इसके साथ ही निम्नलिखित चीजों से भी इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज (IBD) पर नियंत्रण पा सकते हैं :
- प्रोबायोटिक्स
- मछली
- एलोवेरा
- हल्दी
- एक्यूपंचर
इंफ्लमेटरी बाउल डिजीज (IBD) होने पर आप शारीरिक के साथ मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं। डॉक्टर द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशें को फॉलो करें। दवाओं को सही समय पर खाएं। हल्का व्यायाम पेट की परेशानियों में राहत दिलाता है। आप चाहे तो किसी सपोर्ट ग्रुप का हिस्सा भी बन सकते हैं। पेट से संबंधित किसी भी बीमारी को इग्नोर न करें।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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पेट में जलन होने के अन्य कारण क्या हैं?
आपको बता दें पेट में जलन के और भी कई कारण हो सकते हैं। इसलिए जब भी आपको लगे कि आपके पेट की जलन की समस्या ठीक नहीं हो रही और समस्या ज्यादा बढ़ रही है, तो ये हाइपर एसिडिटी का संकेत भी हो सकता है। नीचे हम आपको हाइपर एसिडिटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस प्रकार हैं :
हाइपर एसिडिटी तब होती है जब पेट में मौजूद अम्ल (एसिड) खाने की नली में आ जाता है। ऐसा होने पर भी जलन महसूस होती है। ऐसा होने पर सीने में भी जलन महसूस हो सकती है। हाइपर एसिडिटी होने के भी कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं :
पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric acid) नामक अम्ल होता है जो भोजन को टुकड़ों में तोड़ता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जब इसोफेगस की परत से होकर गुजरता है तो सीने या पेट मे जलन महसूस होने लग जाती है, क्योंकि ये परत हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के लिए नहीं बनी है।
बार-बार होने वाली एसिडिटी (Acidity) की समस्या को गर्ड (एसिड भाटा रोग या GERD) कहा जाता है।
- हमारे अनियमित खान पान के कारण एसिडिटी हो सकती है।
- गर्भावस्था में भी एसिड रिफ्लक्स हो जाता है और अधिक खाने की वजह से भी एसिडिटी हो सकती है।
- अधिक तले हुऐ खाद्य पदार्थ भी एसिडिटी का कारण बन सकते हैं। वसा भोजन को आंतों तक जाने की गति को धीमा कर देती है। इससे पेट में अम्ल बनने लगता है और एसिडिटी हो जाती है।