अगर, सैनिक की त्वचा काफी ज्यादा जल गई है, तो उसे स्किन ग्राफ्ट की तकनीक से कुछ हद तक या पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। स्किन ग्राफ्ट दो तरीके से किया जा सकता है, पहला- स्प्लिट थिकनेस ग्राफ्ट, जिसमें बाहरी त्वचा की कुछ लेयर को ट्रांसप्लांट किया जाता है। दूसरा- फुल थिकनेस ग्राफ्ट, जिसमें त्वचा की सभी लेयर का ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस तकनीक के बाद क्षतिग्रस्त त्वचा पर हमेशा के लिए निशान भी रह सकता है। इस तकनीक में शरीर के कपड़ों से ढके रहने वाले अंगों से त्वचा का अंश लिया जाता है और चोटिल जगह पर सिलाई कर दी जाती है। स्प्लिट थिकनेस ग्राफ्ट में फुल थिकनेस ग्राफ्ट के मुकाबले रिकवर होने में कम समय लगता है।
माइक्रोसर्जरी
युद्ध में सैनिकों के जख्म किसी अंग को अलग कर देतो हैं, तो माइक्रोसर्जरी की जाती है। जैसे, अगर युद्ध में किसी सैनिक की एक उंगली या कान या अन्य अंग अलग हो गया है, तो उसे माइक्रोसर्जरी की मदद से ठीक किया जाता है। इस तकनीक में माइक्रोस्कोप की मदद से सर्जन छोटी ब्लड वेसल्स और नर्व की सिलाई करता है।
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सैनिकों के जख्म पर सर्जरी के बाद होने वाले इंफेक्शन
सैनिकों के जख्म पर की जाने वाली सर्जरी के बाद जरूरी नहीं कि स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाती है। सर्जरी के निशान कई मामलों में रह ही जाते हैं। लेकिन, इसके अलावा सर्जरी वाली जगह पर कुछ इंफेक्शन भी हो सकते हैं। जैसे
- सर्जरी वाली लाइन के आसपास व्हाइट पिंपल्स या ब्लिस्टर्स।
- सर्जिकल साइट का लाल, मुलायम और सूजन होना।
- सर्जिकल साइट पर दर्द होना और दवाइयों की मदद से भी आराम न मिलना।
सैनिकों की फ्रैक्चर हड्डी के लिए सर्जरी
अगर युद्ध या हमले में फ्रैक्चर हड्डी के रूप में सैनिकों के जख्म हो जाते हैं, तो उन्हें तत्काल सर्जरी की जरूरत पड़ती है। क्योंकि, हड्डी फ्रैक्चर होने के बाद उसे उसकी सही जगह पर सेट करना बहुत जरूरी हो जाता है, वरना शारीरिक विकार उत्पन्न हो जाता है। फ्रैक्चर हड्डी की दो तरह की सर्जरी की जाती है। पहली- रिडक्शन (Reduction) और दूसरी क्लोज्ड रिडक्शन (Closed Reduction) सर्जरी। अगर ब्लास्ट या हथियार की वजह से हड्डी में फ्रैक्चर आया है, तो आमतौर पर सैनिकों को क्लोज्ड रिडक्शन सर्जरी की जाती है। रिडक्शन तकनीक में बिना सर्जरी किए हुए हड्डी को उसकी सही जगह लगाया जाता है। लेकिन क्लोज्ड रिडक्शन सर्जरी में हड्डी को सही जगह लगाने के लिए सर्जरी की मदद ली जाती है। क्लोज्ड रिडक्शन सर्जरी के कुछ मामलों में हड्डी को सेट करने में मदद करने के लिए पिन, प्लेट्स, स्क्रू, रॉड या ग्लू की मदद भी ली जाती है।
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सैनिकों के जख्म के लिए सर्जरी के बाद जोखिम
सैनिकों के जख्म के लिए की जाने वाली सर्जरी के बाद कई शारीरिक समस्याओं के जोखिम हो सकते हैं। जैसे-
हेमाटोमा (Hematoma) – हेमाटोमा ब्लड का एक पॉकेट होता है, जो कि दर्दनाक और बड़ी चोट की तरह लगता है। इस समस्या का खतरा आमतौर पर हर सर्जरी में होता है। इसे सही करने के लिए अतिरिक्त ऑपरेशन की जरूरत होती है।
सीरोमा (Seroma) – सीरोमा की स्थिति तब पैदा होती है, जब सीरम या स्टिराइल बॉडी फ्लूड त्वचा की सतह के नीचे इकट्ठा होने लगता है और इसका नतीजा दर्द और सूजन के रूप में निकलता है। यह समस्या किसी भी सर्जरी के बाद हो सकती है। इसके अलावा, इस समस्या के इलाज के बाद भी इसके दोबारा होने की आशंका बनी रहती है।
खून की कमी- सर्जरी के दौरान थोड़ा बहुत खून बहता ही है। लेकिन, अगर सर्जरी के दौरान ज्यादा खून बह जाता है, तो इससे ब्लड प्रेशर में कभी हो सकती है और यह समस्या प्राणघातक साबित हो सकती है।
नर्व डैमेज- कई सर्जरी में नर्व डैमेज की आशंका हो सकती है। जिससे प्रभावित अंग में सुन्नपन पैदा हो सकती है। अधिकतर मामलों में नर्व डैमेज अस्थायी होती है, लेकिन यह समस्या हमेशा के लिए भी बनी रह सकती है।
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सैनिकों के जख्म के लिए प्राथमिक उपचार
इन सभी बातों से अलग हमारी व्यक्तिगत भी जिम्मेदारी होती है, जो किसी सैनिक या अन्य सामान्य नागरिक की जान बचाने में मदद करती है। अगर, आपको कोई जख्मी सैनिक मिलता है या जख्मी व्यक्ति मिलता है, तो आप प्राथमिक उपचार कर सकते हैं। जैसे-
- किसी सामान्य व्यक्ति या सैनिकों के जख्म के प्राथमिक उपचार के लिए सबसे पहले ब्लीडिंग रोकें। कट या जख्म वाली जगह पर किसी कपड़े या पकड़ से दबाव बनाएं।
- किसी सामान्य व्यक्ति या सैनिकों के जख्म को सबसे पहले साफ करें। घाव को साफ करने के लिए हाइड्रोजन पैरॉक्साइड या आयोडीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- घाव को गीला न करें, इससे इंफेक्शन होने का खतरा होता है।
- ऊपर बताए गई मदद को करने के बाद घायल या जख्मी व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर या नजदीकी अस्पताल ले जाएं।