डायबिटीज आज के समय में सबसे अधिक होने वाली घातक बीमारी है। डायबिटीज के लक्षण शुरूआत से रोगी में नजर आने लगते हैं। लेकिन कई बार रोग इसे समझ नहीं पाते हैं और सामान्य समझकर अनदेखा कर देते हैं। इसके अलावा, कई रोगों को पता होते हुए भी वो इलाज नहीं करते हैं, इस धारणा से कि वो घरेलू इलाज से इसे कंट्रोल कर लेंगे। पर डायबिटीज का इलाज न होना (Untreated diabetes), मरीज के शरीर के कई अंगों पर भारी पड़ सकता है। हर साल इसके लांखों नए केस सामने आते हैं और भारत में वर्तमान समय में कम से कम 63 मिलियन से भी अधिक लोग इस समस्या से प्रभावित हैं। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसके होने पर और भी बीमारियों के खतरे अधिक बढ़ जाते हैं। आइए जानते हैं कि डायबिटीज का इलाज न होना (Untreated diabetes) , शरीर के कौन-कौन से अंग प्रभावित हो सकते हैं, जानिए यहां
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टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes Type 2) क्या है ?
पहले जान लें कि डायबिटीज है क्या? टाइप 2 डायबिटीज, मधुमेह का सबसे आम प्रकार है और इसे एक क्रॉनिक कंडिशन ( Chronic condition) भी कहा जाता है। इस स्थिति में रोगी के शरीर में रक्त में शर्करा के स्तर बढ़ने लगता है। फिर मरीज का शरीर धीरे-धीरे शरीर रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। ऐसा टाइप-2 डायबिटीज के स्तर में होता है। इसमे कोशिकाएं रक्त शर्करा से ऊर्जा का निमार्ण नहीं कर पाती हैं। टाइप 1 मधुमेह (Type 1 diabetes)के विपरीत, टाइप 2 में इंसुलिन (Insulin) का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय होता है, लेकिन कोशिकाएं इसका उपयोग कर नहीं कर पाती हैं। यानि कि जब किसी व्यक्ति को डायबिटीज की बिमारी है, तब उसका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। इस कारण से रक्त में ग्लूकोज जमा होने लगता है।
टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के पीछे इटीयोलॉजिकल कारण हैं:
- एक्सरसाइज में कमी (Lack of exercise)
- तनाव और एंग्जायटी (Stress and anxiety)
- खराब लाइफस्टाइल का होना (Lifestyle Problem)
- मोटापे के कारण (Obesity)
- जेनेटिक (Genetics)
डायबिटीज का इलाज न होना जान के लिए खतरा हो सकता है। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि शरीर में हमेशा ग्लूकोज का स्तर हाय रहता है, जिससे शरीर के अन्य भागों के लिए भी खतरा बढ़ जाता है। यानि कि मधुमेह के लक्षणों में से एक उच्च रक्त शर्करा सबसे पहले शामिल है। जब आप अपने डॉक्टर के पास जाते हैं, तो वे आपके ब्लड शुगर को मापेंगे और आपको बताएंगे कि आपका शुगर लेवल कैसा है। स्वस्थ रक्त शर्करा का स्तर आमतौर पर खाना खाने से पहले 70 और 130 मिलीग्राम / डीएल के बीच और खाना खाने के दो घंटे बाद 180 मिलीग्राम / डीएल से नीचे होता है। उच्च रक्त शर्करा भी अक्सर कई लक्षणों से जुड़ा होता है। यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो अपने रक्त ग्लूकोज की जांच करवाने के लिए तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। कुछ लोग डायबिटीज को एक आम बीमारी समझते हैं। इसके लक्षण शुरुआती तौर पर नजर आने लगते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बार बार पेशाब लगना
- अधिक प्यास लगना
- भूख लगना
- थकावट महसूस होना
- वजन कम होना
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डायबिटीज का इलाज न होना: जानें शरीर में प्रभाव (How Untreated Diabetes Affects Your Body)
बार पेशाब आना, बहुत अधिक प्यास लगना और थकान लगना, यह सब मधुमेह से संबंधित अन्य समस्याएं होने जैसे लक्षण हो सकते हैं। जिसे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए। डायबिटीज का इलाज न होना शरीर के लिए इन हिस्सों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है:
हृदय और रक्त वाहिकाएं
हृदय रोग और रक्त वाहिका रोग कई लोगों के लिए सामान्य समस्या है, लेकिन जिनकी डायबिटीज कंट्रोल में नहीं, उनमें दिल की समस्याओं और स्ट्रोक होने का खतरा कम से कम दुगना बढ़ जाता है। बढ़ी हुई डायबिटीज रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचा सकती है, जो हार्ट की समस्याओं का कारण बन सकती है। मधुमेह से पीड़ित लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में दिल की बीमारियों के शिकार होने का खतरा अधिक होता है।
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डायबिटीज का इलाज न होना: आंखों में असर (Eyes)
हायपरग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) होने पर शुरुआत में आंखों में दिक्कत यानि कि नजरे कमजोर हो सकती हैं। समय रहते इस समस्या पर ध्यान न दिया जाए, तो भविष्य में रोशनी जाने का खतरा भी अधिक होता है। इसके अलावा, कुछ लोगों में बढ़ी हुई डायबिटीज से कैटरेक्ट (मोतियाबिंद) होने का रिस्क भी हो जाता है। आंख को प्रभावित करने वाली इस गंभीर स्थिति को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। इसमें आंखों के रेटिना खराब होने लगती है और कुछ गंभीर मामलों में आंखों रोशनी भी प्रभावित हो सकती है। 20% से 30% डायबिटिज पेशेंट में रेटिनोपैथी की शिकायत होती है। इससे आंखों की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें से कुछ का इलाज न करने पर अंधापन हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- आंख का रोग
- मोतियाबिंद
- मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी, जिसमें आपकी आंखों में छोटी रक्त वाहिकाएं शामिल होती हैं।
डायबिटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वो नियमित रूप से आंखों की जांच करवाते रहें। इससे कई समस्याओं का पता एकदम शुरूआत में ही लग सकता है और इससे इलाज भी आसान हो सकता है।
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डायबिटीज का इलाज न होना: त्वचा (Skin) में असर
डायबिटीज के मरीजों में स्किन इंफेक्शन होने का खतरा भी अधिक होता है। जिसे सबसे ज्यादा लोग अनदेखा कर देते है। डायबिटीज से प्रभावित 30% लोगों में त्वचा संक्रमण पाया जाता है। जिसमें शुष्क त्वचा, स्किन टैग्स और सेबोरिक केरेटोसिस आदि। ये होने वाली कुछ मेजर प्रॉब्लम हैं। इसके अलावा अन्य और भी कई बीमारियां हो सकती हैं। इससे बचाव के लिए डायबिटीज पेशेंट त्वचा में किसी भी तरह के बदलाव पर ध्यान दें और शुरुआत में ही इसके इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। इसी के साथ त्व्चा के हायजीन का पूरा ध्यान भी रखें।
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किडनी (Kidney)
किडनी से जुड़ी बीमारियों के पीछे भी कई बार डायबिटीज को सबसे बड़े कारण के रूप में भी देखा गया है। खासतौर पर किडनी के फेल हो जाने के पीछे। टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित 7% लोगों में डायबिटीज की पहचान होने से पहले ही किडनी की बीमारी के की चपेट में वो आ जाते हैं। हाय कोलेस्ट्रॉल, हाय ट्राइग्लिसराइड और लो एचडीएल को इनके पीछे सबसे मुख्य कारणों के रूप में दखा गया है। इसकी नियमित जांच बहुत जरूरी है, जिसके लिए प्रोटीन की जांच की जाती है। अच्छे खान-पान और एक्सरसाइज से क्रेटिन के लेवल को कंट्रोल में किया जा सकता है।
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डायबिटीज का इलाज न होना : ह्रदय और खून की नसें (Heart)
हायपरग्लाइसिमिया के साथ ही, मधुमेह ग्रस्त लोगों में हाय कोलेस्ट्रॉल और हाय ब्लड प्रेशर होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में खून की नसें सख्त होने लगती हैं, जिससे हार्ट अटैक (दिल का दौरा) या दिल से जुड़ी दूसरी तकलीफें बढ़ सकती है और मरीज में स्ट्रोक का खतरा भी सकता है। जिन्हें डायबिटीज नहीं उनके मुकाबले डायबिटीज वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। पैरों और नर्व्स में खून का फ्लों कम होने से नरवर सिस्टम पर असर पड़ता है। आप कई तरीकों से ह्रदय से जुड़ी परेशानियों और स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं, जैसे अच्छी तरह ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करके, धूम्रपान से बचकर, शराब पीने में ज़्यादा से ज़्यादा कमी लाकर, सेहतमंद खान-पान से, एक्सरसाइज और ब्लड प्रेशर लेवल को अच्छी तरह मैनेज करें। डायबिटीज का इलाज न होना आपके लिए खतरा बन सकता है।
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