आज हम सब कोविड के बाद की दुनिया में रह रहे हैं और महामारी से पहले की दुनिया के मुकाबले अब हमारी जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया है। जीवनशैली में हुए समान्य बदलावों, जैसे कि ज्यादातर समय घर पर रहने और फिजिकल एक्टिविटी रूक जाने के कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर कई प्रभाव हुए हैं। हर रोज हमें कोई न कोई न बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव है, इससे कोई अंजान नहीं है।
लंबे समय से होने वाले इन बदलावों का प्रभाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर पडा है। हम सभी लोगों ने जीवनशैली में बदलाव का असर महसूस किया होगा। इस महामारी का प्रभाव केवल लोगों के मानसिक स्वास्थ पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि महिलाओं के प्रजनन क्षमता पर भी पड़ा है। यानि कि कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव (Impact of COVID on fertility) रहा है। इसके और भी कई कारण हो सकते हैं, जानिए कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव (Impact of COVID on fertility) कैसे पड़ रहा है और इसका बचाव क्या है?
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कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। इससे पहले कुछ और पहलूओं पर भी नजर डालना जरूरी है। आज के जो कपल इस दुनिया में एक नई जान को लाने का निर्णय करते हैं वे स्वाभाविक तौर पर हमारी इस दुनिया में जहां हम रह रहे हैं, उसके कई नकारात्मक प्रभावों के बारे में सोचने लगते हैं। ऐसे लोग अपने आप से सवाल करते हैं कि ऐसे सकारात्मक माहौल में एक बच्चे को बड़ा करने की क्या वैधता है। यह प्रक्रिया भी कपल को भिन्न चीजों से संबंधित ढेर सारे दबावों से निपटने के लिए मजबूर करती है। न्यूनतम सामाजिक और ज्ञान संबंधी एक्सपोजर के साथ अस्वास्थ्यकर जीवन जीने से हमारा मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। यह धीरे-धीरे लोगों में चिन्ता और तनाव के लक्षण (Symptoms of stress) दिखाना शुरू कर सकता है। ऐसे में हमारा दिमाग जिस एक मामले का सामना अक्सर करता है, वह है सोशल डिसटेंसिंग (Social Distancing)। इसका हम सामाजिक प्राणियों पर भारी असर होता है। यह आज की वास्तविकता है जहां हम सब महामारी से प्रभावित दुनिया में जी रहे हैं।
कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव (Impact of COVID on fertility) क्या है?
महामारी की दूसरी लहर के बाद लोग अभी भी लगातर संघर्ष का सामना कर रहे हैं और अपनों व दूसरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए किए जा रहे संघर्ष के गवाह हैं। गुजरे वर्ष के दौरान महामारी में जीते हुए यह स्पष्ट हो गया है कि शरीर और मस्तिष्क के बीच के संबंध का रिश्ता स्वास्थ्य से है। एक नए जीवन को दुनिया में लाने वाले कपल इस बारे में सोचकर ज्यादा बेचैन और चिन्तित हैं। ठीक है कि इस तनाव से मानसिक परेशानी नहीं है लेकिन शारीरिक स्वास्थ्य खासकर, प्रजनन क्षमता (Fertility) पर इसका भारी असर है। सच तो यह है कि तनाव (Stress) और चिन्ता से शरीर में हारमोन का असंतुलन हो जाता है और प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। कई सारी समस्याओं के बीच कुछ महिलाओं को प्रजनन की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। इसलिए, कोविड19 की यह दूसरी लहर इनके लिए आसान नहीं होने वाली है। कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव गहरा पड़ रहा है।
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प्रजनन समस्याओं का सामना करने वाले मरीजों का उपचार करने वाले कई चिकित्सकों ने यह महसूस किया है कि इसका एक मुख्य कारण चिन्ता और परेशानी है जो मानसिक स्वास्थ्य का भी कारण बनता है। तनाव का हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है और प्रजनन क्षमता पर इसका असर बहुत ज्यादा होता है क्योंकि इससे हमारे शरीर में हारमोन के असंतुलन की शुरुआत हो जाती है। इससे प्रजनन क्षमता कम हो जाती है।
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कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव : क्या कहते हैं फैक्ट (Fact)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जो अंतरराष्ट्रीय जन स्वास्थ्य के मामले देखती है। उसने इस महामारी को अंतरराष्ट्रीय चिन्ता वाली जनस्वास्थ्य की इमरजेंसी कहा है और डब्ल्यूएचओ के अनुसार ऐसे समय में मानसिक स्वास्थ्य बढ़ सकता है। गर्भवती माएं (Pregnant Women) और गर्भधारण की योजना बना रही महिलाएं इस महामारी के दौरान सतर्क रहें। यह महत्वपूर्ण है कि उनकी नियमित देखभाल हो और स्थानीय दिशानिर्देशों का पालन किया जाए तथा कुछ अपनाए गए उपाय भी किए जाएं जिससे वायरस का संभावित संप्रेषण कम हो जाए। डब्ल्यूएचओ एक महत्वपूर्ण और प्रमाणित संसाधन है जिससे उसके दिशानिर्देशों के अनुसार सूचनाएं प्राप्त की जा सकती हैं क्योंकि इनके दिशानिर्देशों को दुनिया भर में स्वीकार किया जाता था। इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) भारत में बायोमेडिकल अनुसंधान की एक शीर्ष संस्था है। इसने यह सूचना साझा की है कि कार्डियैक (Heart Problem) गर्भवती माएं सबसे ज्यादा जोखिम में होती हैं। इसलिए उन्हें निर्देशों का पालन करना चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए। महामारी ने प्रसव के बाद और पहले के तनाव व चिन्ता को बढ़ा दिया है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि गर्भवती महिलाओं की हर संभव तरीके से मदद की जाए। कोविड-19 के दौरान गर्भधारण और प्रजनन क्षमता के बारे में आईसीएमआर ढेर सारी सूचनाएं मुहैया करवाता है जो अनुसंधान से समर्थित है। दैनिक जीवन में मानसिक तनाव (Mental Stress) से बचने के लिए नीचे कुछ उपाय सुझाए गए हैं जिनका पालन करके दंपत्ति इस मुश्किल समय में शांत और निश्चित रह सकते हैं;
कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव का उपचार : अपने संबंधों में सुधार लाएं (Good Bonding in Relationship)
भले ही हम आज के समय में एक वर्चुअल विश्व में रहते हैं फिर भी अपने परिवार और मित्रों के संपर्क में रहना तथा अपने लोगों के साथ जो संबंध हैं उन रिश्तों को निखारना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे प्रिय लोगों की सहायता हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को मजबूत कर सकते है। कपल्स को एक दूसरे से संपर्क में रहना चाहिए ताकि भावनाएं साझा की जा सकें और गुस्सा निकालने का मौका मिले। इससे व्यक्ति को अपना तनाव कम करने में सहायता मिल सकती है। बेहद तनावपूर्ण स्थितियों में दंपत्ति के काउंसलिंग सत्र भी मददगार हो सकते हैं जिससे संबंधों के भिन्न डायनैमिक्स को बेहतर समझा जा सकता है।
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कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव का उपचार : हेल्दी रूटीन का पालन करें (Healthy Routine)
उपयुक्त डायट (Diet), समय पर सोना और नियमित व्यायाम (Exercise) करने से व्यक्ति को अपनी ऊर्जा को सही दिशा देने में सहायता मिलती है। इस ऊर्जा को खर्च कर देने और अपना नुकसान नहीं करने देने से अतिरिक्त समस्याएं नहीं खड़ी होती हैं। आज जब महामारी के कारण बाहर जाना सीमित है तो इसे हमें स्वस्थ जीवनशशैली को प्रभावित नहीं करने देना चाहिए।
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कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव का उपचार : पुराने शौक फिर से जिन्दा कीजिए (Express your Desire)
अपने शौक की सूची बनाइए और खाली समय में उन्हें फिर से लागू करना शुरू कीजिए। इस तरह आप एक उत्पादक जीवन जी सकेंगे। समय आ गया है। अपनी दैनिक गतिविधियों की योजना बनाइए और उन कामों की सूची बनाइए जो आप हमेशा करना चाहती थीं। पर भिन्न कारणों से कर नहीं पाए। अब अपने समय का उपयोग कीजिए और इसे उत्पादक बनाइए। आपको एक दूसरे से जुड़ने में सहायता करने के लिए मिलकर किसी हॉबी की शुरुआत कीजिए।
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कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव का उपचार : तनाव (Stress) से रहे दूर
चिन्ता और तनाव के अहसास का असर दीर्घकालिक हो सकता है। चिकित्सकों ने बहुत पहले समझ लिया है कि प्रजनन क्षमता में कमी एक चिकित्सा समस्या है जो तनाव, डिप्रेशन और चिन्ता से बढ़ सकती है। कपल्स जब प्रयास कर रहे हों और लंबे समय तक कोशिश करने के बावजूद गर्भधारण संभव नहीं हो रहा हो तो यह दिल तोड़ने तथा कुंठित करने वाला हो सकता है। वैसे तो प्रजनन की समस्या के बावजूद बहुत सारे कपल्स उपचार के बाद बच्चा पैदा कर सकते हैं। इसका एक तरीका इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) है। उपचार से फायदा होगा कि नहीं – ऐसी चिन्ता से भी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है।
कोविड का फर्टिलिटी पर प्रभाव आपने जान लिया। परिवार बनाना शुरू करने की योजना बनाने से पहले किसी प्रजनन सलाहकार से संपर्क कर लेना चाहिए। इससे आपको यह जानने समझने में सहायता मिलेगी कि आप अभी कहां हैं और किन चीजों पर आपको काम करने की आवश्यकता है – यह सब जानने समझने में सहायता मिलती है। फर्टिलिटी को लेकर मन में कोई भी सवाल हैं, तो अपने डाॅक्टर से संपर्क करें।
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