प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के बाद सबसे महत्वपूर्ण काम होता है नवजात बच्चे का चेकअप। जब बच्चा पैदा होता है तो पीडियाट्रिशियन बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट की जांच करते हैं। साथ ही वे पेरेंट्स को बच्चे के खाने, सोने और वैक्सिनेशन संबंधी बातों के बारे में भी जानकारी देते हैं। नवजात बच्चे का चेकअप जन्म के बाद ही शुरू हो जाता है। माता-पिता बच्चे के जन्म के बाद एक्साइटेड होते हैं और कामना करते हैं कि उनका बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो। बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपको डॉक्टर से कुछ जरूरी बातों की जानकारी लेनी चाहिए और साथ ही डॉक्टर जो भी बेबी हेल्थ चेकअप कराने की सलाह दें, उन्हें नियमित रूप से कराना चाहिए। आज “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में जानते हैं कि नवजात बच्चे का चेकअप क्यों जरूरी है और कितने-कितने समय में ये बेबी हेल्थ चेकअप कराने चाहिए।
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कब शुरू होता है नवजात बच्चे का चेकअप ?
पीडियाट्रिशियन हर विजिट के समय नवजात बच्चे का चेकअप करने के दौरान बच्चे की हाईट, लेंथ, एब्डॉमिन और सिर की परिधि की जांच करता है। इस दौरान बच्चे के पूरे शरीर की जांच की जाती है। बच्चे के जन्म का पहला साल बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान शिशु ग्रोथ करने के साथ ही चलने लगता है।
नवजात बच्चे का चेकअप करते समय डॉक्टर बच्चे के सिर की भी जांच करता है कि सिर के सॉफ्ट स्पॉट क्लोज (soft spot) हुए हैं या फिर नहीं। नवजात बच्चे का चेकअप करते समय बच्चे के शरीर में रैशेज (rashes), ज्वाइंडिस, आर्म, पैर और हिप्स भी चेक किए जाते हैं। आप जितनी बार भी डॉक्टर के पास नवजात बच्चे का चेकअप कराने जाते हैं, वो डेवलपमेंट मार्कर (development marker) जैसे कि आई कॉन्टेक्ट, स्माइल, बिना सपोर्ट के बैठने की क्षमता आदि की जांच भी करेगा। इसके साथ डॉक्टर रिफ्लेक्स की भी जांच करते हैं।
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कब कराना चाहिए नवजात बच्चे का चेकअप?
बच्चों की हेल्थ और डेवलपमेंट के लिए आपको चार साल के दौरान सप्ताह, महीने और साल के भीतर बच्चे का चेकअप करवाना चाहिए।
- जन्म के समय नवजात बच्चे का चेकअप
- एक से चार हफ्ते के बीच नवजात बच्चे का चेकअप
- छह से आठ सप्ताह के बीच चेकअप
- छह से नौ महीने के दौरान बच्चे का चेकअप
- दो साल में बेबी हेल्थ चेकअप
- तीन साल में बच्चे का चेकअप
- चार साल में बच्चे का चेकअप
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नवजात बच्चे के रिफ्लेक्स की जांच
बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर बच्चों में रिफलेक्स की जांच करते हैं। नवजात शिशु का प्रतिक्रिया (reaction) देना जरूरी होता है। इसके लिए डॉक्टर शिशु के हाथ में उंगली रखकर, मुंह में टच करके, चौंकाने के लिए थोड़ी तेज आवाज जैसी तमाम गतिविधियां करके जांच करते हैं।
ग्रेस्प रिफ्लेक्स (Grasp reflex)
इस दौरान शिशु की खुली हथेली में उंगली रखी जाती है। बच्चे को उंगली पकड़नी चाहिए। शिशु उंगली पर मजबूत पकड़ बनाता है।
मोरो रिफ्लेक्स (Moro reflex)
नवजात बच्चे का चेकअप करते समय डॉक्टर मोरो रिफ्लेक्स की भी जांच करता है। इसमें शिशु डरकर चौंक जाता है। मोरो रिफ्लेक्स में बच्चा रोते हुए अपनी बाहों को फैलाता है।
रूटिंग रिफ्लेक्स (Rooting reflex)
जब बच्चे के मुंह या होंठ के दोनों तरफ स्ट्रोक होता है तो नवजात अपना सिर घुमाने की कोशिश करता है। नवजात इस दौरान दूध पीने के लिए निप्पल खोजने की कोशिश करता है।
सकिंग रिफ्लेक्स (Sucking reflex)
जब कोई वस्तु नवजात के मुंह में रखी जाती है तो वो इसे चूसने लगता है। इसे सकिंग रिफ्लेक्स कहते हैं।
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बेबी का वेक्सिनेशन
बच्चे के जन्म के बाद उसे हेपेटायटिस बी वैक्सीन (hepatitis b) दिया जाता है। मां के हॉस्पिटल छोड़ने के पहले ये वैक्सीन दे दिया जाता है। वैक्सीन की हेल्प से बच्चे को खांसी, खसरा, मीजल्स के साथ ही अन्य रोगों से रक्षा मिलती है। बच्चे को दो साल तक और उसके बाद किस तरह से वैक्सीन दिए जाने हैं, इस बात की जानकारी हॉस्पिटल में दे दी जाएगी। हॉस्पिटल से आपको वैक्सीन कार्ड (vaccine card) दिया जाएगा जिसमें बच्चे की उम्र के साथ ही कौन सा वैक्सीन देना है? इस बात की जानकारी दी जाएगी।
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नवजात बच्चे का चेकअप के पहले महीने में डॉक्टर से पूछें ये सवाल
पहले महीने में नवजात बच्चे का चेकअप करने के दौरान मुख्य रूप से वेट, लेंथ और हाईट नापी जाती है। आप इस दौरान डॉक्टर से कुछ सवाल पूछ सकती हैं जैसे कि फीडिंग कितनी बार कराना सही है? या फिर 24 घंटे के दौरान बच्चे को क्या फॉर्मुला फीड (formula feed) की जरूरत पड़ सकती है? बच्चे को डकार कैसे दिलाई जाए? बच्चा दिन में कितनी बार यूरिन पास और पॉटी कर सकता है आदि। आप अगर पहली बार मां बनी हैं तो आपको जानकारी नहीं होगी कि बच्चा कितने घंटे सोता है। शिशु का कितना रोना ठीक है? आदि कुछ सवाल आप डॉक्टर से पूछ सकती हैं।
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नवजात बच्चे का चेकअप के एक साल के बाद ये बात रखें ध्यान
एक साल के बाद बच्चे की जांच 18 महीने, दो साल, तीन साल और 4 साल के दौरान की जाती है। डॉक्टर आपको ये भी सलाह दे सकता है कि बच्चे को स्कूल में भेजने से पहले एक बार उसका डेंटल चेकअप भी करवा लें। बच्चे का तीन साल और चार साल के दौरान वैक्सिनेशन जरूर कराएं। स्कूल में भी समय-समय पर बच्चों का चेकअप और वैक्सिनेशन कैंप लगाया जाता है।
शिशु के होने के बाद माता-पिता पर कई तरह की नई जिम्मेदारियां आ जाती हैं। उन्हीं में से एक है नवजात बच्चे का चेकअप भी है। पेरेंट्स सुनिश्चित करें कि शिशु का हेल्थ चेकअप हमेशा समय पर होता रहे। इससे यह पता चलता रहेगा कि आपका शिशु सही तरीके से विकसित हो रहा है या नहीं। अगर न्यू बॉर्न शिशु को कोई भी समस्या होती है तो आप उसे जल्दी पता लगा सकते हैं। इससे किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए उपचार बेहतर तरीके से संभव हो पाता है।
इन जांचों के दौरान नवजात शिशु को अगर किसी आवश्यक टीकाकरण की आवश्यकता होगी तो भी डॉक्टर आपको पहले से पहले अवगत करा देंगे। इसके अलावा आप अपने चिकित्सक से शिशु की देखभाल कैसे करें। इससे संबंधित भी कुछ टिप्स ले सकते हैं। बच्चे को चेकअप के साथ वैक्सिनेशन की कब जरूरत है? इसके बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें। वैक्सीन या चेकअप संबंधी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।
हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सक सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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