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डायबिटीज और हायपरटेंशन में क्या संबंध है? बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान

डायबिटीज और हायपरटेंशन में क्या संबंध है? बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान

डायबिटीज के मरीजों में अक्सर हायपरटेंशन की समस्या भी देखी जाती है। क्या आपकाे पता है कि डायबिटीज और हायपरटेंशन (Diabetes and hypertension problem) में संबंध है? यह दाेनों समस्याएं जिन भी मरीजों में हाेती है,उनके लिए यह गंभीर चिंता का कारण बन सकती हैं। क्योंकि कई बार ये अटैक का कारण भी बन सकती हैं। यहां तक कि मरीज के जान का जोखिम भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कि डायबिटीज और हायपरटेंशन की समस्या (Diabetes and hypertension problem) होने पर मरीजाें को किसी तरह की मुश्किल का सामना करना पड़ता है और बचाव के लिए उन्हें किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, लेकिन इससे पहले यह जान लें कि डायबिटीज क्या है?

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डायबिटीज क्या है (What is diabetes)?

डायबिटीज और हायपरटेंशन के बीच क्या संबंध है, यह जानने से पहले जान लें कि डायबिटीज क्या है? डायबिटीज एक एंडोक्राइन क्रॉनिक डिजीज है और यह तीन प्रकार की होती है। जिनमें से सभी के अलग-अलग कारण होते हैं: पहला टाइप 1 डायबिटीज, जोकि बचपन या किशोरावस्था के दौरान बच्चों में देखी जाती है। लेकिन यह जीवन में बढ़़ती उम्र के  बाद में भी हो सकता है। इसके लक्षण अपेक्षाकृत अचानक या कई हफ्तों में बाद नजर आ सकते हैं। टाइप 1 तब होता है, जब इम्यूनिटी इंसुलिन का उत्पादन करने वाले अग्न्याशय की कोशिकाओं पर हमला करती है। टाइप 1 डायबिटीज से बचने का कोई उपाय नहीं है।

टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन ऊर्जा में बदल नहीं  पाता है, जिस कारण ग्लूकोज का स्तर ब्लड में बढ़ जाता है। कुछ समय के बाद लोगों में इसके लक्षण नजर आने लगते हैं। बढ़ती उम्र के साथ या मोटापे के शिकार लोगों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। वर्तमान दिशानिर्देश के अनुसार 35 वर्ष से अधिक या उससे पहले के सभी लोगों के लिए स्क्रीनिंग की सलाह डॉक्टर देते हैं। अधिक वजन वाले लोगों को तो खासतौर पर ।

डायबिटीज का तीसरा प्रकार जेस्टेशनल डायबिटीज है। यह केवल गर्भावस्था में होता है, लेकिन यह बाद में जीवन में टाइप 2 मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता है। यदि नियमित जांच में गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्त शर्करा का स्तर दिखाई देता है, तो प्रसव तक डाॅक्टर द्वारा खास निगरानी की जरूरत होती है। लेकिन लोगों में सबसे ज्यादा डायबिटीज और टाइप-2 की समस्या देखी जाती है।

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डायबिटीज और हायपरटेंशन में क्या संबंध है (What is the relationship between diabetes and hypertension)?

हायपरटेंशन को  उच्च रक्तचाप की समस्या भी कहा जाता है, अक्सर यह मधुमेह मेलेटस के साथ होता है, जिसमें टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज शामिल हैं। कई अध्ययनों से पता चलता है कि डायबिटीज और हायपरटेंशन के बीच संबंध हो सकते हैं। हाय ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज मैटाबॉल्कि सिंड्रोम के संबंधि हैं,  एक ऐसी स्थिति जिसमें मोटापा और हृदय रोग शामिल हैं। डायबिटीज और हायपरटेंशन दोनों में कुछ अंतर्निहित कारण समान देखने को मिल सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों में हायपरटेंशन की समस्या अधिक देखी जाती है। कुछ परीक्षण द्वारा देखा जा सकता है कि क्या किसी व्यक्ति को डायबिटीज और हायपरटेंशन है। अब तो घर पर शुगर और बीपी मॉनिटर मशीन द्वारा करना आसान है। नियमित स्वास्थ्य जांच से उच्च रक्तचाप का पता चल सकता है। उच्च रक्तचाप को “साइलेंट किलर” भी कहा जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) इस बात पर जोर देता है कि ज्यादातर समय कोई लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। लोगों को आमतौर पर पता चलता है। ब्लड प्रेशर की जांच दो तरह से की जाती है

  • सिस्टोलिक शीर्ष संख्या है
  • डायस्टोलिक नीचे की संख्या है

परिणाम निम्नलिखित में से एक होंगे:

सामान्य: सिस्टोलिक 120 से नीचे और डायस्टोलिक 80 . से नीचे

एलिवेटेड: सिस्टोलिक 120–129 और डायस्टोलिक अंडर 80

हाय ब्लड प्रेशर स्टेज- 1: सिस्टोलिक 130-139 और डायस्टोलिक 80-89

हाय ब्लड प्रेशर स्टेज-2: सिस्टोलिक 140-प्लस और डायस्टोलिक 90 या अधिक

हाय ब्लड प्रेशर की गंभीर स्टेज-: सिस्टोलिक 180 से अधिक और डायस्टोलिक 120 से ऊपर है, तो इसका अर्थ है कि यह जोखिम का संकेत है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है। प्रारंभिक चरण के उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को भविष्य में उच्च रक्तचाप होने का खतरा होता है। जीवनशैली के सुधार और कुछ आदतों में बदलाव कर के रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • व्यायाम
  • स्वस्थ आहार
  • वजन यानि कि मोटापे पर कंट्रोल
  • सही समय पर मेडिकेशन

इसके अलावा डायबिटीज के लक्षणों पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है। मधुमेह की पहचान के लिए इन लक्षणों में शामिल हैं:

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क्या डायबिटीज उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती है (Can diabetes cause high blood pressure)?

मधुमेह में रक्त शर्करा का उच्च स्तर शामिल होता है। मधुमेह वाले व्यक्ति में ग्लूकोज को संसाधित करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है या शरीर में इंसुलिन प्रभावी ढंग से काम नहीं करता है। इंसुलिन वह हाॅर्मोन है, जो शरीर को भोजन से ग्लूकोज को संसाधित करने और ऊर्जा के रूप में उपयोग करने का काम करता है। इसमें आयी गड़बड़ी डायबिटीज टाइप 2 का कारण बन सकती है। इंसुलिन की समस्याओं के परिणामस्वरूप, ग्लूकोज ऊर्जा प्रदान करने के लिए कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर सकता है। जिस कारण वह रक्तप्रवाह में जमा हो जाता है। चूंकि उच्च ग्लूकोज स्तर के साथ रक्त का प्रवाह पूरे शरीर में होता है, तो यह रक्त वाहिकाओं और किड्नी डैमेज का कारण बन सकता है। सही फंक्शन न होने या किड्नी डैमेज होने पर रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे आगे नुकसान और जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।

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डायबिटीज और हायपरटेंशन को बढ़ाने वाले जोखिम (Increased risk of diabetes and hypertension)

डायबिटीज और हायपरटेंशन के बुरे प्रभावों में शामिल है: हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, आंखों की प्रॉब्लम और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा।  2012 में, शोधकर्ताओं ने आंकड़ों के अनुसार टाइप 1 मधुमेह वाले 30% लोगों और टाइप 2 मधुमेह वाले 50-80% लोगों में उच्च रक्तचाप की समस्या देखी जाती है। डायबिटीज और हायपरटेंशन, जिसमें डायबिटीज टाइप 2 को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं:

  • अधिक वजन का होना यानि कि मोटापा
  • सही डायट न लेना या अधिक ऑयली फूड का सेवन
  • किसी भी प्रकार का व्यायाम या फिजिकल एक्टिविटी न करना
  • तनाव होने पर
  • खराब नींद की आदतें
  • धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन
  • बढ़ती उम्र भी इसका एक कारक है
  • विटामिन डी का निम्न स्तर होना

जिन लोगों में हाय ब्लड प्रेशर की फैमिली हिस्ट्री होती है, उनमें उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह मधुमेह के पारिवारिक इतिहास से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है, विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज होने पर। उच्च रक्तचाप होने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है, और टाइप 2 मधुमेह होने से उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है।साथ ही, एक या दोनों स्थितियां होने से विभिन्न जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • दिल का दौरा या स्ट्रोक
  • गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी होना और डायलिसिस की स्थिति की और बढ़ना
  • आंखों में रक्त वाहिकाओं के साथ समस्याएं, जिससे दृष्टि में समस्या होना

उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ाने वाले अन्य कारकों में शामिल हैं:

  • उच्च वसा या उच्च सोडियम आहार लेना
  • शराब अधिक पीना
  • पोटेशियम का निम्न स्तर
  • अन्य पुरानी स्थितियां, जैसे स्लीप एपनिया, गुर्दे की बीमारी, या सूजन संबंधी गठिया रोग जैसी समस्या

कम उम्र से ही स्वस्थ जीवनशैली का चुनाव करना टाइप 2 मधुमेह और उच्च रक्तचाप दोनों को रोकने में मदद कर सकता है। मधुमेह वाले लोग अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करके उच्च रक्तचाप और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

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डायबिटीज और हायपरटेंशन से बचाव के उपाय (Measures to prevent diabetes and hypertension)

डायबिटीज और हायपरटेंशन से बचाव के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए मेडिकेशन का पालन करना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, जीवनशैली में कुछ बाताें का ध्यान रखते हुए भी इनमें सुधार की जा सकती है। जिनमें शामिल हैं:

वेट मैनेजमेंट (Weight management)

अधिक वजन वाले लोगों के लिए, थोड़ा भी वजन कम करने से उच्च रक्तचाप और मधुमेह दोनों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।अधिक वजन वाले लोगों में डायबिटीज और हायपरटेंशन का खतरा अधिक होता है। तो ऐसे में वेट मैनेजमेंट, उनके रक्तचाप की रीडिंग में सुधार कर सकता है। इसी तरह, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने नोट किया है कि शरीर के वजन का 5-7% कम करने से प्रीडायबिटीज को मधुमेह बनने से रोकने में मदद मिल सकती है।

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फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity)

नियमित गतिविधि रक्तचाप को कम कर सकती है और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, और यह कई अन्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। वर्तमान दिशानिर्देश हर किसी को हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाले एरोबिक व्यायाम या 75 मिनट की जोरदार तीव्रता वाले व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। मध्यम व्यायाम में चलना और तैरना शामिल है। जो लोग कुछ समय से सक्रिय नहीं हैं, उन्हें एक समझदार व्यायाम योजना पर सलाह के लिए अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

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अच्छी डायट लें (Healthy Diet)

मधुमेह और उच्च रक्तचाप वाले लोगों को अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। एक आहार योजना बाहर। इसमें आमतौर पर शामिल होंगे:

  • खूब सारे ताजे फल और सब्जियां खाएं। फल वही खांए, जो डॉक्टर ने बोला हो।
  • साबुत अनाज सहित उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करें।
  • अतिरिक्त नमक और चीनी के सेवन से बचें
  • अस्वास्थ्यकर वसा लेने बचें, जैसे कि ट्रांस फैट आदि।
  • रक्त शर्करा और समग्र स्वास्थ्य के प्रबंधन के लिए डॉक्टर अक्सर डीएएसएच आहार की सलाह देते हैं।

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डायबिटीज और हायपरटेंशन में क्या संबंध है, आपने जाना यहां। लेकिन इसके अलावा आपको बहुत की बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। डायबिटीज और हायपरटेंशन में सभी के लिए एक्सरसाइज और डायट अलग-अलग होती है, जो कि आपके डॉक्टर आपके लिए, आपकी शरीरिक जरूरतानुसार तय करेंगे। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

09/02/2022

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari

Updated by: Nikhil deore


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Sayali Chaudhari

फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/02/2022

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