग के लिए अधिक दबाव न दें, इससे स्थिति और खराब हो सकती है।
- गुदा (anus) के आसपास सूजन को कम करने के लिए दवा उपलब्ध है, इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेकर उनका सेवन कर सकते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के किसी तरह की दवा या क्रीम का इस्तेमाल न करें।
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प्रेग्नेंसी में बार-बार पेशाब जाना (Frequent urination)
प्रेग्नेंसी में ब्लैडर और बॉवेल प्रॉब्लम (bladder and bowel problems in pregnancy) में बार-बार पेशाब जाना भी शामिल है। गर्भवती महिलाओं में यह समस्या प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही होने लगती है और कुछ में तो पूरी गर्भावस्था में यह समस्या बनी रहती है। एचसीजी हार्मोन (hcg hormone)) के स्तर में वृद्धि के कारण प्रेग्नेंसी में महिलाओं को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में इसका कारण हो सकता है बच्चे का मूत्राशय (bladder) पर दबाव बनाना या आराम करना। सिर्फ दिन में ही नहीं महिलाओं को रात में भी बार-बार पेशाब (frequent urination) जाना पड़ता है जिसकी वजह से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। ऐसे में उन्हें रात को पानी कम पीने के साथ ही दिन में भी चाय/कॉफी का सेवन कम करना चाहिए, हालांकि दिन के समय पर्याप्त पानी, जूस, नारियल पानी आदि पीना जरूरी है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
प्रेग्नेंसी में बार-बार पेशाब जाने के कारण (Causes of frequent urination)
हार्मोनल बदलावों के अलावा बार-बार पेशाब जाने के लिए निम्न कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं-
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (urinary tract infection ) होने पर आपको पेशाब करते समय दर्द या जलन का अनुभव होता है और बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है। यह समस्या होने पर तुरंत उपचार करना जरूरी है।
- जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) प्रेग्नेंसी के दौरान ही होता है और उसके बाद अपने आप ठीक हो जाता है। यदि आपको बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है, तो इसकी वजह जेस्टेशनल डायबिटीज भी हो सकता है।
- इसके अलावा ज्यादा पानी पीना, बहुत अधिक कैफीन (caffeine) का सेवन, वजन बहुत बढ़ना या किसी तरह के दवा के सेवन से ब्लैडर पर दबाव बढ़ता है।
- पेल्विक एरिया (pelvic area) में लगी किसी तरह की चोट भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
यदि पेशाब करते समय आपको दर्द, जलन या पेशाब के साथ खून आता है तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है।
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पेशाब लीक होना (Urine Incontinence)
महिलाओं के लिए यह बहुत ही शर्मिंदगी वाली स्थिति होती है, लेकिन उनका इस पर कंट्रोल नहीं होता। गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण पेल्विक मसल्स भी रिलैक्स हो जाती हैं जिससे खांसते, छींकते, हंसते या अचानक से उठते समय पेशाब लीक हो जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए किसी तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती, हां डॉक्टर की सलाह पर आप कुछ पेल्विक एक्सरसाइज (pelvic exercise) जरूर कर सकती हैं, जिससे पेल्विक मसल्स मजबूत होती है।
प्रेग्नेंसी में ब्लैडर और बॉवेल प्रॉब्लम (bladder and bowel problems in pregnancy) किसी भी महिला के लिए बहुत असहज और तकलीफदेह होता है, लेकिन वह यदि अपने डायट और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने पर जोर दें, तो इन समस्याओं को कुछ हद तक कम जरूर किया जा सकता है।
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