इन्फेक्शन (Infection)
सोरायसिस कई बार वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है। जिन लोगों को गले के इंफेक्शन के साथ ही त्वचा पर किसी तरह का संक्रमण हो उन्हें सोरायसिस होने का खतरा बहुत अधिक होता है। यदि आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है, तो आपको भी यह समस्या हो सकती है।
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अन्य कारण
सोरायसिस से प्रभावित होने वाले अंग (Psoriasis Affected Body Parts)
सोरायसिस का प्रभाव शरीर के इन अंगों पर हो सकता है-
- हथेलियां
- तलवे
- कोहनी
- घुटने
- पीठ पर सोरायसिस हो सकता है।
यह बीमारी नवजात से लेकर बुजुर्गों तक किसी भी उम्र में हो सकती है।
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सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा में उपचार (Unani medicine for Psoriasis)
यूनानी चिकित्सा में सोरायसिस को तकाशशुर जिल्द (रूखी त्वचा जिसपर पर पपड़ी जमने लगती है)। यूनानी चिकित्सा के अनुसार यह पित्त और रक्त में किसी तरह के असंतुलन या सूजन के कारण होता है, इसकी वजह से त्वचा का रंग लाल हो जाता है, रूखी हो जाती है और खुजली भी होने लगती है। यह तनाव और डिप्रेशन से भी जुड़ा है, इसलिए कभी-कभी रोज़मर्रा के जीवन में भी इससे परेशानी हो सकती है। यूनानी उपचार में रैशेज पर टॉपिकल हर्बल मरहम लगाया जाता है, इसके साथ ही ओरल मेडिकेशन भी दिया जाता है। यूनानी दवा कुदरती चीजों से मिलकर बनाई जाती है और मरीजों को खट्टी और मीठी चीजें खाने से परहेज करने को कहा जाता है। यूनानी दवा से उपचार के संबंध में किए गए अध्ययन के अनुसार, यूनानी उपचार से सोरायसिस के मरीजों की स्थिति में सुधार देखा गया और इसके कोई साइड इफेक्ट भी नजर नहीं आए।
एनसीबीआई की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मजून उस्बा (Majoon Ushba) और रोगन हिंदी (Roghane Hindi) जैसी यूनानी दवाओं पर किए अध्ययन के मुताबिक, इससे न सिर्फ सोरायसिस के मरीजों को लाभ हुआ, बल्कि जल्दी पता लगने पर और सही उपचार से बेहतर परिणाम भी मिले। अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि यूनानी दवा सोरायसिस के उपचार के लिए न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि असरदार भी है। हालांकि इस संबंध में और अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा कितनी कारगर है? (Unani medicine effectiveness in Psoriasis)