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डायबिटीज में प्रोटीन के सेवन को लेकर हैं कंफ्यूज? यह आर्टिकल आ सकता है आपके काम!

डायबिटीज में प्रोटीन के सेवन को लेकर हैं कंफ्यूज? यह आर्टिकल आ सकता है आपके काम!

प्रोटीन (Protein) बॉडी को एनर्जी प्रदान करने वाले मुख्य तीन मैकोन्यूट्रिएंट्स (फैट और कार्बोहायड्रेट) में से एक है। यह बॉडी की नए टिशूज के विकास करने में मदद करता है। साथ ही मसल्स को बिल्ड करने और बॉडी को रिपेयर करने में अहम भूमिका निभाता है। एक व्यक्ति का प्रोटीन इंटेक (Protein intake) 0.8- 1ग्राम/किलोग्राम होना चाहिए। हालांकि, प्रोटीन या प्रोटीन फूड्स (Protein foods) का ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। ऐसा भी नहीं है कि डायबिटिक लोगों को नॉन डायबिटिक की तुलना में अधिक प्रोटीन की जरूरत पड़ती हो। हालांकि, डायबिटीज में प्रोटीन के साइड इफेक्ट्स (Protein side effects in diabetes) जरूर हो सकते हैं। डायबिटीज में प्रोटीन का उपयोग (Uses of protein in diabetes) कैसे करना चाहिए, इसके फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं? इसके बारे में इस आर्टिकल में बताया जा रहा है।

डायबिटीज में प्रोटीन: प्रोटीन और ब्लड ग्लूकोज (Protein and blood glucose)

प्रोटीन सिर्फ बॉडी की ग्रोथ में ही मदद नहीं करता बल्कि बॉडी प्रोटीन को ग्लूकोज (Glucose) में ब्रेकडाउन करती है। जिसका उपयोग शरीर को एनर्जी देने के लिए किया जाता है। अगर आप कम कार्ब्स (Carbs) वाला भोजन कर रहे हैं, तो यह प्रॉसेस तेजी से होती है। बता दें कि प्रोटीन कार्बोहायड्रेट की तुलना में कम एफिशिएंसी से ग्लूकोज में टूटता है और इसके परिणामस्वरूप प्रोटीन का ब्लड ग्लूकोज लेवल पर प्रभाव खाने के कुछ या कई घंटों के बाद होता है।

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज (Type 1 and Type 2 diabetes) से पीड़ित लोगों के लिए अधिक मात्रा में प्रोटीन फूड्स (Proteins foods) का उपयोग करने से पहले ब्लड ग्लूकोज पर इसके प्रभाव को समझना जरूरी है। साथ ही आपका ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) ऐसे मील्स से कैसे प्रभावित होता है यह जानना बेहद जरूरी है ताकि इंसुलिन (Insulin) की आवश्यकता को समझा जा सके और डायबिटीज में प्रोटीन के साइड इफेक्ट्स से बचा जा सके। इसके बारे में डॉक्टर से सलाह लेना सही होगा। साथ ही आप खुद भी इसे मॉनिटर कर सकते हैं।

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डायबिटीज में प्रोटीन (Protein uses in diabetes)

डेली प्रोटीन इंटेक (Daily Protein intake)

ऐसा माना जाता है कि जब तक किडनी हेल्दी हैं डेली कैलोरीज का 10 से 35 प्रतिशत प्रोटीन से आना चाहिए। एक बैलेंस्ड नॉन डायबिटिक डायट के लिए भी यही मात्रा सजेस्ट की जाती है। 45% से 65% कैलोरिक इंटेक कार्ब्स से बचा हुआ फैट के जरिए मिलना चाहिए। इसके अलावा जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि प्रोटीन इंटेक को वजन के हिसाब से डिफाइन किया जाता है। जो कि 0.8- 1ग्राम/किलोग्राम के लगभग माना जाता है। यानी अगर आपको वजन 70 किलो है तो आपको लगभग 70 ग्राम के आसपास प्रोटीन की जरूरत रोजाना होगी। प्रोटीन रिच फूड्स में मीट, फिश, चिकन, अंड़े, नट्स, सीड्स आते हैं। जिन्हें आसानी से डायट में एड कर प्रोटीन इंटेक को पूरा किया जा सकता है।

डायबिटीज में प्रोटीन इंटेक (Protein intake in Diabetes)

जब डायबिटिक डायट में प्रोटीन इंटेक लिया जाता है, तो थोड़ा ध्यान रखने की जरूरत होती है ताकि डायबिटीज में प्रोटीन के साइड इफेक्ट्स ना हो। दरअसल डायबिटीज में प्रोटीन फूड्स को लेकर चिंता इसलिए अधिक होती है क्योंकि उसमें फैट्स और कार्बोहायड्रेट होता है और कुछ प्रकार के कार्बोहायड्रेट बहुत जल्दी ग्लूकोज में कंवर्ट हो जाते हैं तो स्पाइक का कारण बन सकते हैं।

इसके साथ ही हाय फैट और हाय कार्ब फूड के वजन बढ़ने का भी रिस्क होता है जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नहीं हो पाता। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन प्रोटीन के लिए हफ्ते में दो बार फिश के सेवन को रिकमंड करता है। इसके साथ ही वे रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट्स के सेवन को अवॉइड करने की सलाह देते हैं क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है। जो काफी नुकसानदायक होता है। अगर आप डायबिटिक पेशेंट हैं तो डॉक्टर की सलाह के बिना किसी प्रोटीन फूड को अपनी डायट में शामिल ना करें।

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डायबिटीज में प्रोटीन का अधिक मात्रा में उपयोग (Excessive use of protein in diabetes)

डायबिटीज में प्रोटीन डायट के उपयोग को लेकर लोग ऐसा सोच सकते हैं कि इससे ब्लड शुगर के रेगुलेशन पर फर्क पड़ना चाहिए। हालांकि, प्रोटीन इसमें मदद नहीं कर सकता। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार प्रोटीन इंटेक बढ़ाने से शुगर के डायजेस्ट और एब्जॉर्ब होने पर कोई असर नहीं दिखाई दिया है। साथ ही इसका ब्लड शुगर लेवल पर भी कोई लॉन्ग टर्म प्रभाव दिखाई नहीं दिया। इसका मतलब यह है कि अगर कोई डायबिटिक व्यक्ति हाय प्रोटीन डायट (High Protein diet) अपनाता है तो इसके परिणामस्वरूप दिखाई देने वाला कोई भी लाभ कार्ब्स की मात्रा में कमी या उसके कंजप्शन को रेगुलेट करने से दिखाई देते हैं ना कि सिर्फ प्रोटीन से। यह कार्बोहायड्रेट डायट के लिए महत्वपूर्ण आधार है जो टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।

हालांकि, सभी के लिए प्रोटीन की अधिक मात्रा फायदेमंद नहीं हो सकती। डायबिटीज में प्रोटीन के उपयोग या इसमें किसी प्रकार का बदलाव करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन की एक स्टडी के अनुसार टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हाय प्रोटीन और हाय फैट में से किसी भी प्रकार के मील का सेवन करने के बाद इंसुलिन डोज को बढ़ाने की जरूरत महसूस होती है। इसलिए रिसर्चर ग्लूकोज लेवल को मॉनिटर करने की सलाह देते हैं।

डायबिटिक नेफ्रोपैथी (Diabetic nephropathy)

जो लोग डायबिटिक नेफ्रोपैथी का शिकार होते हैं (डायबिटीज से संबंधित किडनी डिजीज) उन्हें प्रोटीन का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए। इसके साथ ही जिनको किडनी डैमेज का रिस्क होता है उन्हें भी प्रोटीन का कम मात्रा में सेवन करने की सलाह दी जाती है। डायबिटीज में किडनी डैमेज (Kidney damage) के लिए जांच यूरिन में मौजूद प्रोटीन की मात्रा से की जाती है जिन्हें कीटोन्स (Ketones) कहते हैं। डायबिटीज का सामना कर रहे लगभग एक तिहाई लोग डायबिटिक नेफ्रोपैथी का शिकार होते हैं। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बाद ही प्रोटीन फूड्स का सेवन करना चाहिए।

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हाय प्रोटीन के साइड इफेक्ट्स (Side effects of High Protein)

कई स्टडीज में रेड मीट के इंटेक और टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर के डेवलमेंट में लिंक सामने आया है। इन स्टडीज के अनुसार प्रोसेस्ड रेड मीट का सेवन इन बीमारियों का रिस्क काफी बढ़ा देता है। रेड मीट में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। एल्कोहॉल के साथ अधिक मात्रा में प्रोटीन का कंजप्शन गाउट (Gout) जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। लंबे समय तक अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन (2 ग्राम/ किलोग्राम से ज्यादा) का सेवन कई परेशानियों का कारण बन सकता है। अधिक प्रोटीन के सेवन से निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

  • इंटेस्टाइनल डिसकंफर्ट और इनडायजेशन (Intestinal Discomfort and Indigestion)
  • डीहायड्रेशन (Dehydration)
  • जी मिचलाना (Nausea)
  • सिर में दर्द (Headache)
  • डायरिया (Diarrhea)
  • बिना किसी कारण के थकान

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अधिक प्रोटीन (High Protein) के उपयोग से कुछ सीरियस रिस्क भी जुड़ी हुई हैं जिनमें निम्न शामिल हैं।

इसलिए भले ही आप डायबिटिक हो या नॉन डायबिटिक डायट में प्रोटीन फूड्स का सेवन ना तो कम मात्रा में करें और ना ही अधिक मात्रा में। दोनों ही स्थितियां परेशानी का कारण बन सकती हैं।

उम्मीद करते हैं कि डायबिटीज में प्रोटीन का उपयोग (Protein uses in Protein) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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Impact of Fat, Protein, and Glycemic Index on Postprandial Glucose Control in Type 1 Diabetes: Implications for Intensive Diabetes Management in the Continuous Glucose Monitoring Era/https://care.diabetesjournals.org/content/38/6/1008/ Accessed on 14th September 2021

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Effect of a High-Protein, Low-Carbohydrate Diet on Blood Glucose Control in People With Type 2 Diabetes/
https://diabetes.diabetesjournals.org/content/53/9/2375/Accessed on 14th September 2021

 

Current Version

09/12/2021

Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari

Updated by: Bhawana Awasthi


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Sayali Chaudhari

फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/12/2021

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