आयुर्वेदिक डायट प्लान खाने का एक अलग पैटर्न है, जो हजारों सालों से चला आ रहा है। यह आयुर्वेदिक चिकित्सा के सिद्धांतों पर आधारित होती है। इसमें आपके शरीर के अंदर मौजूद अलग-अलग तरह की ऊर्जा को संतुलित किया जाता है। आयुर्वेदिक डायट स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। आयुर्वेदिक डायट शरीर के प्रकार को ध्यान में रखकर निर्धारित की जाती है कि किस तरह के बॉडी टाइप के लिए क्या डायट बेहतर होगी। दूसरी डायट्स के मुकाबले यह लोकप्रिय इसलिए है क्योंकि यह न केवल आपके शरीर को स्वास्थ बनाती है बल्कि यह दिमाग को भी तरोताजा और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
आयुर्वेदिक डायट प्लान (Ayurveda diet plan) क्या है?
आयुर्वेद चिकित्सा का एक ऐसा रूप है जो आपके शरीर और दिमाग के बीच संतुलन को बढ़ाता है। आयुर्वेद के अनुसार, पांच तत्व मिलकर ब्रह्मांड (Universe) बनाते हैं। ये पांच तत्व हैं – वायु (Air), जल (Water), आकाश (Space), तेज (Fire), और पृथ्वी (Earth)।
इन तत्वों को तीन अलग-अलग दोषों के रूप में माना जाता है, जिन्हें आपके शरीर के अंदर बहने वाली ऊर्जा के रूप में परिभाषित किया गया है। हर एक दोष शारीरिक कार्यों के लिए जिम्मेदार है।
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आयुर्वेदिक डायट प्लान (Ayurveda diet plan) कैसे करता है काम?
आयुर्वेदिक डायट में आपके दोष या शरीर के प्रकार के आधार पर डायट प्लान निर्धारित किया जाता है। इसमें तय किया जाता है कि आपको कब, कैसे और क्या खाना चाहिए।
आयुर्वेद में हर एक दोष के लिए कुछ मुख्य विशेषताएं दी गई हैं:
- वात (वायु + स्थान)- इस दोष के लोग रचनात्मक (Creative), ऊर्जावान (Energetic), और जीवंत (Lively) होते हैं। इस दोष वाले लोग आमतौर पर पतले होते हैं और पेट या भूख से ज्यादा खाने पर पाचन संबंधी समस्याएं, थकान या चिंता से जूझते हैं।
- पित्त (अग्नि + जल)– इस दोष के लोग बुद्धिमान, परिश्रमी और निर्णायक होते हैं। ये लोग आम तौर पर मध्य स्तर की बनावट और शॉर्ट टेम्पर्ड होते हैं। इसके अलावा इन्हें अपच (Indigestion), हृदय रोग (Heart disease) या हाई ब्लडप्रेशर(High blood pressure) जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
- कफ (पृथ्वी + पानी)- स्वाभाविक रूप से शांत(Naturally Calm), डाउन टू अर्थ (Grounded) और वफादार होते है। कफ दोष वाले लोग ज्यादातर मोटे होते है। इनका वजन बढ़ने की वजह से उन्हें अस्थमा, डिप्रेशन या डायबिटीज जैसी परेशानी हो सकती है।
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किस तरह निर्धारित होता है आयुर्वेदिक डायट प्लान (Ayurveda diet plan)?
आयुर्वेद में आहार को शारीरिक गुणों और शरीर को प्रभावित करने के तरीके के आधार पर बांटा जाता है। यह निर्धारित करने में मदद करता है कि कौन से इंग्रीडियेंट किस दोष के लिए बेहतर काम करते हैं।
शरीर के प्रकार के आधार पर आप इन डायट्स को फॉलों कर सकते हैंः
वात
- प्रोटीन: कम मात्रा में पोल्ट्री, सी फूड, टोफू
- डेयरी: दूध, मक्खन, दही, पनीर, घी
- फल: पूरी तरह से पके और मीठे फल, जैसे कि केला, ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, आम, आड़ू, और प्लम
- सब्जियां: बीट, शकरकंद, प्याज, मूली, शलजम, गाजर, और हरी बीन्स सहित पकी हुई सब्जियां
- फलियां: छोले, दाल, मूंग
- अनाज: पके हुए ओट्स, पके हुए चावल
- नट और बीज: कोई भी, बादाम, अखरोट, पिस्ता, चिया बीज, सनफ्लावर बीज और फ्लेक्स सीड
- जड़ी बूटी और मसाले: इलायची, अदरक, जीरा, तुलसी, लौंग, अजवायन, काली मिर्च
पित्त
- प्रोटीन: कम मात्रा में पोल्ट्री, अंडे का सफेद भाग(Egg whites) , टोफू (Tofu)
- डेयरी: दूध, घी, मक्खन
- फल: संतरे, नाशपाती, अनानास, केले, खरबूजे, सीताफल और आम जैसे मीठे, पूरी तरह से पके हुए फल
- सब्जियां: गोभी, फूलगोभी, अज्वाइन, खीरा, तोरी, पत्तेदार साग, शकरकंद, गाजर, स्क्वैश, और ब्रसेल्स स्प्राउट्स सहित मीठी और कड़वी सब्जियां
- फलियां: छोले, दाल, मूंग, लिमा बीन्स, ब्लैक बीन्स, किडनी बीन्स
- अनाज: जौ, जई, बासमती चावल, गेहूं
- नट और बीज: कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, फ्लैक्स सीड्स
- जड़ी बूटी और मसाले: काली मिर्च, जीरा, दालचीनी,डिल, हल्दी
कफ
- प्रोटीन:कम मात्रा में पोल्ट्री, सी फूड, एग वाइट (Egg whites)
- डेयरी: स्किम मिल्क, बकरी का दूध, सोया मिल्क
- फल: सेब, ब्लूबेरी, नाशपाती, अनार, चेरी, और सूखे फल जैसे किशमिश, अंजीर, और प्रून्स
- सब्जियां: शतावरी, पत्तेदार साग, प्याज, आलू, मशरूम, मूली, भिंडी
- फलियां: कोई भी, जैसे ब्लैक बीन्स, छोले, दाल, और नेवी बीन्स शामिल हैं
- अनाज: जई, राई,जौ, मक्का, बाजरा
- नट और बीज: कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, फ्लैक्स सीड्स
- जड़ी बूटी और मसाले: जीरा, काली मिर्च, हल्दी, अदरक, दालचीनी, तुलसी, अजवायन।
आयुर्वेदिक डायट में शामिल सुपरफूड्स (Ayurvedic superfood)
आयुर्वेदिक डायट के फायदे किसी से छिपे नहीं है और साथ ही इसकी सबसे खास बात यह कि इसमें शामिल फूड आयटम्स आपको आसानी से मिल जाएंगे। आयुर्वेदिक डायट में शामिल हैं:
देसी घी (Ghee)
आयुर्वेट में देसी घी का खासा जिक्र मिलता है। यही कारण है कि घी को आयुर्वेद के इलाजों के साथ-साथ आयुर्वेदिक डायट में शामिल किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, घी हमारे शरीर के लिए कई मायनों में लाभदायक है। घी शरीर में पाचन को ठीक करके टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में भी मदद करता है। इसके अलावा डायबिटीज (Diabetes) के रोगियों को घी के सेवन से कई फायदे होते हैं।
गुनगुना पानी
सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना आयुर्वेदिक डायट (Ayurvedic diet) का अहम हिस्सा है। गुनगुने पानी को भी आयुर्वेट के सिद्धांत पर ही इस डायट में शामिल किया गया है। इसके अलावा दिन भर में कई बार धीरे-धीरे करके गुनगुने पानी की चुस्कियां लेना भी स्वास्थ्य के लाभदायक हो सकता है।
आयुर्वेदिक डायट में अदरक
भारत के अलग-अलग हिस्सों में सालभर में कई बार मौसम बदलता रहता है और बदलते मौसम में बीमारियों का खतरा लगातार बना रहता है। ऐसे में अदरक (Ginger) का सेवन बदलते मौसम की बीमारियों से बचाने में आपकी मदद करते हैं। दरअसल अदरक शरीर के इम्यून सिस्टम (Immune system) को मजबूत करने में मदद करती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्टः
हैलो स्वास्थ्य ने जब इसके बारे में आयुर्वेदिक डॉक्टर शरयु माकणीकर से बात की तो उन्होंने बताया कि ‘आयुर्वेद में कोई भी इलाज केवल लक्षण को ठीक करने के लिए नहीं बल्कि किसी भी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद कोई इलाज नहीं बल्कि एक लाइफस्टाइल है, जो स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देता है। बदलती जीवनशैली में हर कोई वेस्टर्न लाइफस्टाइल की तरफ आकर्षित होकर अलग-अलग डायट्स फॉलो कर रहा है लेकिन आयुर्वेदिक डायट फिजिकल और मैंटल हैल्थ को एक साथ लेकर चलता और जीवन को आसान बनाता है।’
नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर जानिए कैसे ऑर्गेनिक फूड को टेस्टी बनाया जा सकता है।
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