क्या आप आयुर्वेद का मतलब समझते हैं ? आयुर मतलब ‘लाइफ’ और वेद मतलब ‘नॉलेज’ । आयुर्वेद एक प्राकृतिक उपचार तकनीक है, जो हमारे शरीर में तीन फंडामेंटल लाइफ फोर्स यानी दोष वात, पित्त और कफ में बैलेंस बनाने का काम करता है। आयुर्वेद की सहायता से बीमारी का इलाज करने में भले ही अधिक समय लगता हो, लेकिन बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आयुर्वेद प्राचीन भारत की प्रमुख चिकित्सा पद्धति रह चुकी है। आयुर्वेद के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि मनुष्य में पैदा होने वाले दोष पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु के कारण होते हैं। शरीर में पैदा होने वाले असंतुलन को नियंत्रित करने के लिए डायट के साथ ही व्यक्ति को अन्य गतिविधियों में सुधार लाने की सलाह दी जाती है। इस तरह से आयुर्वेद के माध्यम से बीमारियों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में उपचार के दौरान औषधियों का उपयोग किया जाता है।
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हर्बल एंड अल्टरनेटिव : होम्योपैथी (Homeopathy)
लगभग 18 वीं शताब्दी में होम्योपैथी की उत्पत्ति जर्मनी में हुई थी। होम्योपैथी के जन्मदाता सैमुएल हैनीमेन है। वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में होम्योपैथी लोगों के बीच लोकप्रिय है। अल्टरनेटिव मेडिसिन्स के रूप में होम्योपैथी में जड़ी-बूटी के साथ ही प्राकृतिक दवाओं का भी उपयोग भी किया जाता है। होम्योपैथी का नियम हैं कि औषधियां उन रोगों को ठीक करने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं, जिनका कारण वो खुद हो सकती है। यानी अगर कोई औषधी रोग उत्पन्न कर सकती है, तो वो ही औषधी उस रोग को ठीक भी कर सकती है। रोग एक्यूट है या फिर क्रॉनिक, होम्योपैथी में बीमारी का इलाज कम दवा के माध्यम से किया जाता है। होम्योपैथी अल्टरनेटिव मेडिसिन्स का उपयोग करने वाले लोगों को परहेज भी करना पड़ता है। अगर कोई इमरजेंसी है, तो डॉक्टर से पूछने के बाद पेशेंट एलोपैथी और होम्योपैथी दवाओं का सेवन कुछ समय के अंतराल में कर सकता है।
हर्बल एंड अल्टरनेटिव : एक्यूपंक्चर ( Acupuncture )
एक्यूपंक्चर का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज में किया जाता है। एक्यूपंक्चर की सहायता से पेन रिलीफ यानी दर्द से छुटकारा मिलता है। एक्यूपंक्चर नैचुरल पेन रिलीफ टेक्नीक है, जिसमे प्रेशर पॉइंट अहम होते हैं। एक्यूपंक्चर की प्रोसेस के दौरान बॉडी के कुछ प्रेशर बिंदु में सुई चुभाई जाती है। अगर किसी भी व्यक्ति को लगातार दर्द की शिकायत रहती है, तो वो एक्यूपंक्चर का सहारा ले सकता है। एक्यूपंक्चर का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। कुछ बीमारियां जैसे कि सिरदर्द की समस्या, ब्लड प्रेशर, शरीर के विभिन्न भागों में दर्द का एहसास या खांसी आने की समस्या में भी एक्यूपंक्चर का सहारा लिया जा सकता है। एक्यूपंक्चर के दौरान नर्व की पहचान कर स्किन में बारीक सुईं चुभाई जाती है। कुछ लोगों के मन में ये भ्रम होता है कि एक्यूपंक्चर के दौरान इस्तेमाल की जानी वाली सुई शरीर को घायल कर सकती है। जबकि ऐसा नहीं होता है। जब सुई को चुभाया जाता है, तो हल्का दर्द महसूस हो सकता है लेकिन ये घाव का कारण नहीं बनती। लोग एक्यूट से लेकर क्रॉनिक पेन के ट्रीटमेंट के लिए एक्यूपंक्चर का सहारा लेते हैं। अगर आपको एक्यूपंक्चर हीलिंग अल्टरनेटिव थेरिपी करवानी हैं, तो बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से ही करवाएं।
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हर्बल एंड अल्टरनेटिव : एक्यूप्रेशर (Acupressure)
एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर को लोग अक्सर एक जैसा समझने की भूल करते हैं जबकि ऐसा नहीं होता है। दोनों ही अलग हीलिंग अल्टरनेटिव थेरिपी हैं। एक्यूप्रेशर हीलिंग अल्टरनेटिव थेरिपी में शरीर के किसी निश्चित स्थान पर प्रेशर बनाया जाता है जिससे पेन यानी दर्द से राहत मिलती है, जबकि एक्यूपंक्चर में शरीर के विभिन्न हिस्सों यानी में सुई चुभाई जाती है। एक्यूप्रेशर चाइनीज ट्रीटमेंट है। ये विभिन्न प्रकार की समस्याओं जैसे कि सिरदर्द की समस्या, चिंता, मितली, पीठ दर्द और नींद न आने जैसी समस्याओं से राहत दिलाने का काम करता है। एक्यूप्रेशर मेंटल डिजीज को ठीक करने में भी सहायता करता है। एक्यूप्रेशर करते समय इन बातों का ध्यान रखा जाता है कि शरीर का कौन-सा हिस्सा किससे जुड़ा है। ऐसा करने से व्यक्ति को राहत का एहसास होता है। अगर आपको एक्यूप्रेशर हीलिंग अल्टरनेटिव थेरिपी करवानी हैं, तो बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से ही करवाएं।
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अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के रूप में अरोमाथेरिपी ( Aromatherapy)
अरोमाथेरिपी को होलिस्टिक थेरिपी कहा जाता है। इसमे कुछ असेंशियल ऑयल की मदद से हेल्थ को इंप्रूव करने का काम किया जाता है। तेल की सुगंध कई शारीरिक समस्याओं को हल करने में मदद करती है। बीमारी के अनुसार ही असेंशियल ऑयल का इंफ्यूजन किया जाता है। अगर आप भी अरोमाथेरेपी लेना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से इस बारे में पहले जानकारी जरूर लें।
अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के रूप में नैचुरोपैथी ( Naturopathy)
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि ये अल्टरनेटिव हीलिंग थेरिपी नैचुरल तरीके से शारीरिक समस्याओं को खत्म करने का काम करती है। नैचुरोपैथी ( Naturopathy) के अंतर्गत आपको कब खाना चाहिए, कब नहीं खाना चाहिए, कौन-से खाने से परहेज करना चाहिए आदि बातों पर जोर दिया जाता है। ऐसा करने से लोगों को अपने शरीर में बहुत-से परिवर्तन महसूस होते हैं।
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किन समस्याओं के लिए प्रभावकारी है हर्बल ?
डायबिटीज की समस्या के लिए
डायबिटीज की समस्या से निपटने के लिए लाइफस्टाइल में सुधार बहुत जरूरी है। मधुमेह की समस्या से निपटने के लिए मेथी पाउडर, जामुन के बीज, नीम पाउडर, करेले के पाउडर को मिक्स कर दिन में दो बार लिया जा सकता है। अब किसी भी बीमारी के इलाज के लिए बिना एक्सपर्ट की सलाह से कोई भी हर्बल मेडिसिन न लें।