“हेल्थ इज वेल्थ” यह कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी। यह बिलकुल सच भी है क्योंकि सेहत ही हमारा असली खजाना है। पिछले कुछ समय से लोग अपनी सेहत को लेकर अधिक जागरूक हो गए हैं। हर कोई आज फिट और स्वस्थ रहना चाहता है। इसके लिए व्यायाम या योग करना और अपने आहार का खास ध्यान रखना जरूरी है। लोग फिट रहने और वजन कम करने के लिए कई तरह की डायट्स को अपनाते हैं, उन्हीं में से एक है कीटो डायट। आज हम बात करेंगे कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) के बारे में। इसमें कोई संदेह नहीं कि कीटो डायट वजन कम करने में बेहद उपयोगी है। लेकिन, क्या यह डायबिटीज को कंट्रोल में रखने में सुरक्षित और प्रभावी है?
आइए, जानते हैं कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) के बारे में और पाने की कोशिश करते हैं इनसे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब। सबसे पहले जानते हैं कीटो डायट के बारे में।
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कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) के बारे में जानने से पहले हमें कीटो डायट के बारे में सब कुछ पता होना जरूरी है। कीटो डायट एक लौ कार्ब और हाय फैट ईटिंग प्लान है। यानी इस डायट के अनुसार हम इसमें जो भी चीजें खाते हैं, उनमें अधिक फैट होना चाहिए फिर चाहे वो अनसैचुरेटेड फैट्स हो। इस डायट में बीस से तीस प्रतिशत प्रोटीन होता है, यह प्रोटीन लीन या फैटी कोई भी हो सकता है। लेकिन, इस डायट में कार्ब्स की मात्रा पूरी तरह से कम रखनी होती है। ऐसा कहा जाता है कि कीटोजेनिक डायट में आपको पूरा दिन कार्ब्स की मात्रा पचास ग्राम से भी कम रखनी चाहिए।
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कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज: कैसे काम करती है ये डायट?
सामान्य ह्यूमन मेटाबोलिज्म में, कार्बोहायड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, बीन्स, आलू और फलों आदि ही शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत होते हैं। यही नहीं, यह हमारे दिमाग के लिए भी सबसे अच्छे ऊर्जा का स्त्रोत हैं। जब हम बहुत अधिक फैट्स का और कम कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करते हैं, तो इससे हमारा शरीर एक अन्य तरह के मेटाबोलिज्म में स्विच कर जाता है, जिसे कीटोसिस (Ketosis) कहा जाता है। कीटोसिस में डायटरी फैट और स्टोर्ड बॉडी फैट टूट जाता है और लिवर के द्वारा कैटोन्स में बदल दिया जाता है। कीटोन्स का प्रयोग भी ग्लूकोज की तरह ऊर्जा के लिए किया जा सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ कीटो डायट और डायबिटीज के बारे में? (What do Experts say About Keto Diet and Diabetes)
जोहन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन इन द डिविजन ऑफ डायबिटीज के अनुसार कीटो डायट को ब्लड ग्लूकोज का स्तर, इंसुलिन रेजिस्टेंस, भूख और क्रेविंग कम करने के साथ ही वजन कम करने में भी सहायक पाया गया है। इसके साथ ही इस डायट को फॉलो करने से टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को डायबिटीज की दवाईयों का कम प्रयोग करना पड़ता है। हालांकि, अधिक समय तक कीटो डायट का पालन करना उपयोगी नहीं है।
कीटो डायट के फायदे क्या हैं? (Benefits of Keto Diet)
कीटो डायट को डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभदायक माना गया है। हालांकि, कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) दोनों के बीच में अभी शोध जारी है और डॉक्टर अभी इनके बारे में पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन, इस डायट को डायबिटीज के लोगों में इस तरह से लाभदायक माना गया है:
- दवाईयों पर निर्भरता कम हो जाती है (Reduced Dependence on Medication)
- ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार (Improvements in Blood Glucose Control and Insulin Sensitivity)
- कम ब्लड प्रेशर (Lower Blood Pressure)
- कोलेस्ट्रॉल लेवल में सुधार (Improvements in Cholesterol Levels)
- शार्ट टर्म वेट लॉस (Short-term Weight Loss)
आइए, अब जानते हैं कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) के बारे में:
कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes)
अब बात करते हैं कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) के बारे में। दरअसल, टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है। हमारा इम्यून सिस्टम एक तरह की शील्ड है, जो वायरस, बैक्टीरिया, कवक, परजीवी और विषाक्त पदार्थों से हमारे शरीर की रक्षा करती है। कुछ जेनेटिक या एनवायर्नमेंटल ट्रिगर इम्यून सिस्टम को हानि पहुंचा सकते हैं और अग्न्याशय के इंसुलिन बनाने वाले बीटा सेल्स (Insulin-Producing Beta Cells) को नष्ट कर देते हैं, जिससे शरीर इंसुलिन बनाने में असमर्थ हो जाता है। जब अग्न्याशय इंसुलिन नहीं बना पाता तो यह टाइप 1 डायबिटीज का कारण बन सकता है। टाइप 1 डायबिटीज हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है।
ऐसा माना गया है कि कीटोजेनिक डायट ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और इंसुलिन की आवश्यकताओं को कम करने के लिए लाभदायक है। लेकिन, टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए यह डायट कई जटिलताओं का कारण भी बन सकती है। आइए जानते हैं कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में:
और पढ़ें : टाइप-1 डायबिटीज क्या है? जानें क्या है जेनेटिक्स का टाइप-1 डायबिटीज से रिश्ता
कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज में डायबिटिक कीटोएसिडोसिस और न्यूट्रिशनल कीटोसिस (Diabetic Ketoacidosis and Nutritional Ketosis )
अगर आप टाइप 1 डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपके लिए डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic Ketoacidosis) और न्यूट्रिशनल कीटोसिस (Nutritional Ketosis) के कांसेप्ट के बारे में समझना जरूरी है। जैसा की हम जानते ही हैं कि कीटो डायट में दिन में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा 50 ग्राम से भी कम होनी चाहिए और फैट की मात्रा अधिक होनी चाहिए। इससे हमारे लिवर में वसा से कीटोन्स का उत्पादन अधिक होता है और वसा का उपयोग इसके मुख्य ईंधन स्रोत के रूप में करता है, जो कि कार्ब्स के विपरीत है।
इससे मेटाबॉलिज्म में इस बदलाव के कारण न्यूट्रिशनल कीटोसिस होता है, जिसका अर्थ है कि हमारा शरीर ऊर्जा के लिए हमारे खून में कीटोन्स का उपयोग करता है। लेकिन, दूसरी जगह डायबिटिक कीटोएसिडोसिस एक मेडिकल इमरजेंसी है। जो अधिकतर टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में होती है, अगर वो इंसुलिन नहीं लेते हैं। इंसुलिन के बिना ब्लड शुगर को शरीर के सेल्स तक पहुंचाने के लिए ब्लड शुगर और कीटोन लेवल बहुत अधिक बढ़ जाता है जिससे खून का एसिड-बेस संतुलन गड़बड़ा जाता है।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस और न्यूट्रिशनल कीटोसिस के बीच में अंतर् इस तरह से है:
- किटोसिस में, केवल कीटोन का स्तर अधिक होता है, जिससे शरीर को ऊर्जा के लिए ज्यादातर वसा का उपयोग करने की अनुमति मिलती है।
- डायबिटिक कीटोएसिडोसिस में, ब्लड शुगर और कीटोन लेवल अधिक होते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य स्थिति पैदा हो सकती है।
अगर आप टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित हैं और कीटो डायट के बारे में सोच रहे हैं, तो गंभीर जटिलताओं से बचने के लिए डॉक्टर के साथ किसी पंजीकृत डायटिशन से भी सलाह लें।
कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज: क्या कीटो डायट ब्लड शुगर लेवल को बिलकुल कम कर देती है?
कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) के बारे में आप जान ही गए होंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कीटो डायट से टाइप 1 और टाइप 2 दोनों डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल कम होता है। लेकिन कुछ लोग यह भी महसूस करते हैं कि इस डायट के कारण उनकी ब्लड शुगर बहुत अधिक कम हो जाती है। ऐसा अनुचित इंसुलिन डोज के कारण हो सकता है। कीटो डायट के कारण ब्लड शुगर लेवल के बहुत कम हो जाने की संभावना बढ़ सकती है। इसके कारण बहुत गंभीर अधिक जटिलताएं जैसे परेशानी, चक्कर आना, बोलने में समस्या या बेहोशी भी हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि आप डॉक्टर के बताए अनुसार इंसुलिन की सही डोज लें। यह कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) से जुडी बहुत बड़ी समस्या और जटिलता है
कीटो डायट की मदद से टाइप 1 डायबिटीज को कैसे मैनेज किया जा सकता है? (How to Manage Type 1 Diabetes with the Ketogenic Diet)?
टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए हेल्थ रिस्क ब्लड शुगर के स्तर के कंट्रोल में रहने के साथ काफी कम हो जाता है। कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता को सुधरने में मदद कर सकती है। लेकिन ब्लड शुगर का बहुत कम हो जाना, इस डायट में चिंता का विषय है। हालांकि, ऐसा पाया गया है कि जो लोग इस डायट का प्रयोग करते हैं, वो इसे मैनेज करने में सक्षम होते हैं। टाइप 1 कीटो डाइटर्स के अनुसार एक स्टैंडर्ड ग्लूकोज टैब (one standard glucose tab) के साथ लौ ब्लड शुगर का इलाज किया जाता है।
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कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज: टाइप 1 डायबिटीज की किन स्थितियों में कीटो डायट की सलाह नहीं दी जाती है?
कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) के बीच में लिंक के बारे में जानने के साथ ही यह भी जानें कि किन स्थितियों में टाइप 1 डायबिटीज के पीड़ित व्यक्ति को इस डायट का पालन नहीं करना चाहिए। इन लोगों या इन स्थितियों में इस बारे में नहीं सोचना चाहिए :
- प्रेग्नेंट या स्तनपान कराने वाली महिलाएं (Pregnant or Breastfeeding Women)
- लोग जिनका बॉडी मास इंडेक्स बहुत कम हो (People with Low Body Mass Index)
- लोग जो किसी खास दवाई का सेवन कर रहे हों (People on Certain Medications)
- 18 साल से कम उम्र के लोग (People Under 18 years of Age)
- गालस्टोन से पीड़ित व्यक्ति और जिन लोगों का गॉलब्लेडर निकाल दिया हो (People with Gallstones or who have Had Their Gallbladder Removed)
- जिन लोगों के ब्लड ग्लूकोज को सही से मैनेज न किया गया हो (People whose Blood Glucose is not Properly Managed)
हालांकि लौ कार्ब डायट यानी कीटो डायट के टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में लाभ देखे जा सकते हैं। हालांकि, कुछ डॉक्टर इसे अभी बहस का विषय मानते हैं। इसलिए, अपने इस डायट को फॉलो करने से पहले डॉक्टर को अवश्य बताएं। टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों को कीटो डायट को अपनी मर्जी से फॉलो नहीं करना चाहिए। यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है।
क्या यह डायट सुरक्षित है?
इस सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है क्योंकि इसके लिए कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर आप डायबिटीज को अच्छे से मैनेज कर सकते हैं, आपको इसके बारे में पूरी जानकारी है और आप मेडिकल मार्दर्शन भी प्राप्त कर सकते हैं, तो आपके लिए कीटोजेनिक डायट एक सुरक्षित विकल्प हो सकती है। हालांकि, पूरी कीटो डायट को फॉलो करने से पहले आपको शुरुआत लौ कार्ब डाइट से करनी चाहिए और देखना चाहिए कि आपके शरीर पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। अगर आपको अच्छे परिणाम मिलते हैं और आपकी ब्लड शुगर भी कंट्रोल में है, तो आप कीटो डायट का पालन कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर और डायटिशन की सलाह जरूरी है। इसके साथ ही कुछ चीजों का खास ध्यान रखना भी जरूरी है, जैसे:
बिना मार्गदर्शन के इसे न करें फ़ॉलो (Don’t Follow it without Guidance)
अगर आपको टाइप 1 डायबिटीज है और आप कीटो डायट शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे जरूरी है रजिस्टर्ड डायटिशन और मेडिकल डॉक्टर का मार्गदर्शन। अपनी मर्जी से इस डायट को फॉलो करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। रजिस्टर्ड डायटिशन आपको आहार की सही मात्रा और सही तरह से डायट के बारे में बता सकते हैं। इसके साथ ही आपके डॉक्टर इंसुलिन की एडजस्टमेंट में मदद करेंगे। इन दोनों के मार्गदर्शन और देखरेख से आप गंभीर जटिलताओं से बच सकते हैं और सुरक्षित और निरंतर रूप से इस डायट का पालन कर पाएंगे।
कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज: कीटोन लेवल को मॉनिटर अवश्य करें (Monitor Ketone Level)
अपने ब्लड शुगर के स्तर पर बारीकी से निगरानी करने के अलावा, कीटो आहार का पालन करते समय नियमित रूप से अपने कीटोन के स्तर को अवश्य जांचें। टाइप 1 डायबिटीज वाले कई लोग किटोन टेस्ट से पहले से ही परिचित हो सकते हैं, क्योंकि डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के शुरुआती चरणों का पता लगाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
और पढ़ें : Ketones Test: कीटोन टेस्ट कैसे और क्यों किया जाता है?
अगर कोई व्यक्ति कीटो डायट का पालन करने की सोच रहा है और उसे टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज है, तो उसे सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति जो इंसुलिन लेता है, उसे यह भी पता होना चाहिए की कीटो डायट में इसकी डोज को कैसे एडजस्ट करना है। कीटो डायट और टाइप 1 डायबिटीज (Keto Diet and Type 1 Diabetes) दोनों की स्थिति में आपको अपना खास ख्याल रखना जरूरी है। ताकि, आप सही से इस डायट का पालन कर के टाइप 1 डायबिटीज को कंट्रोल कर पाएं।
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