हाइव्स को पित्ती के नाम से भी जाना जाता है। त्वचा पर खुजली और उभार वाले रैशेज को हाइव्स कहा जाता हैं। यह आमतौर पर लाल, पिंक या त्वचा के रंग के होते हैं और कई बार दर्द व तकलीफ भरे हो सकते हैं। अधिकतर मामलों में यह बीमारी किसी दवाई या आहार के एलर्जिक रिएक्शन के कारण होती हैं या यह वातावरण में किसी इर्रिटेंट के रिएक्शन की वजह से भी हो सकती है। आज हम हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) के बारे में बात करने वाले हैं। हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) से पहले इसके लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।
हाइव्स के क्या लक्षण हैं? (Symptoms of Hives)
क्रॉनिक हाइव्स (Chronic hives) एक लॉन्ग-टर्म कंडिशन है। कई मामलों में इसके कारणों के बारे में डॉक्टर को पता नहीं होता है। लेकिन, किसी क्रॉनिक हेल्थ कंडिशन और ऑटोइम्यून कंडिशन के साथ भी यह समस्या हो सकती है। यह रोग अन्य व्यक्ति से नहीं हो सकता है और इसके आमतौर पर यह फीचर को सकते हैं:
- त्वचा में उभरे हुए घाव
- खुजली
- घावों का पिंक, रेड या त्वचा के रंग का होना
- अगर इन्हें बीच से दबाया जाए, तो इसके रंग का फेड होना
- इनका साइज कम से लेकर कई इंच तक का हो सकता है।
यह बम्प्स आमतौर पर चौबीस घंटे से अधिक समय तक नहीं रहते हैं, लेकिन नए बन जाते हैं। हाइव्स हमेशा बम्प्स की तरह नहीं लगते हैं, यह घाव भी हो सकता है। फूड एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति में, हाइव्स आमतौर पर एक घंटे में नजर आते हैं। फूड कलरिंग या अन्य एडिटिव के कारण यह 12–24 घंटों के बाद नजर आ सकते हैं। किसी दवाई के कारण होने वाला रिएक्शन एकदम भी नजर आ सकता है या कई मामलों में बाद में भी यह नजर आ सकते हैं। कुछ मामलों में हाइव्स की समस्या कई दिनों तक रह सकती है। क्रॉनिक हाइव्स के लक्षण महीनों या सालों तक रह सकते हैं। अब जानते हैं हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) के बारे में।
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हाइव्स के कारण और उपचार में इसके कारण (Hives Causes And Treatment)
पित्ती या हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) में सबसे पहले इस रोग के कारणों के बारे में जान लेते हैं। यह रोग एक एलर्जेंस, किसी फिजिकल ट्रिगर जैसे एक्सट्रीम टेम्प्रेचर या किसी हेल्थ कंडिशन के कारण हो सकता है। कई बार इस रोग का कोई स्पष्ट कारण नहीं होता है। क्रॉनिक हाइव्स (Chronic hives) के मामले में कुछ एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि यह ऑटोइम्यून रिएक्शन के कारण हो सकता है, लेकिन इसके बारे में सही जानकारी नहीं है। आइए जानते हैं इनके कारणों के बारे में:
हाइव्स के कारण और उपचार में एलर्जेंस (Allergens)
हाइव्स की समस्या तब विकसित होता है, जब बॉडी एलर्जेन के प्रति रियेक्ट करती है। जब एक एलर्जिक रिएक्शन होता है, तो बॉडी एक प्रोटीन को रिलीज करती है जिसे हिस्टामिन (Histamine) कहा जाता है। इसके साथ ही एक छोटे ब्लड वेसल्स जिन्हें कैपिलरीज (Capillaries) कहा जाता है, फ्लूइड लीक करते हैं। यह फ्लूइड स्किन में जमा हो जाता है और रैशेज व सूजन का कारण बनता है। जैसे फ्लूइड स्किन के नीचे जमा हो जाता है, तो छोटे बम्प्स बन जाते हैं। अगर एक्यूट हाइव्स किसी एलर्जिक रिएक्शन के कारण होता है, तो इसके कारण इस प्रकार हो सकता है:
- दवाईयां (Medicines) जैसे कुछ एंटीबायोटिक्स, नॉनस्टेरियोडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (nonsteroidal anti-inflammatory drugs) जैसे एस्पिरिन आदि
- मेवे, अंडे, सीफूड या अन्य फूड एलर्जेन
- लेटेक्स (Latex)
- कुछ पौधें जैसे पॉइजन इवी (Poison ivy), पॉइजन ओक (Poison oak) आदि
- खाद्य पदार्थों, कास्मेटिक और अन्य उत्पादों में मौजूद एडिटिव्स (Additives)
हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) में इस रोग के अन्य कारणों के बारे में भी पता होना चाहिए। आइए, जानें इस बारे में और अधिक।
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फिजिकल ट्रिगर्स (Physical triggers)
कुछ फिजिकल फैक्टर भी हाइव्स का कारण बन सकते हैं। यह संभावित ट्रिगर्स इस प्रकार हैं:
- सनलाइट एक्सपोजर (Sunlight exposure)
- त्वचा को रब या स्क्रैच करना (Scratching or rubbing skin)
- एक्सट्रीम टेम्परेचर या टेम्प्रेचर में बदलाव (Extreme temperatures or changes in temperature)
- व्यायाम, एंग्जायटी या हॉट शावर की वजह से हाय बॉडी टेम्परेचर (High body tamprature)
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अंडरलायिंग हेल्थ कंडिशंस (Underlying health conditions)
कुछ अंडरलायिंग हेल्थ कंडिशंस भी इस परेशानी की वजह हो सकती हैं। यह कंडिशंस इस प्रकार हैं:
- वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू, कॉमन कोल्ड आदि
- बैक्टीरियल इंफेक्शन जैसे कुछ यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infections) और स्ट्रेप थ्रोट (Strep throat)
- इंटेस्टाइनल पैरासाइट (Intestinal parasites)
- ऑटो इम्यून हाइपोथायरायडिज्म (Autoimmune hypothyroidism)
- ऑटोइम्यून कंडिशंस जैसे सीलिएक डिजीज (Celiac disease) , टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) आदि या कोई अन्य कंडिशन जो ब्लड वेसल्स में इंफ्लेमेशन का कारण बन सकती हैं
अब जानते हैं हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) में इस समस्या का उपचार कैसे संभव है?
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हाइव्स के कारण और उपचार में इस समस्या का उपचार (Hives Causes And Treatment)
हाइव्स के निदान और इसके ट्रीटमेंट प्लान के लिए डॉक्टर सबसे पहले यह जांचते हैं कि समस्या एक्यूट है या क्रॉनिक? इसके निदान के लिए लक्षणों के बारे में जाना जाता है और रोगी की शारीरिक जांच की जाती है। इसके साथ ही कुछ टेस्ट्स की भी सलाह दी जा सकती है। इसका ट्रीटमेंट इसके कारणों पर भी निर्भर करता है। इसके साथ ही यह इस बात पर भी डिपेंड करता है कि इश्यू एक्यूट है या क्रॉनिक। अब जानते हैं ट्रीटमेंट के बारे में।
एक्यूट हाइव्स (Acute hives)
अगर इसके लक्षण माइल्ड हो और यह समस्या एलर्जेन या इर्रिटेंट के संपर्क में आने के बाद हुई है, तो कुछ होम रेमेडीज खुजली में आराम पहुंचाने और रैशेज से बचाव में मददगार हो सकती हैं। इसके अलावा डॉक्टर इन चीजों की सलाह दे सकते हैं:
- नॉन-सेडेटिंग एंटीहिस्टामिन (Non-sedating antihistamines), जैसे सिट्रीजिन (Cetirizine)
- टॉपिकल स्टेरॉइड्स का कम समय के लिए इस्तेमाल (Topical steroids)
- सेकेंडरी इंफेक्शन से बचाव के लिए एंटीसेप्टिक क्रीम (Antiseptic creams)
- खुजली कम करने के लिए सूदिंग क्रीम (Soothing creams)
अगर मरीज में एलर्जी के लक्षण नजर आएं जैसे होंठों, चेहरे या जीभ में सूजन, तो डॉक्टर इंजेक्टेबल एपिनेफ्रीन (Injectable Epinephrine) की सलाह दे सकते हैं।
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हाइव्स के कारण और उपचार: क्रॉनिक हाइव्स (Chronic Hives)
क्रॉनिक हाइव्स (Chronic hives) से पीड़ित व्यक्ति को तब तक नियमित एंटीहिस्टामिन लेने की जरूरत हो सकती है, जब तक लक्षण कम न हो जाएं। ओमालिज़ुमैब (Omalizumab) एक इंजेक्टेबल ड्रग है, जो इम्यूनोग्लोब्युलिन इ (Immunoglobulin E) को ब्लॉक करती है। इम्युनोग्लोब्युलिन इ उस सब्सटांस को कहा जाता है, जो एलर्जिक रिस्पांस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे क्रॉनिक हाइव्स (Chronic hives) के लक्षण कम हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक्यूपंक्चर भी क्रॉनिक हाइव्स की समस्या को दूर करने में मददगार होता है। लेकिन, इसके बारे में पर्याप्त सुबूत मौजूद नहीं हैं। क्रॉनिक हाइव्स के कारण कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
यही नहीं, यह स्ट्रेस का कारण भी बन सकती है। अगर रोगी को लगता है कि इस रोग की वजह से उनका जीवन प्रभावित हो रहा है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए। डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट्स के लिए कह सकते हैं। अगर टेस्ट से किसी अंडरलायिंग डिजीज जैसे ल्यूपस (Lupus) का निदान होता है, तो वो इसके सही उपचार की सलाह देंगे। अब जानते हैं होम रेमेडीज के बारे में
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होम रेमेडीज
यह तो थी जानकारी हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) के बारे में। कुछ होम रेमेडीज भी इस समस्या से राहत पहुंचाने में मददगार हो सकती हैं। यह होम रेमेडीज इस प्रकार हैं:
- सूदिंग लोशन का इस्तेमाल ताकि खुजली से राहत पाई जा सके
- ढीले, लाइट, कॉटन के कपड़े पहनना
- स्क्रैच करने से बचें
- सेंसिटिव स्किन के लिए सही साबुन, मॉइस्चराइजर और अन्य चीजों का इस्तेमाल
- सन-एक्सपोजर से बचें
अगर आपको पता है कि यह समस्या किन चीजों से होती है, तो उन एक्सपोजर्स के संपर्क में आने से भी बचें। ऐसा भी माना जाता है कि कुछ सप्लीमेंट्स जैसे विटामिन डी 3 (Vitamin D3), क्रॉनिक हाइव्स (Chronic hives) के उपचार में मददगार हो सकते हैं। लेकिन, इसके बारे में भी पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं हैं। किसी भी सप्लीमेंट के इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य बात करें।
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उम्मीद है कि हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। इससे बचाव भी संभव है। इसके लिए आप माइल्ड या फ्रेग्रेन्स-फ्री सोप, स्किन क्रीम और डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें। पॉसिबल ट्रिगर्स के बारे में जानें और उनसे बचें। अगर किसी दवा से आपको यह समस्या है, तो डॉक्टर से बात करें। स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए मेडिटेशन और अन्य रिलैक्सेशन टेक्निक्स का इस्तेमाल करें। किसी फूड से भी आपको यह समस्या हो सकती है जैसे मिल्क, अंडे, नट्स, सोया आदि। जिस खाद्य पदार्थ से आपको यह समस्या हो सकती है, उसका सेवन करने से बचें। हाइव्स के कारण और उपचार (Hives Causes And Treatment) के बारे में अगर आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात करना न भूलें।