डायबिटीज अपने आप में चुनौतीपूर्ण समस्या मानी जाती है। इस स्थिति में व्यक्ति को अपना खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है, क्योंकि डायबिटीज के साथ-साथ उससे जुड़े अन्य कॉम्प्लिकेशन भी हो सकते हैं। कई बार गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बाद डायबिटीज की समस्या होने की स्थिति को देखा गया है। जब किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के साथ डायबिटीज (Diabetes) की समस्या दस्तक देती है, तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अपना ध्यान और भी चुनौतीपूर्ण लग सकता है। ऐसी ही एक स्थिति है एचआईवी की। एचआईवी की समस्या अपने आप में एक गंभीर समस्या के रूप में जानी जाती है। ऐसी स्थिति में जब डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) एक साथ हो जाए, तो व्यक्ति के लिए स्थिति और भी बदतर बन सकती है। डायबिटीज और एचआईवी दोनों ही चुनौतीपूर्ण स्थितियां हैं, जिसे सामान्य बनाए रखना जरूरी माना जाता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम बात करने जा रहे हैं डायबिटीज और एचआईवी के बीच संबंध को लेकर। लेकिन इससे पहले जरूरी है डायबिटीज से जुड़ी यह जानकारी।
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कैसे होती है डायबिटीज की समस्या?
डायबिटीज (Diabetes) की दिक्कत तब होती है, जब आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। जब भी आप भोजन करते हैं, तो शरीर उसे शुगर में तोड़ देता है और शरीर की कोशिकाएं ऊर्जा के लिए इसका उपयोग करती हैं। इस उपयोग के लिए पैंक्रियाज को इंसुलिन का उत्पादन करने की जरूरत पड़ती है। जब आप मधुमेह के शिकार होते हैं, तो पैंक्रियाज या तो बेहद कम मात्रा में इंसुलिन पैदा करती है, या इंसुलिन (Insulin) पैदा करना बंद कर देती है। क्योंकि शरीर इसका प्रभावी ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता, इसलिए व्यक्ति डायबिटीज का शिकार हो जाता है। लेकिन डायबटीज की आहट उसके लक्षणों से पहचानी जा सकती है। इसका इसके लिए आपको कुछ लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है।
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क्या हैं डायबिटीज के लक्षण? (Symptoms of Diabetes)
डायबिटीज (Diabetes) की समस्या में शरीर आपको कुछ सिम्टम्स देता है। यह सिम्टम्स यानी कि लक्षण आप को समझने होते हैं। डायबिटीज के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं –
- बार-बार यूरिनेशन होना
- बार-बार प्यास लगना
- बहुत भूख लगना
- अत्यधिक थकान
- धुंधला दिखना
- किसी चोट को ठीक होने में ज्यादा समय लगना
- लगातार घटता वजन
- पैर में झुनझुनी या दर्द
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यदि आप इन लक्षणों को महसूस करते हैं, तो आपको जल्द से जल्द अपना ब्लड शुगर लेवल मापने की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा कुछ ऐसे लक्षण भी हैं, जो जिसके चलते आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इन लक्षणों में हैं –
- बहुत ज्यादा उल्टी, मतली, चक्कर या कमजोरी महसूस होना
- बहुत ज्यादा प्यास लगना या बार-बार पेट दर्द के साथ पेशाब होना
- सांस तेज होना या सांस फूलना
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ऐसे लक्षण दिखाई देने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर जरूरी टेस्ट करने के बाद आपको डायबिटीज के लिए आवश्यक मेडिसिन प्रिसक्राइब कर सकते हैं। इन दवाइयों की मदद से आप जल्द से जल्द डायबिटीज (Diabetes) को कंट्रोल में ला सकते हैं। यदि समय पर इन समस्याओं का इलाज ना ढूंढा जाए, तो डायबिटीज से जुड़ी अन्य जटिलताएं भी आपके शरीर में घर कर जाती हैं। जैसा कि आपने जाना डायबिटीज की स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। ऐसी स्थिति में डायबिटीज और एचआईवी यदि एक साथ हो जाए, तो इस स्थिति को संभालना और भी मुश्किल हो सकता है। इसलिए डायबिटीज और एचआईवी के बीच संबंध के बारे में जानकारी होना जरूरी है। आइए जानते हैं डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) के बीच क्या संबंध है।
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कैसी होती है डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) की स्थिति?
जिन लोगों को एचआईवी की समस्या है, उन लोगों में डायबिटीज की स्थिति पैदा होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। डायबिटीज के कुछ रिस्क फैक्टर्स में एचआईवी का नाम भी आता है, इसलिए डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) यह दोनों ही समस्याएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई मानी जाती हैं। जिन लोगों में क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन की समस्या होती है, उन लोगों में डायबिटीज (Diabetes) का रिस्क भी बढ़ जाता है। जब इम्यून सिस्टम का रिस्पॉन्स बिगड़ जाता है, तो यह हमारे शरीर के अलग-अलग भागों को नुकसान पहुंचाने लगता है। इसी वजह से व्यक्ति को डायबिटीज और एचआईवी दोनों ही समस्याएं एक साथ हो सकती हैं। इस स्थिति से बचने के लिए एचआईवी ट्रीटमेंट (HIV treatment) और हेल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाकर व्यक्ति इन्फ्लेमेशन की समस्या को सामान्य बनाए रख सकता है। एचआईवी की समस्या में दी जाने वाली कुछ दवाइयां डायबिटीज रिस्क को भी कम करती हैं। यह दवाइयां क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन की समस्या को ठीक करती हैं, ऐसी स्थिति में डायबिटीज और एचआईवी की समस्या को सामान्य बनाया जा सकता है। आइए अब जानते हैं डायबिटीज और एचआईवी की समस्या में निदान और उपचार किस तरह से किया जा सकता है।
कैसे किया जा सकता है डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) का निदान?
दरअसल 40 से ज्यादा की उम्र के व्यक्तियों को जिन्हें एचआईवी की समस्या है, साल में एक बार अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करवाना चाहिए। इस टेस्ट को हिमोग्लोबिन ए1सी (Hemoglobin A1C) का नाम दिया गया है। इस टेस्ट से एचआईवी की समस्या में डायबिटीज की स्थिति को समझा जा सकता है। इसलिए डायबिटीज और एचआईवी के बीच के संबंध को समझ कर उसका सही उपचार किया जा सकता है। जब व्यक्ति डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) की स्थिति में रेगुलरली अपना ब्लड टेस्ट करके ब्लड शुगर मॉनिटर करता है, तो डायबिटीज और एचआईवी दोनों ही स्थितियों को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है।
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क्या है डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) के उपचार की स्थिति?
डायबिटीज और एचआईवी की स्थिति में कई तरह के उपचार दिए जाते हैं, लेकिन डायबिटीज मैनेजमेंट के जरिए भी इन दोनों समस्याओं को सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है। आमतौर पर एचआईवी से ग्रसित लोगों में डायबिटीज का ट्रीटमेंट लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी किया जा सकता है। डायबिटीज और एचआईवी की समस्या में व्यक्ति को क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन (Chronic inflammation) की समस्या हो सकती है, जिसके कारण व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में सही खानपान और फिजिकल एक्टिविटी के जरिए डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) की समस्या को सामान्य बनाया जा सकता है। इसके साथ-साथ सही तरह से एचआईवी से जुड़ी हुई दवाइयां लेकर और अपने ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करके इस स्थिति का सही मुआयना किया जा सकता है। जिससे समय रहते डायबिटीज और एचआईवी की स्थिति को संभाला जा सके। टाइप टू डायबिटीज (Type two diabetes) से ग्रसित कुछ लोगों को इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की जरूरत पड़ सकती है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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डायबिटीज और एचआईवी (Diabetes and HIV) की समस्या अपने आप में चुनौतीपूर्ण मानी जाती हैं, ऐसी स्थिति से निपटने के लिए रेगुलर हेल्थ चेकअप और सही दवाओं के साथ-साथ लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है, जिससे समय पर सही इलाज करके स्थिति को संभाला जा सके।
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