महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन को यूट्रस कहते हैं और यूट्रस में कई अलग-अलग हिस्से होते हैं और इन्हीं अलग-अलग हिस्सों में एक हिस्सा सर्विक्स कहलाता है। यूट्रस के मुंह को सर्विक्स कहा जाता है। बेबी की डिलिवरी के दौरान सर्विक्स की अहम भूमिका होती है, लेकिन क्या आपने कभी शॉर्ट सर्विक्स (Short Cervix) के बारे में समझने की कोशिश की है? अगर नहीं, तो इस आर्टिकल में सर्विक्स एवं शॉर्ट सर्विक्स दोनों को समझने की कोशिश करेंगे।
- शॉर्ट सर्विक्स क्या है?
- शॉर्ट सर्विक्स का प्रेग्नेंसी पर असर क्या पड़ता है?
- शॉर्ट सर्विक्स के कारण क्या हो सकते हैं?
- शॉर्ट सर्विक्स का निदान कैसे किया जाता है?
- शॉर्ट सर्विक्स का इलाज कैसे किया जाता है?
- शॉर्ट सर्विक्स की समस्या होने पर डॉक्टर से कब कंसल्टेशन है जरूरी?
चलिए अब शॉर्ट सर्विक्स (Short Cervix) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं, जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से बचने में मदद मिल सके।
शॉर्ट सर्विक्स (Short Cervix) क्या है?
शॉर्ट सर्विक्स इस टर्म से तो शायद आप यह समझ गए होंगे कि सर्विक्स का आकार छोटा होना। वैसे सर्विक्स का आकार 30 से 50 मिलिमीटर्स तक बड़ा हो सकता है। वहीं सोसाइटी फॉर मेटर्नल-फीटल मेडिसिन (Society for Maternal-Fetal Medicine) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार अगर सर्विक्स की लम्बाई 15 मिलिमीटर से कम हो, तो इसे शार्ट सर्विक्स (Short Cervix) कहा जाता है।
शॉर्ट सर्विक्स, सर्वाइकल इंसफिशिएंसी (Cervical insufficiency) की ओर इशारा करते हैं, जिसे मेडिकल टर्म में इन्कॉम्पिटेंट सर्विक्स (Incompetent cervix) भी कहा जाता है। इन्कॉम्पिटेंट सर्विक्स को अगर आसान शब्दों में समझें, तो इसका अर्थ है सर्वाइकल टिशू का कमजोर पड़ना या फिर ऐसी स्थिति में प्रीमैच्योर बर्थ (Premature birth) या फिर हेल्दी प्रेग्नेंसी में बाधा पहुंचने की संभावना बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि शॉर्ट सर्विक्स प्रीमैच्योर लेबर (Premature labor), समय से पहले बेबी डिलिवरी (Early delivery) या प्रेग्नेंसी लॉस (Pregnancy loss) जैसी स्थितियों को दावत दे सकती है। अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि शॉर्ट सर्विक्स की वजह से गर्भधारण में समस्या आ सकती है। चलिए इससे जुड़े सवाल का जवाब भी जानते हैं।
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शॉर्ट सर्विक्स का प्रेग्नेंसी पर असर क्या पड़ता है? (Effects of Short Cervix during pregnancy)
शॉर्ट सर्विक्स का गर्भधारण पर असर नहीं पड़ता है। वहीं सर्विक्स के एब्नॉर्मल स्ट्रक्चर (Cervix abnormal structure) का असर प्रेग्नेंसी के दौरान पड़ सकता है। इसलिए शॉर्ट सर्विक्स एवं सर्विक्स के एब्नॉर्मल स्ट्रक्चर की जानकारी के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) की मदद ली जा सकती है। इससे सर्वाइकल लेंथ (Cirvical lenth) या पेल्विक की जांच की जाती है, जिससे प्रीटर्म लेबर (Preterm labor) आसान हो जाता है।
यहां यह तो साफ है कि शॉर्ट सर्विक्स का प्रेग्नेंसी पर असर नहीं पड़ता है, लेकिन एब्नॉर्मल सर्विक्स स्ट्रक्चर का असर प्रेग्नेंसी पर पड़ता सकता है। चलिए अब यह जान लेते हैं कि शॉर्ट सर्विक्स किन-किन कारणों से हो सकती है।
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शॉर्ट सर्विक्स के कारण क्या हो सकते हैं? (Cause of Short Cervix)
रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार शॉर्ट सर्विक्स के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- यूट्रस (Uterus) के दो हिस्से में बटना।
- पहले कभी सर्विक्स की सर्जरी (Cervix surgery) करवाना।
- यूट्रस (Uterus) में इंजरी होना।
- पहले प्रेग्नेंसी के दौरान सर्विक्स में इंजरी (Injuries) होना।
- स्मोकिंग (Smoking) करना।
- सर्विक्स या वजायना में सूजन (Inflammation) आना या इंफेक्शन (Infection) होना।
- दो प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के बीच कम वक्त होना।
नोट: जो महिलाएं पहले प्रीमैच्योर डिलिवरी (Premature delivery) फेस कर चुकी होती हैं, उनमें शॉर्ट सर्विक्स का खतरा बना रहता है। इसलिए अगर आप इन स्थितियों को फेस कर चुकी हैं, तो अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी जरूर दें।
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शॉर्ट सर्विक्स का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Short Cervix)
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर प्रीटर्म लेबर, वजायनल डिस्चार्ज एवं पेल्विक प्रेशर की स्थितियों को डॉक्टर समझने की कोशिश करते हैं। वहीं गर्भवती महिला से पीठ दर्द की भी जानकारी डॉक्टर लेते हैं। इनसभी स्थितियों को समझने के बाद डॉक्टर ट्रान्सवजायनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal ultrasound) करते हैं, जिससे सर्विक्स के लम्बाई की जानकारी मिलती है। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर पेल्विक की भी जांच (Pelvic exam) की जा सकती है। डायग्नॉसिस के बाद शॉर्ट सर्विक्स का इलाज किया जाता है।
शॉर्ट सर्विक्स का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Short Cervix)
शॉर्ट सर्विक्स का इलाज प्रेग्नेंसी पर निर्भर करता है। प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर यह भी ध्यान रखते हैं कि प्रेग्नेंसी कहीं मल्टिपल प्रेग्नेंसी तो नहीं है और फिर इलाज शुरू करते हैं। जैसे:
- मॉनिटरिंग (Monitoring)- सर्विक्स की लम्बाई 29 मिलिमीटर से कम और 25 मिलिमीटर से ज्यादा होने की स्थिति में गायनोकोलॉजिस्ट रेगुलर चेकअप करते हैं और सर्वाइकल लेंथ की जांच के लिए अल्ट्रसाउंड नॉर्मल प्रेग्नेंसी के दौरान जितनी बार की जाती है उसकी तुलना में शॉर्ट सर्विक्स की स्थिति में ज्यादा बार अल्ट्रासाउंड की जा सकती है।
- प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone)- शॉर्ट सर्विक्स या फिर 25 मिलिमीटर से कम सर्विक्स की लम्बाई होने पर हॉर्मोन थेरिपी (Hormone therapy) की मदद ली जा सकती है। हॉर्मोन थेरिपी प्रीमैच्योर बर्थ की संभावनाओं को कम करने में सहायक हो सकती है वहीं अगर पहले प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीटर्म डिलिवरी (Preterm delivery) हुई है, तो ऐसी स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन इंजेक्शन (Progesterone injection) प्रिस्क्राइब की जाती है, जो जरूरत पड़ने पर डॉक्टर हर सप्ताह देने के लिए प्रिस्क्राइब करते हैं।
- सरवाइकल सेरक्लेज (Cervical cerclage)- शॉर्ट सर्विक्स के इलाज के लिए सरवाइकल सेरक्लेज की जरूरत पड़ सकती है। सर्जरी के दौरान स्टीच या फिर सिंथेटिक टेप की मदद ली जा सकती है। सरवाइकल सेरक्लेज ट्विन्स प्रेग्नेंसी (Twins pregnancy) या मल्टिपल प्रेग्नेंसी (Multiple pregnancy) के दौरान नहीं की जाती है।
- एर्बिन पेसरी (Arabin pessary)- सर्जरी (Surgery) और हॉर्मोन थेरिपी (Hormone therapy) की विकल्प में एर्बिन पेसरी की मदद ली जा सकती है। एर्बिन पेसरी की सहायता से सर्विक्स को सपोर्ट दिया जाता है।
शॉर्ट सर्विक्स (Short cervix) की समस्या को खुद से कंट्रोल करना संभव नहीं है। अगर शॉर्ट सर्विक्स की समस्या की जानकारी मिलती है, तो इससे परेशान ना हों, क्योंकि इसका इलाज किया जा सकता है और हेल्दी प्रेग्नेंसी और हेल्दी बेबी डिलिवरी दोनों संभव है।
नोट: सोसाइटी फॉर मेटर्नल-फीटल मेडिसिन (Society for Maternal-Fetal Medicine) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार जिन महिलाओं को प्रीटर्म लेबर या डिलिवरी पहले हो चुकी है, तो ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी के दौरान समय-समय स्क्रीनिंग करवानी चाहिए या डॉक्टर द्वारा बताये अनुसार समय पर स्क्रीनिंग जरूर करवाएं।
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शॉर्ट सर्विक्स की समस्या होने पर डॉक्टर से कब कंसल्टेशन है जरूरी? (Consult Doctor if-)
निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से कंसल्टेशन है जरूरी। जैसे:
- वजायना से ब्लीडिंग (Vaginal bleeding) होना।
- लेबर के लक्षण (Labor symptoms) महसूस होना।
- वजायना से फ्लूइड लीक (Fluid leaking) होना।
- गर्भ में फीटस मूव नहीं करना या फीटस का मूवमेंट (Fetus movement) कम होना।
इन स्थितियों में डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है।
इस आर्टिकल में हमनें आपके साथ शॉर्ट सर्विक्स के कारणों की भी जानकारी शेयर की है। इसलिए इसके कारणों को ध्यान रखें वहीं अगर आप प्रेग्नेंसी या शॉर्ट सर्विक्स (Short cervix) से जुड़े किसी तरह के सवालों का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला अपना ख्याल तो रखती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के बाद भी गर्भवती महिला को अपने विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और एक्पर्ट से जानें न्यू मदर के लिए खास टिप्स यहां।
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