गर्भवती महिला की बॉडी में कई सारे परिवर्तन आते हैं। आंतरिक बदलाव के साथ-साथ कुछ ऐसे बाहरी बदलाव भी हैं जो गर्भवती महिला के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं। इसी कड़ी में एक समस्या है गर्भवती महिलाओं को अत्याधिक पसीना आना। दिन भर पसीने से तरबतर रहना और रातों में प्रेग्नेंसी में पसीना आना गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक सामान्य सी समस्या है। ऐसा क्यों होता है? क्या इसका कोई दुष्परिणाम भी हो सकता है? इस समस्या से कैसे निजात पाए? इस आर्टिकल में इन सभी सवालों के जवाब हैं।
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प्रेग्नेंसी में पसीना ज्यादा क्यों आता है?
हमारे शरीर के तापमान को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने के लिए ही पसीना आता है। हम जब भी गर्मी महसूस करते हैं तो शरीर को ठंडा करने के लिए पसीना निकलने लगता है। प्रेग्नेंट महिलाओं के शरीर में हो रहे ढेरों रासायनिक बदलाव उनके शरीर के तापमान को बढ़ा देते हैं जो कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए सही नहीं हैं। इसीलिए प्रेग्नेंसी में पसीना ज्यादा निकलने से गर्भवती महिलाओं का तापमान सामान्य हो जाता है।
प्रेग्नेंसी में पसीना आने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :
हार्मोन में बदलाव
एक गर्भवती महिला के शरीर में हार्मोन का स्तर बदलता रहता है, जिसकी वजह से उसे विभिन्न प्रकार की असहजता का अनुभव होता है, ज्यादा पसीना आना उनमें से एक है। इसलिए ज्यादातर महिलाओं को प्रेग्नेंसी में पसीना आता है।
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रक्त संचार में वृद्धि
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है। इस वजह से उनका शरीर गर्म रहता है। ऐसे में शरीर के तापमान को घटाने के लिए पसीना निकलने लगता है। यह भी प्रेग्नेंसी में पसीना आने की एक वजह है।
मेटाबॉलिज्म का बढ़ना
एक गर्भवती महिला के शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट किसी सामान्य महिला की तुलना में ज्यादा होता है। इस वजह से शरीर में ज्यादा कैलोरी बर्न आउट होती है और शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में पसीना ज्यादा आता है।
वेट गेन होने के कारण भी प्रेग्नेंसी में पसीना आता है
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में एक गर्भवती महिला का वजन शिशु के बढ़ते वजन की वजह से बढ़ जाता है। इस वजह से जब भी गर्भवती महिलाएं थोड़ा शारीरिक श्रम करती हैं तो उन्हें प्रेग्नेंसी में पसीना तेजी से आना शुरू हो जाता है।
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बीमारी और तनाव के कारण भी प्रेग्नेंसी में पसीना आता है
तनाव और बेचेनी में शरीर की सबसे पहली प्रतिक्रिया होती है पसीना आना। बुखार या अन्य बीमारी के दौरान पसीना आना एक सामान्य बात है। इन परिस्थितियों में प्रेग्नेंसी में पसीना आना लाजमी है, इससे घबराए न।
कैसे पाएं प्रेग्नेंसी में पसीना आने से निजात?
गर्भावस्था के दौरान रिलीज होने वाले हार्मोन को आप नहीं बदल सकती, लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जिनसे आपको राहत मिलेगी और आप डीहाइड्रेट होने से बच सकती हैं। ऐसे उपाय निम्नलिखित हैं :
- हाइड्रेटेड रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी या अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें।
- कॉटन के कपड़ों के साथ हल्के, ब्रीदेबल कपड़े पहनें और ज्यादा गर्म कपड़ों से बचें।
- प्रतिदिन नहाया करें। ठंडे प्रदेशों में आप गुनगुने पानी से भी स्नान कर ठंडा महसूस कर सकती हैं।
- एयर कंडीशनर चालू करें या पंखे के पास खड़े रहें।
- किसी हल्के कपड़े की बेडशीट का प्रयोग करें।
- आप हल्के लेयर की चादर और कंबल का इस्तेमाल करें ताकि आपको रात में इन्हें ओढ़ने में आराम रहे और ज्यादा पसीना ना आए।
आप वास्तव में अपने हार्मोन और अपने शरीर के तापमान को स्वयं नियंत्रित नहीं कर सकतीं, लेकिन आप पसीने से राहत पाने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर सकती हैं। प्रेग्नेंसी में पसीना ज्यादा होने से कोई भी गंभीर जटिलता नहीं होती हैं, लेकिन ऐसा तभी तक है जब तक आप हाइड्रेटेड रहते हैं। इसलिए हमेशा स्वयं को हाइड्रेटेड रखें। अगर आपको ज्यादा समस्या हो तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
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प्रेग्नेंसी रखें हाइजीन का ध्यान
पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखना प्रेग्नेंसी के दौरान और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि इस समय इसका प्रभाव केवल प्रेग्नेंट महिला पर ही नहीं होने वाले बच्चे पर भी पड़ सकता है। पर्सनल हाइजीन में प्राइवेट पार्ट्स की साफ-सफाई भी शामिल है। पर्लनल हाइजीन को मेंटेन करने के लिए कुछ टिप्स फॉलों किए जा सकते हैं।
- हाथों का खास ध्यान रखें क्योंकि हाथों के द्वारा ही बैक्टिरिया बॉडी में जाकर प्रेंग्नेंट महिलाओं को बीमार कर सकते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान सावधानियां बरतने से आप अपने आने वाले बच्चे को भी स्वस्थ शुरुआत दे सकते हें।
- पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय भी खास ध्यान रखें। यहां काफी मात्रा में बैक्टिरिया हो सकते हैं, गर्भवती महिला के लिए ये खतरा बन सकते हैं।
- वजायनल डिस्चार्ज को ध्यान में रखते हुए कॉटन के अंडरपेंट्स का इस्तेमाल करना चाहिए और साथ ही डिस्चार्ज होने के बाद तुरंत इसे चेंज भी करें।
- इंफेक्शन के खतरे से बचने के लिए पैडेड ब्रा का इस्तेमाल करें। कोलेंस्ट्रम लीक होने पर पैडिड ब्रा इसे सोख लेगी और आपके लिए संक्रमण का खतरा कम होता है।
- प्राइवेट पार्ट्स को साफ रखें। इसके अलावा नियमित रूप से इन्हें शेव भी करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि इन पार्ट्स को साफ रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स का पीएच लेवल क्या है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान सुबह और शाम दो बार दांतों को ब्रश करने की जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस होना भी एक कॉमनप्रॉब्लम है। ऐसे में अगर दांतों को ब्रश करने में परेशानी हो, तो ऐसा टूथपेस्ट चुनें जिसका स्वाद माइल्ड हो।
- प्रेग्नेंसी में मसूड़ों में सूजन की समस्या भी हो जाती है। ऐसे में एंटी-इंफ्लेमेटरी माउथवॉश किया जाता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान मसूड़ों में सेंसटिविटी भी हो जाती है। ऐसे में क्लोरिनेटेड पानी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। इस तरह के पानी के इस्तेमाल से दांत कमजोर हो जाते हैं और साथ ही हिलने की भी समस्या हो सकती है। कई मामलों में इसके लक्षण अभी नहीं एक उम्र के बाद दिख सकते हैं।
- किसी भी तरह की ओरल हाइजीन की समस्या में बिना डॉक्टर के पारमर्श के एक्स-रे या किसी अन्य तरह की जांच भी न कराएं।
- इसके प्रेग्नेंसी के दौरान सावधानियां बरतते समय यह भी ध्यान रखें कि ज्यादा मीठी चीजों का सेवन न करें। यह आपकी ओरल हेल्थ के साथ-साथ पूरे शरीर की हेल्थ के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान सावधानियां रखकर आप खुद का और अपने आने वाले बच्चे का ख्याल रख सकती हैं। साथ ही प्रेग्नेंट होने की जानकारी मिलते ही गायनोकोलॉजिस्ट से संपर्क करें और उनकी सलाह मानें।
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