सोरायसिस त्वचा से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जो आपके लुक पर प्रभाव डालती है जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास भी डगमगाने लगता है। इसमें त्वचा पर मोटी परत जम जाती है जो लाल चकत्ते जैसे दिखने लगता है जिससे कभी-कभी दर्द और सूजन भी हो सकता है। यह समस्या शरीर क किसी भी हिस्से में हो सकती है और इसकी वजह होता है व्यक्ति का कमजोर इम्यून सिस्टम। हालांकि इसका इलाज संभव है। एलोपैथ के साथ ही सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा में भी कुछ उपचार बताए गए हैं।
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सोरायसिस क्या है? (What is Psoriasis)
यह त्वचा से जुड़ी ऑटोइम्यून डिसीज है। जिसमें त्वचा पर कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं। दरअसल, व्हाइट ब्लड सेल्स की कमी के कारण त्वचा की परत सामान्य से अधिक तेजी से बढ़ने लगती है और इसकी वजह से त्वचा पर घाव या चकत्ते उभर आते हैं। यह समस्या शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यदि सोरायसिस की समस्या बढ़ जाती है, तो लाल चकत्ते से खून निकल सकता है। कभी-कभी इसमें दर्द और सूजन भी हो सकती है। इसकी वजह से मानसिक समस्याएं भी हो सकती है।
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सोरायसिस के लक्षण (Psoriasis Symptoms)
सोरायसिस होने पर आमतौर पर यह लक्षण दिख सकते हैं –
- त्वचा पर सूजन के साथ लाल चकत्ते होना
- लाल चकत्तों पर सफेद पपड़ी जैसी जमना
- त्वचा रुखी होना और उसमें दरारें पड़ना, खून भी निकल सकता है
- त्वचा के लाल चकत्तों में दर्द होना
- चकत्तों के आसपास की त्वचा में खुजली और जलन महसूस होना
- नाखून मोटे होना और उनमें दाग-धब्बे पड़ जाना
- जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या
सोरायसिस क्यों होता है? ( Reason for Psoriasis)
सोयरायसिस की समस्या इन कारणों से हो सकती है –
कमज़ोर इम्यून सिस्टम (Weak immune system)
यदि किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर है, तो उसके शरीर में नई कोशिकाएं जल्दी बनने लगती है, लेकिन यह सही तरह से बन नहीं पाती और कमजोर होने वजह से खराब होने लगती है। इसी वजह से यह लाल दाने या चकत्ते जैसे दिखने लगते हैं।
जेनेटिक (Genetic)
कई बार यह जेनेटिक बीमारी भी होती है यानी एक परिवार में कई पीढ़ियों से यह बीमारी चलती रहती है। माता-पिता में से किसी एक को भी यदि सोरायसिस है तो बच्चे में इसके होने का खतरा 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यदि माता-पिता दोनों को यह बीमारी है तो बच्चों को यह बीमारी होने की सम्भावना 60% अधिक होती है।
इन्फेक्शन (Infection)
सोरायसिस कई बार वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है। जिन लोगों को गले के इंफेक्शन के साथ ही त्वचा पर किसी तरह का संक्रमण हो उन्हें सोरायसिस होने का खतरा बहुत अधिक होता है। यदि आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है, तो आपको भी यह समस्या हो सकती है।
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अन्य कारण
- त्वचा पर कोई घाव जैसे- त्वचा कट जाना, मधुमक्खी काट लेना या धूप से त्वचा का झुलसना।
- स्ट्रेस, स्मोकिंग और अधिक शराब का सेवन करने से भी सोयरासिस हो सकता है।
- शरीर में विटामिन डी की कमी और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी कुछ दवाइयां खाने से भी यह बीमारी हो सकती है।
सोरायसिस से प्रभावित होने वाले अंग (Psoriasis Affected Body Parts)
सोरायसिस का प्रभाव शरीर के इन अंगों पर हो सकता है-
- हथेलियां
- तलवे
- कोहनी
- घुटने
- पीठ पर सोरायसिस हो सकता है।
यह बीमारी नवजात से लेकर बुजुर्गों तक किसी भी उम्र में हो सकती है।
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सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा में उपचार (Unani medicine for Psoriasis)
यूनानी चिकित्सा में सोरायसिस को तकाशशुर जिल्द (रूखी त्वचा जिसपर पर पपड़ी जमने लगती है)। यूनानी चिकित्सा के अनुसार यह पित्त और रक्त में किसी तरह के असंतुलन या सूजन के कारण होता है, इसकी वजह से त्वचा का रंग लाल हो जाता है, रूखी हो जाती है और खुजली भी होने लगती है। यह तनाव और डिप्रेशन से भी जुड़ा है, इसलिए कभी-कभी रोज़मर्रा के जीवन में भी इससे परेशानी हो सकती है। यूनानी उपचार में रैशेज पर टॉपिकल हर्बल मरहम लगाया जाता है, इसके साथ ही ओरल मेडिकेशन भी दिया जाता है। यूनानी दवा कुदरती चीजों से मिलकर बनाई जाती है और मरीजों को खट्टी और मीठी चीजें खाने से परहेज करने को कहा जाता है। यूनानी दवा से उपचार के संबंध में किए गए अध्ययन के अनुसार, यूनानी उपचार से सोरायसिस के मरीजों की स्थिति में सुधार देखा गया और इसके कोई साइड इफेक्ट भी नजर नहीं आए।
एनसीबीआई की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मजून उस्बा (Majoon Ushba) और रोगन हिंदी (Roghane Hindi) जैसी यूनानी दवाओं पर किए अध्ययन के मुताबिक, इससे न सिर्फ सोरायसिस के मरीजों को लाभ हुआ, बल्कि जल्दी पता लगने पर और सही उपचार से बेहतर परिणाम भी मिले। अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि यूनानी दवा सोरायसिस के उपचार के लिए न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि असरदार भी है। हालांकि इस संबंध में और अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा कितनी कारगर है? (Unani medicine effectiveness in Psoriasis)
सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा को कारगर माना जाता है, लेकिन इसके बारे में बड़े पैमाने पर रिसर्च की कमी है। अब तक बहुत छोटे समूहों पर ही इससे जुड़े अध्ययन हुए है और उनके मुताबिक, यूनानी चिकित्सा से सोरायसिस का उपचार सफल रहा है और कोई साइड इफेक्ट नजर नहीं आए हैं।
यूनानी चिकित्सा क्यों फायदेमंद मानी जाती है? (Why Unani medicine is beneficial)
आयुर्वेद की तरह ही यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी इलाज के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाता है और आमतौर पर हर्बल दवाओं, डायाट संबंधी सलाह और नियमित उपचार का तरीका अपनाया जाता है। कुछ अध्ययनों के आधार पर कहा जा सकता है कि सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा एवं गंभीर मेडिकल कंडिशन ल्यूकेमिया को बहुत हद तक ठीक करने में मददगार है। इसके अलावा यह हृदय संबंधी समस्याओं, पेट की बीमरियों और मानसिक रोगों के लिए भी काफी मददगार मानी जाती है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में फूल और हर्बल अर्क अधिक इस्तेमाल किया जाता है। जिससे शरीर के घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।
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कैसे पता चलेगा कि मुझे सोरायसिस हो गया है?
यदि किसी को शरीर में खुजली और लाल चकत्ते दिखाई दे तो उसे अनदेखा न करें, कई बार लोग इसे मामूली इंफेक्शन समझने की भूल कर बैठते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए और तुरंत स्किन स्पेशलिस्ट से सलाह लेने की जरूरत है। डॉक्टर कई बार शरीर के प्रभावित हिस्से का स्किन सैंपल लेकर माइक्रोस्कोप से जांच करते है, जिसे सोरायसिस के बारे में पता चलता है। इसके अलावा यदि आपके परिवार में पहले किसी को यह बीमारी हुई है तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है और स्किन से जुड़ी किसी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह करें।
सोरायसिस कितने तरह का होता है? (Type of Psoriasis)
सोरायसिस आतमौर पर 5 तरह के होते हैं।
प्लाक सोरायसिस- यह सबसे सामान्य प्रकार है। जिसमें शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं।
ग्यूटेट सोरायसिस – इसमें पीड़ित के शरीर पर जाने नजर आने लगते हैं।
इन्वर्स सोरायसिस – शरीर के जॉइंट्स पर इसका सबसे अधिक असर देखा जा सकता है।
पस्ट्युलर सोरायसिस – इसमें लाल चकत्तों के आसापास सफेद चमड़ी जमा होने लगती है।
एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस- यह सोरायसिस का सबसे गंभीर रूप हो है जिसमें खुजली के साथ बहुत दर्द भी होता है।
सोरायसिस के लिए डायट चार्ट (Diet Chart for Psoriasis)
सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा में मरीजों को खाने पीने का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। उन्हें अपने आहार में इन चीजों को शामिल करना चाहिए-
- चावल, गेहूं, जौ
- अरहर, मूंग, मसूर दाल
- हरी सब्ज़ियां जैसे सहजन, टिण्डा, परवल, लौकी, तोरई, खीरा, लहसुन, अदरक आदि
- फल जैसे अनार, जायफल
- मसालों में अजवाइन, सौंफ, हिंग, काला नमक, जीरा, लहसुन आदि का सेवन करें
- हमेशा गुनगुना पानी पिएं।
इन चीजों से करें परहेज
- मैदा
- चना, मटर, उड़द की दाल
- पत्तेदार सब्जियां- सरसों, टमाटर, बैंगन, नारंगी, नींबू,
- फल- खट्टे अंगूर, आलू, कंद-मूल
- दही, मछली, गुड़, दूध, अधिक नमक आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए
- कोल्ड्रिंक्स, अशुद्ध भोजन व पानी का सेवन न करें।
- तला मसालेदार भोजन, नॉनवेज, नॉनवेज सूप, अचार, अधिक तेल व नमक वाला खाना, कोल्डड्रिंक्स, मैदे से बनी चीजें, शराब, फास्टफूड, जंक फूड आदि से सख्त परहेज जरूरी है।
सोरायसिस की बीमारी से बचने या जल्दी ठीक होने के लिए जीवनशैली करें ये बदलाव-
- एल्कोहल और स्मोकिंग से परहेज करें, क्योंकि यह सोरायसिस को ठीक होने में बाधा पहुंचा सकता है।
- वजन कंट्रोल में रखें। इसके लिए हेल्दी डायट लें और रोजाना एकसरसाइज करें।
- खाना खाने के बाद थोड़ी देर चलना जरूरी है।
- स्ट्रेस दूर करने की कोशिश करें। इसके लिए मेडिटेशन करें या कुछ देर के लिए ही सही अपना कोई पसंदीदा काम करें।
- त्वचा को हमेशा सूखा और साफ-सुथरा रखें।
- सूरज की तेज रोशनी से त्वचा की हिफाजत करें।
- सोरायसिस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना जरूरी है और इसके लिए हेल्दी डायट, एक्सरसाइज, तनावमुक्त रहना और पर्याप्त नींद बहुत जरूरी है।
सोरायसिस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन जल्दी पता चलने पर इसके लक्षणों में सुधार किया जाता है जिससे मरीज बेहतर जिंदगी जी सके। क्योंकि सोरायसिस का संबंध तनाव और डिप्रेशन से है, इसलिए मरीज की जिंदगी पर इसका असर पड़ सकता है। वह अपने रोजमर्रा के काम करने भी ठीक से करने में असमर्थ रहता है और समस्या गंभीर होने पर सुसाइड तक के बारे में सोच सकता है। इसलिए जरूरी है कि शुरुआत में ही इस बीमारी को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। सोरायसिस के लिए यूनानी चिकित्सा के बारे में आपको इस लेख में जानकारी मिल गई होगी ऐसी उम्मीद करते हैं।