कुछ लोगों को पूरे दिन में सिर्फ एक बार सोने की आदत होती है जबकि कुछ लोगों को छोटे-छोटे इंटरवल में सोने की आदत होती है। वहीं, कुछ लोग किसी भी प्रकार की सोने की आदत को अपना सकते हैं। इसी के साथ कुछ ऐसे भी लोग हैं जो नींद न आने की या बहुत कम नींद आने की समस्या का सामना करते हैं। यहां आज हम लोगों की सोने की आदत और उसके स्वरूप की चर्चा करेंगे और देखेंगे कि सोने की किस प्रकार की आदत इंसान के स्वास्थ्य पर क्या असर डाल सकती है?
नींद के कितने प्रकार होते हैं?
प्राकृतिक रूप से हर व्यक्ति के शरीर में एक आंतरिक घड़ी होती है जिसके अनुसार शरीर और शरीर की प्रणालियां निर्धारित कार्य करती हैं। शरीर की आंतरिक घड़ी हर व्यक्ति के सोने और जगने का समय भी निर्धारित करती है। इसके अनुसार तीन तरह की नींद होती है-
- मोनोफेसिक नींद का मतलब होता है जब व्यक्ति पूरे दिन में सिर्फ एक बार आठ या उससे ज्यादा घंटों के लिए सोता है जैसे कि रात में।
- बायफेसिक नींद का मतलब होता है कि व्यक्ति दिन में दो बार सोता है।
- पॉलिफेसिक नींद का मतलब होता है जिसमें व्यक्ति पूरे दिन सोता रहता है।
और पढ़ें : नाइट शिफ्ट में करते हैं काम, तो घर आकर ऐसे पूरी करें अपनी नींद
पॉलिफेसिक स्लीप (Polyphasic Sleep) क्या है?
पॉलिफेसिक स्लीप सोने का एक अलग तरीका है। इसमें साधारण तरीके के अनुसार आठ या नौ घंटे एक साथ न सोकर अपने सोने की प्रक्रिया को दिन के पूरे 24 घंटों के छोटे-छोटे अंतरालो में बांट दिया जाता है। नतीजन, बीच-बीच में सोने के कारण हमारा शरीर ज्यादा थकान महसूस नहीं करता है लेकिन, इस तरह कि नींद (पॉलिफेसिक स्लीप) हर सामान्य व्यक्ति के लिए नहीं है। पॉलिफेसिक स्लीप तभी अपनाया जा सकता है जब व्यक्ति यात्रा कर रहा हो या फिर वो किसी और शारीरिक गतिविधि में संलग्न हो। लेकिन, कुछ विशेषज्ञों ने माना है कि पॉलिफेसिक स्लीप की आदत हमारे शरीर में गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है इसलिए पॉलिफेसिक स्लीप को केवल विशेष परिस्थितियों में ही अपनाना चाहिए।
पॉलिफेसिक स्लीप वाला व्यक्ति एक दिन में कम से कम चार से छः बार नींद लेता है और आराम करता है। सोने की इस प्रक्रिया को अलग-अलग तरह से तीन श्रेणियों में बांटा गया है जैसे:
- एवरीमैन स्लीप साइकिल (Everyman sleep cycle): एक सामान्य आदमी तीन घंटे की लंबी नींद के साथ दिन में तीन बार 20-20 मिनट की नैप (झपकी) ले सकता है।
- उबरमैन स्लीप साइकिल (Uberman sleep cycle): इसमें पूरे दिन में केवल तीन घंटे की नींद लेते हैं जो 30-30 मिनट के नैप के अनुसार होती है और छः बार ली जाती है।
- डाइमेंक्सिऑन स्लीप साइकिल (Dymaxion sleep cycle): इसके अंतर्गत हर छः घंटे पर 30-30 मिनट की नैप लेते हैं और पूरे दिन में सिर्फ दो घंटे की नींद लेते हैं।
किसी भी व्यक्ति को सोने के लिए आठ घंटे की आवश्यकता होती है। लेकिन, कुछ लोग पांच घंटे की नींद में भी एक स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं तथा नींद की कमी को पूरा करने के लिए दिन में एक दो बार नैप भी ले सकते हैं।
और पढ़ें : इन लक्षणों से पता चलता है कि आपकी नींद पूरी नहीं हुई है
रात में एक बढ़िया नींद कैसे ली जाए?
कुछ ऐसी चीजें हैं जो व्यक्ति की नींद की समस्या को पूरी तरह से सुधार सकती हैं लेकिन, अगर आप इस समस्या से ज्यादा पीड़ित हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- लगातार खाया गया स्वास्थ्यवर्धक खाना। हमेशा हेल्दी खाने का सेवन करें ।
- ज्यादा चीनी, वसा और कैफीन वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए। क्योंकि कैफीन की अत्यधिक मात्रा नींद न आने का कारण बन सकती है।
- रात के खाने में मिर्च-मसालेदार खाने का त्याग करना चाहिए। मसालेदार खाने भी आप ठीक तरह नहीं सो पायेंगे।
- सोने से 30 मिनट पहले टीवी, फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को अपने से दूर रखना चाहिए। इन डिवाइस की वजह से आपको नींद नहीं आ सकती है।
- सोने की जगह पर शांति बनाए रखना चाहिए। इसके साथ ही बेडरूप को साफ रखें।
- सोने के समय आप स्लीप म्यूजिक का आनंद ले सकते हैं। इससे आपको अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।
- आप अपने बेडरूम में रेड लाइट (नाइट बल्ब) का प्रयोग कर सकते हैं। रिसर्च के अनुसार रेड लाइट में सोने से नींद अच्छी आती है।
इन ऊपर बताये गये टिप्स के साथ-साथ अपने खाने-पीने का चयन सोच समझकर करें।
और पढ़ें : Coconut Water: नारियल पानी क्या है और नारियल पानी के फायदे क्या हैं?
कैफीन और निकोटिन की मात्रा सिमित करें: कैफीन युक्त पदार्थों के सेवन से नींद आने में समस्या हो सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार शाम 4 या 5 बजे के बाद चाय या कॉफी जैसे पे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इनके सेवन से रात की वक्त आपको नींद आने में परेशानी हो सकती है। ठीक ऐसे ही स्मोकिंग भी न करें। दरअसल हेल्दी रहने के लिए सिगरेट से दूरी बनाये रखें। इसलिए पॉलिफेसिक स्लीप से बचने के लिए इनके सेवन पर कंट्रोल करें।
डिनर ज्यादा न करें: कोशिश करें रात का खाना सात से आठ बजे तक कर लें। रात के खाने के वक्त यह ध्यान रखें की खाना मिर्च या मसालेदार न हो। इससे आपको सीने में जलन और पेट से जुड़ी समस्या हो सकती है, जिस वजह से आप ठीक तरह से सो भी नहीं पाएंगे। कोशिश करें की पॉलिफेसिक स्लीप से बचने के लिए खाने में तेल, मसाले जैसे फ्लेवर देने वाले प्रोडक्ट का स्तेमाल कम करें।
एल्कोहॉल के सेवन से बचें: आपने शायद कई लोगों से सुना होगा या देखा भी होगा की कुछ लोग रात को सोने के दौरान एल्कोहॉल का सेवन करते हैं लेकिन, यह तरीका गलत है। सोने के पहले एल्कोहॉल का सेवन नहीं करना चाहिए। बेड टाइम के दौरान एल्कोहॉल के सेवन से स्लीप टाइम और स्लीप आवर दोनों में समस्या हो सकती है।
मीठे का सेवन कम करें: पॉलिफेसिक स्लीप से बचने के लिए अत्यधिक मीठे खाद्य पदार्थ या रिफाइंड कार्ब्स जैसे- वाइट ब्रेड, वाइट राइस और पास्ता का सेवन न करें। इनके सेवन से नींद से जुड़ी परेशानी हो सकती है। इनकी जगह आप ब्राउन राइस और ब्राउन ब्रेड का सेवन कर सकते हैं।
नींद शरीर की सबसे जरूरी प्रक्रियाओं में से एक है इसलिए इन सभी सुझावों को अपनाकर आप एक बढ़िया नींद आ सकेगी।अगर आप पॉलिफेसिक स्लीप से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल या नींद से जुड़े किसी सवालों का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
[embed-health-tool-bmi]