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हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं तो ध्यान रखें ये बातें
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। बेसिक हॉस्पिटलाइजेशन से लेकर क्रिटिकल इलनेस तक कई पॉलिसी को शामिल किया जाता है। अगर आप पहली बार हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं तो बेसिक हॉस्पिटलाइजेशन पॉलिसी को पहले लें। नेक्स्ट लेवल की प्रोटक्शन के लिए क्रिटिकल इलनेस और डिसीज स्पेसिफक पॉलिसी को लिया जा सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़ी अन्य बातों को भी जानिए।
- हेल्थ इंश्योरेंस के तहत अस्पताल में भर्ती पर खर्च जैसे कि कमरे का किराया, डॉक्टर की फीस आदि को शामिल किया जाता है। साथ ही डिसीज डायग्नोसिस के लिए भी लाभ मिलता है। जब भी हेल्थ पॉलिसी लें, एक बार सभी नियम व शर्तें जरूर पढ़ लें।
- हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ये बात ध्यान रखना जरूरी है कि पॉलिसी कब से शुरू हो रही है और कितनी अवधि तक चलेगी। कई हेल्थ पॉलिसी हमेशा के लिए भी होती है।
- अगर आप चाहे तो पॉलिसी लेते समय एडिशनल कवर भी ले सकते हैं। जैसे कि इंटरनेशनल ट्रीटमेंट, मैटरनिटी और क्रिटिकल इलनेस को एड किया जा सकता है।
- सर्जरी के लिए भी इंश्योरेंस ले सकते हैं। वैसे तो हॉस्पिटल में ज्यादातर सीरियस सर्जरी से कहीं ज्यादा वायरल इंफेक्शन, डायरिया या फिर डायजेस्टिव प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट करवाते हैं। अगर आप सीरियस सर्जरी का इंश्योरेंस लेना चाहते हैं तो इंश्योरेंस भविष्य के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है। प्लान टाइप के हिसाब से सर्जरी कवर रहती हैं। ऐसे में सर्जरी की कॉस्ट के साथ ही ओवरऑल अस्पताल का खर्चा उसमे जुड़ेगा या फिर नहीं, इसकी जानकारी जरूर लें।
अगर चाहते हैं मैटरनिटी एक्सपेंस कवर करना ?
ऐसा नहीं है कि फिलहाल ही मैटरनिटी एक्सपेंस को हेल्थ इंश्योरेंस में कवर किया जा रहा है। ये सुविधा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में पहले भी थी। लेकिन अब वेटिंग पीरियड को कम कर दिया गया है। कुछ पॉलिसी में वेटिंग पीरियड नौ महीने से भी कम है। क्लेम राशि तीन लाख के कवर के लिए 35,000 रुपए और पांच लाख के कवर के लिए 50,000 रुपए तक सीमित है। पॉलिसी तीन साल के लिए हो सकती है। यानी की आपको तीन साल तक के लिए प्रीमियम की राशि भरनी होगी। वैसे तो ये पॉलिसी 25,000 से 50,000 रुपए तक का एक्सपेंस कवर करती हैं। अगर आपका अलग से खर्चा हुआ तो आपको अपनी जेब से भरना पड़ेगा।
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विदेश में अगर करवाना चाहते हैं इलाज
वैसे तो क्रिटिकल डिसीज के ट्रीटमेंट में अपने ही देश में बहुत रुपए खर्च हो जाते हैं। अगर आपको लगता है कि हेल्थ इंश्योरेंस के दौरान अब्रॉड ट्रीटमेंट भी कवर होना चाहिए तो ये भी संभव हो सकता है। आप हेल्थ इंश्योरेंस में अब्रॉड ट्रीटमेंड कवर करवाने के बाद डेवेलप्ड कंट्रीज में इलाज करवा सकते हैं। विदेश में ट्रेवलिंग, फूड, अटेंडेंट एकोमडेशन के खर्चे के साथ ही बीमारी का खर्चा भी पॉलिसी में कवर किया जाता है। इंश्योर्ड प्लान 50 लाख से लेकर 60 लाख तक हो सकते हैं। वहीं कुछ कंपनीज इससे कम में भी प्लान ऑफर करती हैं। अपने एजेंट से बात करने के बाद ही हेल्थ इंश्योरेंस लें।
आयुष्मान भारत योजना के तहत कम लागत में अच्छा कवर पाया जा सकता है। अगर आप भी आयुष्मान भारत योजना के अंतरगर्त कवरिंग चाहते हैं तो नजदीकी अस्पताल से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही किसी भी प्रकार के हेल्थ इंश्योरेंस को लेने से पहले उसके बारे में जानकारी, अवधि और कवरेज के बारे में एजेंट से जरूर चर्चा करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।