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एंडोक्राइन डिसऑर्डर की ऐसे की जाती है टेस्टिंग (Endocrine disorder testing)
यदि आपको एंडोक्राइन डिसऑर्डर है तो आपके डॉक्टर आपको एंडोक्रोनोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट के पास भेज सकते हैं। एंडोक्राइन सिस्टम से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में एंडोक्रोनोलॉजिस्ट अहम भूमिका अदा करते हैं। एंडोक्राइन डिसऑर्डर के लक्षण इस बात पर निर्भर करता है कि समस्या किस ग्लैंड से जुड़ी हुई है। एंडोक्राइन डिसऑर्डर और डिजीज से ग्रसित व्यक्ति खासतौर पर थकान और कमजोरी की शिकायत करते हैं।
इस मामले में हमारे डॉक्टर हमें ब्लड और यूरीन टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं। ताकि हमारे हाॅर्मोन लेवल की जांच कर यह पता कर सकें कि लोगों को एंडोक्राइन डिसऑर्डर है या नहीं। कई मामलों में इमेजिंग टेस्ट कर यह पता किया जाता है कि कहां पर नोड्यूल और ट्यूमर है।
समय-समय पर कराएं रूटीन चेकअप
वैसे तो कई एंडोक्राइन डिसऑर्डर के कुछ लक्षणों को छोड़कर बीमारी का पता नहीं किया जा सकता है, लेकिन यदि आपको शरीर में लंबे समय तक थकान और कमजोरी की समस्या हो तो आप डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। संभावना रहती है कि डॉक्टर कुछ चेकअप करवाकर एंडोक्राइन डिसऑर्डर से जुड़ी बीमारी का पता कर सकते हैं। वहीं एंडोक्रोनोलॉजिस्ट एंडोक्राइन डिसऑर्डर का इलाज करते हैं।
एंडोक्राइन डिसऑर्डर से जुड़ी समस्या का इलाज करना थोड़ा जटिल होता है, संभावना रहती है कि एक हाॅर्मोन का लेवल बदलने के कारण शरीर का दूसरा हाॅर्मोन कहीं प्रभावित न हो जाए। आपका डॉक्टर आपको रूटीन ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, ताकि हाॅर्मोन लेवल की जांच कर उसी के हिसाब से दवा देकर हाॅर्मोन को एडजस्ट किया जा सके।