कई देशों-प्रांतों में सारे मौसम एक से नहीं होते पर भारत में आप हर मौसम का आनंद उठा सकते हैं। यहां हर मौसम बराबर एहसास कराता है। चाहे गर्मी हो, ठंड हो या फिर सावन, आपको हर मौसम में मिलने वाले फल-सब्जियां और फूल अपने देश में आसानी से मिल जाएंगे। लेकिन, इन सभी खासियतों के साथ आसानी से मिलती हैं, सभी मौसमी बीमारी। हर मौसम की कुछ खास बीमारी होती हैं, जो उस निश्चित मौसम में होने की ज्यादा आशंका होती है। लेकिन डरने या चिंता करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि हम आपको इन मौसमी बीमारी से बचाव, मौसमी बीमारी के लक्षण आदि बता रहे हैं। जिनकी मदद से आप बिना किसी मौसमी बीमारी की चिंता के हर मौसम का आनंद उठा पाएंगे।
मौसमी बीमारी के नाम क्या हैं?
मौसमी बीमारी गर्मी, सर्दी और मानसून सीजन के हिसाब से अलग-अलग हो सकती हैं। इसी वजह से इसे इंग्लिश में सीजनल डिजीज (Seasonal Diseases) भी कहा जाता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि, किसी निश्चित मौसमी में होने वाली बीमारी सिर्फ उसी मौसम में हो सकती हैं, बल्कि वह किसी भी मौसम में परेशान कर सकती हैं। लेकिन, इसके होने की अत्यधिक आशंका के आधार पर इसे मौसमी बीमारी में वर्गीकृत किया गया है। आइए, विभिन्न सीजन के हिसाब से होने से वाली कुछ मुख्य मौसमी बीमारी के नाम जानते हैं।
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गर्मी में होने वाली मौसमी बीमारी
- डिहाइड्रेशन
- वर्टिगो
- सन बर्न
- स्किन रैशेज
- हीट स्ट्रोक
- फूड प्वॉइजनिंग
- मीजल्स/चिकनपॉक्स, आदि
मानसून में होने वाली मौसमी बीमारी
सर्दी में होने वाली मौसमी बीमारी
- अस्थमा
- फ्लू
- रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
- साइनोसाइटिस
- ब्रोंकाइटिस
- टॉन्सिलाइटिस
- कान में दर्द (Otalgia)
- हाइपोथर्मिया
- रूखी त्वचा
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मौसमी बीमारी से बचाव कैसे करें?
विभिन्न मौसम में होने वाली मौसमी बीमारी से बचने के लिए आपको कुछ टिप्स अपनाने पड़ेंगे। जो कि आपको कई बीमारियों से बचाते हैं। जानें इन टिप्स के बारे में।
गर्मी की बीमारियों से कैसे बचें?
- इस मौसम में खाना जल्दी खराब हो सकता है, जिसकी वजह से आपको मौसमी बीमारी में फूड प्वाॅइजनिंग होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, कोशिश करें कि ताजा खाना खाएं। जिसके लिए आप ज्यादा खाना पकाने से बचें, ताकि खाना वेस्ट न हो। अगर फिर भी खाना बच जाता है, तो उसे तुरंत फ्रिज में रख दें।
- बाहर खुली जगह में खाना खाने से बचें। क्योंकि, वहां फूड प्वॉइजनिंग होने का खतरा बढ़ जाता है।
- मानसून के अलावा गर्मियों में भी मच्छर के काटने से होने वाली बीमारियों की आशंका रहती है। क्योंकि, इस दौरान हम आधी बाजू या हाफ पैंट जैसे कपड़े पहनते हैं, जिससे हाथ-पैरों पर मच्छर काटने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, कोशिश करें कि अपने घर के आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि अधिकतर मच्छर पानी में पैदा होते हैं। इसके अलावा, अगर आप कहीं बाहर जा रहे हैं, तो पूरे कपड़े पहनकर जाएं।
- गर्मी के मौसम में मीजल्स या चिकनपॉक्स के मामले बढ़ जाते हैं, जो कि एक वायरल इंफेक्शन है। यह वायरल इंफेक्शन संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। इसलिए, अगर आपको पता है कि किसी व्यक्ति को मीजल्स या चिकनपॉक्स है, तो उससे दूर रहें। इसके अलावा, यह बीमारी आपको है, तो आपको भी अधिक लोगों से मिलने से बचना चाहिए।
- इसके अलावा, गर्मियों में लू का खतरा बहुत होता है और सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक भीषण गर्मी पड़ती है। इस दौरान ज्यादा देर तक बाहर रहने से हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, कोशिश करें कि आप इस समय घर से बाहर न निकलें। अगर निकलना जरूरी है, तो सिर और शरीर को पूरी तरह से ढक कर निकलें और अपने साथ पानी की बोतल रखें और नियमित अंतराल पर पानी पीते रहें।
- चूंकि, गर्मी में सन बर्न और टैनिंग का खतरा होता है, जो कि आपकी त्वचा के हुए नुकसान को दिखाता है। इस समस्या से बचने के लिए सनसक्रीन का इस्तेमाल करें और अपने हाथ-पैर और मुंह को ढककर रखें।
- गर्मी में सबसे ज्यादा मौसमी बीमारी में हिहाइड्रेशन की समस्या होती है। तेज गर्मी और उमस के कारण शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। जिससे चक्कर भी आने लगते हैं। इसलिए, गर्मियों में खासकर पर्याप्त पानी पीना चाहिए।
- अगर आप किसी भी व्यक्ति से हाथ मिलाते हैं, तो अपने हाथ अच्छी तरह से धोने के बाद ही उन्हें अपने मुंह या चेहरे पर लगाएं तथा धोने के बाद ही कुछ खाएं। इससे बैक्टीरिया व वायरस के शरीर में जाने की आशंका कम हो जाती है।
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मौसमी बीमारी से बचने के लिए गर्मी में इन चीजों का करें सेवन
- गर्मी में नारियल पानी का सेवन करने से शारीरिक ठंडक मिलती है। इसमें मिनरल्स, इलेक्ट्रोलाइट्स और सिंपल शुगर होती है, जो कि शरीर को हाइड्रेशन और पोषण प्रदान करती है।
- तरबूज और खरबूजे में पानी की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए आप गर्मी में मौसमी बीमारी से बचने के लिए इन फलों का सेवन कर सकते हैं।
- प्याज गर्मी में लगने वाली लू से बचाने का प्रभावी तरीका है। प्याज खाने से आपके शरीर को प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट प्राप्त होते हैं और यह शरीर में ब्लड शुगर का स्तर संयमित रखने में मदद करती है।
- नींबू पानी पीने से शरीर में हिहाइड्रेशन की समस्या खत्म हो जाती है और आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जिससे आप गर्मी में होने वाली कई मौसमी बीमारियों से बचाव प्राप्त कर सकते हैं।
मानसून की बीमारियों से कैसे बचें?
- मानसून में बारीश की वजह से हमारे घर के आसपास या छत पर कई जगह पानी इकट्ठा हो जाता है। जिसकी वजह से वहां मच्छर पनपने की आशंका बढ़ जाती है। जिसकी वजह से मच्छर के काटने से होने वाली तमाम बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया आदि होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, अपने घर के आसपास या छत पर ऐसी सभी चीजों का खाली या ढककर रखें, जिनमें पानी इकट्ठा होने का खतरा होता है।
- मानसून के मौसम में बैक्टीरिया और वायरस के पनपने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। जिस वजह किसी के भी शरीर द्वारा आप संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए, किसी से भी मिलने या हाथ मिलाने के बाद हाथ जरूर धोएं।
- मानसून के मौसम में खुले फल और सब्जियां खरीदने या खाने से बचें। क्योंकि, बारिश के मौसम में बरसाती कीड़े-मकोड़े और कीटाणुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है और यह खुले में रखे गए फल-सब्जियों में मौजूद हो सकते हैं। इसलिए, साफ जगह और साफ खाना खाएं तथा अपने सामने ही काटे गए फल या सब्जियों का सेवन करें।
- मानसून के मौसम में पानी को उबाल कर पीएं। जिससे अगर पानी में कीटाणुओं का प्रवेश हो भी चुका होगा, तो वह मर जाएंगे। इसलिए, मानसून में स्वस्थ रहने या मौसमी बीमारी से बचने के लिए उबला हुआ पानी पीएं।
- मच्छरों या कीड़े-मकोड़े के काटने से बचने के लिए इंसेक्ट रेपेलेंट का इस्तेमाल करें। ताकि, कोई भी मच्छर या कीड़े-मकोड़े से काटने वाली बीमारी से आपको कोई खतरा न हो।
- वायरल डिजीज से ग्रसित व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचें। क्योंकि, वायरल डिजीज आसानी से फैल सकती हैं, जिसके कारण आपको भी मौसमी बीमारी के कारण शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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मानसून में पानी को साफ करने के तरीके
- मानसून में पानी में कीटाणुओं के पनपने का खतरा बढ़ जाता है। जिसके बाद आप पानी को साफ करने के लिए उबाल सकते हैं। इसके लिए पानी को 2 से 3 मिनट तक उबालें, जिससे उसमें मौजूद तमाम बैक्टीरिया, वायरस और प्रोटोजोन आदि का खात्मा हो जाता है। इसके बाद इसे किसी साफ बर्तन में ठंडा करके स्टोर कर लें।
- पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन टैबलेट्स का उपयोग करना अच्छा तरीका है। इसके लिए आप मार्केट में उपलब्ध क्लोरीन टैबलेट्स को पानी में डालकर हिलाएं। फिर कुछ 4 से 5 घंटे रखने के बाद पानी साफ हो जाता है और उसका सेवन किया जा सकता है।
- कई बार रखा हुआ पानी अस्वच्छ दिखने लगता है, जो कि कई बाहरी तत्व गिरने के कारण हो जाता है। इस पानी को साफ करने के लिए आप फिटकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसके लिए आपको फिटकरी के एक टुकड़े को पानी में कुछ देर तक रखकर छोड़ सकते हैं और सारे तत्व नीचे बैठ जाते हैं और पानी छानकर उसका सेवन कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को सेडीमेंटेशन भी कहते हैं।
सर्दी की बीमारियों से कैसे बचें?
- सर्दी में फ्लू के होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। जिसकी वजह से बीमार व्यक्ति के खांसने या छींकने के दौरान नाक और मुंह से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने से आपको भी फ्लू होने की आशंका हो जाती है। इसलिए, अगर किसी में फ्लू के लक्षण दिख रहे हैं, तो उससे सावधानी से मिलें और हाथ मिलाने के बाद तुरंत हाथों को धोयें। इसके दूसरी तरफ, अगर आपको फ्लू है तो खांसते या छींकते हुए मुंह और नाक को कपड़े से ढकें।
- सर्दी में ठंड के कारण सिरदर्द, बुखार, मसल्स का दर्द जैसी बहुत-सी शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, पूरे और गर्म कपड़े पहनकर रखें। गर्म कपड़े आपके शारीरिक तापमान को बनाए रखने और बाहरी ठंड की वजह से आपके शरीर को प्रभावित होने से बचाते हैं।
- सर्दी में इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए संतुलित और स्वस्थ डाइट का चुनाव करें।
- सर्दी में रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा, अगर आपको पहले से ही अस्थमा या अन्य रेस्पिरेटरी कंडीशन है, तो आपकी समस्या बढ़ सकती है। इससे बचने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें और जरूरी बचाव के बारे में पूछें।
- बच्चों और बुजुर्ग लोगों को फ्लू का खतरा सबसे ज्यादा होता है, इसके कारण उनके विभिन्न फ्लू से बचाव के लिए लगाए जाने वाले इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- सर्दी के मौसम में हवा में नमी कम हो जाती है। जिस वजह से रूखी त्वचा की समस्या भी मौसमी बीमारी बन जाती है। इससे बचने के लिए आप मॉश्चराइजर का इस्तेमाल नियमित कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको रूखी त्वचा के साथ होने वाली खुजली से भी राहत मिल जाएगी।
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सर्दी में फ्लू से बचने के लिए घरेलू उपाय
- सर्दी में फ्लू की वजह से खांसी होना बहुत आम है। जिसके लिए आप शहद और लहसुन का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए, आप लहसुन की चार कलियों को बारीकी से काटकर 2 बड़े चम्मच शहद में मिलाकर रातभर के लिए छोड़ दें। इसके बाद, इस मिक्सचर का सेवन रोजाना दिन में दो बार करें। इससे जरूर फायदा होगा।
- अदरक और काली मिर्च की मदद से आप खांसी और गले में दर्द की समस्या से राहत पा सकते हैं। इसके लिए, अदरक और कुछ काली मिर्च के दानों का पेस्ट बना लें। अब इसमें, एक बड़ा चम्मच शहद मिला लें और हर कुछ घंटों में आधा चम्मच इस पेस्ट का सेवन करें।
- फ्लू की वजह से नाक बंद होना या नाक बहना आम लक्षण है। इस समस्या से बचने के लिए आप स्टीम इनहेल कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक चौड़े पैन में पानी को उबालना होगा। फिर इसमें, एक चम्मच क्रश की हुई अजवायन और मेंथॉल या पेपरमिंट ऑइल की कुछ बूंदें मिलाकर इसका प्रभाव बढ़ा सकते हैं। इसके बाद पैन के ऊपर सिर करें और गहरी सांस लें।
- गले में दर्द या सूजन को दूर करने के लिए एक गिलास गर्म पानी में एक बड़ा चम्मच नमक और हल्दी डालकर मिला लें। अब इस पानी से गरारे करें। रोजाना दिन में 3 बार गरारे करने से आपकी गले दर्द की समस्या कम हो जाएगी।
मौसमी बीमारी से बच्चों को कैसे बचाएं?
आमतौर पर, कीटाणुओं के संपर्क में आने या किसी भी मौसम में ज्यादा देर तक बाहर रहने की वजह से मौसमी बीमारी होती हैं और यह सभी चीज बच्चे जरूर करते हैं। आप बच्चों को बाहर जाने नहीं रोक सकते हैं, लेकिन उनको मौसमी बीमारी होने के खतरे को कम कर सकते हैं। जैसे-
- जब बच्चे अपने दोस्तों के साथ बाहर या स्कूल में खेलें, तो उन्हें बताएं कि अगर किसी दोस्त को बीमारी है, तो उससे सावधानी से मिलें। इसके अलावा, बीमार बच्चे से मिलने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोयें।
- मानसून सीजन की पहली बारिश में बच्चों के घर से बाहर जाने पर ध्यान रखें। क्योंकि, सीजन की पहली बारिश में एसीडिक एलीमेंट होता है, जिससे बच्चों को त्वचा संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, बच्चों को बारिश में भीगने से बचाएं, क्योंकि इस मौसम में उनके बीमार होने का खतरा ज्यादा होता है।
- बच्चों के नाखून को बढ़ने न दें। क्योंकि, बढ़े हुए नाखूनों में कीटाणुओं के इकट्ठा होने का खतरा ज्यादा होता है।
- बच्चों को हेल्दी हैबिट्स सीखाएं। जैसे- खाने से पहले हाथ धोना या बाहर से खेलकर आने के बाद नहाना आदि। ये अच्छी आदतें आपके बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती हैं।
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