नींद से जागना एक ऐसी स्थिति है जो हर व्यक्ति महसूस करता है। ज्यादातर मामलों में यह स्थिति कुछ समय के लिए ही रहती है और आमतौर पर रात के समय अधिक पानी पीने के कारण पेशाब की वजह से होती है। यह सभी जानते हैं कि स्वस्थ शरीर और दिमाग के लिए हमें गहरी नींद की जरूरत होती हैं क्योंकि यही वह समय होता है जब प्राकृतिक रूप से शरीर के विकारों को दूर करके उसे टोनअप किया जाता है। हालांकि, सो जाने के बावजूद भी कुछ लोगों की रोजाना रात में एक ही समय पर नींद खुलती है। नियमित रूप से रात में एक ही समय पर नींद से जागना हमें यह संकेत देता है कि शरीर में कुछ हो रहा है।
रोजाना रात में नींद से जागना परेशान कर सकता है। शरीर के लिए नींद एक बेहद आवश्यक है जो हीलिंग में मदद करती है। पर्याप्त मात्रा में नींद न ले पाने के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न होने लगती हैं।
निम्न नींद में जागना के कुछ सामान्य कारण और उपचार हैं –
नींद से जागने के कारण
चिंता, तनाव या अवसाद
चिंता और अवसाद इंसोम्निया का मुख्य कारण है। इसके साथ ही यह दोनों समस्याएं इंसोम्निया के कारण भी हो सकती हैं।
चिंता या अवसाद के कारण व्यक्ति के सोचने की क्षमता प्रभावित होने लगती है जिससे उसकी सोचने की प्रक्रिया में समस्या आने लगती है। इसके कारण सोने और बार-बार जागने में परेशानी आ सकती है।
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चिंता या अवसाद का इलाज
इस स्थिति में व्यक्ति को अपने डॉक्टर से सलाह लेने की आवश्यकता होती है। चिंतित या डिप्रेस महसूस करने पर आपको किसी साइकोलॉजिस्ट से परामर्श करने की भी आवश्यकता पड़ सकती है। चिकित्सीय विकल्पों में निम्न शामिल है –
- थेरेपिस्ट से बात करना
- अवसाद या चिंता के लिए दवाओं का सेवन करना
- मस्तिष्क को आराम पहुंचाने वाले व्यायाम
इसके अलावा आप चाहें तो चिंता और अवसाद को कम करने के लिए निम्न घरेलू उपाय का भी इस्तेमाल कर सकते हैं –
- कम काम करना
- म्यूजिक (गाने) सुनना
- मेडिटेशन
- रोजाना व्यायाम करना
- अपने बेडरूम में शांत माहौल बनाए रखना
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स्लीप एपनिया
रातों में नींद से जागना कई बार स्लीप एपनिया रोग के कारण हो सकता है। यह रात में नींद से जागने का सबसे सामान्य कारण माना जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति सही ढंग से सांस नहीं ले पाता है जसिके कारण वह रात में कई बार उठता है। कई बार व्यक्ति को पता भी नहीं चल पाता है कि उसकी नींद स्लीप एपनिया के कारण खराब हो रही है।
स्लीप एपनिया के सामान्य लक्षण
- सोते समय हांफना
- सिरदर्द
- खर्राटे लेना
- दिन के समय सुस्ती रहना
- उठने के बाद सिरदर्द होना
- दिन के समय ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल आना
स्लीप एपनिया का इलाज
नींद से जागना अगर स्लीप एपनिया के कारण होता है तो आप रात में कई बार जाग सकते हैं। इस स्थिति में आपको चिकित्सीय सलाह लेने की आवश्यकता पड़ सकती है। वह आपको नींद से जागना के साथ-साथ स्लीप एपनिया के इलाज के बारे में भी सलाह दे सकते हैं।
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इलाज की प्रकिया में सर्जरी, एयरवे डिवाइस की मदद या खाने वाली दवाओं का सहारा लिया जा सकता है।
इंसोम्निया
इंसोम्निया एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति को सोने में परेशानी या नींद आना नामुमकिन सा हो जाता है। इसके कारण दिन के समय थकान महसूस होने लगती है जिससे पूरे दिन में परेशानियां बढ़ सकती हैं।
इंसोम्निया अवसाद और चिंता दोनों से ही जुड़ा है और इसके कारण यह दोनों परिस्थितियां उतपन्न होने की आशंका रहती है। इसके साथ ही अवसाद और चिंता इंसोम्निया का लक्षण और कारण दोनों होते हैं।
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इंसोम्निया का इलाज
इंसोम्निया की गंभीरता को कम करने के लिए आप निम्न उपायों की मदद ले सकते हैं –
- मेडिटेशन करें
- हैवी डिनर न करें
- रोजाना एक ही समय पर सोएं
- मसालेदार खाना कम खाएं
- झपकियां न लेना
पेशाब करने की इच्छा महसूस होना
पेशाब करने की तीव्र इच्छा के कारण नींद से जागना बेहद सामान्य कारण माना जाता है। हालांकि, कुछ लोग सोने से पहले तरल पदार्थ का सेवन बंद कर के इस स्थिति को कम कर पाते हैं, लेकिन कुछ अन्य समस्यों के कारण ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता है।
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निम्न कारकों के कारण नींद से जागना सामान्य हो सकता है –
- कुछ दवाओं से रिएक्शन
- प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना
- गर्भावस्था
- पेशाब न रोक पाना
- डायबिटीज
पेशाब की इच्छा को कम करने के उपाय
इलाज की प्रक्रिया में पेशाब करने की इच्छा के कारण को कम करने की कोशिश करते हैं। जिसमें निम्न मुख्य रूप से शामिल हैं –
- सोने से पहले तरल पदार्थ का सेवन न करें
- मसालेदार खाना न खाएं
इसके अलावा अगर रात में पेशाब का कारण प्रेग्नेंसी है तो प्रेग्नेंसी की अवधि खत्म होने तक इस लक्षण के जाने का इंतजार करें।
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रात में डर लगना
जिस व्यक्ति को रात के समय डर लगता है उसके लिए असल में नींद से जागना नहीं होता है। बल्कि वह अचानक उठने पर चिल्लाते, रोते या डरा हुआ महसूस करते हैं। कई बार व्यक्ति को नींद से जागने के कारण के बारे में भी नहीं याद रहता है।
रात में डर लगने के कारण नींग से जागना आमतौर पर बच्चों में देखा जाता है। लेकिन यह बड़ों को भी प्रभावित कर सकता है।
रात में डर लगने का इलाज
बच्चों को रात में डर लगना बेहद सामान्य होता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ-साथ स्थिति गंभीर भी हो सकती है। हालांकि, नींद से जागना बच्चे को परेशान करता है या आपको निम्न लक्षण दिखाई देते हैं तो माता-पिता को पीडियाट्रीशन से संपर्क करना चाहिए –
- बच्चा यदि पूरा दिन थका हुआ महसूस करें।
- अगर डर के कारण नींद से जागना के अटैक बढ़ने लगें।
- डर के कारण चिल्लाने या रोने से बच्चे या घर के अन्य सदस्य का नींद से जागना।
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सोते समय शरीर करता है ये काम
दरअसल, जब हम गहरी नींद में होते हैं तो हमारा शरीर सक्रियता के बहुत से चरणों से गुजरता है और शरीर में हमारे इम्यून सिस्टम और स्वास्थ्य से जुड़ी थायराइड एडरनल ग्लैंड, ब्लड सेल्स आदि कार्य करते हैं।
ये शरीर के मेटाबोलिज्म और हमारे मस्तिष्क के टिशूज की मरम्मत या मसल्स के विकास के लिए हार्मोन भी बनाते हैं। इसीलिए, रोज रात में एक ही समय पर नींद से जागना हमारे शरीर के किसी हिस्से के स्वास्थ्य के बारे में सिग्नल है।
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समय के अनुसार प्रभावित अंग
जैसा कि हर व्यक्ति के शरीर में एक आंतरिक साइकिल होती है जिसके अनुसार वह जागता या सोता है। शरीर की आंतरिक घड़ी के अनुसार हर अंग के रिपेयर का समय फिक्स होता है तथा शरीर कब किस अंग के लिए कार्य करेगा यह भी पहले से ही निर्धारित होता है इसलिए किसी एक खास समय पर रोज नींद से जागना उस अंग विशेष की हेल्थ को बताता है। जैसे-
रात 11 बजे से 1 बजे तक का समय
यह समय सीमा पित्ताशय से जुड़ी है। इस समय पित्ताशय पित्तरस बनाता है जो पाचनक्रिया और अवशोषण में मददगार होता है यदि आपकी नींद इस समय स्वाभाविक रूप से टूट रही है, तो इसका मतलब है कि कुछ है जो आपके पित्ताशय को परेशान कर रहा है।
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रात 1 बजे से 3 बजे तक का समय
यह समय सीमा लिवर से संबंधित है। इस दौरान शरीर अपने आप को साफ करता है, रक्त और अन्य ऊतकों से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है। बॉडी डिटॉक्सिंग के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंग लीवर ही है और इस समय से नियमित रूप से नींद खुलने का सीधा मतलब है कि आपको अपने लिवर की सेहत पर ध्यान देना चाहिए।
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सुबह 3 बजे से 5 बजे तक का समय
यह समय सीमा फेफड़ों से संबंधित है। इस समय के दौरान, रक्त और ऑक्सीजन मांसपेशियों में पंप किया जाता है। यदि आप इस समय के दौरान अक्सर जागते हैं, तो आप के फेफड़े आपको संकेत दे रहे हैं।
सुबह 5 बजे से 7 बजे तक का समय
यह समय सीमा बड़ी आंत से संबंधित है। बड़ी आंत शरीर से अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालती है। यदि आप इस समय के दौरान अचानक रोज नींद से जाग जाते हैं, खासतौर पर मलत्याग की आवश्यकता के साथ तो इसका मतलब है कि आपकी बड़ी आंत ठीक से काम नहीं कर रही है।
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जागने की इस समस्या को नियंत्रित कैसे कर सकते हैं?
अगर आप ये समझ चुके हैं कि किस समय आपकी नींद टूट रही है और आप दोबारा नहीं सो पाते हैं तो हेल्थ पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके साथ ही नींद को संतुलित करने का प्रयास करें। मेडिटेशन, बेड टाइम योगा और मसल्स रिलैक्सेशन व्यायाम भी आपको बेहतर नींद में मदद कर सकते हैं। यदि समस्या फिर भी कम न हो तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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डॉक्टर से कब संपर्क करें
अगर कोई व्यक्ति निम्न परिस्थितियों से गुजरता है तो उसे तुरंत चिकित्सीय परामर्श की आवश्यकता पड़ सकती है –
- बार-बार रात में नींद से जागना
- अपने पार्टनर में स्लीप एपनिया के लक्षणों को पहचानें
- पर्याप्त समय की नींद लेने पर भी थका हुआ मससूस करना
- शिशु को रात में सोने से डर लगना या बार-बार नींद से जागना
अगर हर रात एक ही समय पर नींद टूट जाती है और खुद को बहुत थका हुआ महसूस करें, तो आपको अपने शरीर की हेल्थ पर ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
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