प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के दौरान ब्लीडिंग होना आम बात है। हालांकि, अगर ब्लीडिंग ज्यादा होने लगती है तो ये समस्या का कारण बन सकता है। लेबर के दौरान अगर महिला को बच्चा डिलिवर करने में अधिक समय लग रहा है तो ये भी हैवी ब्लीडिंग का कारण बन सकता है। लेबर के दौरान हल्की ब्लीडिंग को नॉर्मल माना जाता है। लेबर के समय पिंक, ब्राइट रेड या डार्क ब्राउन कलर की ब्लीडिंग हो सकती है। ब्लीडिंग के साथ ही कुछ मात्रा में म्यूकस और एम्निऑटिक द्रव भी आ सकता है। अगर महिला ने लेबर के समय पैंटी या पैड लगाया हुआ है तो उसे खून के धब्बे दिख सकते हैं। वहीं कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या नहीं होती है।
कई बार महिलाएं प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या को इग्नोर कर देती हैं। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग होना खतरे की निशानी के तौर पर भी देखा जा सकता है। अगर महिला को प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में थोड़ी मात्रा में ब्लीडिंग होती है तो ये नॉर्मल है। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग होने वाले बच्चे के लिए घातक हो सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि क्यों प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग होती है। साथ ही किस वजह से महिलाओं को पोस्टपार्टम हेमरेज की समस्या होती है।
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प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग के मुख्य कारण क्या हैं? (Heavy Bleeding in Pregnancy)
प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग को इंट्रापार्टम हेमरेज भी कहते हैं। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग का कारण प्लासेंटा प्रीविया भी हो सकता है। जब प्लासेंटा पूरी तरह या आंशिक रूप से यूट्रस के मुंह को कवर कर लेता है तो इस स्थिति को प्लासेंटा प्रीविया कहा जाता है। प्लासेंटा प्रीविया प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग का कारण बन सकता है। इस स्थिति में पूरी प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है।
ऐसे में डॉक्टर महिला को उन कार्यों को करने से मना कर सकते हैं, जिससे कॉन्ट्रैक्शन पैदा हो। इनमें सेक्स, लंबी दूरी तक ट्रैवल, भागना या ऐसा कोई भी काम जिससे शरीर को झटका लगता हो, शामिल है। अगर महिला प्रेग्नेंसी के दौरान मेहनत वाला काम करती है तो प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या अधिक बढ़ सकती है। ऐसे में बेहतर रहेगा कि महिला को डॉक्टर की बात माननी चाहिए और बिना सलाह के कोई भी काम नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है।
प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही और दूसरी तिमाही की शुरुआत यानी 20 हफ्तों तक प्लासेंटा बच्चेदानी में नीचे की तरफ होता है। 20 हफ्तों के बाद प्लासेंटा अपने आप ही यूट्रस के ऊपर आ जाता है। कुछ समय बाद बच्चेदानी का आकार बढ़ने से यह खुद ही अपना स्थान बदल लेता है। कभी- कभार यह बच्चेदानी के मुंह के निकट या उसे पूरी तरह ढंक लेता है। इस स्थिति में यह शिशु के मुंह को गर्भाशय के मुख के संपर्क में नहीं आने देता है। यहीं प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग का कारण बन जाता है।
प्लासेंटा प्रीविया के दौरान जांच (Test during Placenta Previa)
अगर महिला को प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग हो रही है तो डॉक्टर महिला की जांच करेगा। प्लासेंटा प्रीविया के कारण लेबर के दौरान भी समस्या हो सकती है। ये डिलिवरी के दौरान हैवी ब्लीडिंग का कारण बन सकता है। ऐसे में डॉक्टर महिला की जांच करता है।
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प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग – बच्चे की जांच (Child test)
इलेक्ट्रोनिक फेटल मॉनिटर (EFM)] मशीन की हेल्प से बच्चे के दिल की धड़कन को लगातार चेक किया जाता है। मशीन से चेक किया जाता है कि कहीं प्लासेंटा प्रीविया की वजह से बच्चे को किसी प्रकार की हानि तो नहीं पहुंच रही है। बच्चे में ब्लड फ्लो, ऑक्सीजन का ट्रांसपोर्ट और न्यूट्रिएंट्स की पहुंच के बारे में जानकारी ली जाती है। अगर बच्चे को किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है तो डॉक्टर को सी-सेक्शन का सहारा भी लेना पड़ सकता है।
मां की जांच
प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग होने पर बच्चे के साथ ही मां की जांच भी की जाती है। मां की नब्ज की जांच के साथ ही ब्लड प्रेशर भी चेक किया जाता है। साथ ही हाथ में इंट्रावेनस केनुला (intravenous (IV) cannula ) का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसे ड्रिप के साथ अटैच किया जाता है। अगर होने वाली मां को प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग हो रही है तो उसे शरीर में खून चढ़ाया जा सकता है। ऑपरेशन थिएटर जाते समय भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या को इग्नोर नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग होने वाले बच्चे के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
अल्ट्रासाउंड का उपयोग भी ब्लीडिंग संबंधी जांच के लिए किया जाता है। अगर महिला को प्लासेंटा प्रीविया की जानकारी नहीं है तो डॉक्टर आपको इस बारे में जानकारी देंगे। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या को इग्नोर नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग होने वाले बच्चे के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
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वजायना की आंतरिक जांच
ऑपरेशन थिएटर में एक बार वजायना की जांच भी की जाती है। इस दौरान ये देखा जाता है कि प्लासेंटा किस स्थिति में है। ये भी देखा जाता है कि कहीं प्लासेंटा गर्भाशय ग्रीवा को कवर तो नहीं कर रहा है। डॉक्टर हाथ की अंगुली के माध्यम से जांच कर सकती है। अगर डॉक्टर को लगता है कि प्लासेंटा काफी दूर है, तो वजायनल डिलिवरी संभव हो सकती है।
प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग – पोस्टपार्टम हेमरेज क्या होता है? (Postpartum hemorrhage)
डिलिवरी के बाद अधिक मात्रा में शरीर से खून निकलने की क्रिया को ही पोस्टपार्टम हेमरेज कहते हैं। चाइल्ड बर्थ के बाद पोस्टपार्टम हेमरेज का पता चलता है जब अधिक मात्रा में शरीर से खून निकल जाता है। पोस्टपार्टम हेमरेज (PPH) शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी महिला की वजायनल डिलिवरी के वक्त 500 एमएल और सी-सेक्शन के बाद 1000एम एल ब्लड का लॉस हो जाता है। अगर ब्लड का लॉस डिलिवरी के 24 घंटे के अंदर हो जाता है तो इसे प्राइमरी हेमरेज कहते हैं।
पोस्टपार्टम हेमरेज के कारण महिला का शरीर कमजोर हो जाता है। जबकि इस समस्या का सामना करने वाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
एक्सीडेंटल हेमरेज (accidental haemorrhage) क्या होता है?
प्लासेंटल एबरप्शन (placental abruption) को रेयर कॉम्प्लिकेशन भी कहा जाता है। ये प्रेग्नेंसी के दौरान 0.5 परसेंट तक हो सकता है। इस दौरान प्लासेंटा यूट्रस की वॉल से अलग हो जाता है। प्लासेंटा का मध्य भाग यूट्रस की दीवार से अलग हो जाता है। ऐसे में प्लासेंटा के आसपास रक्त के थक्के बन जाते हैं। इस कारण से प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग हो सकती है। इसे रेट्रोप्लासेंटल क्लॉट (retroplacental clot) भी कहते हैं। प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या को इग्नोर नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंसी मेंहैवी ब्लीडिंग होने वाले बच्चे के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
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प्लासेंटल एबरप्शन के कारण लेबर के दौरान निम्न समस्याएं दिखाई दे सकती हैं।
- अचानक से संकुचन बंद हो सकता है।
- बच्चे की दिल की धड़कन कम हो सकती है।
- लगातार पेट में दर्द और प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।
- ऐसे समय में यूट्रस को टच करना दर्दनाक साबित होता है।
अगर आपको भी प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर समस्या को समझकर कुछ उपाय करेंगे। अगर महिला प्रेग्नेंसी में हैवी ब्लीडिंग की समस्या को इग्नोर करती है तो ये होने वाले बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। डिलिवरी के दौरान भी समस्या उठानी पड़ सकती है। बेहतर रहेगा कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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