अरोमा (Aroma) एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है ‘महक’। ये एक प्राचीन और पुरानी माने जाने वाली थेरिपी है। इसमें प्राकृतिक फूलों या उनके इत्र आदि की खुशबू सूंघा कर अरोमा थेरिपी की जाती है। माना जाता है कि इस अरोमा थोरिपी की मदद से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। स्ट्रेस और एंग्जायटी से भी राहत मिलती है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि एरोमा थेरिपी क्या है और इसके फायदे क्या हैं?
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अरोमा थेरिपी क्या है?
अरोमा थेरिपी एक हॉलिस्टिक हीलिंग ट्रीटमेंट है, जो स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए पौधों के अर्क के इस्तेमाल से किया जाता है। इसे इसेंशियल ऑयल थेरिपी भी कहा जाता है। एरोमाथेरेपी शरीर, दिमाग और मन के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए मेडिसीनल तौर पर यूज किया जाता है। यह शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। अब तो एरोमा थेरिपी के कई देशों में बढ़-चढ़ के प्रयोग किया जा रहा है। वहीं, भारत में प्राचीन समय से अरोमा थेरिपी का प्रयोग चिकित्सा पद्धति में किया जा रहा है।
एसेंशियल ऑयल क्या है?
एसेंशियल ऑयल को आसान शब्दों में किसी भी फूल या पौधे का अर्क कहा जाता है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (ISO) ने एसेंशियल ऑयल को प्रमाणित करते हुए कहा कि एसेंशियल ऑयल एक ऐसा प्रोडक्ट होता है, जो कच्ची सब्जियों को पानी के साथ डिस्टिलेशन या वाष्पित किया जाता है। वहीं, सिट्रस फलों के एपिकार्प को मेकेनिकल प्रोसेस के द्वारा ड्राई डिस्टिलेशन कर के बनाया जाता है।
इसेंशिल ऑयल में कई तरह के एंटीवायरल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीफंगल, एंटीऑक्सिडेंट आदि गुण पाए जाते हैं। अरोमा थेरिपी में एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल मसाज करने, सूंघाने और किसी विशेष स्थान पर लगा कर किया जाता है। हालांकि, एसेंशियल ऑयल प्राकृतिक होते हुए भी एक केमिकल है, जिसके ज्यादा प्रयोग के अपने कुछ नकारात्मक प्रभाव सामने आ सकते हैं। इसलिए आप इसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल अपने डॉक्टर की देखरेख में ही करें।
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एरोमा थेरिपी कैसे काम करती है?
जैसा कि पहले ही बताया गया कि अरोमा थेरिपी की मदद से कई सारे समस्याओं का इलाज किया जाता है। एरोमा महक है और एरोमा थेरिपी महक को सूंघाने वाली थेरिपी है। विशेषज्ञों का मानना है कि हमारी नाक में स्मेल रिसेप्टर होते हैं, जो हमारे नर्वस सिस्टम के द्वारा दिमाग को मैसेज भेजते हैं।
अरोमा थेरिपी में इस्तेमाल किए जाने वाले एसेंशियल ऑयल दिमाग के कुछ निश्चित हिस्सों पर अपना प्रभाव डालते हैं। जैसे- लिम्बिक सिस्टम, जो हमारी भावनाओं को नियंत्रित करता है। एसेंशियल ऑयल की महक हमारे ब्रेन के हाइपोथैल्मस पर भी असर डालती है। जिससे हमारा दिमाग सेरोटोनिन हॉर्मोन स्रावित करता है। सेरोटोनिन एक फील गुड हॉर्मोन है, जो हमें अच्छा महसूस कराने के लिए जिम्मेदार होता है। वहीं जब एसेंशियल ऑयल से मसाज किया जाता है तो जोड़ों में दर्द जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है।
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अरोमा थेरिपी के फायदे क्या हैं?
अरोमा थेरिपी के फायदे निम्न हैं :
- शरीर के किसी भी प्रकार के दर्द में
- मितली में
- थकान और इंसोम्निया
- एंग्जायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन में
- सिरदर्द में
- मांसपेशियों के दर्द में
- पीरियड्स की समस्याओं में
- मेनोपॉजल समस्याओं में
- बाल झड़ने या एलोपेशिया एरिटा में
- सोरियासिस में
- पाचन तंत्र की समस्याओं में
- दांत दर्द में
इसके अलावा भी अन्य कई प्रकार की समस्याओं में एरोमा थेरिपी की जाती है, जिससे राहत मिलती है।
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अरोमा थेरिपी कैसे की जाती है?
अरोमा थेरिपी को कई तरीकों से किया जाता है :
इनडायरेक्ट इनहेलेशन (Indirect inhalation)
इस विधि में मरीज को एसेंशियल ऑयल को प्रत्यक्ष रूप से सूंघने के लिए नहीं कहा जाता है। बल्कि उसे एक कमरे में बैठा कर रूम डिफ्यूजर की मदद से कमरे की हवा में मिलाया जाता है। इसके बाद सांसों के द्वारा ही एसेंशियल ऑयल मरीज के शरीर में जाता है। इसके अलावा एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें रूई या टिश्यू पेपर पर डाल कर कमरे में रख दिया जाता है। जिससे इनडायरेक्ट इनहेलेशन की प्रक्रिया होती है।
डायरेक्ट इनहेलेशन (Direct inhalation)
इस विधि के द्वारा मरीज को सीधे एसेंशियल ऑयल को सूंघाया जाता है। जिसमें गर्म पानी में एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें डाल कर मरीज को सीधे भाप लेने के लिए कहा जाता है। जो सीधे हमारे नाक में वाष्प के रूप में पहुंचता है।
मसाज (Massage)
मालिश भी अरोमा थेरिपी का एक हिस्सा है। जिसमें एक या एक से अधिक एसेंशियल ऑयल को मिला कर किसी अन्य बेस ऑयल (नारियल का तेल, ऑलिव ऑयल) में कुछ बूंदें डाल कर बनाई जाती है।
नहाने के पानी में बाथ सॉल्ट के साथ भी एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं पट्टी पर कुछ बूंदें डाल कर इसका इस्तेमाल भी किया जाता है।
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एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल एरोमा थेरिपी में कैसे किया जाता है?
अलग-अलग एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल अलग-अलग समस्याओं के लिए किया जाता है :
- तुलसी एसेंशियल ऑयल : डिप्रेशन की समस्या को दूर करने के लिए तुलसी के तेल का इस्तेमाल होता है। वहीं, सिरदर्द और माइग्रेन में भी तुलसी का तेल फायदेमंद होता है। वहीं एकाग्रता बनाने के लिए भी तुलसी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- काली मिर्च का तेल : ब्लैक पेपर एसेंशियल ऑयल शरीर दर्द, मांसपेशियों के दर्द के लिए राहत पहुंचाता है। काली मिर्च का तेल को अदरक का तेल मिला कर लगाने से आर्थराइटिस का दर्द कम करता है और जोड़ों के दर्द में फ्लेक्सिबिलिटी इम्प्रूव होती है।
- यूकेलिप्टस एसेंशियल ऑयल : कोल्ड और फ्लू में राहत देता है। इसे पिपरमिंट के साथ मिला कर गर्म पानी में डालकर सूंघने से बंद नाक भी खुल जाती है। हालांकि, कुछ लोगों को यूकिलिप्टस इसेंशिल ऑयल से एलर्जी हो सकती है। वहीं, यूकिलिप्टस ऑयल को बर्गामॉट एसेंशियल ऑयल के साथ मिला कर लगाने से त्वचा संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
- कैमोमाइल एसेंशियल ऑयल : इस ऑयल के मसाज से एक्जिमा ठीक हो सकता है।
- लौंग का तेल : लौंग का तेल एक बेहतरीन पेनकिलर माना जाता है। खास कर के दांत दर्द में लौग के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग उल्टी, मितली और गैस को रोकने के लिए भी किया जाता है। लौंग का तेल एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है।
- जैस्मिन एसेंशियल ऑयल :जैस्मिन एसेंशियल ऑयल एक कामोतेजक तेल है। जिसे प्राचीन भारत में शीघ्रपतन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। चमेली (Jasmine) की महक हमारे मस्तिष्क में बीटा तरंगों को बढ़ाती है, जो हमारी अलर्टनेस से संबंधित है। जैस्मिन एसेंशियल ऑयल एक उत्तेजक के रूप में सेक्स के दौरान पेनिस में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है।
- लैवेंडर एसेंशियल ऑयल : लैवेंडर एसेंशियल ऑयल एक एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है। जो हल्के चोट और जले पर काफी आराम पहुंचाता है। वहीं, नींद लाने और रिलैक्स करने में भी लैवेंडर एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल होता है। माइग्रेन और सिरदर्द में भी लैवेंडर ऑयल का उपयोग किया जाता है।
- नींबू का तेल : नींबू का तेल मूड को इम्प्रूव करने के काम आता है। साथ ही स्ट्रेस और डिप्रेशन में भी राहत मिलती है।
- टी ट्री ऑयल : टी ट्री एसेंशियल ऑयल एंटी माइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक और डिसइंफेक्टेंट के गुणों से भरपूर होता है। बालों की देखभाल के लिए भी इस तेल का प्रयोग होता है और मुंहासों के इलाज में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे मुंह के द्वारा सेवन नहीं करना चाहिए वरना ये आपके जहरीला साबित हो सकता है।
- रोजमेरी एसेंशियल ऑयल : रोजमेरी एसेंशियल ऑयल बालों की वृद्धि, याद्दाश्त को बढ़ाने, नर्वस सिस्टम और ब्लड सर्कुलेशन को अच्छा करता है।
उपरोक्त सभी एसेंशियल ऑयल का प्रयोग अरोमा थेरिपी के लिए किया जाता है। लेकिन अगर अरोमा थेरिपी में मसाज विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है तो आपको किसी बेस ऑयल (नारियल का तेल, तिल का तेल, सरसों का तेल, जैतून का तेल) में मिला कर ही इस्तेमाल करना चाहिए। वहीं, बिना अपने डॉक्टर के परामर्श के किसी भी एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल ना करें, वरना आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है। अगर कोई महिला गर्भवती है या ब्रेस्टफीडिंग कराती है तो उन्हें बिना डॉक्टर के सलाह के एरोमा थेरिपी नहीं करानी चाहिए।
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अरोमा थेरिपी के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
अरोमा थेरिपी के फायदे के साथ-साथ उसके कुछ साइड-इफेक्ट्स भी हैं :
- त्वचा पर रैशेज
- सिरदर्द
- अस्थमा अटैक
- एलर्जिक रिएक्शन
- मिलती आना
- त्वचा संबंधी समस्या होना
इसके अलावा अगर एसेंशियल ऑयल को कोई गलती से निगल ले तो सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए बिना डॉक्टर के परामर्श के एरोमा थेरिपी की विधियों को ना अपनाएं।
आपको अगर ऊपर बताई गई समस्याएं हैं तो आप अरोमा थेरिपी के बारे में विचार कर सकते हैं। लेकिन अपने डॉक्टर या थेरिपिस्ट के सुपरविजन में ही एरोमा थेरिपी कराएं। उम्मीद है कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा।