अगर आप रेग्यूलर हेल्थ सप्लिमेंट्स लेते हैं, तो सतर्क हो जाएं, क्योंकि ये हेल्थ सप्लिमेंट्स शरीर के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ नुकसानदायक भी हो सकते हैं। दरअसल साल 2018 में कंज्यूमर इंडिया द्वारा किये गए एक सर्वे के मुताबिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नाम पर बाजार में मिलने वाले ज्यादातर हेल्थ सप्लीमेंट्स यानी न्यूट्रास्यूटिकल्स में आवश्यकता से ज्यादा या कम पौष्टिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। न्यूट्रास्यूटिकल्स (Nutraceuticals) और न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार (Types of Nutraceuticals) के साथ-साथ नैचुरल तरीके से इनकी पूर्ति शरीर को कैसे की जाए, यह समझेंगे।
और पढ़ें : मशरूम के फायदे: इसमें छिपे हैं कई पौष्टिक तत्व, जानें कुकुरमुत्ता के 5 फायदे
न्यूट्रास्यूटिकल्स क्या है?
न्यूट्रिशियन और फार्मास्यूटिकल्स के मिश्रण से बना है न्यूट्रास्यूटिकल्स। इसमें अलग-अलग तरह के विटामिन्स और मिनरल्स को मिलाकर टैबलेट या सिरप तैयार की जाती है। हालांकि न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार या कैटेगरी से जुड़ी जानकारियों को भी साझा करना जरूरी है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार न्यूट्रास्यूटिकल्स को डायटरी फाइबर (Dietary fibre), प्रीबायॉटिक्स (Prebiotics), प्रोबायोटिक्स (Probiotics), पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स (Polyunsaturated fatty acids) एवं एंटीऑक्सिडेंट्स (Antioxidants) जैसे अन्य कैटेगरी में होती है, तो चलिए इस आर्टिकल में आगे जानते हैं न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार (Types of Nutraceuticals) कौन-कौन से हैं?
नीचे दिए इस क्विज को खेलिए और हेल्दी फूड एवं हेल्दी हेल्दी ड्रिंक्स से जुड़ी आपकी जानकारी कितनी है सही और गलत ये जानिए।
और पढ़ें : रिसर्च: हाई फाइबर फूड हार्ट डिजीज और डायबिटीज को दूर कर सकता है
न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार (Types of Nutraceuticals) कौन-कौन से हैं?
न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार निम्नलिखित हैं। जैसे:
- कोलोस्ट्रम
- आवंला जूस
- व्हे प्रोटीन में ऐससल्फेम पोटेशियम
- प्रोटीन पाउडर
- डेली हेल्थ सप्लीमेंट कैप्सूल
ऊपर दिए न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार को एक-एक कर इस आर्टिकल में आगे समझेंगे।
1. कोलोस्ट्रम (Colostrum)-
शिशु के जन्म के बाद स्तनों में जो सबसे पहला दूध आता है, उसे कोलोस्ट्रम (Colostrum) कहते हैं। ये दूध बेबी डिलीवरी के आखिरी महीनों में और डिलीवरी के बाद कुछ दिनों तक आता है। यह दूध नवजात शिशु के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। इस दूध का रंग हल्का पीला होता है और गाढ़ा होता है, लेकिन कभी-कभी इसका रंग सफेद होने के साथ-साथ यह पतला भी हो जाता है। दरअसल कोलोस्ट्रम में बीटा-कैरोटीन की मात्रा ज्यादा रहती है, जिसके कारण इसका रंग पीला हो जाता है। शिशु के जन्म के बाद कम से कम 5 दिनों तक कोलोस्ट्रम आता है। न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार में सबसे पहले हमने कोलोस्ट्रम की बात की, जो नवजात शिशुओं के लिए बेहद आवश्यक और लाभकारी है, लेकिन आर्टिकल में आगे बात करेंगे अन्य न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार (Types of Nutraceuticals) की, जो बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह नैचुरल सप्लीमेंट भी है।
2. आवंला जूस (Gooseberry Juice)
न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार में शामिल आवंला जूस सेहत के लिए वरदान माना जाता है। दरअसल आंवले में मौजूद विटामिन-सी (Vitamin-C) इम्यून पवार (Immune power) को स्ट्रॉन्ग करने के साथ-साथ मेटाबॉलिज्म को भी मजबूत बनाने में सहायक होता है। जिन लोगों को सर्दी-जुकाम (Cold & Cough), वायरल इंफेक्शन (Viral Infection) एवं बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial Infection) का खतरा ज्यादा रहता है, तो उनके लिए यह किसी अमृत से कम नहीं होता है। वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें, तो आंवले के जूस के सेवन से सर्दी-जुकाम, वायरल इंफेक्शन एवं बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचा जा सकता है।
और पढ़ें : बॉडी में दिखने वाले इन 10 संकेतों से समझें हो गई है विटामिन-सी (Vitamin C) की कमी
3. व्हे प्रोटीन में ऐससल्फेम पोटैशियम (Whey protein acesulfame potassium)
कंज्यूमर इंडिया द्वारा किये गए सर्वे के मुताबिक व्हे प्रोटीन में ऐससल्फेम पोटैशियम कैंसर जैसे गंभीर बीमारियों को दावत दे सकता है। इसलिए नैचुरल प्रोडक्ट्स का सेवन करना लाभकारी होता है। आप व्हे प्रोटीन में ऐससल्फेम पोटैशियम की जगह दूध (Milk), मक्खन (Butter), मूंगफली (Peanut), दालें (Pulses), तोफू (Tofu), सोया (Soya), चिकन (Chicken), मछली (Fish) और अंडे (Egg) का सेवन कर सकते हैं।
और पढ़ें : मछली खाने के फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान, कम होता है दिल की बीमारियों का खतरा
4. प्रोटीन पाउडर (Protein powder)
न्यूट्रास्यूटिकल्स के प्रकार (Types of Nutraceuticals) में प्रोटीन पाउडर भी शामिल है। दरअसल हर्बल, सोयाबीन, मटर, चावल, आलू, अंडे और दूध का विशेष कॉम्बिनेशन तैयार किया जाता है, जिससे प्रोटीन पाउडर बनाया जाता है। प्रोटीन पाउडर (Protein powder) का सेवन वर्कआउट के बाद किया जाता है, जिससे शरीर को ज्यादा ऊर्जा (Energy) मिलती है। फिटनेश एक्सपर्ट के मुताबिक वर्कआउट के शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है और ऐसे में प्रोटीन का सेवन आवश्यक होता है। प्रोटीन पाउडर या प्रोटीन डायट भी फॉलो किया जा सकता है।
और पढ़ें : वर्कआउट के बाद मांसपेशियों के दर्द से राहत दिला सकते हैं ये फूड, डायट में कर लें शामिल
5. डेली हेल्थ सप्लीमेंट कैप्सूल (Daily health supplements capsule)
कंज्यूमर इंडिया के सर्वे के अनुसार बाजार में कई ऐसे अलग-अलग सप्लिमेंट्स आसानी से मिल जाते हैं, जो नॉन प्रिस्क्राइब्ड होते हैं, लेकिन ऐसे सप्लिमेंट्स (Supplements) का सेवन करना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेकर किसी भी तरह के सप्लिमेंट्स का सेवन करना चाहिए। अगर आप चाहें, तो इन सप्लिमेंट्स की जगह नैचुरल फूड का सेवन भी कर सकते हैं। नैचुरल फूड में पालक (Spinach) और गाजर (Carrot) का सेवन अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। दरअसल एक कप उबले हुए पालक में 11 हजार 458 आईयू होती है, वहीं आधे कप गाजर में 9,189 आईयू होती हैं। इसलिए हरी सब्जियों की लिस्ट में इनका सेवन नियमित करें।
न्यूट्रास्यूटिकल्स के पूर्ति के लिए इन ऊपर बताये विकल्पों को ध्यान रख सकते हैं। इसके अलावा अगर आप किसी शारीरिक परेशानी से पीड़ित हैं, तो ऐसे में न्यूट्रास्यूटिकल्स के अन्य विकल्पों को भी अपना सकते हैं।
और पढ़ें : पालक से शिमला मिर्च तक 8 हरी सब्जियों के फायदों के साथ जानें किन-किन बीमारियों से बचाती हैं ये
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) में किस तरह के न्यूट्रास्यूटिकल्स का सेवन करना चाहिए?
अगर आप ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं, तो आप मछली के तेल (Fish oil), GAGs (ग्लूकोजएमाइन सल्फेट, कोंड्राइटिन सल्फेट एंड हैलोरोनिक एसिड), जैतून का तेल (Olive oil) या डॉक्टर से कंसल्ट के बाद अन्य हर्ब का सेवन किया जा सकता है।
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार हेल्दी फूड अपने आप में शरीर के लिए दवा की तरह काम करती है, जो कई गंभीर बीमारियों से भी हमें बचाये रखने में सहायता करती है। दरअसल न्यूट्रास्यूटिक्लस ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो किसी भी बीमारी की रोकथाम एवं इलाज की तरह कारगर माना जाता है। अगर पौष्टिक तत्वों का सेवन ठीक तरह से किया जाए, तो यह सेहत के लिए लाभकारी होता है। वहीं हमारे पारंपरिक खानपान में सभी पोषक तत्व मौजूद है, जिससे हम शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
सेहतमंद रहने के लिए क्या खाएं और कब खाएं यह जानना बेहद जरूरी है। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक को क्लिक करें और डायट से जुड़ी पूरी जानकारी जानिए।
अगर आप न्यूट्रास्यूटिकल्स से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
[embed-health-tool-bmi]