खराब लाइफस्टाइल विभिन्न बीमारियों को दावत देती है, जिसमें एक नाम मधुमेह यानी डायबिटीज का भी है। कई लोग इस बीमारी से परिचि भी होंगे। अगर नहीं जानते हैं, तो बता दें कि मधुमेह दो प्रकार का होता है, पहला – टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes) और दूसरा – टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes)। इन दोनों में फर्क क्या है, इसके बारे में नीचे विस्तार से पढ़ें, इससे पहले बता दें कि हम अपने इस लेख में खासतौर पर टाइप 1 मधुमेह के बारे में बता रहे हैं। इस लेख में आप टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार (Treatment With Ace Inhibitors And Angiotensin Receptor Blockers In Patients With Type 1 Diabetes) की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से पढ़ेंगे। टाइप 1 मधुमेह और टाइप 2 मधुमेह में क्या फर्क है, इसे जानने से पहले पढ़ें कि डायबिटीज या मधुमेह क्या है।
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डायबिटीज (Type 1 Diabetes) क्या है?
मधुमेह एक ऐसी स्वास्थ्य बीमारी है, जिसमें शरीर में रक्त में शुगर की मात्रा (Blood Sugar Level) सामान्य से अधिक हो जाती है। यह बीमारी खासतौर पर तब होती है, जब शरीर में इंसुलिन (Insulin) बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है। साथ ही, यह भी जान लें कि इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है, जो पैंक्रियाज (Pancreas) द्वारा बनता है। यह, शरीर में मौजूद ग्लूकोज या शुगर को ऊर्जा के रूप में परिवर्ति करता है।
जब इसकी प्रणाली किसी कारण प्रभावित हो जाती है, तो शरीर में ग्लूकोज उर्जा में न बदलकर, शरीर में जमने लगता है, जो गंभीर होने पर मधुमेह को उत्पन्न करता है। इतना ही नहीं, अगर यह समस्या अधिक गंभीर हो जाए, तो यह हृदय रोग के साथ ही किडनी (Kidney), अंधापन (Blindness), सूजन (Swelling) और त्वचा से संबंधिक कई बीमारियों (Skin disease) का जोखिम भी बढ़ा सकता है।
टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर (Difference between Type 1 Diabetes and Type 2 Diabetes)
मधुमेह व इसके प्रकार की रोकथाम तभी संभव, जब इसके प्रकार की पुष्टि की गई हो। यही वजह है कि अब हम टाइप 1 मधुमेह और टाइप 2 मधुमेह में अंतर भी समझा रहे हैं।
- टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) – टाइप 1 डायबिटीज की समस्या होने पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है। इसके कारण शरीर में इंसुलिन का निर्माण प्रभावित हो जाता है। इस समस्या को गंभीर होने से रोकने के लिए समय रहते टाइप 1 मधुमेह के रोगियों को इंसुलिन का इंजेक्शन देना जरूरी हो जाता है। यही वजह है कि टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार (Treatment With Ace Inhibitors And Angiotensin Receptor Blockers In Patients With Type 1 Diabetes) करना अधिक सफलता का परिणाम दे सकता है।
- टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) – टाइप 2 डायबिटीज होने पर शरीर में इंसुलिन की मात्रा प्राकृतिक कारकों से कम होने लगती है या फिर खराब जीवनशैली के कारण शरीर में सही तरीके से इंसुलिन का इस्तेमाल हो पाता है। यह आमतौर पर मधुमेह का सबसे सामान्य प्रकार है, जो छोटे बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के वयस्क में हो सकती है।
यहां एक बात का ध्यान रखें कि टाइप 1 मधुमेह जन्म से ही होने वाली बीमारी है, जो अधिकतर मामलों में जेनेटिक पाया जाता है। साथ ही, यह किसी गंभीर संक्रमण के कारण भी हो सकता है। जबकि, टाइप 2 मधुमेह खराब लाइफस्टाइल के कारण जन्म ले सकती हैं।
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टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Type 1 Diabetes)
यहां हम टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार (Treatment With Ace Inhibitors And Angiotensin Receptor Blockers In Patients With Type 1 Diabetes) की प्रक्रिया व इसकी सफलता की संभावना के बारे में बात रहे हैं। इसलिए, यहां पर हम टाइप 1 मधुमेह के रोगियों में इसके लक्षणों की भी जानकारी दे रहे हैं।
- बहुत ज्यादा प्यास लगना
- बार-बार यूरिन आना
- हर समय बहुत ज्यादा भूख महसूस करना या थकान महसूस करना
- अज्ञात कारणों से अचानक वजन कम होना
- शरीर में सूजन होना
- रूखी व खुजलीदार त्वचा होना
- पैरों में अक्सर झुनझुनी या सुन्नपन महसूस करना
- धुंधला दिखाई देना
ये हैं डायबिटीज के लक्षण और अब जानते हैं टाइप 1 मधुमेह में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स से उपचार की प्रक्रिया क्या है।
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टाइप 1 डायबिटीज में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स से उपचार (Treatment With Ace Inhibitors And Angiotensin Receptor Blockers In Patients With Type 1 Diabetes)
टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार (Treatment With Ace Inhibitors And Angiotensin Receptor Blockers In Patients With Type 1 Diabetes) कैसे किया जाता है, यह हम आगे बता रहे हैं। इससे पहले यह भी समझें कि ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स क्या हैं और यह कैसे काम करते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार: ACE इनहिबिटर्स क्या है?
ACE इन्हिबिटर्स को एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम (Angiotensin Converting Enzyme Inhibitors) कहा जाता है। यह एक तरह की दवा होती है, जो ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कम करने में मदद करती है, जिसे आमतौर पर एंटीहायपरटेंसिवस (Anti-Hypertensives) दवाओं के नाम से जाना जाता है। यह दवाएं खून की नसों को आराम पहुंचाने और उन्हें खुला रखने में मदद करती हैं। इस वजह से रक्त में इंसुलिन (Insulin) की प्रक्रिया सामान्य बनी रह सकती है और ब्लड प्रेशर की समस्या को कम किया जा सकता है।
इसकी यही प्रक्रिया शरीर में रक्त में शुगर के जमने की प्रक्रिया को भी रोकने में लाभ पहुंचाती है। यह और किस बीमारी के उपचार में मदद करती है, यह भी नीचे पढ़ें।
- हार्ट फेलियर (Heart Failure) : यह दवा दिल को कमजोर होने से भी बचाती है, इससे हार्ट फेलियर का जोखिम कम किया जा सकता है।
- हार्ट अटैक (Heart Attack) : यह दवा हार्ट अटैक के जोखिम को कम करने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है।
- मधुमेह (Diabetes) : यह शरीर में शुगर के जमने की प्रक्रिया को कम करता है, जिस वजह से यह मधुमेह के किसी भी प्रकार के इलाज में लाभकारी माना जा सकता है।
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टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार: टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स कैसे काम करती है?
ACE इनहिबिटर्स शरीर में दो तरह से काम करती है। पहला तो यह कि यह किडनी में रीटेंड सोडियम (Retained Sodium) की मात्रा को कम कर सकती है और दूसरा यह कि यह एंजियोटेंसिन II हॉर्मोन (Angiotensin II) को उत्पादन को कम करने और उसे संतुलित करने में मदद कर सकता है। शरीर में इस हॉर्मोन के बढ़ने से खून की नसें सामान्य से अधिक पतली हो जाती हैं, जिससे शरीर में इंसुलिन की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और मधुमेह की समस्या जन्म ले सकती है। वहीं, इंसुलिन के कार्य को सही तरीके से जारी रखने में मदद कर सकती है। इससे ब्लड वेसल्स को आराम के साथ ही चौड़ा बने रहने में भी मदद मिलती है। इस तरह इसके परिणाम एवं कार्य को देखा जाए, तो यह कहा जा सकता है कि टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार (Treatment With Ace Inhibitors And Angiotensin Receptor Blockers In Patients With Type 1 Diabetes) करना अधिक भरोसेमंद साबित हो सकता है।
एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin receptor blockers) क्या है?
एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin receptor blockers) को एआरबी (ARBs) के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह की दवाओं का सेवन उच्च रक्तचाप, किडनी की बीमारी और दिल से जुड़ी बीमारियों को कम करने और उनके इलाज में किया जाता है।
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टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार: टाइप 1 मधुमेह के रोगियों में एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स कैसे काम करती है?
यह दवा रेनिन एंजियोटेंसिन एल्डोस्टेरोन सिस्टम की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाए रखने में मदद करती है। बता दें कि रेनिन एंजियोटेंसिन एल्डोस्टेरोन सिस्टम नसों में रक्त के घनत्व और उसकी मात्रा को नियंत्रित रखने वाली कार्यप्रणाली है। कई अध्ययनों में इसकी पुष्टि भी होती है कि यह दवा रक्तचाप (Blood Pressure) कम के साथ ही, मधुमेह का उपचार करने व किडनी को भी स्वस्थ रखने में लाभकारी हो सकती है।
इस तरह आपने इस लेख में जाना कि टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार करना कितना सफल परिणाम दे सकता है। उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके स्वास्थ्य के लिए जरूरी व लाभकारी साबित होगी। अगर टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार (Treatment With Ace Inhibitors And Angiotensin Receptor Blockers In Patients With Type 1 Diabetes) करवा रहे हैं, तो इन दवाओं के साथ ही उन्हें अपनी जीवनशैली को भी बेहतर एवं अच्छा बनाएं रखना चाहिए।
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