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जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रिशन थेरिपी क्या दिखाती है अपना असर?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रिशन थेरिपी क्या दिखाती है अपना असर?

    जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) की समस्या महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान होती है। ऐसी महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले डायबिटीज की समस्या नहीं होती है। जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes) प्रेग्नेंसी के बीच के महीनों में होने की संभावना अधिक होती है। प्रेग्नेंसी के 24वें से 28वें सप्ताह के बीच जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए डॉक्टर चेक कर सकते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए हेल्दी डायट के साथ ही रेग्युलर एक्सरसाइज बहुत जरूरी होती है। कुछ महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज के दौरान इंसुलिन लेने की भी जरूरत पड़ती है। जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी (Nutrition Therapy in Gestational Diabetes) भी अपना असर दिखाती है। 7 प्रतिशत प्रेग्नेंसीज में मधुमेह की संभावना रहती है। जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी (Nutrition Therapy in Gestational Diabetes) फस्ट लाइन एप्रोच की तरह देखी जाती है। जानिए इसके बारे में अधिक जानकारी।

    जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी (Nutrition Therapy in Gestational Diabetes)

    जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी

    जेस्टेशनल डायबिटीज एक गंभीर और बार-बार होने वाली गर्भावस्था की जटिलता है, जो मां और भ्रूण दोनों के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म जोखिम पैदा कर सकती है।विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों ने जेस्टेशनल डायबिटीज की जांच, डायग्नोसिस और मैनेजमेंट के लिए अलग-अलग एल्गोरिदम का प्रस्ताव रखा। मेडिकल न्यूट्रिशन थेरेपी (Medical Nutrition Therapy) के साथ ही फिजिकल एक्सरसाइज और लगातार सेल्फ मॉनिटरिंग फीटल कॉम्प्लीकेशन के साथ ही जेस्टेशनल डायबिटीज के ट्रीटमेंट के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। प्रेग्नेंट महिला को अपने परिवार के सहयोग के साथ ही अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करना चाहिए, जो अंत में पूरे परिवार के लिए फायदेमंद साबित होता है।

    मेडिकल न्यूट्रिशन थेरेपी (Medical Nutrition Therapy) के साथ ही फिजिकल एक्सरसाइज और लगातार सेल्फ मॉनिटरिंग फीटल कॉम्प्लीकेशन के साथ ही जेस्टेशनल डायबिटीज के ट्रीटमेंट के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। मेडिकल न्यूट्रिशन थेरेपी फिजिकल एक्टिविटी का भी प्रतिनिधित्मव करता है। एक्सरसाइज में एरोबिक एक्सरसाइज जैसे कि चलना, तैरना, बाइक चलाना और प्रसव पूर्व व्यायाम के साथ ही माइल्ड या मॉडरेट रजिस्टेंस एक्सरसाइज इंसुलिन सेंसिटीविटी को बढ़ाने में मदद करती हैं। दिन में एक बार 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी फायदेमंद साबित होती है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी (Nutrition Therapy in Gestational Diabetes) के साथ ही एक्सरसाइज कितनी जरूरी होता है। आइए जानते हैं जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी (Nutrition Therapy in Gestational Diabetes) के दौरान किन फूड्स को कहना चाहिए ‘हां’।

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    जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी के दौरान किन बातों का रखा जाता है ध्यान?

    एनसीबीआई में प्रकाशित रिपोर्ट की मानें तो जेस्टेशनल डायबिटीज न्यूट्रीशनल मैनेजमेंट मुख्य ट्रीटमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो बढ़ते वजन या मोटापे की समस्या को कम करने का काम करता है। अभी इस इस ओर अधिक रिचर्स की जरूरत है, जो मां और होने वाले बच्चे में कॉम्प्लीकेशंस को कम कर सके।

    जेस्टेशनल डायबिटीज के मैनेजमेंट के लिए मेडिकल न्यूट्रिशन थेरिपी को आधारशिला माना जा सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी (Nutrition Therapy in Gestational Diabetes) के दौरान कई अलग-अलग दृष्टिकोण काम करते हैं। इसमें पेशेंट द्वारा लिए जा रहे कॉर्बोहायड्रेट की क्वालिटी पर ध्यान दिया जाता है और साथ ही सब्जियों, फलों, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट और हाय फाइबर युक्त फूड्स की खपत को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है। किन फूड्स में कार्बोहायड्रेट की मात्रा अधिक होती है या फिर किन फूड्स को खाना चाहिए आदि के बारे में जानकारी बहुत महत्पूर्ण है। निम्नलिखित खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं:

  • दूध और दही
  • फल और जूस
  • चावल, अनाज और पास्ता
  • ब्रेड, टॉर्टिला और रोल
  • सूखे सेम, मटर और दाल
  • आलू, मक्का, मटर
  • मिठाई या डेसर्ट
  • शहद, सिरप, पेस्ट्री, कुकीज
  • सोडा और कैंडी
  • अगर आप प्रेग्नेंट है, तो आपको खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को शामिल करते समय अधिक सावधानी रखने की जरूरत है। जब भी कोई फूड बाहर से खरीदते हैं, तो ध्यान रखें कि लेबल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कितनी दी गई है। ऐसे फूड्स से बचें, जिनमें बहुत ज्यादा कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। आप खाने में फ्रेश फ्रूट्स वेजिटेबल्स आदि को शामिल कर सकते हैं।

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    जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी के साथ ही इन बातों का भी रखें ख्याल!

  • अगर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या है, तो बेहतर होगा एक बार में अधिक खाना ना खाएं। आप खाने को दो से तीन बार भी खा सकती हैं। अचानक से ज्यादा खाना खाने से ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान पोषण संबंधी जरूरतें बढ़ जाती हैं, इसलिए डाइट पूरी न लेना ठीक नहीं रहेगा। बेहतर होगा कि आप अपने खान-पान की आदतों में बदलाव करें।
  • खाने में स्टार्च उचित मात्रा में खाएं। स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ ग्लूकोज में बदलते हैं। आपको इसकी बहुत अधिक मात्रा को खाने में नहीं लेना चाहिए। आप डॉक्टर से जानकारी लें कि खाने में कितनी मात्रा में स्टार्च को शामिल किया जाना चाहिए।
  • आपको एक कप दूध जरूर पीना चाहिए। दूध को हेल्दी फूड के रूप में गिना जाता है। ये कार्बोहाइड्रेट का लिक्विड फॉम है। इसकी अधिक मात्रा न लें लेकिन खाने में जरूर शामिल करें।
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    • प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आप खानपान में पौष्टिक आहार (Nutritious food) को कम लें। आपको खाने में फलों की मात्रा को भी शामिल करना चाहिए लेकिन दिन में एक बार से एक से तीन पोर्शन फलों को ही शामिल करें। फलों का जूस पीने के बजाय पूरा फल ही खाएं।
    • केक, कुकीज, कैंडी और पेस्ट्री में अत्यधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है। इन खाद्य पदार्थों में अधि मात्रा में फैट होता है और पोषण बहुत कम होता है। आपको सोडा युक्त बेवरेज को भी अवॉयड करना चाहिए।
    • एडेड शुगर के स्थान पर आप आर्टिफिशियल स्वीटनर्स (Artificial sweeteners) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • फाइबर का सेवन, विशेष रूप से घुलनशील फाइबर, सीरम लिपिड स्तर को कम करने और ग्लाइसेमिक एक्सकर्शन (Glycaemic excursions) को कम करने में फायदेमंद है।

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    • जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी (Nutrition Therapy in Gestational Diabetes) में मेटरनल ग्लाइसेमिया ( maternal glycaemia) को कंट्रोल करने पर ध्यान दिया जाता है।आंकड़े बताते हैं कि मेटरनल लिपिड मुख्य रूप से ट्राइग्लिसराइड्स ग्लूकोज की तुलना में फीटल डेवलपमेंट में स्ट्रॉन्ग ड्राइवर साबित हो सकते हैं।
    • गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त प्रोटीन का सेवन मेटरनल स्टोर की कमी को रोकने और फीटल की जरूरतों को पूरा करने के लिए, मसल्स ब्रेकडाउन को रोकने के लिए आवश्यक है। दालों, अंडे, सोया आदि से प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा मिलती है।

    जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी के दौरान खाने में क्या शामिल करना चाहिए और कितनी मात्रा में शामिल करना चाहिए, इसके बारे में आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। बिना परामर्श के अगर आप डायट लेते हैं, तो यह आपके साथ ही आपके होने वाले बच्चे के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। आपको इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

    इस आर्टिकल में हमने आपको जेस्टेशनल डायबिटीज में न्यूट्रीशन थेरिपी (Nutrition Therapy in Gestational Diabetes) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपकोइस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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