प्रेग्नेंसी में संक्रामक बीमारी: गर्भावस्था में HIV और AIDS
एवर्ट की साल 2017 के एक रिपोर्ट अनुसार प्रेग्नेंसी के 2 हफ्ते बाद ही गर्भ में पल रहे शिशु में HIV की जानकारी मिल जाती है। साऊथ एशिया में 17 प्रतिशत, ईस्टर्न यूरोप एंड सेंट्रल एशिया में 51 प्रतिशत, लेटिन अमेरिका और कैरिबियन में 45 प्रतिशत, मिडिल ईस्ट और नार्थ अफ्रीका में 28 प्रतिशत, ईस्ट और साऊथ अफ्रीका में 52 प्रतिशत और वेस्ट और सेंट्रल अफ्रीका में 20 प्रतिशत तक शिशु गर्भावस्था में HIV से इंफेक्टेड हो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। गर्भावस्था में HIV और AIDS दोनों से कैसे बचा जाए इस पर रिसर्च जारी है। आज जानेंगे गर्भावस्था में HIV और AIDS कैसे गर्भ में पल रहे शिशु को इंफेक्ट कर देता है।
महिलाओं और बच्चों में HIV और AIDS काफी तेजी से फैलता है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 38 प्रतिशत महिलाएं HIV और AIDS से पीड़ित हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर गर्भावस्था में HIV और AIDS की बीमारी है, तो जन्म लेने वाला शिशु भी HIV और AIDS के संक्रमण का शिकार हो सकता है।
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प्रेग्नेंसी में संक्रामक बीमारी: गर्भावस्था में HIV और AIDS गर्भ में पल रहे शिशु तक कैसे पहुंच सकता है?
प्रेग्नेंसी में संक्रामक बीमारी मां से शिशु में लेबर, बेबी डिलिवरी या फिर ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान HIV का संक्रमण फैल सकता है। इसे मेडिकल टर्म में पेरिनेटल ट्रांसमिशन (Perinatal transmission) कहते हैं। बच्चों में HIV इंफेक्शन का सबसे अहम कारण पेरिनेटल HIV ट्रांसमिशन ही माना जाता है। इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार HIV इंफेक्टेड मां और शिशु की संख्या कई देशों में बढ़ी हैं। इसलिए गर्भावस्था में HIV और AIDS जैसी बीमारी है तो सचेत रहें।
- हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान प्लासेंटा से शिशु तक संक्रमण पहुंच सकता है।
- शिशु के जन्म के समय वजायना से तरल पदार्थ भी निकलता है। इसके संपर्क में रहने से भी शिशु में HIV का खतरा हो सकता है।
- शिशु को स्तनपान करवाने के दौरान भी HIV का खतरा हो सकता है।
इन तीन अहम कारणों से शिशु में HIV की संभावना बढ़ जाती है।
एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं की देखभाल दिन-प्रतिदिन बेहतर होती जा रही है। यदि एचआईवी का उपचार ठीक से किया जाए तो संक्रमित मांओं के गर्भ से जन्म लेने वाले 200 में से केवल एक शिशु ही इस विषाणु की चपेट में आ सकता है।
गर्भावस्था में दवाएं लेने से वायरस का अपरा से होते हुए शिशु तक पहुंचने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है। इसलिए, अगर आपको एचआईवी है तो सही उपचार और देखभाल शिशु को सुरक्षित रखने में काफी मदद करती है।
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गर्भावस्था में HIV और AIDS से जुड़ी जानकारी से पहले जानते हैं HIV और AIDS क्या है?
HIV (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) क्या है?
HIV एक तरह का वायरस है जो इम्यून सिस्टम पर बुरा असर डालता है। HIV व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है ,लेकिन ये जरूरी नहीं की HIV पीड़ित गर्भवती महिला को AIDS हो।
प्रेग्नेंसी में संक्रामक बीमारी: AIDS (एक्वायर्ड इम्यूनो-डेफिशिएंसी सिंड्रोम) क्या है?
AIDS एक तरह का सिंड्रोम है और यह HIV वायरस के अत्यधिक बढ़ जाने के बाद होता है। AIDS एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है, लेकिन ऐसे लोग जिन्हें HIV है उन्हें AIDS होने की संभावना ज्यादा होती है। यूनिसेफ के रिपोर्ट अनुसार 35 प्रतिशत के ज्यादा AIDS पीड़ितों की उम्र 25 साल या इससे भी कम है और 50 प्रतिशत इंफेक्टेड लोगों की उम्र 15 से 24 वर्ष होती है।
HIV (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) के कारण क्या हैं?
ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल हैं।
- असुरक्षित यौन संबंध ।
- HIV इंफेक्टेड मां से बच्चों में इंफेक्शन हो सकता है।
- ब्रेस्ट फीडिंग की वजह से भी बच्चे में संक्रमण का खतरा हो सकता है, लेकिन ऐसी स्थिति में डॉक्टर HIV पीड़ित महिला को कुछ दवाइयों की सलाह दे सकते हैं।
- एनल सेक्स की वजह से HIV का खतरा बढ़ सकता है।
- हेट्रोसेक्शुअल, गे और बाइसेक्शुअल लोगों में HIV का खतरा होता है।
गर्भावस्था में HIV और AIDS के लक्षण क्या हो सकते हैं?
प्रेग्नेंसी में HIV और AIDS के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं।
- बुखार आना
- रैशेज
- सिर दर्द
- लिंफ नॉड्स में सूजन होना
- गला खराब होना
- थकान का एहसास
ये सभी शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।
HIV और AIDS होने पर गर्भधारण किया जा सकता है?
HIV या AIDS होने पर ऐसा नहीं है कि गर्भधारण नहीं किया जा सकता है, लेकिन शिशु में संक्रमण का खतरा बना रहता है। हालांकि इसके रिस्क को कम किया जा सकता है।
निम्नलिखित कुछ बातों को फॉलो करें अगर प्रेग्नेंसी में HIV और AIDS की समस्या है तो
- डॉक्टर को इसकी जानकारी अवश्य दें। हेल्दी प्रेग्नेंसी और शिशु को संक्रमण से बचाने के लिए हर संभव मदद कर सकते हैं।
- अगर HIV से पीड़ित हैं, तो HIV की दवा नियमित रूप से और समय पर खाया करें। HIV पेशेंट होने के बावजूद भी अगर समय पर दवा और ठीक तरह से इलाज करवाया गया तो शिशु में इसकी संभावना कम हो सकती है।
- अगर महिला (Wife) या पुरुष (Husband) दोनों में से कोई एक HIV या AIDS से पीड़ित है, तो ऐसी स्थिति में महिला गर्भधारण कर सकती हैं ,लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स से सलाह लेकर।
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HIV से कैसे बचें?
एचआईवी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि असुरक्षित तरीके से शारीरिक संबंध न बनाएं। सेक्स के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें, जैसे:
- सेक्स करते समय हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करें
- सिर्फ एक ही व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाए। यह भी ध्यान रखें की वह व्यक्ति HIV संक्रमित नहीं होना चाहिए।
- एल्कोहॉल और ड्रग्स का सेवन न करें। इससे आप सही निर्णय ले सकते हैं।
- सिगरेट या तंबाकू का सेवन भी बंद कर दें।
- HIV पॉजिटिव व्यक्ति के ब्लड के संपर्क में न आएं।
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HIV और AIDS में क्या है अंतर ?
ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV)
- HIV (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस ) एक वायरस है।
- HIV वायरस का असर इम्यून सिस्टम पर पड़ता है।
- HIV एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है।
- जरूरी नहीं कि HIV पीड़ित को AIDS हो।
एक्वायर्ड इम्यूनो-डिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS)
- AIDS एक सिंड्रोम है।
- HIV वायरस के अत्यधिक बढ़े हुए स्टेज के बाद होता है।
- AIDS एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है।
- HIV इंफेक्टेड व्यक्ति को AIDS होने की संभावना ज्यादा होती है।
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किसी भी व्यक्ति वो चाहे महिला हो या पुरुष सबसे पहले HIV से पीड़ित होते हैं और जब HIV की बीमारी पुरानी हो जाती है, तो AIDS का रूप ले लेती है। गर्भावस्था में HIV और AIDS से जुड़े काफी सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे, लेकिन अगर आप गर्भावस्था में HIV और AIDS से जुड़े किसी तरह के कोई विशेष सवाल का जवाब चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको इस विषय में अधिक जानकारी चाहिए तो बेहतर होगा कि डॉक्टर से संपर्क करें।
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