इनफर्टिलिटी की बात करें तो विश्वभर में करीब 12 फीसदी महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी होती है। कई बार देखा गया है कि एक से दो सफल प्रेग्नेंसी के बाद भी महिलाओं को इस प्रकार की समस्याएं आती हैं। यदि कोई महिला कम से कम एक बार प्रेग्नेंट होने के बाद बार-बार कोशिश करने के बावजूद दोबारा कंसीव नहीं कर पाती हैं तो उसे सेकेंड्री इनफर्टिलिटी (Secondary infertility) कहा जाता है। सेकेंड्री इनफर्टिलिटी की वजह से व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें उदासीपन, निराशा, गुस्सा, भ्रम की स्थिति और अपराधबोध (गिल्ट) का एहसास होना शामिल है। अगर आप भी सेकेंड्री इनफर्टिलिटी से ग्रसित हैं या कंसीव करने में आपको किसी प्रकार की परेशानी हो रही है तो ऐसे में आपको इससे जुड़े तमाम तथ्यों, कारणों, इलाज व अन्य बिंदुओं के बारे में विस्तार जानना बेहद जरूरी है।
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जानें क्या है यह सेकेंड्री इनफर्टिलिटी (What is secondary infertility)
दो प्रकार की इनफर्टिलिटी होती है। प्राइमरी इनफर्टिलिटी और सेकेंड्री इनफर्टिलिटी। दोनों ही स्थितियों में महिलाओं को गर्भधारण में समस्या होती है। प्राइमरी इनफर्टिलिटी (Primary Infertility) के तहत 35 वर्ष की उम्र तक महिला एक साल या फिर छह महीनों तक लगातार कोशिश के बावजूद गर्भवती नहीं हो पाती।
सेकेंड्री इनफर्टिलिटी (Secondary infertility) के केस में कुछ विशेष कारणों के चलते दोबारा गर्भधारण में समस्या होती है। ऐसा भी संभव है कि बच्चे को जन्म देने के बाद महिला की फर्टिलिटी में परिवर्तन आने लगे या फिर पार्टनर में कुछ समस्या उत्पन्न हो जाए। ये समस्या निम्न कारणों से भी हो सकती है।
- यूटेरस में फर्टिलाइज एग का इंप्लांटेशन करने के कारण
- फर्टिलाइज एग के यूटेरस में जाने के कारण
- स्पर्म के साथ एग के फर्टिलाइजेशन के कारण
इस समस्या कई अन्य कारण व कंडिशन हो सकती हैं। कुछ मामलों में इनफर्टिलिटी के कारण को बताना एक्सपर्ट के लिए भी मुश्किल होता है। इस विषय पर बात करने के पूर्व यह जानना बेहद ही जरूरी है कि इनफर्टिलिटी के लिए पुरुष व महिलाओं दोनों ही कारण बन सकते हैं।
इनफर्टिलिटी के रेट की बात करें तो कुल 35 फीसदी कपल्स इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझते हैं। जिनमें 8 फीसदी मामलों में पुरुषों में शारीरिक या अन्य किसी कमी के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या होती है।
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सेकेंड्री इनफर्टिलिटी के कारण (Causes of secondary infertility)
मुख्यत: प्राइमरी व सेकेंड्री इनफर्टिलिटी के कारण भी एक समान ही हो सकते हैं, लेकिन सबसे अहम बात यह कि ज्यादातर मामलों में इनफर्टिलिटी के लिए पुरुष-महिलाओं का दोष नहीं होता। बावजूद इसके लोगों को निराशा होती है, इसलिए गर्भवती होने के लिए एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए ताकि सुरक्षित तरीके से गर्भधारण किया जा सके। सामान्य तौर पर निम्न कारणों की वजह से लोगों में इनफर्टिलिटी की समस्या देखने को मिलती है।
ऑव्युलेशन डिसऑर्डर (Ovulation disorders)
ज्यादातर महिलाओं में देखा गया है कि ऑव्युलेशन डिसऑर्डर की वजह से उन्हें इनफर्टिलिटी की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। निम्न कारणों से ऑव्युलेशन में समस्या हो सकती है।
- लाइफस्टाइल फैक्टर्स जैसे: वजन का बढ़ना, न्यूट्रिशन में कमी, अत्यधिक शराब का सेवन करने के साथ ही ड्रग्स लेने से
- थायराॅइड और अन्य एंडोक्राइन डिसऑर्डर (thyroid or other endocrine disorders) के कारण हाॅर्मोन प्रोडक्शन में समस्या
- उम्र बढ़ने से महिलाओं में एग का सामान्य रूप से न बन पाना
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस- polycystic ovary syndrome (PCOS))
- प्राइमरी ओवेरियन इनसफिशिएंसी (पीओआई- primary ovarian insufficiency (POI)
महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या में सबसे बड़ा व सामान्य कारण पीसीओएस है। इसकी वजह से ओवरी में हुए परिवर्तन के कारण एड्रेनल ग्लैंड (adrenal glands) सामान्य से ज्यादा मात्रा में हाॅर्मोन का रिसाव करते हैं। इस वजह से ओवरी को एग रिलीज करने में समस्या होती है और वह एग रिलीज नहीं कर पाती। बढ़े हुए हाॅर्मोन की वजह से ओवरी में सिस्ट उत्पन्न हो जाते हैं, जिसकी वजह से ऑव्युलेशन में समस्या होती है।
यहां अच्छी खबर यह है कि मौजूदा समय में पीसीओएस का इलाज संभव है। दवा व ट्रीटमेंट से इस बीमारी से ग्रसित करीब 70 फीसदी महिलाएं भी गर्भवती हो जाती हैं।
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सेकेंड्री इनफर्टिलिटी: यूटेरस और फैलोपियन ट्यूब में समस्या (Problem in uterus and fallopian tubes)
महिलाओं की शारीरिक बनावट भी कई बार गर्भधारण करने में समस्या बन सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि फैलोपियन ट्यूब में किसी प्रकार का ब्लॉकेज है तो उसके कारण स्पर्म व एग आपस में नहीं मिल पाएंगे। यूटेरस में किसी प्रकार के संरचात्मक समस्या के कारण भी महिला को गर्भवती होने में समस्या होती है।
फैलोपियन ट्यूब और यूटेरस में इन कारणों की वजह से भी आ सकती है समस्या, जैसे
- असामान्य रूप से विकसित यूटेरस के कारण, जिसे यूनिकार्नुएट यूटेरस (unicornuate uterus) कहा जाता है
- गर्भाशय में घाव (uterine scarring)
- गर्भाशय में फाइब्रॉइड और पॉलिप्स (uterine fibroids or polyps)
- एंडोमेट्रिओसिस (endometriosis) : यह गर्भाशय में होने वाली आम समस्या हैं। इसमें गर्भाशय की अंदर वाली लेयर बनाने एंडोमेट्रियम के टिशू असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं और यह फैलकर गर्भाशय से बाहर आ जाते हैं। कई बार एंडोमेट्रियम की लेयर गर्भाशय की बाहरी लेयर के अलावा अंडाशय, आंत और अन्य प्रजनन अंगों तक भी फैल जाती है। इसे ही एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है। एंडोमेट्रियम टिशू बढ़ने से प्रजनन अंगों जैसे फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय की क्षमता प्रभावित होती है। एंडोमेट्रियोसिस के कारण पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अधिक ब्लीडिंग और दर्द होता है और यह बांझपन का भी कारण बन जाती है। मतलब एंडोमेट्रियोसिस और गर्भधारण एक साथ होना बेहद मुश्किल है।
एंडोमेट्रिओसिस से करीब 10 फीसदी महिलाएं प्रभावित हैं। यह समस्या सिजेरियन सर्जरी या फिर गर्भाशय की सर्जरी कराने की वजह से भी हो सकती है।
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सेकेंड्री इनफर्टिलिटी: सी सेक्शन स्कारिंग (C-section scarring)
यदि इससे पहले की डिलिवरी सिजेरियन हुई है तो संभव है कि आपके यूटेरस में घाव हों। इसे इस्थोमोसील (isthmocele) कहा जाता है। इस्थोमोसील यूटेरस में इंफ्लामेशन का कारण बन सकता है। हालांकि सर्जिकल प्रक्रिया को अपनाकर इस्थोमोसील (isthmocele) का इलाज किया जा सकता है। कई महिलाएं इस परेशानी का इलाज करवाकर गर्भवती हुई हैं।
इंफेक्शन (Infection) भी है कारण
इंफेक्शन में सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (sexually transmitted infections) के कारण पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (pelvic inflammatory disease) हो सकती हैं। इसके कारण फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज व निशान की समस्या देखने को मिलती है। वहीं ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी – human papillomavirus (HPV) इंफेक्शन सर्वाइकल म्यूकस (cervical mucus) को प्रभावित करता है। जिससे गर्भधारण करने में परेशानी होती है। अच्छी बात यह है कि इंफेक्शन का इलाज संभव है।
ऑटो इम्मयून डिसऑर्डर (Autoimmune disorders)
ऑटोइम्मयून डिसऑर्डर के कारण इनफर्टिलिटी की समस्या पर ज्यादा शोध नहीं हुए हैं, लेकिन इसके कारण शरीर हमारे हेल्दी टिशू पर हमला करता है। इसमें रिप्रोडक्टिव टिशू भी शामिल हैं। आटोइम्मयून डिसऑर्डर में हाशिमोटो (Hashimoto’s), लुपुस (lupus) और रयृमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) के कारण यूटेरस और प्लेसेंटा (placenta) में जलन की समस्या होती है। इसके कारण भी इनफर्टिलिटी की समस्या होती है।
सेकेंड्री इनफर्टिलिटी का कारण हो सकती है बढ़ती उम्र (Secondary infertility may cause)
साइंटिफिकली उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में फर्टिलिटी की संभावनाएं भी कम होती जाती हैं। 20 से 30 साल गर्भावस्था के लिए अच्छी उम्र होती है, लेकिन 40 वर्ष के बाद समस्याएं आने लगती है। इसके अलावा अन्य कारण भी हैं, जिसकी वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या होती है। उन पर शोध नहीं किए जा रहे हैं।
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जानिए सेकेंड्री इनफर्टिलिटी का कैसे किया जाता है इलाज (Treatment of secondary infertility)
यदि आप पहले गर्भधारण कर चुकीं हैं, लेकिन अब इस समस्या से ग्रसित हैं तो सबसे पहले डॉक्टर इसके कारणों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। डॉक्टर कुछ टेस्ट कराने का सुझाव दे सकते हैं, जैसे:
- हाॅर्मोन लेवल की जांच के लिए ब्लड टेस्ट
- ऑव्युलेशन टेस्ट (Ovulation test)
- पेल्विक एग्जाम (Pelvic examination)
- फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए एक्स-रे
- अ ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (a transvaginal ultrasound)
- यूटेरस व सर्विक्स को देखने के लिए अन्य जांच (uterus and cervix)
यदि टेस्ट में किसी प्रकार की कोई असमानता नहीं है, तो ऐसे में डॉक्टर मेल पार्टनर के टेस्ट कराने का सुझाव देते हैं। इसके अलावा डॉक्टर दवा के साथ सर्जरी व एडवांस रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी- Advanced reproductive technology (ART) की मदद से भी मरीज का उपचार करते हैं।
सेकेंड्री इनफर्टिलिटी से खुद को उबारने के लिए क्या करें?
- खुद को और अपने पार्टनर पर दोष देना बंद करें
- हमेशा सकारात्मक सोच रखें
- अपने पार्टनर के साथ हेल्दी रिलेशन बनाएं
- इस बात पर फोकस करें कि आगे क्या कर सकते हैं
- सपोर्ट हासिल करने की तरकीब तलाशें
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हमेशा एक्सपर्ट की लें सलाह
सेकेंड्री इनफर्टिलिटी के कारण कोई भी महिला मानसिक तौर पर टूट सकती है। वहीं समाज में उसे हीन भाव से देखा जाता है जो गलत है। इसलिए जरूरी है कि आप यदि ऐसी किसी समस्या का सामना रही हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लें। उन्हें अपनी पीड़ा बताने के साथ आप क्या चाहती हैं उसके बारे में विचार-विमर्श करें। एक्सपर्ट की मदद से सही मार्गदर्शन पाकर आप फिर से गर्भवती हो सकती हैं। बस जरूरी है कि आप मनोबल न टूटने दें और आने वाली तमाम समस्याओं का डट कर सामना करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और सेकेंड्री इनफर्टिलिटी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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