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क्या है फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन?

क्या है फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन?

पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक प्रकार का हाई ब्लड प्रेशर है जो आपके फेफड़ों में धमनियों और आपके दिल के दाहिने हिस्से को प्रभावित करता है। इसे फेफड़े संबंधी या फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता है। इसके होने पर दिल की ओर ब्लड ले जाने वाली नसें सख्त, पतली या नष्ट हो जाती हैं। ऐसे में ब्लड को पंप करने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में दिल कमजोर होता है और कई बीमारियां जन्म लेने लगती हैं। यही नहीं इससे हार्ट अटैक का भी खतरा बनने लगता है। डॉक्टरों के अनुसार इस बीमारी को पूरी तरह ठीक तो नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ सावधानियां बरती जाएं और समय रहते इसका इलाज शुरू किया जाए तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन के बारे में विस्तार से बताएंगे।

खराब हवा से बढ़ रहे फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन या पल्मोनरी हाइपरटेंशन के मरीज

फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन या पल्मोनरी हाइपरटेंशन बीमारी आज के समय में तेजी से फैल रही है। इसकी बड़ी वजह खराब हवा है। विशेषज्ञों के अनुसार एयर पॉल्यूशन के कारण हर चौथे व्यक्ति के फेफड़ों की ताकत कम हो रही है। सांस की समस्या वाले अधिकतर मरीजों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या मिल रही है। अब बड़े ही नहीं, तेजी से बच्चे भी इस बीमारी का शिकार बन रहे हैं।

और पढ़ें: जानें हाइपरटेंशन के प्रकार और इससे बचाव

फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन के लक्षण क्या हैं?

यूं तो इस बीमारी के कई लक्षण हैं, लेकिन कुछ लक्षण प्रमुख हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है और समय रहते अगर इनको पहचान लिया जाए तो आप इलाज शुरू करके इसके खतरे से बच सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख लक्षणों को।

  • सांस लेने में तकलीफ होना, शरू में ये दिक्कत एक्सरसाइज करते समय होती है और बाद में आराम करते वक्त
  • थकान महसूस होना
  • चक्कर या बेहोशी आना
  • सीने में दबाव या दर्द होना
  • टखनों, पैरों या पेट/उदर में सूजन
  • होठों और त्वचा का नीला रंग (सायनोसिस) होना
  • दिल की धड़कन तेज चलना
  • सिर दर्द होना
  • खाने-पीने की रूचि न होना
  • भूख न लगना व पाचन क्रिया का संतुलित न होना
  • खांसी आना
  •  एक्सरसाइज के बाद जी मचलना व उल्टी होना।

फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन के कारण

आपके दिल में दो ऊपरी कक्ष यानी चैंबर्स (एट्रिया) और दो निचले कक्ष (वेंट्रिकल) होते हैं। हर बार ब्लड आपके दिल से होकर गुजरता है। निचला दाहिना निचला कक्ष (वेंट्रकिल कक्ष) एक बड़े रक्त वाहिका (फुफ्फुसीय धमनी) के माध्यम से आपके फेफड़ों में रक्त पंप करता है। आपके फेफड़ों में, रक्त कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है और ऑक्सिजन लेता है।ऑक्सिजनयुक्त रक्त तब आपके फेफड़ों (फुफ्फुसीय धमनियों, केशिकाओं और नसों) में रक्त वाहिकाओं के माध्यम से आपके दिल के बाईं ओर बहता है। आमतौर पर रक्त आपके फेफड़ों में वाहिकाओं के माध्यम से आसानी से बहता है, इसलिए आपके फेफड़ों में ब्लड प्रेशर आमतौर पर बहुत कम होता है।

पल्मोनरी हाइपरटेंशन के साथ ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी कोशिकाओं में बदलाव के कारण होती है जो आपकी पल्मोनरी धमनियों को पंक्तिबद्ध करती हैं। इन बदलावों से धमनियों की दीवारें कठोर और मोटी हो सकती हैं, साथ ही अतिरिक्त ऊतक बन सकते हैं और रक्त वाहिकाएं भी सूज सकती हैं। पल्मोनरी धमनियों में ये बदलाव रक्त वाहिकाओं के जरिए से खून के प्रवाह को कम या अवरुद्ध कर सकते हैं। ऐसा होने पर ब्लड सर्कुलेशन कठिन हो जाता है और पल्मोनरी धमनियों में खून का दबाव बढ़ जाता है।

फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन के कारणों का विभाजन इस प्रकार है

पल्मोनरी हाइपरटेंशन कारणों पर निर्भरता के हिसाब से पांच समूहों में बांटा गया है।

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पल्मोनरी धमनी हाइपरटेंशन

इसके कारण अज्ञात हैं। इसे अज्ञातहेतुक (Idiopathic) पल्मोनरी धमनी हाइपरटेंशन के रूप में जाना जाता है। एक विशिष्ट जीन उत्तराधिकार जो परिवारों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन का कारण बन सकता है, इसे हेमेटिक पल्मोनरी धमनी हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। यह समस्या कुछ अवैध दवाओं जैसे मेथामफेटामाइन या कुछ विषाक्त पदार्थों से भी हो सकता है। इसके अलावा इसके होने का कारण जन्म के समय दिल की असमानताएं (जन्मजात हृदय रोग) भी हो सकता है। यही नहीं यह समस्या आपको संयोजी ऊतक विकार (स्क्लेरोडर्मा, ल्यूपस व अन्य), एचआईवी या पुरानी लीवर बीमारी (सिरोसिस) की वजह से भी हो सकती है।

दीर्घकालिक या पुराने बल्ड के थक्कों की वजह से पल्मोनरी हाइपरटेंशन

फेफड़ों में क्रोनिक रक्त के थक्के (पल्मोनरी एम्बोली) की वजह से भी होता है।

फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन अन्य स्थितियों से भी जुड़ा हुआ है, जिनके अस्पष्ट कारण हैं। इन्हीं में से एक है रक्त विकार। दूसरे हैं ऐसे विकार जो शरीर में कई अंगों को प्रभावित करते हैं जैसे सारकॉइंडोसिस मेटोबॉलिक (चयापचय) संबंधी विकार। इनके अलावा एक है पल्मोनरी धमनियों के खिलाफ दबाने वाले ट्यूमर।

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फेफड़े की बीमारी के कारण पल्मोनरी (फुफ्फुसीय) हाइपरटेंशन

यह पुरानी प्रतिरोधी फुफ्फुसीय बीमारी जैसे कि वातस्फीति की वजह से होता है। इसके अलावा यह फेफड़े की बीमारी जैसे फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस, एक ऐसी स्थिति जो फेफड़ों के वायु थैली (इंटरस्टीशियम) के बीच ऊतक में जख्म का कारण बनती है। इसके अलावा इसके होने की एक वजह स्लीप एप्निया और अन्य नींद विकार भी हैं।

पल्मोनरी हाइपरटेंशन के जोखिम

पल्मोनरी हाइपरटेंशन में कई तरह के जोखिम होते हैं। ये जोखिम परिस्थितियों पर भी निर्भर करते हैं। पल्मोनरी हाइपरटेंशन के विकास का जोखिम नीचे बताई गई परिस्थितियों में अधिक हो सकता है –

  • अगर आप युवा व्यस्क हैं, क्योंकि छोटे बच्चों में अज्ञातहेतुक पल्मोनरी धमनी हाइपरटेंशन(Idiopathic pulmonary artery hypertension) आम है।
  • अगर आपका वजन अधिक है।
  • अगर घर में इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास है।
  • अगर आप कोकीन जैसे अवैध ड्रग्स का सेवन करते हैं।
  • यदि आप भूख कम करने वाली कुछ दवाएं ले रहे हैं तो।

पल्मोनरी हाइपरटेंशन से होने वाले नुकसान या जटिलताएं

पल्मोनरी हाइपरटेंशन पर अगर ध्यान न दिया जाए और इसका इलाज न किया जाए तो शरीर पर इसके कई नुकसान हो सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख जटिलताओं के बारे में।

दाएं तरफ के दिल का बढ़ना और हार्ट फेल (cor pulmonale)

कोर प्लमोनल में आपके दिल के दाएं तरफ नीचले भाग का कोष बढ़ जाता है। इस कारण संकुचित या अवरुद्ध पल्मोनरी धमनियों के माध्यम से खून को स्थांनांतरित करने के लिए सामान्य से अधिक पंप करना पड़ता है। इस वजह से दिल अपनी दीवारों को मोटा करके और दाएं वेंट्रिकल के चैंबर का विस्तार करके ब्लड की मत्रा बढ़ाता है, लेकिन यह सभी प्रक्रिया अस्थायी होती है। ऐसे में अतिरिक्त तनाव की वजह से  दायां वेंट्रिकल विफल हो जाता है और हार्ट अटैक की नौबत  आ जाती है।

खून के थक्के

थक्के चोट लगने के बाद खून को बहने से रोकते हैं, लेकिन कभी-कभी थक्के ज्यादा बन जाते हैं जिसकी जरूरत नहीं होती। कई छोटे थक्के या कुछ बड़े थक्के नसों से अलग होकर फेफड़ों तक चले जाते हैं, जिससे पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या बन जाती है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन होने पर फेफड़ों के छोटी धमनियों में थक्के बनने की आशंका रहती है, जो काफी खतरनाक है।

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अतालता (Arrhythmia)

इसमें दिल के ऊपरी या निचले चैंबर से दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। इसे अतालता भी कहते हैं। यह पल्मोनरी हाइपरटेंशन की बड़ी जटिलताओं में से एक है। इसकी वजह से चक्कर आना, बेहोशी व धकधकी जैसी समस्या होती है। यह काफी खतरनाक हो सकता है।

खून बहना

पल्मोनरी हाइपरटेंशन की वजह से फेफड़ों में रक्तस्राव हो सकता है। रक्त खांसी के साथ निकल सकता है। यह काफी खतरनाक स्थिति होती है।

और पढ़ें: अपने करीबी की हाइपरटेंशन कम करने में मदद कैसे करेंगे?

पल्मोनरी हाइपरटेंशन से बचने के घरेलू उपाय

पल्मोनरी हाइपरटेंशन से बचने के लिए आपको दवाई के साथ-साथ कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिएं। इनसे काफी राहत मिलती है। हालांकि कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से एक बार परामर्श जरूर लें। वह आपकी स्थिति को देखते हुए उचित सलाह देगा। आइए जानते हैं आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

पल्मोनरी हाइपरटेंशन का इलाज

पल्मोनरी हाइपरटेंशन का इलाज कई तरीकों से होता है। इनमें से प्रमुख हैं ब्लड टेस्ट, छाती का एक्सरे, डोप्लर इकोकार्डियोग्राम, ट्रांससोफेजियल इकोकार्डियोग्राम, दाहिने दिल का कैथीटेराइजेशन, सीटी स्कैन का प्रोसेस, एमआरआई की प्रोसेस या खुले फेफड़ों की बायोप्सी व पल्मोनरी टेस्ट जो परफ्यूजन फेफड़ों के माध्यम से किया जाता है।

फुफ्फुसीय हाइपरटेंशन हाई ब्लड प्रेशर का ही एक रूप है। यह हाइपरटेंशन की तरह ही खतरनाक है। डॉक्टरों के अनुसार इस बीमारी को पूरी तरह ठीक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियां बरतीं जाएं और समय रहते इसका इलाज शुरू किया जाए तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/pulmonary-hypertension/symptoms-causes/syc-20350697

Accessed on 27/12/2019

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Accessed on 27/12/2019

Current Version

14/10/2020

Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Sanket Pevekar


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 14/10/2020

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