हाथों से लेकर पांव तक का पोज (हैंड टू फीट) को पादहस्तासन कहा जाता है। मुख्य रूप से इस आसन की प्रैक्टिस सूर्य नमस्कार के दौरान और सूर्य को नमन करने के लिए की जाती है। पादहस्तासन हमारे डायजेस्टिव आर्गेन (पाचन अंग) को मसाज करने के साथ टोन करती है, वहीं हैमस्ट्रिंग्स- मांसपेशियों (hamstrings) और काल्व्स (calves) को मजबूती प्रदान करता है। इतना ही नहीं इस योग का अभ्यास करने से शरीर से अतिरिक्त वात (Air) निकलता है, इसके नियमित सेवन से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।
पादहस्तासन की बात करें तो पाद का अर्थ पांव, हस्त का अर्थ हाथ और आसन का अर्थ पोज से है। इस योग को करने से बैलेंस, पॉश्चर और फ्लेक्सिब्लिटी हासिल होती है।
पादहस्तासन करने के फायदे
- इस योग को करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है
- इस योग को करने से व्यक्ति की एकाग्र क्षमता का विकास होता है
- इस योगाभ्यास को यदि कोई नियमित तौर पर करता है तो नाक और थ्रोट डिजीज से निजात मिलती है
- इस योगासन का अभ्यास करने से शरीर के डायजेस्टिव ऑर्गन का मसाज होता है
- इसको करने से पेट फूलने की शिकायत दूर होने से साथ, कब्जियत और अपच की समस्या नहीं होती है
- स्पाइनल नर्व एक्टिव होने से साथ सुचारू रूप से काम करते हैं
- नियमित तौर पर इसका अभ्यास किया जाए तो व्यक्ति लंबे समय तक जीवित रहता है
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ऐसे किया जाता है पादहस्तासन का योगाभ्यास
पादहस्तासन योग को करने के लिए सबसे पहले रीढ़ की हड्डी को सीधा करते हुए खड़े हो जाएं। ध्यान रखें कि पांव के दोनों पंजे साथ हो, फिर दोनों हाथों को शरीर के पीछे ले जाएं। फिर वापिस हाथ को आगे लाएं और रिलैक्स करें। इसके बाद कोशिश करें कि शरीर का पूरा वजन दोनों पांव पर डालें। ऐसा करने के बाद धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकें। इस बात का ध्यान रखें कि इस योगासन को करने के दौरान आपके पांव एकदम सीधे हो। झुकने के दौरान एहसास करें कि आपके शरीर में न तो कोई हड्डी है और न ही मसल्स। आपकी कोशिश यही रहनी चाहिए कि शरीर पर किसी प्रकार का तनाव व जोर न डालें। झुकने के क्रम में अब हाथों से पैर की उंगलियों को पकड़ने के साथ घुटने को पकड़ें। इस दौरान गर्दन को ढीला छोड़ दें और ध्यान रखें कि इस आसन को करने के दौरान आपके पांव व घुटने सीधे हो। वापिस धीरे धीरे उठें व लंबी व गहरी सांस लेकर रिलैक्स करें।
कई समस्याओं से मिलती है निजात
- इस योग को करने से गर्दन, कंधे से तनाव दूर होता है
- वात दोष को बैलेंस करता है
- क्रिएटिविटी, आत्मीयता, प्रेरणा और रिलेशनशिप को बढ़ाता है
- बैलेंस में सुधार कर शरीर को स्वस्थ रखता है
- दिमाग को शांत रखने के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है
- शरीर की स्ट्रेचिंग हो जाती है
- यदि कोई व्यक्ति नियमित तौर पर पादहस्तासन को करे तो उसका ब्लड सर्कुलेशन लेवल ठीक रहता है
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पादहस्तासन करने के पूर्व चेतावनी पर दें ध्यान
- वैसे लोग जो कमर दर्द के साथ कमर की इंज्युरी से ग्रसित हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि वो एक्सपर्ट योगा इंस्ट्रक्टर की सलाह लेकर ही योगाभ्यास करें
- यदि आप अल्सर की बीमारी से ग्रसित हैं तो उन मामलों में आपको पादहस्तासन योग को नहीं करना चाहिए
- वैसे व्यक्ति जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है उन्हें एक्सपर्ट की सहायता के बाद पादहस्तासन को करना चाहिए
- वैसे लोग जिन्हें दिल की बीमारी से है वैसे लोगों को पादहस्तासन एक्सपर्ट के साथ व उनकी मदद लेकर करना चाहिए
- वैसे लोग जिन्हें साइटिका का दर्द है उन्हें एक्सपर्ट की सलाह लेकर इस आसन को करना चाहिए
- वैसे लोग जो एब्डॉमिनल हर्निया की बीमारी से पीड़ित हैं वैसे लोगों को एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार ही आसन को करना चाहिए
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पादहस्तासन के दुष्प्रभाव पर एक नजर
पादहस्तासन करने के पूर्व कई अहम बातों पर ध्यान देना चाहिए। इस आसन को किसे करना चाहिए व किसी नहीं इन बातों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आसन करना चाहिए। बता दें कि एक्सपर्ट बताते हैं कि इस आसन को वैसे लोगों को कतई नहीं करना चाहिए जो बैक पेन की दिक्कत जैसे साइटिका (sciatica), हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर एब्डॉमिनल हर्निया (high blood pressure or abdominal hernia) जैसी बीमारी से ग्रसित हों। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन को करने की सलाह नहीं दी जाती है। खासतौर से वैसी महिलाएं जो प्रेग्नेंसी की दूसरी व तीसरी तीमाही की स्टेज में हो।
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पादहस्तासन आसन की प्रैक्टिस करने के पूर्व ऐसे करें तैयारी
एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि पादहस्तासन करने के पूर्व हमेशा दस मिनट का वार्मअप करना चाहिए, उसके बाद इस आसन की प्रैक्टिस करनी चाहिए। ऐसा करने से हमारा शरीर आसन के लिए तैयार हो जाता है, शरीर से स्टिफनेस कम हो जाती है, शरीर की फ्लेक्सीब्लिटी बढ़ने के साथ हमारे ज्वाइंट और ज्यादा स्मूथ हो जाते हैं। वार्म करने के लिए आप सामान्य तौर पर पांव को घुमाने के साथ एड़ियों को घुमाए, कमर को घुमाने के साथ कंधों, हाथ, कलाई और गर्दन को घुमाकर योग करें।
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विस्तारपूर्वक जानें पादहस्तासन योग के फायदे
- मांसपेशियों को करे सशक्त: पादहस्तासन करने से हाथों के साथ पांव की मांसपेशियों का खिंचाव होता है। इससे मांसपेशियां न केवल फ्लेक्सिबल यानि लचीली होती है बल्कि नाजुक भी होती है। वहीं आगे चलकर इससे पीठ संबंधी परेशानी नहीं होने के साथ मांसपेशियों में खिंचाव की परेशानी भी नहीं होती है।
- स्वस्थ पाचन शक्ति : पादहस्तासन को अपनाकर खराब पाचन शक्ति को ठीक किया जा सकता है। इस योग व आसन को करने से हमारा डायजेस्टिव सिस्टम सुचारू रूप से काम करता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम यानी आंतों संबंधी समस्या से निजात मिल सकता है। इसके साथ ही पेट, आंत, लिवर संबंधित परेशानियों से भी बचा जा सकता है।
- कार्पल टनल सिंड्रोम का इलाज (Therapeutic for Carpal tunnel Syndrome) : कार्पल टनल सिंड्रोम मौजूदा समय में एक आम बीमारी है। जो कई लोगों में देखने को मिलता है। इस बीमारी की समय पर जांच न कराई जाए तो मरीज की स्थिति और गंभीर हो सकती है। पादहस्तासन को करके हम कार्पल टनल सिंड्रोम की बीमारी से निजात पा सकते हैं।
- सामान्य रूप से बहता है खून : जब भी हम पादहस्तासन को करते हैं हाथों और पांव का मुवमेंट होने से हमारे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रूप से होता है। खासतौर से शरीर के ऊपरी हिस्से में ब्लड फ्लो अच्छे से होता है। ऐसा करने से शरीर के नर्वस और आर्गन में खून का प्रवाह अच्छा होता है। यही वजह है कि इस योग को करने से मनुष्य स्वस्थ्य रहता है।
- तनाव से रहते हैं मुक्त : यदि कोई व्यक्ति सिर्फ तीस सेकंड तक पादस्तासन को करें तो इससे व्यक्ति रिफ्रेश महसूस करता है। योगासन करने से मनुष्य तनावमुक्त रहने के साथ उसे थकान नहीं होता है और वो हमेशा एनर्जी से भरपूर रहता है। ऐसे में व्यक्ति खुशहाल जिंदगी जी सकता है।
- स्प्लिन और लिवर सुचारू रूप से करते हैं काम : इस योग को करने से व्यक्ति का स्प्लिन और लिवर सुचारू रूप से काम करता है। वहीं जो व्यक्ति नियमित तौर पर इसे करते हैं उन्हें थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (thrombocytopenia), लिवर एडीनोमा (adenoma) जैसी बीमारी से निजात मिलती है। इसलिए जरूरी है कि नियमित तौर पर इस योगासन का अभ्यास करें ताकि स्पलिन और लिवर संबंधी बीमारी से निजात पा सकें।
- नेजल और थ्रोट प्रॉब्लम से मिलता है निजात : वैसे व्यक्ति जो नेजल और थ्रोट संबंधी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं उन्हें पादहस्तासन करना चाहिए। इसे कर वो इस प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से निजात पा सकते हैं। वहीं नेजल और थ्रोट संबंधी बीमारी का इलाज भी इस योगाभ्यास से संभव है।
- हमेशा हेल्दी और जवां रहा जा सकता है : पादहस्तासन योग को करने से हमेशा जवां रहने के साथ हेल्दी रहा जा सकता है। इसे करने से शारिरिक रूप से स्वस्थ्य रहने के साथ हम मानसिक रूप से भी स्वस्थ्य रह सकते हैं। साथ ही व्यक्ति परफेक्ट शेप में आ सकता है।
- पादहस्तासन से बढ़ाएं हाइट: हाइट या कद बढ़ाने के पादहस्तासन बेहद कारगर योगाभ्यसों में से एक माना जाता है। लेकिन सिर्फ कुछ दिन करने से लाभ मिलना मुश्किल है। इसलिए इस योगासन को रोजाना करें।
- रक्त संचार होता है बेहतर: पादहस्तासन से ब्लड सर्क्युलेशन बेहतर होता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार इस योगासन के बेहतर लाभ के लिए रोजाना पादहस्तासन करें।
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पादहस्तासन योग को करने वाले लोगों के लिए जरूरी है कि इस आसन को सही से करना चाहिए। सही यही होगा कि योगा टीचर के निर्देशन में इस योग को करना चाहिए। योग काफी विशाल है, इसमें आयुर्वेद, हेल्दी डायट के साथ न्यूट्रीशन, लाइफस्टाइल के साथ सही तरह से योग का अभ्यास भी शामिल है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप एक्सपर्ट की मदद लेकर ही योगासन करें। वैसे पादहस्तासन के इतने सारे शारीरिक लाभ मिल रहें हैं, तो अगर आपभी इस योगासन को करने पर विचार कर रहें हैं और आप पहली बार पादहस्तासन कर रहें हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
- पहली बार पादहस्तासन योग गुरु या फिर योगा एक्सपर्ट के समक्ष करें। इसे सही तरह से समझने के बाद खुद करें और अगर परेशानी महसूस हो, तो न करें या योगा एक्सपर्ट की मदद से करें।
- शुरुआत दिनों में बॉडी को उतना ही झुकाएं जितना संभव हो। जरूरत से ज्यादा शरीर पर जोर लगाने से मांसपेशियां खिंच सकती हैं और दर्द भी हो सकता है।
- अगर आपको चोट लगी है शरीर में किसी मोच आया हो, तो इस आसन को न करें।
- अगर आपको कमजोरी महसूस होती है, तो कमजोरी ठीक होने पर ही योगासन करें।
- पादहस्तासन खाली पेट ही करें।
अगर पादहस्तासन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो योगा एक्सपर्ट्स से समझना बेहतर होगा।
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