आजकल हार्ट अटैक (Heart Attack) बहुत ही कॉमन हो गया है। यह समस्या दिन-ब-दिन बड़ी होती जा रही है। अब यह तीस साल की उम्र में भी लोगों में देखने को मिलती है। हार्ट अटैक के कई कारण हो सकते हैं जैसे अत्यधिक स्ट्रेस लेना, हाय ब्लड प्रेशर, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स का बढ़ा हुआ लेवल आदि। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) के बारे में।
ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) की बीमारी क्या है?
हमारे खून में पाए जाने वाले एक प्रकार के फैट को ट्राइग्लिसराइड्स कहते हैं। हमारा शरीर इस फैट को इस्तेमाल करके ऊर्जा पैदा करता है।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ ट्राइग्लिसराइड्स जरूरी हैं लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे दिल की बीमारी या हार्ट डिजीज (Heart disease) का खतरा पैदा हो सकता है। ब्लड में इसकी मात्रा बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
ब्लड में इसकी बढ़ती मात्रा स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। क्योंकि ट्राइग्लिसराइड की बीमारी की वजह से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) यानी हृदय रोग या हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है। शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) का स्तर जांचने के लिए वहीं ब्लड टेस्ट किया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल लेवल चेक करने के लिए किया जाता है।
ट्राइग्लिसराइड्स हमारी रक्त वाहिकाओं के अंदर जमना शुरू कर देता है। जिस वजह से अंदर खून बहने की जगह सिकुड़ जाती है। इससे खून बहना बेहद धीमा हो जाता है और फिर यह समस्या हार्ट अटैक का भी कारण बनती है। ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) के लिए अनियमित खान पान (Unhealthy food) और हमारी नशे की आदतों को कारण माना जाता है। वहीं कई बार ये आनुवंशिक विकार की वजह से होता है। ट्राइग्लिसराइड्स निम्नलिखित वजहों से बढ़ता है।
- ज्यादा वजन होना (Overweight)
- शारीरिक गतिविधि में कमी (Decrease in physical activity)
- धूम्रपान (Smoking)
- शराब का अत्यधिक प्रयोग (Excessive use of alcohol)
- उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट आहार (High carbohydrate diet)
- कुछ बीमारियां और दवाएं (Some diseases and medicines)
- कुछ आनुवंशिक विकार (Some genetic disorders)
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ऐसे पता चलता है ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर (Triglycerides level)
डॉक्टर्स ब्लड टेस्ट के जरिए आपके कोलेस्ट्रॉल के साथ आपका ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर पता कर लेते हैं। इस टेस्ट को लिपिड प्रोफाइल भी कहते हैं। सामान्य ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर (Triglycerides level) 150 से कम होता है।
200 से अधिक का स्तर उच्च होता है। वहीं 500 तक बढ़ा होने पर इसे खतरनाक माना जाता है। जिस ब्लड टेस्ट से कोलेस्ट्रॉल लेवल चेक होता है, उसी से ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा का भी पता लगाया जा सकता है।
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ट्राइग्लिसराइड्स के कम होने का कारण (Cause of Low Triglycerides level)
ट्राइग्लिसराइड्स लेवल कम होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे:
हेल्दी डायट (Healthy diet)
हम सभी जानते हैं कि एक अनहेल्दी डायट के कारण ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ जाता है लेकिन हेल्दी डायट के कारण ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम (Low Triglycerides level) हो सकता है जो की एक ध्यान योग्य स्थिति है।
ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) के अधिक स्तर के साथ LDL यानि बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण हृदय रोग होने का खतरा बनता है।
हृदय रोग के खतरे को जानने के लिए LDL के दो मुख्य पार्टिकल की गणना करना बेहद जरूरी होता है –
- LDL-A पार्टिकल बड़े होते हैं जिनकी डेंसिटी कम होती है जिसके कारण हृदय रोग का खतरा भी कम रहता है।
- LDL-B पार्टिकल छोटे होते हैं लेकिन इनकी डेंसिटी ज्यादा होती है जिसके कारण हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
जब आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर अधिक होता है लेकिन LDL का स्तर ज्यादा तो इसका मतलब है की आपकी डाइट हेल्दी फैट से भरपूर है।
हेल्दी फैट न केवल अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है बल्कि खून में HDL (गुड कोलेस्ट्रॉल) पार्टिकल को भी बढ़ाता है। इसीलिए HDL का उच्च स्तर कोई बुरा संकेत नहीं होता है। हालांकि, LDL या ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर खराब स्वास्थ्य और हृदय रोग के बढ़ते खतरे का संकेत हो सकता है।
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लो फैट डायट (Low fat diet)
लो फैट डायट अनिवार्य रूप से अनहेल्दी नहीं हैं। रिसर्च में यह पाया गया है की लो फैट डाइट वजन कम करने में बेहद प्रभावशाली होती हैं। हालांकि, किसी भी चीज को जरूरत से ज्यादा किया जाए तो वह हानिकारक हो सकती है। इसीलिए बेहद कम वसा वाली डायट को भी अच्छा नहीं माना जाता है।
जो लोग लो फैट डायट (Low fat diet) फॉलो करते हैं उनके ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम होता है। हालांकि, हमारे शरीर के लिए फैट एक जरूरी पोषक तत्व है जिसके चलते हमे इसे कुछ मात्रा में जरूर लेना चाहिए। ऐसे में केवल हेल्दी फैट का ही चयन करें।
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लंबे समय तक फास्ट रखना
कुछ लोग अक्सर खाने और पीने से परहेज करने के लिए फास्टिंग का इस्तेमाल करते हैं, तो कई अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए। व्रत रखने के ढेर सारे फायदे हो सकते हैं जैसे की खून में शुगर की मात्रा कम होना और वजन कम करने के लिए लिपिड लेवल का कम होना।
2010 में की गई एक स्टडी में यह पाया गया की जो लोग एक दिन छोड़ कर एक दिन फास्ट रखते हैं उनमें 8 हफ्तों के अंदर ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर 32 प्रतिशत तक कम हो गया।
लंबे समय तक फास्ट करने से अधिक उत्तेजित परिणाम सामने आ सकते हैं। जिन लोगो का ट्राइग्लिसराइड्स लेवल (Triglycerides level) पहले से ही सामान्य होता है उनमें फास्टिंग से इसका स्तर बेहद कम हो सकता है।
ऐसे में लंबे समय तक फास्ट करने या एक दिन छोड़ कर एक दिन फास्ट करने से थोड़े समय के लिए फास्टिंग करना भी उतना ही प्रभावशाली माना जाता है और इससे ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर (Triglycerides level) भी अत्यधिक कम नहीं होता है।
यानि की पुरे एक दिन भूखे पेट रहने से बेहतर है कि आप प्रतिदिन 8 या 16 घंटों का व्रत रखें।
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कब दिखाएं डॉक्टर को?
यूं तो हाय ट्राइग्लिसराइड्स (High Triglycerides) बढ़ने के अक्सर कोई लक्षण नहीं होते। लेकिन, अगर यह बीमारी फैमिली हिस्ट्री के कारण लगी है, तो आप अपनी स्किन के अंदर जमा हुआ फैट देख सकते हैं। वहीं, अगर आपको रात में खर्राटे आते हैं, आपका वजन बहुत ज्यादा, आपको सीने में दर्द होता है और आप अत्यधिक शराब और सिगरेट लेते हैं तो आपको ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल की जांच करा लेनी चाहिए।
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ऐसे कम कर सकते हैं ट्राइग्लिसराइड्स (Tips to control Triglycerides)
आप वजन घटाकर, संतुलित आहार और खूब व्यायाम कर अपने ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम कर सकते हैं। आपको अपना ट्राइग्लिसराइड्स कम करने के लिए दवा लेने की जरुरत पड़ सकती है। इसके अलावा शराब-सिगरेट, मांसाहार, फैट वाला भोजन एवं अत्यधिक भोजन पर पाबंदी लगाकर भी ट्राइग्लिसराइड्स कम किया जा सकता है।
बढ़ा हुआ ट्राइग्लिसराइड्स क्यों है खतरनाक? (Risk factor of High Triglycerides)
हमारा शरीर ट्राइग्लिसराइड्स फैट का इस्तेमाल करके ऊर्जा पैदा करता है। बेहतर सेहत के लिए कुछ ट्राइग्लिसराइड्स जरूरी हैं। लेकिन, इसकी ज्यादा मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। ट्राइग्लिसराइड्स की बीमारी से दिल की बीमारी का खतरा पैदा हो सकता है। साथ ही हाई ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड शुगर भी एक साथ हो सकते हैं। कमर पर फैट जम जाता है, गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल कम हो जाता है और ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ जाता है। इस कॉम्बिनेशन को मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहते हैं। मेटाबॉलिक सिंड्रोम से डायबिटीज़, स्ट्रोक और दिल की बीमारियां (Heart disease) होने का खतरा बढ़ता है।
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ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में मदद करेंगी खाने-पीने की ये चीजें
शुगर को कहें बाय
मीठा खाना ज्यादातर सभी लोगों को पसंद होता है लेकिन यदि आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर अधिक होता है तो आपको शुगर नहीं लेनी चाहिए। अपनी डायट से मीठाई, सॉफ्ट ड्रिंक और जूस को बाहर करें। डायट में जितना अधिक आप शुगर लेंगे उतना ही ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ेगा जिसका सीधा असर आपके दिल पर पड़ेगा।
लो कार्ब डायट
शुगर की तरह कार्ब्स को अपनी डायट से बाहर करें। आप जितना कार्ब लेंगे उतना ही ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर आपके शरीर में बढ़ेगा। इसके लिए लो कार्ब डायट को फॉलो करें। 2006 में किए गए एक शोध में देखा गया जो लोग कार्ब्स लेते थे उनके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर अधिक था।
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फाइबर को करें डायट में शामिल
फाइबर आपको फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से मिलता है। इसके अलावा नट्स (Nuts), अनाज और फलियों में भी अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जितना आप डायट में फाइबर को शामिल करेंगे उतना आपका शरीर फैट और शुगर को कम अवशोषित करेगा। इसके साथ ही ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर (Triglycerides level) भी मेंटेन रहेगा।
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ट्रांस फैट को एवॉइड करें
प्रोसेस्ड चीजों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए उनमें ट्रांस फैट (Trans fat) मिलाया जाता है। आमतौर पर ये फ्राइड और बेकरी प्रोडक्ट्स में होता है। ये शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाता है जिससे हृदय रोगों के होने की संभावना अधिक होती है। बेहतर होगा जिन चीजों में ट्रांस फैट हो उनका सेवन एवॉइड किया जाए।
निष्कर्ष- ट्राइग्लिसराइड्स एक तरह का साइलेंट किलर है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये कब बढ़ जाता है आपको पता भी नहीं चलता और इसके बढ़ने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इसके लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना न भूलें।
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में ट्राइग्लिसराइड्स फैट और हार्ट अटैक से संबंधित हर जरूरी जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप अपना सावाल हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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