अंडकोष का रंग (Color of Scrotum) क्या कहता है?
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अंडकोष का रंग : टेस्टिकुलर टॉर्सन (Testicular torsion)
टेस्टिकुलर टॉर्सन (Testicular torsion) की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब टेस्टिकल्स रोटेट होते हैं। स्परमेटिक कॉर्ड के ट्विस्ट होने या उलझ जाने पर ब्लड अंडकोष में पहुंच जाता है, तो भी रंग बदल सकता है या ब्लड फ्लो (Blood flow) में अवरोध होने के कारण भी अंडकोष का रंग (Color of Scrotum) बदल सकता है। इस कारण गंभीर दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है। टेस्टिकुलर टॉर्सन 12 से 18 वर्ष की उम्र के बीच में होना आम माना जाता है। वैसे तो ये समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। टेस्टिकुलर टॉर्सन होने पर इमरजेंसी सर्जरी की जरूरत पड़ती है। अगर सही समय पर इलाज हो जाए तो टेस्टिकल्स (Testicular) सुरक्षित रहते हैं, वहीं लंबे समय तक इलाज न मिल पाने के कारण टेस्टिकल्स डैमेज हो सकते हैं।
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टेस्टिकुलर टॉर्सन के लक्षण (Symptoms of Testicular Torsion)
टेस्टिकुलर टॉर्सन की समस्या हो जाने पर कुछ लक्षण भी महसूस होते हैं, जैसे
- अंडकोष में अचानक से दर्द महसूस होना
- अंडकोष का रंग हल्का सा बदल जाना
- अंडकोष में सूजन
- पेट में दर्द
- मतली और उल्टी
- बार-बार यूरिन होना
- बुखार आना
- दर्द की वजह से रात में या जल्दी सुबह नींद खुल जाना
कई पुरुषों या लड़कों में टेस्टिकल्स का उलझना हेरीडिटी माना जाता है। टेस्टिकुलर टॉर्सन की समस्या से बचने के लिए सर्जरी की सहायता ली जा सकती है। सर्जरी की सहायता से टेस्टिकल्स को अंडकोष से जोड़ दिया जाता है।
अंडकोष का रंग : हाइड्रोसील की समस्या में
जब अंडकोष के चारों और द्रव्य अधिक मात्रा में भर जाता है, तो हाइड्रोसिल की समस्या हो जाती है। हाइड्रोसिल की समस्या बच्चों में भी होती है। करीब 10 प्रतिशत पुरुष हाइड्रोसील (Hydroseal) की समस्या के साथ ही पैदा होते हैं। हाइड्रोसिल की समस्या पुरुषों में किसी भी उम्र में हो सकती है। हाइड्रोसिल को आमतौर पर खतरनाक नहीं माना जाता है। हाइड्रोसिल की समस्या होने पर अंडकोष में दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है। साथ ही अंडकोष का रंग लाल भी हो सकता है। हमेशा अंडकोष में सूजन जरूरी नहीं है कि हाइड्रोसील का कारण हो। बेहतर होगा कि इस बारे में डॉक्टर से परामर्श करें और जरूरत पड़ने पर जरूरी टेस्ट भी कराएं।
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अंडकोष का रंग : वैरिकोसील (Varicocele )
अंडकोष और अंडकोष की थैली में सूजी हुई नसों को वैरिकोसील कहते हैं। 15 से 35 वर्ष के लोग वैरिकोसील (Varicocele) का ज्यादा शिकार होते हैं। वैरिकोस नसों में वॉल्व ब्लड को टेस्टिकल और स्क्रॉटम से हार्ट की ओर पहुंचाने में मदद करता है। वॉल्व के काम नहीं करने पर ब्लड एक ही जगह रह जाता है, जिस कारण स्क्रोटम और आस-पास की थैली में सूजन आ जाती है। इस कारण से अंडकोष के रंग (Color of Scrotum) में बदलाव महूस किया जा सकता है। वैरिकोसील की समस्या सामान्य मानी जाती है और 15 प्रतिशत वयस्क पुरुषों में देखी जाती है। वहीं किशोर पुरुषों में 20 प्रतिशत इसकी समस्या देखी जाती है और यह 15 से 25 साल के पुरुषों में इसकी परेशानी ज्यादा होती है।
- स्क्रोटम (Scrotum) में सूजन होना
- स्क्रोटम का सामान्य से ज्यादा बड़ा होना
- गर्मी के मौसम में दर्द बढ़ जाना, नसों में कमजोरी आना।
- जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने पर समस्या का बढ़ जाना
- देर तक खड़े रहने पर समस्या का बढ़ा जाना
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अंडकोष का रंग : एपिडीडिमाइटिस (Epididymitis)
एपिडिडीमाइटिस तब होता है जब एपिडिडीमिस में संक्रमण और फिर सूजन की समस्या हो जाती है। ऐसा अक्सर यौन संचारित रोग (Sexsual Transmited Disease) के कारण होता है। क्लेमेडिया (Chlamydia) या गोनोरिया (Gonorrhea) के कारण इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। इस कारण से अंडकोष में दर्द (Pain in Scrotum), अंडकोष में लालिमा, लिंग से तरल पदार्थ का निकलना, यूरिन (Urine) पास करने के दौरान दर्द होना, सीमन में ब्लड आना, बुखार आदि लक्षण नजर आ सकते हैं। अंडकोष का इलाज (Treatment for Scrotum) करवाने के दौरान डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) दवाएं दे सकता है। साथ ही कुछ सावधानी बरतने के लिए भी कह सकता है।
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अंडकोष का रंग : ऑर्काइटिस (Orchitis)
अंडकोष के इंफेक्टेड हो जाने की कंडिशन को ऑर्काइटिस कहते हैं। एपिडिडीमाइटिस की तरह ही ऑर्काइटिस (Orchitis) अक्सर एसटीआई (STI) के कारण संक्रमण से होता है। अन्य कारणों में तपेदिक, वायरस (Virus) जैसे मंप्स, कवक और परजीवी शामिल हो सकते हैं। इन कारणों से अंडकोष का रंग बदल कर गहरा लाल हो सकता है।