क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स रुक जाते हैं? ज्यादातर तो न्यू मॉम्स यही मान के चलती हैं कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान उन्हें पीरियड्स नहीं होंगे। लेकिन, यह सिर्फ एक मिथक है। सच्चाई यह है कि आपको पहले की तरह ही मेंस्ट्रुएशन आना शुरू हो जाएंगे। कभी-कभी, प्रसव के कुछ ही हफ्तों के अंदर ही पीरियड्स आने लगते हैं। डिलिवरी के बाद दोबारा मेंस्ट्रुएशन होना इस बात पर निर्भर करता है कि मां अपने शिशु को कितना स्तनपान कराती है। दरअसल, ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली न्यू मदर्स के शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन ब्रेस्ट मिल्क बनाने का काम करता है। इससे ओव्यूलेशन भी रुक जाता है जिससे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स में देरी होती है। इसलिए देखा गया है कि जो महिलाएं स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें जल्दी ही मेंस्ट्रुएशन आने लगते हैं। जानते हैं हैलो स्वास्थ्य के इस लेख में स्तनपान और पीरियड्स से जुड़े तथ्यों के बारे में-
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स के बारे में अक्सर पूछें जानें वाले सवाल
स्तनपान के दौरान मेंस्ट्रुएशन से जुड़े कुछ आम सवाल जो हर महिला के मन में आते हैं। जैसे-
प्रेगनेंसी के बाद पीरियड्स कब आते हैं?
इसके लिए कोई निश्चित समय बता पाना मुश्किल है। कई स्टडीज ने पाया है कि जो महिलाएं अपने बच्चों को बोतल से दूध पिलाती हैं उनके पीरियड्स की शुरुआत उन महिलाओं की तुलना में जल्दी होती है जो बच्चे को स्तनपान कराती हैं। स्तनपान का प्रभाव मां के शरीर पर कैसा पड़ रहा है? इसके लिए माँ की उम्र, ब्रेस्टफीडिंग की फ्रीक्वेंसी और समय जैसे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। यहां तक कि मां बच्चे को ब्रेस्ट मिल्क (breast milk) बोतल से या सीधे स्तनों से पिला रही है। इसका असर भी मां की बॉडी पर अलग होता है।
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क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पोस्टपार्टम पीरियड्स से पहले भी गर्भधारण हो सकता है?
हां, प्रसव के बाद पीरियड्स शुरू होने से पहले ही आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं। स्तनपान के दौरान ओवरी से अंडा रिलीज कर सकती हैं। इसलिए, यदि आप प्रसव के बाद सेक्स संबंध में शामिल हैं और बर्थ कंट्रोल मेथड्स (birth control methods) का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो पहले पोस्टपार्टम पीरियड (postpartum periods) से पहले ही आप गर्भधारण कर सकती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स अनियमित क्यों होते हैं?
जन्म देने के तुरंत बाद के महीनों में अनियमित पीरियड्स होना आम बात है। जो महिलाएं स्तनपान करवा रही हैं, उनमें इररेगुलर पीरियड्स होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा ब्रेस्टफीडिंग को सपोर्ट करने वाले हार्मोन की वजह से होता हैं। जिसके कारण ओव्युलेशन में देरी या बार-बार ओव्युलेशन हो सकता है। यहां तक कि जो महिलाएं स्तनपान नहीं करा रही हैं, उनमें भी पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं, क्योंकि शरीर को गर्भावस्था और चाइल्ड बर्थ के बाद रिकवरी में समय लगता है। समय के साथ, पीरियड्स अपने सामान्य पैटर्न पर वापस आ जाएंगे।
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क्या पीरियड्स के दौरान ब्रेस्टफीड करवाना सुरक्षित है?
हां, मेंस्ट्रुएशन के दौरान स्तनपान पूरी तरह से सुरक्षित है। ब्रेस्ट मिल्क शिशु के लिए हेल्दी होता है, भले ही आपके पीरियड्स क्यों ही न आ रहे हों। यदि इस दौरान आपको दूध कम बनने की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
डिलिवरी के बाद दोबारा पीरियड्स क्या पहले जैसे ही होते हैं?
चाइल्ड बर्थ के बाद पीरियड्स शुरू होने पर इसमें कुछ बदलाव आपको दिख सकते हैं या नहीं भी। कई महिलाओं को पहले से ज्यादा या कम ब्लीडिंग हो सकती है और मेंस्ट्रुएशन के दिन भी कम या ज्यादा हो सकते हैं। प्रसव के बाद महिला के शरीर में कई तरह के हॉर्मोनल बदलाव आते हैं जिसका असर मेंस्ट्रुएशन पर पड़ सकता है। प्रसव के बाद यूट्रस बढ़ जाने और डाइलेटेड सर्विक्स की वजह से कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के बाद पीरियड्स में सुधार भी आता है। प्रेग्नेंसी में रिलीज होने वाले हॉर्मोन्स से गर्भाशय की मसल्स को आराम मिलता है।
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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स स्तनपान को कैसे प्रभावित करता है?
पीरियड्स ब्रेस्टफीडिंग को प्रभावित नहीं करता है। केवल ब्रेस्ट्स और ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई में कुछ बदलाव हो सकते हैं।
दूध की आपूर्ति में कमी
न्यू मॉम पीरियड्स के दौरान ब्रेस्ट मिल्क फ्लो में कुछ कमी महसूस कर सकती हैं। हालांकि, यह टेम्पररी होता है और कुछ दिनों में ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई सही हो जाता है। स्तनों में दूध सही से बने और उसका फ्लो सही हो इसके लिए संतुलित आहार लें। यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं। मिल्क प्रोडक्शन में सुधार करने के लिए डॉक्टर आपको कैल्शियम और मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं।
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मिल्क कम्पोजिशन में बदलाव
कुछ शोधकर्ताओं ने पाया है कि ओव्युलेशन और पीरियड्स के दौरान, सोडियम और क्लोराइड की मात्रा बढ़ जाती है, जबकि मां के दूध में लैक्टोज और पोटेशियम की कमी हो जाती है। इससे मां के दूध के स्वाद में हल्का बदलाव हो सकता है।
निप्पल में सूजन
पीरियड्स के दौरान होने वाला हॉर्मोनल परिवर्तन निप्पल में कोमलता का कारण बन सकते हैं। यह एक अस्थायी बदलाव है। बंद ब्रेस्ट डक्ट्स और अन्य संबंधित समस्याओं से बचने के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराना जारी रखें।
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डॉक्टर को कब दिखाएं?
स्तनपान और पीरियड्स अक्सर एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स में अनियमितता या बदलाव हालांकि बहुत ही सामान्य हैं लेकिन, कुछ स्थितियों में गायनेकोलॉजिस्ट को तुरंत दिखाना सबसे सही रहता है। जैसे-
- स्तनपान रोकने के बाद पीरियड्स न हों,
- पीरियड फ्लो बहुत ज्यादा या बहुत कम,
- स्पॉटिंग होना,
- अचानक वजन कम होना,
- पेल्विक एरिया में दर्द,
- ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा में अचानक कमी,
- नर्सिंग करते समय बहुत ज्यादा दर्द,
- निपल्स पर दरारें पड़ना,
- निपल्स से ब्लीडिंग होना,
- बुखार के साथ ब्लीडिंग होना,
- मेंस्ट्रुएशन क्रैम्प्स बहुत ज्यादा होना,
- स्तनों में गांठ।
यदि आपको दो मेंस्ट्रुएशन के बीच बहुत हेवी ब्लीडिंग दिखाई दे, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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पीरियड्स और फर्टिलिटी
जब आपके पीरियड्स वापस से आने लगते हैं, तो आपको मान लेना चाहिए कि आप फर्टाइल हो रही हैं। इसलिए, अगर आप बर्थ कंट्रोल करना चाहती हैं तो इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करें। आपके शिशु के जन्म के लगभग चार से छह सप्ताह बाद आपकी पहली पोस्टपार्टम चेकअप के दौरान गर्भनिरोधक विकल्पों के बारे में डॉक्टर से बात कर सकती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीरियड्स ब्रेस्ट मिल्क को प्रभावित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सलाह देता है कि सभी नवजात शिशुओं को उनके जीवन के पहले छह महीनों के लिए विशेष रूप से स्तनपान कराया जाए। ब्रेस्टफीडिंग कराते समय आपको कुछ महीनों तक अनियमित मेंस्ट्रुएशन या पीरियड्स नहीं भी हो सकते हैं, यह सामान्य है। लेकिन अगर आपको कोई चिंता है, तो हेल्थ एक्सपर्ट से परामर्श करने में संकोच न करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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