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गर्भावस्था के लिए आवश्यक हैं गोनाडोट्रॉपिन्स, जानिए इनके प्रकार के बारे में

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/07/2021

    गर्भावस्था के लिए आवश्यक हैं गोनाडोट्रॉपिन्स, जानिए इनके प्रकार के बारे में

    गोनाडोट्रॉपिन्स पेप्टाइड हॉर्मोन्स हैं जो ओवेरियन (Ovarian) और टेस्टिकुलर फंक्शन (Testicular function) को रेगुलेट करते हैं और नॉर्मल ग्रोथ, सेक्शुअल डेवलपमेंट (Sexual development) और रिप्रोडक्शन (Reproduction) के लिए जरूरी हैं। गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins) चार हैं। ह्यूमन गोनाडोट्रॉपिन्स में फॉलिकल स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन (Follicle stimulating hormone)  (FSH) और ल्यूटेनाइजिंग हॉर्मोन एलएच (Luteinizing hormone) (LH) शामिल हैं। इनका निमार्ण पिट्यूटरी ग्रंथि में होता है। वहीं कोरियोनिक गोनाडोट्रॉपिन (Chorionic gonadotropin) (hCG) प्लासेंटा के द्वारा बनाया जाता है। ये तीनों गोनाडोट्रॉपिन्स हेटरोडिमरिक प्रोटीन्स (Heterodimeric proteins) हैं। जिनमें दो पेप्टिटाइड चेन्स पाई जाती हैं। पिट्यूटरी गोनाडोट्रॉपिन्स गोनाडोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (GnRH) के नियंत्रण में होते हैं जिसे हायपोथैलेमस में प्रोड्यूस और ईस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन के सर्कुलेटिंग लेवल्स के रिस्पॉन्स में रिलीज किया जाता है।

    गोनाडोट्रॉपिन्स के हायली प्युरिफाइड और रिकॉब्निनेट फॉर्मूलेशन को हायपोगोनाडिज्म (Hypogonadism) और इनफर्टिलिटी के इलाज में उपयोग किया जाता है। वहीं जीएनआरएच (GnRH) के सिंथेटिक फॉर्म को गोनाडोट्रॉपिन्स के साथ असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्निक्स (Assisted reproductive techniques) और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization) में यूज किया जाता है। गोनाडोट्रॉपिन्स के हाय डोज को ओवेरियन हायपरस्टिम्युलेशन सिंड्रोम (Ovarian hyperstimulation syndrome) में उपयोग किया जाता है।

    गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins)

    गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार चार हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जान लेते हैं। गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins)  में सबसे पहले समझते हैं एफएसएच के बारे में।

    फॉलिकल स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन (Follicle stimulating hormone)

    गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins) में सबसे पहले बात की जाती है एफएसएच के बारे में। यह एक पिट्यूटरी हॉर्मोन है जो ग्रोथ, सेक्शुअल डेवलपमेंट, रिप्रोडक्शन जिसमें पीरियड्स, फॉलिकुलर डेवलपमेंट और ऑव्युलेशन शामिल आदि को रेगुलेट करता है। एफएसएच को सेक्स हॉर्मोन्स के सर्कुलेशन के प्रभाव में नियंत्रित किया जाता है। यह ओवेरियन फॉलिकल्स में रिसेप्टर्स के साथ इंटरैक्ट करता है और फॉलिकल्स के मैच्योर होने के लिए सबसे बड़ा सर्वाइवल फैक्टर होता है। एफएसएच टेस्टिस में स्पर्मेटोजेनेसिस और एंड्रोजन को बढ़ावा देता है। इसलिए यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में सेक्शुअल मैच्यूरेशन और रिप्रोडक्शन के लिए जरूरी है।

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    गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins)

    ल्यूटेनाइजिंग हॉर्मोन (Luteinizing hormone)

    ल्यूटेनाइजिंग हॉर्मोन गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins) में दूसरे नंबर पर आता है। (एलएच) एक पिट्यूटरी हॉर्मोन है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में यौन विकास और प्रजनन के लिए आवश्यक है। LH को हाइपोथैलेमस से जीएनआरएच GnRH द्वारा नियंत्रित किया जाता है जो सेक्स हॉर्मोन्स के सर्कुलेटिंग लेवल्स के प्रति संवेदनशील होता है। एलएच ओवेरियन फॉलिकल्स पर रिसेप्टर्स के साथ इंटरैक्ट करता है और उनकी परिपक्वता को बढ़ावा देता है। मासिक धर्म चक्र के बीच में, एलएच की बड़ी हुई मात्रा ऑव्युलेशन को ट्रिगर करने के साथ ही कॉर्पस ल्यूटियम द्वारा प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन को प्रमोट करती है जो फर्टलाइज एग के प्लांटेशन के लिए गर्भाशय एंडोमेट्रियम की परिपक्वता के लिए आवश्यक है। पुरुषों में, एलएच टेस्टिस द्वारा टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को उत्तेजित करता है।

    ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रॉपिन्स (Human chorionic gonadotropin)

    गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins) में तीसरे नंबर पर आता है एचसीजी हॉर्मोन का। यह एक पॉलिपेप्टाइड हॉर्मोन है जिसका निमार्ण प्लासेंटा द्वारा फर्टलाइज एग के प्लांटेशन के द्वारा किया जाता है। एचसीजी हॉर्मोन ओवरी के ल्यूटेनाइजिंग हॉर्मोन रिसेप्टर्स के साथ इंटरैक्ट करता है। जो कॉर्पस ल्यूटियम को प्रमोट करती है जिससे प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन होता है, जो कि गर्भावस्था को बनाए रखने और भ्रूण के विकास को सपोर्ट करने के लिए जरूरी है। एससीजी के इंजेक्शन एलएच में वृद्धि की नकल करते हैं जो ऑव्युलेशन के लिए जरूरी है और इनका उपयोग फीमेल इनफर्टिलिटी के इलाज में किया जाता है। एनसीबीआई के अनुसार एचसीजी के उपयोग से 30 प्रतिशत महिलाओं में गर्भधारण हुआ।

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    गोनाडोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (Gonadotropin releasing hormone)

    गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार में चौथा नंबर आता है जीएनआरएच का। यह एक न्यूरोहॉर्मोन है। जिसका निमार्ण हायपोथैलेमस के द्वारा होता है। जीएनआरएच पिट्यूटरी ग्लैंड में काम करता है जिससे एलएच और एफएसएच का सिंथेसिस और सीक्रेशन होता है। जीनएनआरएच की एक्टिविटी बचपन में कम होती है और प्यूबर्टी के समय बढ़ जाती है। यह रिप्रोडक्शन के लिए आवश्यक है, लेकिन एक बार महिला के प्रेग्नेंट होने के बाद यह आवश्यक नहीं रह जाता। इस गोनाडोट्रॉपिन की गतिविधि को प्लासेंटा द्वारा उत्पादित कोरियोनिक गोनाडोट्रॉपिन द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। सिंथेटिक जीएनआरएच का उपयेाग असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्निक्स के पार्ट के रूप में ओवेरियन ओवरस्टिम्युलेशन को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। जीएनआरएच इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है और इसका उपयोग सहायक प्रजनन तकनीकों में विशेषज्ञता वाले चिकित्सकों तक ही सीमित होना चाहिए। गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins) के बारे में जानने के बाद इनकी रिलीज से जुड़ी असामान्यताएं भी जान लेते हैं।

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    गोनाडोट्रॉपिन्स रिलीज की असामान्यताएं (Abnormalities of gonadotropin secretion)

    जब गोनाडोट्रॉपिन्स का सीक्रेशन कम हो जाता है, तो गोनाडल फंक्शन फेल हो जाते हैं, जिससे हायपोगोनाडिज्म नामक स्थिति हो जाती है। यह पुरुषों और महिलाओं में क्रमशः ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) और एमेनोरिया (Amenorrhea) के रूप में प्रकट होता है। सामान्य एफएसएच लेवल के साथ एलएच की कमी से पुरुष हायपोगोनाडल के लक्षणों का विकास करता है। साथ ही स्पर्म के एफएसएच स्टिम्यूलेट मैच्योरेशन न होने के कारण इन्फर्टिलिटी भी होती है। जिससे नपुंसकता हो सकती है।

    दूसरी ओर, उच्च गोनाडोट्रोपिन का स्तर, नकारात्मक प्रतिक्रिया दर्शाता है। यह कैस्ट्रेशन या ओवरी के हटाने का कारण बन सकता है, लेकिन सबसे आम कारण या तो गोनाडल फेलियर (Gonadal failure) है, या एक सीक्रेटरी पिट्यूटरी ट्यूमर (Secretory pituitary tumor) की उपस्थिति है। ऐसी स्थिति के क्लीनिकल इफेक्ट न्यूनतम हैं।

    गोनाडोट्रॉपिन्स (Gonadotropins) के बारे में जान लें ये भी

    गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins)

    गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins) के बारे में जानने के बाद इनके उपयोग से जुड़ी जरूरी बातें भी जान लें। गोनाडोट्रॉपिन्स (Gonadotropins) का सिंथेटिक वर्जन फर्टिलिटी ड्रग्स के रूप में उपलब्ध है। ड्रग इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होते हैं क्योंकि ये इंजेक्शन के जरिए ही बॉडी में पहुंचाए जाते हैं। ये ऑव्युलेशन को स्टिम्यूलेट करने का काम करते हैं। वैसे तो गोनाडोट्रॉपिन इंजेक्शन महिलाओं को गर्भधारण करने में मददगार हैं, लेकिन इसके उपयोग से दो कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं जो निम्न हैं।

    • कुछ मामलों में गोनाडोट्रॉपिन्स इंजेक्शन हॉर्मोन्स को बढ़ा देते हैं जो ओवरी को ज्यादा स्टिम्युलेट कर देते हैं जिसे ओवेरियन हायपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम कहा जाता है।
    • इस हायपरस्टिम्युलेशन की वजह से ब्लड क्लॉट, किडनी फेलियर, ओवेरियन सिस्ट का रप्चर, प्रेग्नेंसी लॉस जैसे कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं।
    • गोनाडोट्रॉपिन्स के उपयोग से मल्टिपल प्रेग्नेंसी का खतरा भी रहता है।
    • गोनाड्रोपिन्स के स्टिम्यूलेशन की वजह से मल्टपिल एग्स के रिलीज होने का रिस्क बढ़ जाता है जो मल्टिपल प्रेग्नेंसी का कारण बनता है।
    • गोनाडोट्रॉपिन्स (Gonadotropins) के साथ ट्रीटमेंट की सफलता कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है। जिसमें उम्र, इनफर्टिलिटी की वजह, ओवरऑल हेल्थ आदि शामिल हैं।
    • गोनाडोट्रॉपिन्स का उपयोग इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे कपल के लिए मददगार तो है, लेकिन इसके उपयोग के साथ कुछ रिस्क भी हैं।
    • इस ट्रीटमेंट को चुनने से पहले डॉक्टर से इस बारे में जानकारी प्राप्त करें। साथ ही किसी भी गोनाडोट्रॉपिन्स का यूज डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।

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    उम्मीद करते हैं कि आपको गोनाडोट्रॉपिन्स के प्रकार (Types of Gonadotropins) के बारे में संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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