हमारा दिमाग एक कॉम्प्लेक्स ऑर्गन है जो हमारे विचार (Thoughts), मेमोरी (Memory), इमोशन्स (Emotions), टच (Touch), विजन (Vision), ब्रीदिंग (Breathing), टेम्प्रेचर (Temperature) व हमारे शरीर को नियंत्रित करने वाली हर प्रक्रिया को कंट्रोल करता है। मेंटल हेल्थ में हमारा इमोशनल के साथ-साथ साइकोलॉजिकल और सोशल स्वास्थ्य भी शामिल है। टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) का कनेक्शन शायद आप ना जानते हों। डायबिटीज को एक गंभीर हेल्थ कंडिशन माना जाता है जो कई गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है।
ब्लड ग्लूकोज लेवल के हाय या लो होने का प्रभाव हमारे मेंटल स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। आज हम टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ के बारे में बात करने वाले हैं के बारे में। जानिए टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बीच में क्या लिंक है। लेकिन, सबसे पहले टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज क्या है? (Type 1 diabetes)
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) वो कंडीशन है जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम (Immune system) ही पैंक्रियाज में मौजूद इन्सुलिन मेकिंग सेल्स को नष्ट करता है। इन सेल्स को बीटा सेल्स (Beta Cells) कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर बच्चों और कम उम्र के लोगों को अधिक प्रभावित करती हैं। इस डायबिटीज को जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- अत्यधिक प्यास लगना (Extreme thirst)
- भूख का बढ़ना ((Increased hunger)
- मुंह का सुखना Dry mouth)
- पेट का खराब होना या उल्टी आना (Upset stomach and vomiting)
- लगातार यूरिनेशन (Frequent urination)
- अचानक वजन का कम होना (Unexplained weight loss)
- थकावट (Fatigue)
- विजन का धुंधला होना (Blurry vision)
- मूड में बदलाव (Mood changes)
- बच्चों का बिस्तर गीला करना (Bedwetting)
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टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) की स्थिति में आपातकालीन लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं :
- कंपन या कन्फ्यूजन (Shaking and confusion)
- ब्रीदिंग का बढ़ना (Rapid breathing)
- सांस से फ्रुटी स्मेल आना (Fruity smell to your breath)
- पेट में दर्द (Belly pain)
- बेहोशी (Loss of consciousness)
यह तो थे टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के कुछ लक्षण। अब जानिए टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में विस्तार से
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टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health)
डायबिटीज को आमतौर पर हाय ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) के रूप में जाना जाता है। जिससे उनका शरीर पर्याप्त इन्सुलिन नहीं बना पाता है या सही से इसका प्रयोग नहीं कर पाता है। जैसा की आपको पता ही है कि ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) के बढ़ने से हमारे पूरे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उसमें ब्रेन भी शामिल है। डायबिटीज को आप दो मुंह वाली तलवार भी कह सकते हैं, क्योंकि ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) के हाय या लो होने पर ब्रेन पर बुरा असर होता है। यानी चाहे ब्लड शुगर लेवल हाय हो या लो, दोनों ही कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं। ब्रेन रिलेटेड कॉम्प्लीकेशन्स की संभावना को कम करने के लिए डायबिटीज के रोगियों को ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी होता है।
आइए जानते हैं टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में विस्तार से। इसमें पहले यह जान लेते हैं कि क्या टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के इमोशनल इफेक्ट्स हो सकते हैं?
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टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ: क्या टाइप 1 डायबिटीज का इमोशनल इफेक्ट्स हो सकते हैं?
अगर टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के कारण आप इमोशंस में उतार-चढ़ाव को महसूस कर रहे हैं तो आप अकेले नहीं हैं जो इस स्थिति में इन इमोशंस को महसूस करता है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित लोगों को ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव के कारण एक स्टेबल मूड बनाए रखने में समस्या होती है। इसे ग्लायसेमिक वैरिएबिलिटी (Glycemic variability) भी कहा जाता है। लो ब्लड शुगर यानी हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) कन्फ्यूजन (Confusion), नर्वसनेस (Nervousness) और चिड़चिड़ापन (Irritability) आदि का कारण बन सकती है। जबकि, हाय ब्लड शुगर यानी (Hyperglycemia) की वजह से टेंशन, गुस्सा या निराशा आदि परेशानियां हो सकती हैं।
ब्लड शुगर और मूड में अत्यधिक और नियमित उतार-चढ़ाव होना कुछ गंभीर मनोदशाओं को भी जन्म दे सकता है, जैसे डिप्रेशन। अगर आपमें कुछ मूड चेंजेज होते हैं, तो आप इसके लक्षणों से पहचान सकते हैं जैसे सुस्ती। दरअसल इस स्थिति में दिमाग तक ग्लूकोज से मिलने वाली ऊर्जा नहीं पहुंच पाती है, जिससे रोगी सुस्त महसूस करता है। टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में जानने के लिए कुछ अन्य चीजों के बारे में जानकारी होना भी जरूरी है। आइए जानते हैं हाय ब्लड शुगर और लो ब्लड शुगर का दिमाग पर क्या असर होता है:
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हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia)
हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia) यानी हाय ब्लड प्रेशर के कारण शरीर में एक केमिकल की मात्रा बढ़ सकती है, जिसे ग्लूटामेट (Glutamate) कहा जाता है। इस केमिकल को डिप्रेशन से जोड़ा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia) में हमारी फीलिंग feelings को रेगुलेट करने वाले मस्तिष्क के हिस्से में ग्लूटामेट के स्तर बढ़ जाता है। लेकिन, लेकिन रोचक बात यह है कि टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित लोगों के साथ ऐसा नहीं होता है। लेकिन इस दौरान ग्लूटामेट की मात्रा के बढ़ने से डिप्रेशन की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि, इसका कोई ऑथेंटिक प्रूफ मौजूद नहीं है।
हायपोग्लाइसेमिया (Hyperglycemia)
लो ब्लड ग्लूकोज लेवल (Low Blood Glucose Level) यानी हायपोग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) भी ब्रेन में महत्वपूर्ण केमिकल लेवल को प्रभावित कर सकता है जैसे एसिटिलकोलाइन (Acetylcholine) और ग्लूटामेट (Glutamate)। एसिटाइलकोलाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जिसे मस्तिष्क के भीतर नर्व सेल्स के बीच सिग्नल्स को ट्रांसमिट करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इन सिग्नल्स को साइकोलॉजिकल और फिजिकल फंक्शंस को कंट्रोल करते हैं जैसे हार्ट रेट (Heart Rate), ब्रीदिंग (Breathing) और मस्कुलर मूवमेंट (Muscular Movement) आदि।
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित कुछ लोगों का दिमाग कुछ समय के बाद लो ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) के प्रति रिस्पांस देना बंद कर देते हैं। ऐसे में हाइपोग्लाइसीमिया के बारे में जागरूकता एक महत्वपूर्ण प्रोटेक्टिव मैकेनिज्म है, जो आपको ज़ल्द मैनेजमेंट स्टेप्स उठाने के लिए सचेत करता है। अब जानते हैं कि हाय ब्लड शुगर बच्चों के ब्रेन को कैसे प्रभावित कर सकती है ?
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टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ: हाय ब्लड शुगर बच्चों के ब्रेन को कैसे प्रभावित कर सकती है?
यह बात तो आप जानते ही हैं कि बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) की संभावना अधिक होती है। एक शोध के मुताबिक हाय ब्लड शुगर (High Blood Sugar) बच्चों के ब्रेन की ग्रोथ को स्लो कर सकती है और ऐसे में बच्चों के ब्रेन का विकास उस तरह से नहीं हो पाता है जैसे होना चाहिए। ब्रेन स्कैन से डायबिटीज और बिना डायबिटीज वाले बच्चों के ब्रेन में अंतर का पता चल सकता है। लेकिन, अभी भी शोधकर्ता उनके मूड (Mood), बिहेवियर (Behavior), लर्निंग (Learning) और मेमोरी स्किल्स (Memory Skills) और आईक्यू (IQ) में कोई बड़ा अंतर नहीं जान पाए हैं।
इसके साथ ही इस बारे में भी जानकारी नहीं है कि यह समस्या उनके मसल मूवमेंट (Muscle Movement) को प्रभावित कर सकती है या नहीं। टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। लेकिन, जिन वयस्कों को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) की समस्या लम्बे समय से हैं, उनके फिजिकल और मेंटल रिएक्शंस धीमे हो सकते हैं। हालांकि इस का प्रभाव पीड़ित व्यक्ति के लर्निंग (Learning) और थिंकिंग स्किल्स (Thinking Skills) पर नहीं पड़ता है। लेकिन, उनकी मेमोरी और अटेंशन स्पेन (Attention span) प्रभावित हो सकता है।
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डायबिटीज का अन्य ब्रेन डिसऑडर्स के साथ लिंक (Diabetes and Other Brain Disorders)
टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में सही जानकारी बेहद जरूरी है। रिसर्च के अनुसार डायबिटीज और दिमाग के अन्य रोगों जैसे अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease) और डिमेंशिया (Dementia) के बीच में लिंक बेहद वास्तविक हैं। एक स्टडी के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) को डिमेंशिया (Dementia) से जोड़ा जा सकता है। यही नहीं टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) से पीड़ित लोगों में भी कॉग्निटिव डिक्लाइन (Cognitive decline) की समस्या पाई गयी है। यह भी पाया गया है कि डायबिटीज के रोगियों को अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease) हो सकती है।
अगर डायबिटीज को सही से कंट्रोल नहीं किया जाता है, तो उससे ब्रेन पर स्ट्रेस पड़ सकता है। टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में अभी और भी शोध और स्टडी की जानी जरुरी है। डायबिटीज से मस्तिष्क को नुकसान उसी तरह होता है, जैसे यह अन्य सभी अंगों को प्रभावित करती है। यही नहीं ग्लूकोज के बढ़ने से कुछ खास टिश्यूज को भी नुकसान होता है। हालांकि, इसके जोखिमों को कम करने के भी कई तरीके हैं। डायबिटीज को कंट्रोल करके आप ब्रेन हेल्थ (Brain Health) को सुधार सकते हैं।
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टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ को मैनेज कैसे करें? (How to manage Type 1 Diabetes and Brain Health)
टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) को मैनेज करने के लिए जरूरी है अपने ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को मैनेज करना। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित व्यक्ति लम्बी और हेल्दी लाइफ जी सकता है। इसके लिए आपको अपने ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) पर नजर रखनी होगी। ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को मैनेज करने के लिए आपको इन्सुलिन और अपने जीवन में हेल्दी बदलाव की सलाह दी जाती है। जानिए इसके बारे में विस्तार से
टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ के लिए जीवनशैली में बदलाव (Change in Lifestyle)
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित लोगों के लिए इन्सुलिन का इस्तेमाल जरूरी है। इसके साथ ही वो अपने जीवन में यह बदलाव कर सकते हैं:
- सही आहार का सेवन करें। ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को कंट्रोल करने के लिए आपकी डायट का सही होना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप ऐसे आहार का सेवन करें जिनमें पोषक तत्व, लो फैट और हाय फाइबर खाद्य पदार्थों की पर्याप्त मात्रा हो जैसे फल, सब्जियां साबुत अनाज आदि। इसके लिए आप अपने डॉक्टर डायटीशियन की सलाह भी ले सकते हैं।
- नियमित व्यायाम करें। अपनी ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को नियंत्रित करने के लिए आपका नियमित व्यायाम करना जरूरी है। दिन में तीस मिनट शारीरिक गतिविधियों के लिए अवश्य निकालें। इससे न केवल डायबिटीज बल्कि कई अन्य समस्याओं से भी आप बच सकते हैं।
- तनाव से बचाव भी टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। इसके लिए आप व्यायाम और मेडिटेशन करें, खुश और सकारात्मक रहें। लेकिन, अगर यह समस्या अधिक है तो अपने डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। इसके साथ ही पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है।
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क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!
यह तो थी टाइप 1 डायबिटीज और ब्रेन हेल्थ (Type 1 Diabetes and Brain Health) के बारे में जानकारी। यह तो आप जान ही गए होंगे कि टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में आपकी ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) में जितने अधिक उतार चढ़ाव आएंगे, यह आपके दिमाग के लिए उतना ही नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, नियमित रूप से अपनी ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को मॉनिटर करें और डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें। इससे टाइप 1 डायबिटीज की स्थिति में भी आप सामान्य जीवन जी सकते हैं।
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